क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi 2018 (मेरा प्रिय खेल क्रिकेट)

1 MIN READ

हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on Cricket in Hindi पर पुरा आर्टिकल लेकर आया हु। जब भी Cricket का नाम आता है तो सबसे पहले Sachin Tendulkar Virat Kohli M S Dhoni Kapil Dev Yuvraj Singh जैसे खिलाड़ियों की शकल सामने आती है। इंडिया में लोग Cricket के पीछे पागल है।

ज्यादातर लोग क्रिकेट को देखना पसंद करते है लेकिन अगर किसी को क्रिकेट के ऊपर लिखने को बोल दिया जाये तो उनको बहुत दिकत होती है इसलिए आज हम आपके लिए लाये है क्रिकेट पर निबंध या फिर आप कह सकते है Essay on Cricket इस आर्टिकल में हम आपके लिए लाये है essay on Cricket in Hindi की पूरी जानकारी जो आपको अपने बच्चे का होमवर्क करवाने में बहुत मदद मिलेगी।क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi 2018 (मेरा प्रिय खेल क्रिकेट) 1

Also Read:

क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi

 

क्रिकेट का खेल अन्तर्राष्ट्रीय महत्व का खेल है। पहले केवल अंग्रेजी स्कूल और कॉलिज के छात्र ही इसमें अभिरुचि लेते थे, परन्तु इस समय तो छात्रों के अतिरिक्त युवा और प्रौढ़ नागरिक भी इसमें रुचि लेने लगे हैं। समाचार पत्रों में भी इसके विषय में नित्य नये समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। इसमें अपनी वृद्धि और बाहुबल के सहारे पर्याप्त उन्नति की है। भारतीय क्रिकेट टीम ने भी विदेशों में जाकर अनेक स्थानों पर बड़ेबड़े आश्चर्यजनक प्रदर्शन किये हैं।

क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi 2018 (मेरा प्रिय खेल क्रिकेट) 2

ब्रिटिश संग्रहालय में लगे हुये चित्रों से यह प्रतीत होता है कि इस खेल को पहले बालक खेलते थे। सन् 1478 में फ्रांसीसी खेलों में इसकी सर्वप्रथम चर्चा मिलती है। डॉ. जानसन ने इस खेल का वर्णन करते हुये एक स्थान पर लिखा है कि खेलने वाले गेंद में छड़ी मारकर खेलते थे। जैसे जैसे मानव की बुद्धि का परिष्कार और शिक्षा का विकास होता गया वैसे वैसे क्रिकेट के खेल में भी सुधार हुये। कहा जाता है कि इस खेल का नियमानुकूल प्रदर्शन सबसे पहले 1850 ई. में गिलफोर्ड नामक स्कूल में हुआ था।

तब से धीरे-धीरे यह खेल बढ़ता गया। आज यह अपनी सर्वप्रियता के कारण इतना प्रसिद्ध हुआ। है कि समाचार पत्रों में स्थान-स्थान पर होने वाले टैस्ट मैचों के समाचार प्रकाशित होते हैं। क्रिकेट का सर्वप्रथम टेस्ट मैच ‘कलेककाम” में हुआ था। विदेशों में इसकी विधिवत शिक्षा देने के लिये क्लबों की स्थापना हुई। इसमें उन देशों को आर्थिक लाभ भी हुआ। सन् 1926 में लगभग उत्तर और दक्षिण के देशों में कई बड़ेबड़े सफल मैच हुये। आज इंग्लैण्ड क्रिकेट का सबसे अच्छा क्षेत्र है। देशों में इसका पर्याप्त प्रचार है।

अंग्रेज भारत में अकेले नहीं आये अपितु अपने साथ अपनी भाषा, अपनी संस्कृति और सभ्यता तथा खेल भी लाये। भारत सदैव से अपनी ग्रहकला शक्ति के लिये प्रसिद्ध रहा है। अठारहवीं शताब्दी में, बम्बई में एक क्रिकेट क्लब की स्थापना हुई। इस क्लब की स्थापना का श्रेय बम्बई के तत्कालीन गवर्नर को था। उन्होंने इस क्लब को आर्थिक सहायता दी तथा जनता में इसके प्रति अभिरूचि उत्पन्न की, बम्बई में यह खेल जब काफी लोकप्रिय हो गया तब वह क्रिकेट का राजगुरू टूर्नामेंट प्रारम्भ हुआ।

इस खेल को देखने की भारतीयों के हृदय में काफी उत्सुकता थी। सन् 1927 में क्रिकेट के खिलाड़ियों की टीम ने समस्त भारत का दौरा किया। भारतवर्ष के प्रसिद्ध नगरों में उस टीम ने मैचों का आयोजन किया और अपनी कला-कौशलता से दर्शकों को मन्त्रमुग्ध कर लिया। 1928 में भारतीय क्रिकेट के खिलाड़ियों की एक टीम इंग्लैण्ड भी गई। उसके पश्चात् इस खेल की भारतवर्ष में आशातीत वृद्धि हुई। आज तो साधारण पढ़ेलिखे लोगों से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों द्वारा भी यह खेल बड़े चाव से खेला और देखा जाता है।

Also Read:

क्रिकेट का खेल एक विशाल मैदान में खेला जाता है। मैदान के बीचों-बीच एक 22 गज लम्बी पिच तैयार की जाती है। इसके दोनों तरफ 3-3 की दूरी पर तीन-तीन विकेट गाड़े जाते हैं, जिन पर यह खेल खेला जाता है। इस खेल में ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ियों की दो टोलियाँ होती हैं। प्रत्येक टीम का एक-एक कप्तान होता है, जो अपनी-अपनी टीम का संचालन करते हैं।

क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi 2018 (मेरा प्रिय खेल क्रिकेट) 3

खेल प्रारम्भ होने से पूर्व दोनों टीम के कप्तान मैदान में जाकर रैफरी के समक्ष टॉस द्वारा यह निर्णय करते हैं कि कौन प्रथम खेलेगा या खिलायेगा, जो टॉस जीत जाता है उसको इस निर्णय का अधिकार होता है। इस प्रकार वह खेल प्रारम्भ होता है और खेलने वाली पार्टी के दो खिलाड़ी अपने-अपने बैट लेकर मैदान में विकटों के आगे आकर खड़े हो जाते हैं और दूसरी टीम का एक खिलाड़ी बाउलिंग करता है।

अगर बैट द्वारा उसको वह मारकर दूर फेंक देता है तो इस बीच दौड़कर अपनी रन संख्या में वृद्धि कर देता है। एक टीम खेलती है तथा दूसरी खिलाती है। जब एक के दस खिलाड़ी आउट हो जाते हैं, तो दूसरी पार्टी की खेलने की बारी आती है और इसी प्रकार दोनों पार्टियों में से जिनकी रन संख्या अधिक हो जाती है वही पार्टी विजयी घोषित हो जाती है।

1983 ई. में इंग्लैण्ड में आयोजित विश्वकप प्रतियोगिता में विश्वकप जीत कर भारतीय टीम ने अपने देश को गौरवान्ति किया। यद्यपि भारत भ्रमण पर आई विश्व की सर्वश्रेष्ठ वैस्टइंडीज टीम को भारतीय टीम पराजित नहीं कर सकी किन्तु तदुपरान्त दुबई में आयोजित प्रतियोगिता में अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पुनप्राप्त कर ली। जिस प्रकार हॉकी के खेल में स्व. ध्यानचन्द का नाम विश्व विख्यात है। उसी प्रकार भारत के सुनील गावस्कर विश्व क्रिकेट इतिहास में सर्वोच्च बल्लेबाज हैं जिनके नाम क्रिकेट जगत के अनेक कीर्तिमान अंकित है।

इन खेलों से मनुष्य में अनेक उदात्त भावनाओं का जन्म होता है, जिससे वह जीवन संग्राम में सफलता प्राप्त करता हुआ जीवन के वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति करता है। इन्हीं खेलों की तरह जीवन भी एक खेल है। उसे सफलतापूर्वक खेलना, जय और पराजय में समान रहनायह हमें ये खेल ही सिखाते हैं।

Also Read:

 

क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi

 

पिछले वर्ष मैं अपने दो साथियों के साथ भारत वर्ष एवं श्री लंका के मध्य सहारा कप के लिये हुये फाइनल मैच को देखने गया। मैच फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेला जाना था। दर्शक दीर्घा उत्साहित सर्मथकों से खचाखच भरी हुई थी। मैच सुबह नौ बजे प्रारम्भ होना था। सौरभ गांगुली ने भारत के लिये टॉस जीता व पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया।

भारत की ओर से सौरभ गांगुली एवं सचिन तेंदुलकर ने पारी की शुरूआत की। भारत ने दर्शकों की तालियों के शोर में ग्यारह ओवर में 100 रन पूरे किये।

किन्तु जल्दी ही श्री लंका के गेंद बाजों को बड़ी सफलता हाथ लगी। और उन्होंने सौरभ गांगुली एवं सचिन तेंदुलकर को रन आउट कर दिया। राहुल द्रविड़ ने छक्का मारने के चक्कर में अपना विकेट गंवायी। मध्यम श्रेणी के बल्ले बाज़ युवराज एवं हेमंग बदानी ने रन संख्या को 225 तक पहुँचाया। मुरलीधरन द्वारा युवराज को क्लीन बोल्ड करने के पश्चात् श्री लंका के गेंद बाजों ने तीन और विकेट लिये जो प्रशंसा के काबिल हैं। श्री नाथ ने 53 रन बनाकर अपना विशेष योगदान दिया। भारत की पारी 297 पर समाप्त हुयी।

लंच ब्रेक में हर कोई मैच के परिणाम के विषय में चर्चा कर रहा था। श्री लंका के श्रेष्ट बल्लेबाज़ सनत् जय सूर्या एवं अरविन्द डी सिल्वा ने एक के बाद एक चौकों के साथ पारी की शुरूआत करी। किन्तु श्री लंका के बल्लेबाज अनिल कुम्ले एवं श्री नाथ की बेहतरीन गेंदबाजी के सम्मुख नहीं टिक सके। उन्होंने 23 रन देकर पाँच विकेट ल। पारी 282 पर समाप्त हुई जबकि अभी दस गेंदें बाकी थीं और सभी बल्लेबाज़ आउट हो गये। भारत ने ट्राफी जीती एवं श्री नाथ को बेहतरीन प्रदर्शन के लिये मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया ।

उत्साहित भीड़ भारतीय टीम को बधाई देने मैदान पर पहुँच गयी। पुलिस को भीड़ को तितरबितर करने के लिये हल्का लाठी चार्ज करना पड़ा।

मैं मैच की खुशनुमा यादों के साथ घर वापिस पहुँचा। यह मैच मुझे जीवन पर्यन्त याद रहेगा।

 

Also Read:

क्रिकेट पर निबंध Mera Priya Khel Cricket in Hindi

 

वर्तमान समय में क्रिकेट सबसे ज्यादा लोकप्रिय खेल है। इसके चाहनेवालों की संख्या असीमित है। जब क्रिकेट की शुरुआत हुई थी तब लोगों में बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। तब यह खेल ‘शाही खेलमाना जाता था। काफी समय तक क्रिकेट राजा महाराजाओं और धनी लोगों का खेल बना रहा।’पोलो’ की तरह क्रिकेट केवल बड़े लोग ही खेला करते थे।

क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi 2018 (मेरा प्रिय खेल क्रिकेट) 4

क्रिकेट को जन्म देनेवाला देश ग्रेट ब्रिटेन है। इंग्लैंडवासी जब भारत में आए तब अपने साथ क्रिकेट का खेल भी लेकर आए थे। क्रिकेट के खेल का आरंभ लगभग छह सौ वर्ष पूर्व हुआ था। सबसे पहला क्रिकेट मैच १८ जून१७४४ को केंट और लंदन के बीच खेला गया।

कलकत्ता क्रिकेट क्लब’ भारत की पहली क्रिकेट संस्था है। संसार की सबसे पुरानी संस्था का नाम है- एम.सी.सी. । कलकत्ता के बाद बंबई में क्रिकेट की शुरुआत सन् १७९७ में हुई। मद्रास में यह खेल सन् १८४६ में शुरू हुआ था।

सन् १८७८ में एक प्रोफेसर ने प्रथम भारतीय क्रिकेट क्लब की स्थापना ‘प्रेसीडेंसी कॉलेज क्रिकेट क्लब’ के नाम से की थी।

यह खेल सर्वत्र लोकप्रिय है। ग्यारह खिलाड़ियों के बीच क्रिकेट खेला जाता है। दोनों टीमों का एक-एक कप्तान होता है। शेष खिलाड़ी कप्तान के नेतृत्व में खेल खेलते हैं। इस खेल की क्रीड़ा-पट्टिका (पिच) 22 गज यानी 20.01 मीटर लंबी होती है। खेल का निर्णय करने के लिए दो निर्णायक (अंपायर) होते हैं। उनका निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होता है। एक अंपायर जहाँ से गेंदबाजी होती है, वहाँ होता है, यानी विकेट के दूसरे छोर पर। दूसरा अंपायर वहाँ खड़ा होता है, जहाँ बल्लेबाजी होती है, ‘स्क्वायर लेग’ के पास। इस अंपायर को ‘स्क्वायर लेग अंपायर’ भी कहते हैं। प्रत्येक ओवर के बाद अंपायर एक-दूसरे का स्थान ग्रहण करते हैं।

रन-संख्या की देखभाल करने के लिए दोनों दलों के एक-एक ‘स्कोरर’ होते हैं। गेंद का वजन साढ़े पाँच औस होता है। बल्ला चौड़ाई में 4.25 इंच के लगभग होता है। और लंबाई में 38 इंच । दोनों छोरों पर तीन-तीन ‘स्टंप’ (विकेट) होते हैं। प्रत्येक स्टंप चौड़ाई में ९ इंच का होता है।

 

यह इंग्लैंड का राष्ट्रीय खेल है। अब तो इसे भारत, पाकिस्तान वेस्टइंडीज इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड श्रीलंका दक्षिण अफ्रीका जिंबाब्वे आदि देशों ने भी अपना लिया है। यह खेल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत लोकप्रिय है।

टेस्ट मैच और एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच तो होते ही हैं, विभिन्न ट्रॉफियों के लिए भी इस खेल का आयोजन वर्ष भर होता रहता है। अपने देश में रणजी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी, शीश महल ट्रॉफी, रानी झाँसी ट्रॉफी, बिजी ट्रॉफी, ईरानी ट्रॉफी और अब्दुल्लाह गोल्ड कप के नाम पर क्रिकेट की प्रतियोगिताएं आयोजित होती रहती हैं। विदेशों में रोहिंटन बरिया ट्रॉफी (अंतर विश्वविद्यालय) और एरोज (इंग्लैंड व ऑस्ट्रेलिया) प्रतियोगिताएँ होती हैं।

 

Also Read:

क्रिकेट पर निबंध

क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi 2018 (मेरा प्रिय खेल क्रिकेट) 5

सर्दियां शुरू होते ही भारत भर में क्रिकेट का बुखार सिर चढ़कर बोलने लगता है। हालांकि गली मोहल्लों में बच्चों को बारह महीने क्रिकेट खेलते देखा जा सकता है। लेकिन सर्दियों के दौरान देश का ऐसा कोई हिस्सा नहीं होगा जहां गली-मोहल्लों में बच्चों को क्रिकेट खेलते न देखा जाए। बड़े खेल के मैदानों में तो इन दिनों और कोई दूसरा खेल खेलते मुश्किल से ही कोई नजर आए।

क्रिकेट की शुरूआत इंग्लैंड से हुई थी लेकिन इसके प्रति वहां के लोगों में अब रुचि दिनोंदिन कम होती जा रही है। इसके अलावा अन्य देशों में भी अब इस खेल को अवकाश के दिन का खेल माना जाने लगा है।

हमारे देश में इस खेल का बुखार अभी जारी है। एक बार मुझे भी अंतर्राष्ट्रीय तो नहीं लेकिन हाँ राज्य स्तरीय क्रिकेट मैच देखने का शुभ अवसर मिल गया। हमारे घर के पास ही एक बड़ा खेल का मैदान है। यहां अक्सर छोटे-बड़े टूर्नामेंट चलते रहते हैं। इस मैदान में दिन में क्रिकेट आदि के मैच खेले जाते हैं तो रात में वॉलीबालहैंडबाल आदि के मैच खेले जाते हैं।

एक दिन रविवार को मेरा मन हुआ कि चलो कहीं कोई खेल प्रतियोगिता देखी जाए। घर से निकलते ही मुझे मेरा एक मित्र मिल गया। उसने मुझसे कहा अरे भई सुबहसुबह कहां तैयार होकर निकल रहे हो। तुम्हें पता है कि आज बड़े वाले खेल के मैदान में जो क्रिकेट टूर्नामेंट चल रहा है उसका फाइनल मैच है। टूर्नामेंट का आयोजन एक निजी संस्था द्वारा कराया जा रहा था।

टूर्नामेंट में दिल्ली की सर्वश्रेष्ठ छ: टीमों ने भाग लिया था। उनमें से आज सेमीफाइनल में पहुंची टीमों का फाइनल मैच था। फाइनल मैच होने के कारण बच्चों सहित बड़ों की भी वहां संख्या काफी थी। मैच के आयोजकों द्वारा मैच देखने आये लोगों के लिए बैठने की अच्छी व्यवस्था की गई थी। भीड़ के कारण सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस की भी सहायता ली गई थी। मैच देखने आये लोगों के बैठने की व्यवस्था काफी अच्छी की गयी थी।

Also Read:

 

टूर्नामेंट का फाइनल मैच शक्तिनगर क्रिकेट क्लब तथा न्यूलाइट क्रिकेट क्लब के मध्य खेला गया। मैच सुबह नौ बजकर तीस मिनट पर शुरू हुआ। टॉस शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम ने जीता और क्षेत्र रक्षण का जिम्मा संभाल न्यूलाइट क्रिकेट क्लब को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। मैच चालीस ओवरों का था। न्यूलाइट क्रिकेट क्लब के प्रारम्भिक बल्लेबाज बहुत सस्ते में ही आउट हो गये। मध्य क्रम में खेलने आये क्लब के बल्लेबाजों ने विरोधी टीम के गेंदबाजों की धुनाई करनी शुरू कर दी।

अपने तेज गेंदबाजों को पिटते देख शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम ने अपने स्पिनरों को गेंदबाजी का जिम्मा सौंपा। ये गेंदबाज एक हद तक न्यूलाइट क्रिकेट क्लब के बल्लेबाजों द्वारा की जा रही धुंवाधार बल्लेबाजी पर अंकुश लगाने में सफल रहे। बावजूद इसके न्यूलाइट क्रिकेट क्लब ने चालीस ओवर में सात विकेट खोकर 250 रन का स्कोर खड़ा किया।

करीब 30 मिनट के विश्राम के बाद मैदान पर शक्तिनगर क्रिकेट क्लब के शुरुआती बल्लेबाज मैदान पर उतरे। इसके बाद न्यूलाइट क्रिकेट क्लब के कप्तान ने अपने खिलाड़ियों को अपनी रणनीति के तहत क्षेत्र रक्षण के लिए मैदान में खड़ा कर दिया। न्यूलाइट क्रिकेट क्लब को पहले ही ओवर में विकेट पाने में सफलता मिल गयी। पहले ओवर में विकेट खो देने के कारण शक्तिनगर क्रिकेट क्लब के बल्लेबाजों ने बिना किसी जोखिम के धीरे-धीरे रन बटोरे। 12 ओवर समाप्त होने पर शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम अपने चार विकेट केवल 60 रनों पर ही गवां चुकी थी।

न्यूलाइट क्रिकेट क्लब द्वारा अपने तेज गेंदबाजों को हटा स्पिनर लगा देने से कोई खास फायदा नहीं हुआ बल्कि विरोधी टीम अपने खाते में आसानी से रन बटोरती चली जा रही थी। खेल धीमा हो चुका था। क्योंकि 35 ओवर की समाप्ति पर शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम केवल 140 रन ही बटोर सकी थी। उसके सात बल्लेबाज आउट हो चुके थे। अपनी जीत को आश्वस्त मान न्यूलाइट क्रिकेट क्लब के खिलाड़ियों ने मैच में अपनी पूरी जान लगा दी थी।

अंतिम तीन ओवरों में विरोधी टीम के बल्लेबाजों ने गेंदबाजों की जमकर धुनाई की लेकिन वह मैच नहीं जीत सके। शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम के नौ खिलाड़ी 212 रन पर आउट हो गये थे अंतिम जोड़ी मैदान में थी। इसी दौरान चालीस ओवर की समाप्ति पर अम्पायर ने सीटी बजाते हुए मैच खत्म होने का संकेत दियामैच खत्म होने के बाद मैन ऑफ दि मैच विजयी टीम के आक्रामक बल्लेबाज जिसने मात्र 10 गेंदों पर 22 रन बनाये थे को दिया गया। इस प्रकार न्यूलाइट क्रिकेट क्लब टूर्नामेंट की ट्रॉफी जीत गया।

मैच के अंत में टूर्नामेंट की आयोजक कंपनी के चेयरमैन ने विजेता टीम को ट्रॉफी प्रदान की और उन्हें जीत पर बधाई दी। टूर्नामेंट की रनर्सअप रही शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम को उन्होंने पुरस्कार स्वरूप 20 हजार रुपये का चैक दिया।

 

Also Read:

Written by

Romi Sharma

I love to write on humhindi.inYou can Download Ganesha, Sai Baba, Lord Shiva & Other Indian God Images

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.