दोस्तों हमारी साइट का नाम humhindi.in आप सभी को अजीब लगता होगा लेकिन इसका main use सिंपल और सरल रखना है। आज हम आपके लिए लाये है moral stories हिंदी भाषा में। शिक्षाप्रद कहानियो का पूरा संग्रह आपके लिए लाये हैं। Moral Stories in Hindi जो ज्यादातर स्कूल के बच्चो से पूछी जाती है।
Moral Stories in Hindi for Class 3
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 1. पानी और प्यासे
एक आदमी थका माँदा था। बहुत खोज के बाद एक कुंआ दिखा। वह यह देखकर आश्वस्त हुआ कि कुएँ में
पानी है, रस्सी पड़ी है, डोल पड़ा है और एक आदमी भी आवाज दी, भैयाबहुत प्यासा हूँ जरा पानी पिला दो।
बैठे हुए आदमी ने कहा‘मैं अमीर जादा हूँ, मैं पानी नहीं निकाल सकता। ऊपर आओ, तुम भी पिओ, मुझे भी पिला
आगन्तुक ने कहा, ‘मैं भी नवाबजादा हूँ पानी नहीं निकाल सकता’ दोनों बैठ गये।
थोड़ी देर बाद तीसरा आदमी आयाचिल्लाया। पानी पानी।’ दोनों ने कहा, ‘ऊपर आओ, पानी तुम भी पी लो हमें
भी पिला दो।’ ऐसा क्यों? दोनों ने अपनी स्थिति बता दी। तीसरा भी प्यासा ही बैठ गया। बोला में शहजादा हूँ। घंटा बीता एक और आदमी आयाबोला भैया, पानी पिलाओ, सब बोले, पानी हम नहीं निकाल सकते। तुम पी
लो, हमें भी पिला दो, पर यह क्यों?
Also Read: हिंदी में नैतिक कहानियां
पहला-मैं अमीरजादा दूसरा-मैं नवाबजादा । तीसरा मैं शहजादा हूं। चौथे आदमी ने पानी निकालापीया। बाकी
बचा पानी वापस कुएँ में डाल दिया। बोलामैं हरामजादा हूँ, मैं पीना जानता हूँ, पिलाना नहीं जानता।
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 2.लड़के का पश्चाताप
एक लड़का लोगों को अक्सर अपशब्द कहता, चिढ़ाता व तंग करता था। उसे यह सब करके बड़ा मजा आता था। इस आदत के चलते कई बार उसे मार भी पड़ी थी। कुछ लोगों ने उसे समझाया भी, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ।
एक बार एक साधु पीपल के पेड़ के नीचे समाधि लगाए बैठा थातभी लड़का वहां आया और उसे गाली देकर 12
। वह भाग गया। कुछ दूर जाकर उसने देखा कि साधु पर तो कोई असर ही नहीं हुआ। न तो वह चिढ़ा और न
ही उसे मारने दौड़ा। अत: वह पुन: साधु के पास गया और जोर-जोर से उसे गालियां देने लगा।
साधु ने उस लड़के की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। वह अपने में ही मगन रहा। लड़का आश्चर्यचकित था कि साधु कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं व्यक्त कर रहा है।
वहीं खड़ा एक आदमी भी यह सब देख रहा था। जब उससे नहीं गया तो रहा
वह उस साधु से बोला, “बाबा! वह लड़का आपको गालियां दे रहा है और आप उसे कुछ नहीं कह रहे आखिर क्यों?”
साधु ने कहा, “ भले ही वह लड़का मुझे गालियां दे रहा है, पर मैं गालियां ले कहा रहा हूं और गालियां ले ही नहीं रहा हूं तो वह गालियां उसी के पास जब म क
रह जाती हैं। अर्थात् वह स्वयं को ही गालियां दे रहा है। अपशब्द निकालकर अपना
ही मुख अपवित्र कर रहा है।”
साधु की यह बात गालिया देने वाला लड़का भी सुन रहा था। वह सोचने लगा, दूसरे लोग मुझे इसलिए मारने दौड़ते थे, क्योंकि वे गालियां लेते थे, पर साधु बाबा ने तो गालियां ली ही नहीं और वे गालियां मेरे पास हा रह गइ। ओहकितनी गंदी गालियां दीं मैंने अपने आपको।’
लड़के का मन घृणा से भर आया। वह साधु के पास गया और बोला “बाबा, मुझे माफ कर दो। अब मैं किसी को गाली नहीं ढूंगा।” राम नावारे |
साधु ने कहा, “बेटा, तुम्हें अपने किए पर पश्चाताप हो रहा है, इसलिए तुम्हारे अपराध स्वत: ही माफ हो गए हैं।”
लड़के ने साधु का आशीर्वाद लिया और उसके बाद उसने किसी को भी गाली नहीं दी।
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 3.कथा-सार
जो चीज हमारी नहीं, दूसरा कोई देना चाहे ता भी हम न ल..ता वह किसकी हुई? उसी की न, जिसके पास ह। साधु ने इस बात का अहसास जब उस लड़के को कराया तो उसे पश्चाताप हुआ। अपशब्द कहने की उसकी
आदत मारने-पीटने या गुस्सा करने से तो नहीं छूटी, लेकिन प्रेमभरे दो बोल अपना काम कर गए।
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 4.मजबूरी का झूठ
महाकवि अल्लामा फामज बनारसी दानवीर के नाम से विख्यात थे। वह प्रत्येक जुमेरात (गुरुवार) को दिल खोलकर और मुट्ठी बंद कर दान करते थे। एक दिन सदा की भाँति एक जुमेरात को उनके पास एक सायल (फकीर) आया और उसे जो लेना था ले गया ।
दूसरे दिन फिर वह व्यक्ति महाकवि के पास आया और आकर बोला ‘हुजूर कल मैं किसी वजह से नहीं आ पाया था, अत: आज मैं हुजूर की खिदमत में आया हूं।
‘ तीसरे दिन पुन: वह व्यक्ति आया और उसने फिर कहा कि इस जुमेरात को मैं न आ पाया था, इसलिए आज आया हैं। इत्तफाक से वह तीनों दिन उनके एक शिष्य के सामने आया।
जब सायल चला गया । तो शिष्य ने महाकवि से कहा, हुजूर वह व्यक्ति सरासर झूठ बोल रहा था। यह तो मेरे सामने तीनों दिन आयाफिर भी आपने बजाय इसको डांटने के तीनों दिन इसकी मदद की।
इस पर महाकवि मुस्कुराये और बोले’बेटा इतना सदा याद रखना कि जब इंसान को कोई मजबूरी बहुत ज्यादा सताती है तभी वह इतना झूठ बोलता है।’
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 5.अनित्य शरीर को देखा
राजगृह में सिरिया नाम की एक परम सुन्दरी गणिका थी। उसने तथागत के उपदेश को सुनकर स्त्रोतापति फल को प्राप्त कर लिया था तथा प्रति दिन अपने घर में भिक्षुकों को बड़े सम्मान के साथ दान देती थी। वह एक दिन भिक्षुकों को दान देकर तत्काल हुई बीमारी से मर गई।
उसका मृत शरीर श्मशान में राजा द्वारा सुरक्षित रखवाया गया। तीसरे दिन तथागत भिक्षु संघ के साथ वहा गएऔर उस मृत शरीर को भिक्षुओं को दिखलाकर कहाभिक्षुओं इस प्रकार का रूप भी नष्ट हो गया।
Also Read: Hindi Moral Stories For Class 1 With Pictures 2018
देखो भिक्षुओंपीड़ित शरीर को!’ तथागत ने उपदेश देते हुए आगे कहा, ‘इस चित्रित शरीर को देखो, जो वर्षों से युक्त फूलापीड़ित तथा अनेक संकल्पों से युक्त है, जिसकी स्थिति अनित्य है।’
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 6.कुपुत्र
प्रसिद्ध विद्वान बालभट्ट से किसी ने पूछा कि आजकल आपका पुत्र क्या करता है? बालभट्ट अपने कुपुत्र के आचरणों से दुखी थे बोले पक्षिमत्स्यगान् हन्ति। परिपन्य च तिष्ठाति। बातेन जीवति। अधुना। न वश: पूर्व वत्सत्र। अर्थात्-पक्षी, मत्स्य और मृगों को मारता हैकुमार्ग पर ।
चलता है, लुच्चे लुगाड़ों के साथ रहता है, अब वह पहले की तरह हमारे वश में नहीं। इस श्लोक के छ: टुकड़े हैं। जैसा कि चिन्हों में दिखाया गया है और वे छहों पाणिनी की ‘अष्टाध्यायी’ के सूत्र हैं। सूत्रों को जोड़कर ही श्लोक बना दिया गया है।
Also Read:
- Short Story For Kids
- Short Story For Kids
- शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में कक्षा 9
- Andhvishwas Story in Hindi
- शिक्षाप्रद कहानियाँ कक्षा 3 Moral Stories
- Moral Stories in Hindi For Class 8
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 7.मृत्यु का डर
एक सन्त पानी के जहाज से यात्रा कर रहे थे। यात्रा लम्बी थी, अत: यात्री उनके सत्संग का लाभ उठाते। वे सत्संग में एक बात अवश्य याद दिलाते कि संसार नश्वर है, सदैव मृत्यु को याद रखों। सन्त का सूत्र था, ‘मृत्यु का सदैव ध्यान।’ किन्तु मुसाफिरों को संत की बात जची नहीं। एक दिन समुद्र में भयंकर तूफान उठा। समूचे जहाज में हाय-तौबा मच गई। त्राहि-त्राहि में कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था। सब प्राण-रक्षा के लिए चिन्तित थे, किन्तु असहाय क्या करत? सभी प्रार्थना में लीन हो गए सबने देखा कि सन्त सहज, अनुद्विग्न बैठे हैं। तूफान शान्त हुआ। एक यात्री ने संत से जाकर पूछा, ‘आपको मृत्यु का डर नहीं लगा?’ सन्त ने कहा‘मृत्यु का फन्दा समुद्र में ही नहीं, पृथ्वी पर भी सदैव इसी प्रकार झूलता रहता है, फिर डरना किस बात का। अज्ञानी अविवेकी ही डरते हैं मृत्यु से। फिर भी डर कर व बचत नहीं।
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 8.रमेश जी और सच
प्रात:कालीन भ्रमण के दौरान रमेश जी का सामना एक फटेहाल युवक से हो गया। युवक की आँखें अंगारों की तरह दहक रही थी। उन्होंने पूछा, ‘कौन हो भाई?’ ‘मै सत्य हूँ,’ उसने बताया। पर । रमेश जी को सत्य की दुर्दशा देखकर उस दया आ गई। वह उसे अपने साथ घर ले आएसत्य उनके साथ रहने लगा।
सत्य ने उन्हें बताया कि उनकी पत्नी का प्यार एक दिखावा है। एक साधारण लेक्चरर के पल्ले बंध जाने से वह मन ही मन दुखी रहती है। सच के साथ के प्रभाव से वह जान गये कि उनके छात्र स्वार्थवश ही उनका आदर करते हैं।
पीट-पीछे उनकी बुराई करते हैं, और कई कड़वे सत्य उन्हें ज्ञान होने लगे अब रमेश जी के सामने दो ही रास्ते थे। या तो सच को धक्के मारकर अपने घर से बाहर निकाल दें या वह भी फटेहाल होकर सच के साथ सड़कों पर भटकने लगे कहानियों का संसार है
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 9. कठोरता और कोमलता
ऋषि विष्णु आचार्य मरणासन्न अवस्था में अपनी शैय्या पर थे। अंतिम दर्शनार्थ सभी शिष्य उनके इर्दगिर्द एकत्रित थे। ऋषि आज अपना अन्तिम उपदेश देने वाले थे। एकाएक ऋषि बोले‘मेरे मुंह में क्या दिखाई देता है।’ उनका प्रिय शिष्य नीलाम्बर बोला, ‘गुरु जी आपके मुंह में हमें जीभ दिखाई दे रहा है।’ ऋषि रहस्यमयी मुद्रा में बोले ‘इससे क्या समझे’ सभी शिष्य इस अनोखे प्रश्न से सकपका गये
ऋषि मुस्कुराकर बोले, ‘यदि उन्नति और लम्बा जीवन चाहते हो तो जीभ की तरह कोमल रहो, दाँतो की तरह कठोर बनोगे तो जल्द ही नाश की कगार पर पहुँच जाओगे यह भी मेरे जन्म के समय से मेरे साथ है और मेरे साथ ही जाएगी1 दाँत एक वर्ष की उम्र में आए थे और 60 वर्ष का होते होते साथ छोड़ गए। हमेशा स्मरण रखो की कोमलता की उम्र कठोरता से अधिक होती है।’
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 10. अन्तर
एक प्रसिद्ध रोमन चित्रकार ने अपनी श्रेष्ठ कृति शहर के चौराहे पर लटका दी और उसके नीचे लिख दिया इस चित्र में जहाँ त्रुटि हो, वहाँ कला मर्मज्ञ चिन्ह लगा दें। शाम होते-होते समूचा चित्र अनेक बिन्दु चिन्हों से इस तरह ढ़क गया, मानो चित्र न हो, बल्कि आकाश के तारे हों।
नैराश्य में डूबे चित्रकार ने अगले ही दिन एक दूसरा चित्र उसी स्थान पर लटकाया और उसके नीचे नोट लिखा-‘इस चित्र में जो कमी रह गई हो, कृपया उसे सुधार दें।’ लेकिन इस बार चित्र कई दिनों तक ज्यों का त्यों लटका ही रहा, उस पर कहीं भी, किसी चिन्ह या रेखा का नामो-निशान तक नहीं मिला
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 11. ईमानदारी
मैं एक बार रेलवे स्टेशन पर टिकट लेने गया। गलती से मैने दस रुपये के बदले सौ रुपये का नोट दे दिया। टिकट बाबू ने उस समय वह रुपया रख लियामुझे पता भी नहीं चला कि मैंने कितनी बड़ी गलती की है, मैं जल्दी-जल्दी गाड़ी में आकर बैठ गया। थोड़ी देर में टिकट बाबू उन दिनों के सेकेंड क्लास के डिब्बे में हर आदमी का चेहरा पहचानता हुआ उपस्थिति हुआ।
उसने पहचान लिया और बड़ी विनम्रता के साथ मेरे हाथ में नब्बे रुपये रख दिये और कहा, ‘यह बहुत बड़ी गलती हो गई थी। आपने भी नहीं देखा, मैंने भी नहीं देखा’ उसके चेहरे पर विशेष संतोष की गरिमा थी। मैं चकित रह गया। कैसे कह दें कि दुनिया में सच्चाई और ईमानदारी लुप्त हो गई है? ऐसी अनेक घटनाएँ हुई , परन्तु यही एक घटना ठगी और वंचना की अनेक घटनाओं से अधिक शक्तिशाली है।
Also Read:
- Hindi Moral Stories For Class 1 With Pictures 2018
- Hindi Story For Kids With Moral
- Hindi Short Stories With Moral Value
- Mulla Nasruddin Stories in Hindi
- Short Stories in Hindi
- Desh Bhakti Kahani in Hindi Language
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 12.बादशाहत का गर्व
बादशाह एक विद्वान संत के पास उपदेश लेने पहुँचे बादशाह को आया देखकर संत ने उनसे तू रेगिस्तान म भटक जाये, प्यास क मारे मर रहा ह और उस वक्त पूछा,
सड़े नाले का एक प्याला पानी लेकर कोई तेरे पास आकर कहेइस प्याल भर पानी का मूल्य तरा आधा राज्य है। बादशाह ने कहा-मैं तुरन्त उस पानी को ले गूंगा। सत ने पुन: कहा‘वह सड़ा पानी पेट में पहुँचकर रोग उत्पन्न कर दे आर तू पीड़ा से छटपटाने लगेमरणासन्न हो जाए तब एक हकीम पहुँचकर कहे अपना बाकी आधा राज्य मुझे दे दो, तो मैं तुम्हें ठीक कर सकता हूँ। ‘ बादशाह ने कहा ‘इसमें पूछने की कोई बात ही नहीं है। मैं उसे बाकी आधा राज्य भी दे गूंगा। जब जीवन ही नहीं रहेगा, तो राज्य किस काम आएगा।’
संत ने कहा’तब तू बादशाहत का गर्व किस पर करता है? एक प्याले सड़े पानी और उससे उत्पन्न विकार को दूर करने के मूल्य में जो दिया जा सक क्या उसी राज्य पर तुझ। घमंड है?
Moral Stories in Hindi for Class 3 – 13. शास्ता का उपदेश
एक बार महाप्रजापति गौतमी ने भगवान से प्रार्थना की कि वह उन्हें ऐसा उपदेश दे जिसकी भावना करते हुए वह आनन्द में अप्रमादपूर्वक विचरण करेभगवान ने उसे उत्तर दिया, गौतमी। जिन धर्मों के बारे में तू निश्चयपूर्वक जान सके कि ये निष्कामना के लिए हैं, कामनाओं की वृद्धि के लिए नहीं, विराग के लिए हैं, राग के लिए नहीं, सांसारिक लाभों को घटाने के लिए हैं, बढ़ाने के लिए नहीं, निर्णाभ के लिए हैं, लोभ के लिए नहीं, सन्तोष के लिए हैं।
असन्तोष के लिए नहीं, एकान्त के लिए है, भीड़ के लिए नहीं, उद्यम के लिए हैं, प्रमोद के लिए नहींअच्छाई में प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए हैं बुराई में प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए नहीं, तो गौतमी! उन ऐसे धर्मों के विषय में तू निश्चयपूर्वक जानना कि यही धर्म है, यही विनय है, यही शास्ता का संदेश है। ‘
- बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ 20+
- शिक्षाप्रद कहानियाँ 2018 !
- मुल्ला नसरुद्दीन ओशो के किस्से व कहानियां
- छोटी छोटी कहानियाँ हिंदी में
- Swachh Bharat Slogans
- Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana
- Bhimrao Ambedkar History
- Hindi Muhavare With Meanings
- Thought of the Day in Hindi for the School Assembly
- Savitribai Phule in Hindi
- Mulla Nasruddin Stories
- lokoktiyan in Hindi
- Poem on Nature
- Hindi Story For Kids
- Thought of the day in Hindi
- Slogan on Environment in Hindi
Contents
- Moral Stories in Hindi for Class 3
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 1. पानी और प्यासे
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 2.लड़के का पश्चाताप
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 3.कथा-सार
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 4.मजबूरी का झूठ
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 5.अनित्य शरीर को देखा
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 6.कुपुत्र
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 7.मृत्यु का डर
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 8.रमेश जी और सच
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 9. कठोरता और कोमलता
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 10. अन्तर
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 11. ईमानदारी
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 12.बादशाहत का गर्व
- Moral Stories in Hindi for Class 3 – 13. शास्ता का उपदेश