हेलो दोस्तों आज में आपके लिए लाया हु प्रदूषण पर निबंध। प्रदूषण एक बहुत बड़ी समयस्या है जिसको हमे जल्दी से जल्दी कण्ट्रोल करना होगा वार्ना इसको रोकना बहुत मुश्किल हो जायेगा। Essay on Pollution in Hindi आपके बच्चो के लिए बहुत फयदेमंद हो सकता है। इस आर्टिकल में हम आपको प्रदुषण के प्रकार, कारण और उनके रोकथाम के बारे में बताएँगे
प्रदूषण पर निबंध 1 – Essay on Pollution in Hindi (200 Word)
वायु प्रदूषण का अर्थ है वायु में कुछ तत्वों के अनावश्यक रूप से मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना। पिछले कुछ दशकों से दुनिया के सामने वायु प्रदूषण की समस्या उठ खड़ी हुई है। इसकी भयावहता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।
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इसके प्रमुख कारण हैं-उद्योगों का व्यापक प्रसारधुआं छोड़ने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि और घरेलू उपयोग के लिए ऊर्जा के परंपरागत स्त्रोतों का अधिक मात्रा में दोहन। वायु प्रदूषण के परिणाम बहुत घातक हैं। चूंकि वायु का सीधा संबंध धरती पर जीवन से है, इसलिए यह अधिक चिंता का कारण बन रहा है। लोग अशुद्ध वायु में साँस लेकर अनेक प्रकार की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
शहरों में स्थिति खतरनाक सीमा को पार कर चुकी है। वायु में गंदगी मिलाने वाले तत्वों की मात्रा घटाकर इस समस्या से बचा सकता है। वन-संरक्षण और वृक्षारोपण भी इसका एक प्रभावी इलाज है। वायु प्रदूषण को कम करने वाले उपायों पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए।
ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 2 – Essay on Pollution in Hindi (200 शब्द)
ध्वनि प्रदूषण आधुनिक समय की एक बड़ी समस्या बन गई है। पिछले कुछ दशकों से इस समस्या ने लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है। इस समस्या के पीछे औद्योगीकरण, यातायात के आधुनिक साधनोंजनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण तथा बढ़ती मानवीय गतिविधियों का बहुत बड़ा हाथ है। उद्योगधंधों तथा कारखानों से अनेक प्रकार की कर्कश आवाजें निकलती हैं जो कानों से टकराकर हमारे चित्त को अशांत कर देती हैं।
यातायात के आधुनिक साधन जैसे कि बस, कार, ट्रक, मोटरसाइकिलट्रेन, वायुयान आदि वातावरण में तरह-तरह की ध्वनियाँ छोड़ते हैं। आजकल शहरों में घर बिलकुल पासपास हैं, अत: घरेलू शोर की मात्रा बढ़ रही है। रेडियो, टेलीविज़न तथा ध्वनि प्रसारक अन्य यंत्रों का शोर भी दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। हमारे चारों ओर विभिन्न प्रकार की आवाजें रातदिन उत्पन्न हो रही हैं जिससे मानसिक तनाव , बहरापन ‘ आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस समस्या पर अब तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
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आज सबसे बड़ी समस्या है प्रदूषण। इस समस्या की ओर आजकल सभी देशों का ध्यान केन्द्रित है। जनसंख्या की असाधारण वृद्धि ने प्रदूषण की समस्या को जन्म दिया है। औद्योगिक तथा रासायनिक कूड़ेकचरे के ढेर से पृथ्वी, हवापानी-सभी प्रदूषित हो रहे हैं। आज के वातावरण में कई प्रकार का प्रदूषण है, जैसे-जल प्रदूषणध्वनि प्रदूषण रेडियोधर्मी प्रदूषण रासायनिक प्रदूषण आदि। आज वृक्षों का अत्यधिक कटाव हो रहा है। इससे ऑक्सीजन गैस का संतुलन बिगड़ गया है और वायु अनेक हानिकारक गैसों से प्रदूषित हो गई है। जो मनुष्य के फेफड़ों के लिए अत्यंत घातक है। इसी प्रकार जीवन का मुख्य आधार जल भी प्रदूषित हो गया है। बड़े बड़े नगरों के गंदे नाले नदियों में डाल दिए जाते हैं। सीवरों को नदी से जोड़ दिया जाता है। इससे जल प्रदूषित हो जाता है और उससे पीलिया, पेचिसहैज़ा आदि अनेक प्रकार की भयानक बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इससे लोगों का जीवन ही खतरे में पड़ गया है।
आज के युग में ध्वनि प्रदूषण की भी एक समस्या है। इसे वैज्ञानिक प्रगति ने पैदा किया है। मोटर, कार, ट्रैक्टरजेट विमान, कारखानों के साइरन, मशीनें, लाऊडस्पीकर आदि ध्वनि-प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। अत्यधिक ध्वनि-प्रदूषण से श्रवण-शक्ति पर बुरे प्रभाव पड़ने के साथ ही मानसिक विकृति तक हो सकती है। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिक परीक्षणों के कारण रेडियोधर्मी पदार्थ संपूर्ण वायुमंडल में फैलकर उसे प्रदूषित कर रहे हैं जो जीवन को अत्यंत क्षति पहुँचा रहे हैं।
इसके अलावा कारखानों से बहते हुए अवशिष्ट पदार्थोंरोगनाशक तथा कीटनाशक दवाइयों और रासायनिक खादों से भी प्रदूषण फैल रहा है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। यही नहीं, कारखानों के धुएँ विपैले कचरे के बहाव तथा ज़हरीली गैसों के रिसाव से आज मानव जीवन का वायुमंडल अत्यंत प्रदूषित हो गया है। अत: वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए वृक्षारोपण सर्वश्रेष्ठ साधन है। इसी प्रकार वृक्षों के अधिक कटाव पर भी रोक लगाई जानी चाहिएकारखाने और मशीनें लगाने की अनुमति तभी दी जानी चाहिए जब उनके धुएँ निकालने की समुचित व्यवस्था हो। इसी प्रकार नालों को नदी में न डालकर उनकी अन्य व्यवस्था करनी चाहिए तभी प्रदूषण की समस्या का समाधान संभव हो सकता है।
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प्रस्तावना – विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले , वहा कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं। जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं।
प्रदूषण का अर्थ है – प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना! न शुद्ध वायु मिलनान शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है। प्रमुख प्रदूषण हैं – वायु प्रदूषण जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण।
वायु प्रदूषण – महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर कालेकाले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है।
जलप्रदूषण – कलकारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गाधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है।
ध्वनि प्रदूषण – मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गायिों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है।
प्रदूषणों के दुष्परिणाम – उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी । गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गएकितने ही अपंग हो गए । पर्यावरण प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखाबाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।
प्रदूषण के कारण – प्रदूषण को बढाने में कल कारखाने वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग फ्रिज कूलर वातानुकूलन ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधाधुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है। सुधार के उपाय – विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएंहरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।
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प्रस्तावना :
हमारे पर्यावरण की रचना वायु, जल, मिट्टीपेड़पौधे तथा पशुओं को मिलाकर होती है । प्रगति के ये सभी महत्त्वपूर्ण भाग पारस्परिक संतुलन बनाए रखने के लिए एकदूसरे पर आश्रित हैं। लेकिन जब कभी भी मनुष्य इनमें असंतुलन पैदा करने का प्रयास करता है तभी हम सबका जीवन भी खतरे में पड़ जाता है। यह असन्तुलन प्रदूषण को जन्म देता है। प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है-वायु प्रदूषणजलप्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण।
वायुप्रदूषण कारण व प्रभाव :
जब कभी वायु में कार्बनडाइआक्साइड की मात्रा अधिक हो जाती है तो वायुप्रदूषण बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण का तेजी से बढ़ने का कारण कारोंट्रकों, इंजनों आदि से निकलने वाला धुआं है। आज हमारे देश में औद्योगिकरण खूब उन्नति पर है। कलकारखानों से निकलने वाला धुआं वातावरण में कार्बन की मात्रा को 16% से कही ज्यादा बढ़ा देता है, जिससे आसपास रहने वाले लोगों को श्वांस रोग तथा नेत्र रोग हो जाते हैं।
जब यह कार्बन डाइऑक्साइड साँस लेने पर मनुष्य के शरीर में पहुँचती है तो वह खून की लाल कणिकाओं में ऑक्सीजन की संचित क्षमता को कम कर देती है। जिससे चक्कर आनासिर में दर्द होना तथा घबराहट आदि होने लगती है। कभीकभी तो इंसान की मौत भी हो जाती है।
जल-प्रदूषण-कारण व प्रभाब :
जलप्रदूषण का मुख्य कारण तालाब, कुएँनदियों तथा पानी के दूसरे स्रोतों का दूषित होना होता है। इन स्रोतों जल में नालियों की गंदगी के गिरने व इनमें आसपास मल त्याग करने की ये गन्दे हो जाते हैं। लोग नदियों इत्यादि में पूजा की सामग्री इत्यादि व फेंक देते हैं। जानवरों के नहलाने, कपड़े धोने, प्लास्टिक की थैलियाँ इत्यादि ने से भी इनका जल गन्दा हो जाता है। जलप्रदूषण से अनेक बीमारियाँ फैल जाती हैं। जब गंदा पानी पेट में चला जाता है तो उससे आंत्रशोध तथा हैजा आदि फैल जाता है।
ध्वनिप्रदूषण-कारण व प्रभाव :
ध्वनि प्रदूषण मुख्य रूप से वायु में अणुओं के बीच की दूरी को कम अथवा अधिक होने से पैदा होता है। यह समस्या बड़ेबड़े नगरों में अधिक पाई जाती है। सड़क पर चलते भारी वाहन, रेलगाड़ियों के आवागमन का शोर, लाउडस्पीकरों का शोर, हॉर्न की आवाज, जेटयान तथा अंतरिक्ष में रॉकेट आदि को छोड़ने से उत्पन्न होने वाली तीव्र आवाज ध्वनि प्रदूषण पैदा करते हैं। आजकल इस प्रकार का प्रदूषण बहुत फैल रहा है क्योंकि सड़कों पर वाहन बढ़ते ही जा रहे हैं।
ध्वनि प्रदूषण हमारी सुनने की शक्ति पर बहुत बुरा असर डालता है। इससे हमारे सिर में दर्दनींद न आनाबेचैनी, हृदय गति तथा रक्त चाप बढ़ना जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं।
प्रदूषण को दूर करने के उपाय ने इस दिशा में हमें बहुत जागरूक होने की आवश्यकता है। आजकल प्रदूषण हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। यदि इसे दूर करने या कम करने के उपाय नहीं किए गएतो धरती पर साँस लेना भी दूभर हो जाएगा। इस समस्या के समाधान के लिए वृक्षों को काटने से रोककर अधिक से अधिक वृक्षों को लगाना चाहिए। बढ़ते उद्योगों पर अंकुश लगाना चाहिए या फिर उसे शहर से बाहर स्थापित किया जाना चाहिए।
प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग निषेचित कर देना चाहिए तथा वाहनों में ‘साइलेंसर’ लगवाने चाहिए। लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता पदा करके ही इस प्रदूषण रूपी दानव से मुक्ति पाई जा सकती है।
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