श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर हिन्दी निबंध – Essay on Janmashtami in Hindi

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हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Janmashtami in Hindi पर पुरा आर्टिकल।Janmashtami को श्री कृष्णा के जन्मदिवस के रूप में जाना जाता है। आज हम आपको Janmashtami के बारे में बहुत कुछ बताएँगे जो आपको Janmashtami के बारे में जानने में मदद करेंगे । अगर आप जन्माष्टमी के ऊपर essay ढूंढ रहे है तो भी आपको बहुत मदद मिलेगी तो अगर आप अपने बच्चो के लिए Essay on Janmashtami in Hindi पर बहुत कुछ लिख सकते है।

 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर हिन्दी निबंध Essay on Janmashtami in Hindi

 

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर हिन्दी निबंध - Essay on Janmashtami in Hindi 1

 

जन्माष्टमी का पावन पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र स्मृति में, उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व का सम्बन्ध समग्र हिन्दू समाज के साथ है। जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद के महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात के समय हुआ था। यह धार्मिक त्यौहार तभी से मनाया जाता रहा है। इस धार्मिक पर्व को मनाने के लिए आस्थावान लोग काफी पहले से ही तैयारी आरम्भ कर देते हैं। ये लोग बड़े ही प्रेम व श्रद्धा से व्रत रखते हैं। रात्रि को भगवान के मन्दिरों में जाकर पूजाअर्चना करते हैं ।आधी रात के समय जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. मन्दिरों में शंखघंटे-घड़ियाल आदि बजाकर हर्ष प्रकट किया जाता है।

और प्रसाद बांटा जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करके भक्तजन अपना व्रत तोड़ते हैं। जन्माष्टमी के दिन ग्रामों तथा नगरों में अनेक स्थानों पर झूले व झाँकियों आदि का प्रदर्शन होता है। इस अवसर पर कई दिन पूर्व से ही विविध प्रकार के मिष्ठान्न आदि बनाये जाने प्रारम्भ हो जाते हैं। इस दिन मन्दिरों की शोभा तो देखते ही बनती है। मन्दिरों पर रंगीन बल्बों की रोशनी की जाती है। मन्दिरों की शोभा विशेष रूप से श्रीकृष्ण के जन्मस्थान मथुरा तथा वृन्दावन में देखने योग्य होती है।

अनेक देवालयों एवं धार्मिक स्थानों पर इस दिन गीता का अखण्ड पाठ चलता है। भारतवर्ष के हिन्दू समाज में इस महान पर्व का आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक दोनों तरह का विशिष्ट महत्व है। यह त्यौहार हमें आध्यात्मिक एवं लौकिक संदेश देता है। यह त्यौहार हर वर्ष नई प्रेरणा, नए उत्साह और नएनए संकल्पों के लिए हमारा मार्ग प्रशस्त करता है। यह त्यौहार हमें जहाँ एक ओर श्रीकृष्ण के बाल रूप का स्मरण कराता है वहीं दूसरी ओर अपना उचित अधिकार पाने के लिए कठोर संघर्ष और निष्काम कर्म के महत्व की शिक्षा भी प्रदान करता है। अतः हमारा कर्तव्य है कि हम जन्माष्टमी के पवित्र दिन भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र के गुणों को ग्रहण करने का व्रत लें और अपने जीवन को सार्थक बनाएँ।

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर हिन्दी निबंध Essay on Janmashtami in Hindi

जन्माष्टमी श्रीकृष्ण की जन्मतिथि है । श्रीकृष्ण का जन्म आज से लगभग ५००० वर्ष पूर्व भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी की आधी रात के समय बन्दीगृह में हुआ था । इनकी माता का नाम देवकी और पिता का नाम वसुदेव था । देवकी मथुरा के अत्याचारी राजा कंस की बहन थी । जब ज्योतिषियों ने बतलाया कि इसी देवकी का आठवाँ बालक तेरा संहार करेगा तो कंस ने बहन और बहनोई को बन्दीगृह में डाल दिया। वहाँ देवकी के जो भी बालक उत्पन्न होता, कंस उसे तुरन्त मरवा देता था।

क्रमश: आठवें बालक श्रीकृष्ण की उत्पत्ति हुई। इस बार वसुदेव ने आधी रात के समय किसी प्रकार श्रीकृष्ण को गोकुल में नन्द के यहाँ पहुँचा दिया और उसी रात नन्द की पत्नी यशोदा के यहाँ उत्पन्न हुई बालिका को लाकर देवकी के पास लिटा दिया। प्रातकाल लड़की उत्पन्न होने का समाचार पाकर निदेय कस ने उस कन्या का भी प्राणान्त कर दिया। बाद में श्रीकृष्णबलदेव ने कंस को भरी सभा में मारकर पृथ्वी का बोझ हल्का किया। श्रीकृष्ण चतुर राजनीतिज्ञ, विद्वान्, योगिराजत्यागी, शूरवीर, योद्धा, देश का उद्धार करने वाले, सच्चे मित्रअनुपम दानी और सेवाभाव के आदर्श उदाहरण थे ।

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दुर्योधन की पराजय, कंस, शिशुपाल, जरासन्ध आदि का । नाश, अर्जुन को गोता का उपदेश, सुदामा की सहायता और युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में अतिथियों के पाँव धोना आदि कार्य श्रीकृष्ण की महत्ता को प्रकट करते थे। श्रीकृष्ण न होते तो भारतवर्ष आज से पांच हजार साल पहले ही पराधीन हो गया होता। श्रीकृष्ण के इन उपकारों को स्मरण करने के लिए और जाति में नया जीवन पूंकने के लिए जन्माष्टमी मनायी जाती है । जन्माष्टमी के दिन लोग उपवास रखते हैं। मन्दिरों को सजाते हैं । रागरंग करते हैं ।

श्रीकृष्ण की मूर्तियों की स्थापना करते हैं। उन्हें वस्त्रों और आभूषणों से सजाते हैं । अवतार भावना से उनकी पूजा करते हैं । बिजली की चकचौंध करने वाला प्रकाश करते हैं । आधी रात के समय जब श्रीकृष्ण के जन्म का समय होता है तो आरती करके कुछ खाते हैं।

श्रीकृष्ण . के प्रति श्रद्धा के फूल चढ़ाने का यह रोचक ढंग है। लोगों में श्रीकृष्ण के गुणों को जानने अपनाने और उन पर अमल करने की भावना उत्पन्न होती है।

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर हिन्दी निबंध Essay on Janmashtami in Hindi

जन्माष्टमी का त्योहार सभी हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख त्योहार है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे–“कृष्णाष्टमी”, साटम आठम , “गोकुलाष्टमी”, “अष्टमी रोहिणी”, “ श्री कृष्ण जयंती “, “श्री जयंती” इत्यादि। परंतु अधिकांश लोग इसे “जन्माष्टमी” ही कहते हैं। हिन्दू इस त्योहार को कृष्ण के जन्म और भगवान विष्णु के अवतार के रूप में मनाते हैं।

कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार श्रावण (सावन) माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में पड़ती है। यह त्योहार कभी अगस्त और कभी सितम्बर में पड़ता है। कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले सप्तमी को लोग व्रत रखते हैं और आधी रात को 12 बजे कृष्ण का जन्म हो जाने के बाद घंटेघड़ियाल बजाकर श्रीकृष्ण की आरती उतारते हैं। तत्पश्चात् सभी लोग अपने आस-पड़ोस और मित्र-रिश्तेदारों को ईश्वर का प्रसाद वितरण करके खुशी प्रकट करते Tw हैं। फिर वे स्वयं खाना खाते हैं। इस प्रकार पूरे दिन व्रत रखकर यह त्योहार मनाया जाता हैं।

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कृष्ण जन्माष्टमी के दिन – बच्चे अपने घरों के सामने हिंडोला सजाते हैं। वे हिंडोले (पालने) में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं। कंस का कारागार बना देते हैं। उसमें ए और देवकी और वसुदेव को बिठा देते हैं। कारागार के बाहर सिपाही तैनात कर देते हैं। इसी प्रकार उसके आसपास अन्य खिलौने रख देते हैं।

इन्हें देखने के लिए आसपास के बहुत लोग आते हैं। वहाँ मेला-सा लग जाता है। जहाँ स्थान अधिक होता है, वहाँ झूले और खिलौने बेचने वाले भी आ जाते हैं। बच्चे वहाँ हिंडोला देखने के साथ-साथ झूला झूलते हैं और खिलौने वगैरा भी खरीदते हैं। विशेषकरजन्माष्टमी के दिन बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं, क्योंकि कई प्रकार के खिलौने खरीदकर उन्हें हिंडोला सजाना होता है। कई स्थान पर कृष्णलीला भी होती है। इसमें मथुरा का जन्मभूमि मंदिर और बांकेबिहारी का मंदिर मुख्य है।

कहा जाता है कि जब कृष्ण का जन्म हुआ था, तब कारागार के सभी पहरेदार सो गए थे, देवकीवसुदेव की बेड़ियाँ स्वत: ही खुल गई थीं और कारागार के दरवाजे स्वत: ही खुल गये थे। फिर आकाशवाणी ने वसुदेव को बताया कि वे अभी कृष्ण को गोकुल पहुँचा दें। तत्पश्चात् कृष्ण के पिता वसुदेव कृष्ण को सूप में सुलाकर वर्षा ऋतु में उफनती हुई नदी पार करके गोकुल ले गए और नंद के यहाँ छोड़ आएसभी लोग इसे कृष्ण का ही चमत्कार मानते हैं। वन कंस ने तो कृष्ण के सात भाइयों को पैदा होते ही मार दिया था।

फिर कृष्ण ने बचपन से युवावस्था तक कंस सहित अनेक राक्षसों का वध किया और अपने भक्तों का उद्धार कियायही कारण है कि लोग उन्हें ईश्वर का अवतार मानकर उनकी पूजा-अर्चना एवं भक्ति करते हैं। इस प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार आनंदसांप्रदायिक सद्भाव और अनेकता में एकता का त्योहार है।

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Written by

Romi Sharma

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