पुस्तकालय पर निबंध- Essay on Library in Hindi @ 2018

1 MIN READ

हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Library in Hindi पर पुरा आर्टिकल। Library को पुस्तकालय का मंदिर कहा जाता है क्योकि वह हर तरह की किताबे मिलती है। आज हम आपको Library के बारे में बहुत कुछ बताएँगे जो आपको Library के बारे में जानने में मदद करंगे। अगर अप्प Library के ऊपर essay ढूंढ रहे है तो भी आपको बहुत मदद मिलेगी तो अगर आप अपने बच्चो के लिए Essay on Library in Hindi पर बहुत कुछ लिख सकते है।

 

पुस्तकालय पर निबंध -Essay on Library in Hindi

Essay on Library in Hindi

मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक तथा संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है। मस्तिष्क को बिना गतिशील बनाये ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यालय जाकर गुरु की शरण लेनी पड़ती है। इस तरह ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी पड़ती है। लोगों को शिक्षित करने तथा ज्ञान देने के लिए एक बड़ी राशि व्यय करनी पड़ती है। इसलिए स्कूल कालेज खोले जाते हैं। और उनमें पुस्तकालय स्थापित किये जाते हैं। जिससे कि ज्ञान चाहने वाला व्यक्ति सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सके। पुस्तकालय के दो भाग होते हैं। वाचनालय तथा पुस्तकालय। वाचनालय में देशभर से प्रकाशित दैनिक अखबार के अलावा साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं का पठन केन्द्र है।

Also Read:

 

 

यहां से हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी मिलती है। पुस्तकालय विविध विषयों और इनकी विविध पुस्तकों का भण्डार ग्रह होता है। पुस्तकालय में दुर्लभ से दुर्लभ पुस्तक भी मिल जाती है। भारत में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है। नालन्दा, तक्षशिला के पुस्तकालय विश्वभर में प्रसिद्ध थे। मुद्रणकला के साथ ही भारत में पुस्तकालयों की लोकप्रियता बढ़ती चली गई। दिल्ली में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सैकड़ों शाखाएं हैं। इसके अलावा दिल्ली में एक नेशनल लाइब्रेरी भी है।

 

पुस्तकें मनुष्य की मित्र होती हैं। एक ओर जहां वे हमारा मनोरंजन करती हैं वहीं वह हमारा ज्ञान भी बढ़ाती हैं। हमें सभ्यता की जानकारी भी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है। पुस्तकें ही हमें प्राचीनकाल से लेकर वर्तमानकाल के विचारों से अवगत कराती हैं। इसके अलावा पुस्तकें संसार के कई रहस्यों से परिचित कराती हैं। कोई भी व्यक्ति एक सीमा तक ही पुस्तक खरीद सकता है। सभी प्रकाशित पुस्तकें खरीदना सबके बस की बात नहीं है। इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना की गई। पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर। यहां हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। इनमें विदेशी पुस्तकें भी शामिल होती हैं। विद्यालय की तरह पुस्तकालय भी ज्ञान का मंदिर है। पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं। इनमें पहले पुस्तकालय वे हैं जो स्कूलकालेज तथा विश्वविद्यालय के होते हैं। दूसरी प्रकार के पुस्तकालय निजी होते हैं। ज्ञान प्राप्ति के शौकीन व्यक्ति अपने अपने कार्यालयों या घरों में पुस्तकालय बनाकर अपना तथा अपने परिचितों का ज्ञान अर्जन करते हैं।

 

Also Read:

 

तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राजकीय पुस्तकालय होते हैं। इनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठ सकते हैं। चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं। इनसे भी सरकारी पुस्तकालयों की तरह लाभ उठा सकते हैं। इनके अतिरिक्त स्वयं सेवी संगठनों व सरकार द्वारा चल पुस्तकालय चलाये जा रहे हैं। यह पुस्तकालय एक वाहन पर होते हैं। हमारा युग ज्ञान का युग है। वर्तमान में ज्ञान ही ईश्वर है ज्ञान ही शक्ति है। पुस्तकालय से ज्ञान वृद्धि में जो सहायता मिलती है वह और कहीं से सम्भव नहीं है। विद्यालय में विद्यार्थी केवल विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त कर सकता है लेकिन पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है।

 

पुस्तकालय पर निबंध

 

पुस्तकालय वह स्थान है, जहाँ विभिन्न विषयों से सम्बन्धित पुस्तकों का संग्रह होता है। पुस्तकालय में आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक व धार्मिक सभी विषयों से सम्बन्धित पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। पुस्तकालय विद्यार्थियों के सबसे अच्छे मित्र हैं। इनमें विद्यार्थी अपने अवकाश के समय जाकर ज्ञानार्जन करते हैं। तथा विश्व की प्रमुख घटनाओं से परिचित होते हैं। पुस्तकालय प्रायः तीन प्रकार के होते हैं: (I) निजी अथवा व्यक्तिगत(2) वर्गगत व (3) सार्वजनिक पुस्तकालय। निजी पुस्तकालयों में लेखक, वकीलडॉक्टर प्राध्यापक तथा राजनीतिज्ञ आदि के पुस्तकालय आते हैं ।

Also Read:

 

वर्गगत श्रेणी में किसी संस्था, सम्प्रदाय या वर्ग से सम्बन्धित पुस्तकालय आते हैं। सार्वजनिक पुस्तकालय प्रायः संस्थागत या राजकीय होते हैं जिनका प्रयोग हर कोई कर सकता है। प्रत्येक पुस्तकालय के कुछ नियम होते हैं जैसेहमें वहाँ शान्ति से बैठकर अध्ययन करना चाहिए। पुस्तकें जहाँ से ली जाएँ वहीं पर यथाक्रम रख देनी चाहिएँ। पुस्तकों से कोई चित्र अथवा पृष्ठ नही फाड़ने चाहिएं। हमारे विद्यालय में भी एक पुस्तकालय है जो बड़े कक्ष में स्थापित किया गया है। इसमें विभिन्न विषयों की अनेक पुस्तकें रखी गई हैं।

पुस्तकालय एक प्रकार से सरस्वती का मन्दिर होता है। यहाँ शिशु, युवकवृद्धनर तथा नारी बिना किसी भेदभाव के जा सकता है तथा अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकें प्राप्त कर सकता है। यहाँ शिक्षा के साथ बड़ेबड़े उपन्यासकहानी संग्रहनाटक आदि मनोरंजन की भी पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। विद्यार्थियों के लिए परीक्षोपयोगी पुस्तकें भी मिलती हैं। कविता-पाठ करने वालों के लिए काव्य-संग्रह भी मिल जाते हैं।

 

पुस्तकालयों की उपयोगिता इस बात से भी स्पष्ट होती है कि जिस गरीब घर-परिवार के छात्रों के पास पुस्तकें क्रय करने की शक्ति नहीं होती है वे भी पुस्तकालय में बैठकर भिन्नभिन्न विषयों की पुस्तकों से नोट्स तैयार करके परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं। इसी प्रकार पी एच डी. और डी लिट् जैसी उच्चत्तम डिग्रियाँ प्राप्त करने के इच्छुक विद्यार्थी भी अनुसंधान कार्य करते समय इन पुस्तकालयों के विशाल भण्डारों से लाभान्वित हुआ करते हैं। अतः पुस्तकालय तो ज्ञानविज्ञान के अनन्त भण्डार होते हैं।

पुस्तकालयों के विषय में महात्मा गांधी जी ने कहा था, ‘भारत के प्रत्येक घर में एक पुस्तकालय होना चाहिए। सम्पूर्ण विकास के लिए यही रामबाण औषधि है परन्तु हमें खेद तो यह है कि हमारे देश में पुस्तकालयों की बहुत कमी है। हमारी सरकार इनके विकास का प्रयत्न कर रही है। हमें भी इनके सुधार की ओर ध्यान देना चाहिए।

 

पुस्तकालय पर निबंध

 

प्राचीन काल में पुस्तकें हस्तलिखित होती थीं, जिससे एक व्यक्ति के लिए विविध विषयों पर अनेक पुस्तकें उपलब्ध करना बड़ा कठिन था। परंतु आज के मशीनी युग में भी, जबकि पुस्तकों का मूल्य प्राचीन काल की तुलना में बहुत ही कम है, एक व्यक्ति अपनी ज्ञान पिपासा की तृप्ति के लिए सभी पुस्तकें खरीदने में असमर्थ ही है। पुस्तकालय हमारी इस असमर्थता को दूर करने में सबसे बड़ा सहायक है। पुस्तकालय भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। कई विद्याप्रेमी, जिनपर लक्ष्मी की भी कृपा होती है, अपने उपयोग के लिए अपने ही घर में पुस्तकालय की स्थापना कर लेते हैं। ऐसे पुस्तकालय व्यक्तिगत पुस्तकालय कहलाते हैं। सार्वजनिक उपयोगिता की दृष्टि से इनका महत्त्व कम होता है। दूसरे प्रकार के पुस्तकालय स्कूलोंकॉलेजों और विद्यालयों के होते हैं। इनमें बहुधा उन पुस्तकों का संग्रह होता है जो पाठ्यविषयों से संबंधित होती हैं। सार्वजनिक उपयोग में इस प्रकार के पुस्तकालय भी नहीं आते। इनका उपयोग छात्र और अध्यापक ही करते हैं।

परंतु ज्ञानार्जन और शिक्षा की पूर्णता में इनका सार्वजनिक महत्व है। इनके बिना विद्यालयों की कल्पना नहीं की जा सकती। तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राष्ट्रीय पुस्तकालय कहलाते हैं। आर्थिक दृष्टि से संपन्न होने के कारण इन पुस्तकालयों में देशविदेश में छपी विभिन्न भाषाओं और विषयों की पुस्तकों का विशाल संग्रह होता है। इनका उपयोग भी बड़ेबड़े विद्वानों के द्वारा होता है।

चौथे प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक पुस्तकालय होते हैं। इनका संचालन सार्वजनिक संस्थाओं के द्वारा होता है। आजकल ग्रामों में भी ग्राम-पंचायतों के द्वारा किसानों के उपयोग के लिए पुस्तकालय चलाए जा रहे हैं । इस प्रकार के पुस्तकालय सर्वसाधारण के उपयोग में खूब आते हैं। परंतु शिक्षा के क्षेत्र में इनका महत्त्वपूर्ण योग नहीं होता। आजकल एक और प्रकार के पुस्तकालय-चल-पुस्तकालय भी दिखाई देते हैं। ये मोटरों या गाड़ियों में बनाए जाते हैं। इनका उद्देश्य प्रचार करना होता है। इनमें प्रचार साहित्य अधिक होता है।

 

पुस्तकालय अपने पाठकों के उपयोग के लिए सभी प्रकार की नईनई पुस्तकों का संग्रह करता है। अपने पाठकों की रुचि और आवश्यकताओं को देखते हुएपुस्तकालय अधिकारी देश-विदेश में मुद्रित पुस्तकों की खरीद करते हैं। फिर विषय के अनुसार उनका वर्गीकरण किया जाता है। पाठकों को अपनी मनचाही पुस्तकें प्राप्त करने में आसानी हो, इसलिए विषयवार पुस्तकों की एक सूची पुस्तकालय में तैयार रहती है। पाठकों को पुस्तक प्राप्त कराने के लिए वहाँ कुछ कर्मचारी होते हैं। पुस्तकालय में पाठकों के बैठने और पढ़ने के लिए समुचित व्यवस्था होती है। पढ़ने के स्थान को वाचनालय कहते हैं। पाठकों को घर पर पढ़ने के लिए भी पुस्तकें दी जाती हैं । परंतु इसके लिए एक निश्चित धन देकर पुस्तकालय की सदस्यता प्राप्त करनी होती है। पुस्तकालय में पत्रिकाएँ भी होती हैं। बड़े पुस्तकालयों की दृष्टि से रूसअमेरिका और इंग्लैंड का प्रमुख स्थान है। मास्को के लेनिन पुस्तकालय में लगभग डेढ़ करोड़ मुद्रित पुस्तकें संगृहीत हैं। वाशिंगटन (अमेरिका) के कांग्रेस पुस्तकालय में चार करोड़ से भी अधिक पुस्तकें हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय समझा जाता है ।

इंग्लैंड के ब्रिटिश म्यूजियम में पचास लाख पुस्तकों का संग्रह है। भारत में कलकत्ता के राष्ट्रीय संग्रहालय में कई लाख पुस्तकें हैं । केंद्रीय पुस्तकालयबड़ौदा में लगभग डेढ़ लाख पुस्तकों का संग्रह है। प्राचीन भारत में नालंदा और तक्षशिला में बहुत बड़े पुस्तकालय थे। पुस्तकालय के अनेक लाभ हैं। ज्ञान-पिपासुओं के लिए तो ज्ञान-प्राप्ति का उससे बढ़कर कोई साधन नहीं। अध्यापक विद्यार्थी का केवल पथ-प्रदर्शन करता है, ज्ञानार्जन की पूर्ति तो पुस्तकालय से ही होती है।

देशविदेश के तथा भूत और वर्तमान के विद्वानों के विचारों से अवगत कराने में पुस्तकालय हमारा सबसे बड़ा साथी है। आर्थिक दृष्टि से भी पुस्तकालय का महत्त्व कम नहीं। एक व्यक्ति विविध विषयों की जितनी पुस्तकें पढ़ना चाहता है, उतनी खरीद नहीं सकता। पुस्तकालय इस विषय में उसकी मदद करता है। थके हुए दिमाग को मनोरंजन की सामग्री भी पुस्तकालय देता है। कहानी, उपन्यासकविता और मनोरंजक विषयों की पुस्तकें भी वहीं से प्राप्त हो जाती हैं। अवकाश के समय का भी सदुपयोग पुस्तकालय में बैठकर किया जा सकता है।

 

यदि यों कहा जाए कि पुस्तकालयों से हानियाँ भी होती हैं तो यह सर्वथा असंगत होगा, किंतु कुछ लोग अच्छी वस्तु का भी दुरुपयोग करके उसे हानिकारक बना देते हैं। इसी प्रकार कुछ विद्यार्थी पुस्तकालय में जाकर किस्सेकहानियाँ पढ़ते रहते हैं और अपनी पाठ्य-पुस्तकों की उपेक्षा कर देते हैंजिसका परिणाम उनके लिए हानिप्रद होता है। इसमें पुस्तकालय का कोई दोष नहीं है। वे तो ज्ञान के भंडार हैं और हमें ज्ञान की ज्योति प्रदान करते हैं।

Also Read:

 

पुस्तकालय पर निबंध in Short

 

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जिस प्रकार मनुष्य को संयमित और संतुलित भोजन की आवश्यकता है, उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञानार्जन परमावश्यक है। मस्तिष्क को क्रियाशील और गतिशील रखने के लिए शुद्ध ज्ञान एवं नवीन विचारों की आवश्यकता होती है। यह ज्ञान और शुद्ध विचार हमें अज्ञानांधकार से निकलकर ज्ञान के प्रकाशपूर्ण लोक में ले जाते हैं। सरस्वती की उपासना के लिए दो आराधना मंदिर है- एक विद्यालय और दूसरा पुस्तकालय। पुस्तकालय में विद्यार्थी विस्तृत व्यापक ज्ञान प्राप्त करता है। जहाँ सरस्वती के अनंत पुत्रों अर्थात् नी किताबों का संग्रह होता है, जिनके अध्ययन से मानव अपने जीवन के अशांत, संघर्षमय क्षणों में शांति प्राप्त करता है। पुस्तकालयों की दृष्टि से इंग्लैंडअमेरिका और रूस सबसे आगे हैं। अमेरिका में ‘वाशिंगटन कांग्रेस पुस्तकालयविश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय माना जाता है। रूस का सबसे बड़ा पुस्तकालय ‘लेनिन पुस्तकालय’ है। भारत वर्ष में कोलकाता के ‘राष्ट्रीय पुस्तकालय में दस लाख पुस्तके हैं। भारत का दूसरा महत्वपूर्ण पुस्तकालय बड़ौदा का ‘केंन्द्रीय पुस्तकालय’ है, इसमें 1 लाख 31 हजार पुस्तकें हैं। पुस्तकालयों से अनेक लाभ है। ज्ञान की वृद्धि में पुस्तकालय से जो सहायता मिलती है, वह किसी अन्य साधन द्वारा नहीं मिल सकती। किसी विषय का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए उस विषय से संबंधित पुस्तकों को पढ़ना आवश्यक होता है। ज्ञान-वृद्धि के अतिरिक्त पुस्तकालयों से ज्ञान का प्रसार भी सरलता से होता है। पुस्तकालय के संपर्क में रहने से मनुष्य कुवासनाओं और प्रलोभनों से बच जाता है। पुस्तकालय मनुष्य को सत्संग की सुविधा प्रदान करता है। पुस्तक पढ़तेपढ़ते कभी मनुष्य मन ही मन प्रसन्न हो उठता है और कभी खिलखिलाकर हंस पड़ता है। श्रेष्ठ पुस्तकों के अध्ययन से हमें मानसिक शांति प्राप्त होती है, उस समय संसार की समस्त चिंताओं से पाठक मुक्त हो जाता है। अतपुस्तकालय हमारे लिए नित्य जीवन साथियों की योजना करता है। जिसके साथ आप बैठकर बातों का आनंद ले सकते हैं, चाहे वह शेक्सपीयर हो या कालीदास, न्यूटन हो या प्लेटो, अरस्तु हो या शंकराचार्य।

 

आधुनिक युग में यद्यपि मनोरंजन के अनेक साधन हैं, परंतु ये सब मनोरंजन के साधन पस्तकालय के सामने नगण्य हैं, क्योंकि पुस्तकालय से मनोरंजन के साथ-साथ पाठक का आत्म-परिष्कार एवं ज्ञान वृद्धि होती है। पुस्तकालयों में भिन्नभिन्न रसों की पुस्तकों के अध्ययन से हम समय का सदुपयोग भी कर लेते है। अपने रिक्त समय को पुस्तकालय में व्यतीत करना समय की सबसे बड़ी उपयोगिता है। व्यक्तिगत हित के अतिरिक्त, पुस्तकालयों से समाज का भी हित होता है। भिन्न-भिन्न देशों की नवीन एवं प्राचीन पुस्तकों के अध्ययन से विभिन्न देशों की सामाजिक परंपराओंमान्यताओं और व्यवसायों का परिचय होता है। पुस्तकालय वास्तव में ज्ञान का असीम भंडार है। देश की शिक्षित जनता के लिए यह उन्नति का सर्वोत्तम साधन है। भारत वर्ष में भी अच्छे पुस्तकालयों की संख्या पर्याप्त नहीं है। भारत सरकार इस दिशा में प्रयत्नशील हैं। वास्तव में, पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्रसदगुरु और जीवन पथ की संरक्षिका है। देश की अशिक्षित जनता को सुशिक्षित बनाने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालयों की बड़ी आवश्यकता है। भारत सरकार ने ग्राम पंचायतों की देखरेख में गाँवगाँव में ऐसे पुस्तकालयों की व्यवस्था की है। गाँव की निर्धन जनता अपने ज्ञान प्रसार के लिए पुस्तकें नहीं खरीद सकती। उस अज्ञानांधकार को दूर करने के लिए सरकार का यह प्रयास प्रशंसनीय है। जिन लोगों पर लक्ष्मी की अटूट कृपा है, उन्हें इस प्रकार के पुस्तकालय जनहित के लिए खुलवाने चाहिए पुस्तकालय का महत्व देवताओं से अधिक है, क्योंकि पुस्तकालय ही हमें देवालय में जाने योग्य बनाते हैं।

 

पुस्तकालय पर निबंध in Short

पुस्तकें मनुष्य की सबसे बड़ी मित्र हैं। पुस्तकों के प्राप्त होने के भिन्न-भिन्न साधन होते हैं । ऐसा ही एक साधन पुस्तकालय है। पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं, तो पुस्तकालय ज्ञान के सागर हैं। जब से संसार में साक्षरता का विकास हुआ है तब से पुस्तकालय का प्रचार और विकास हुआ है। भारत में साक्षरता-प्रसार के साथ ही पुस्तकालयों का विकास हुआ है। पुस्तकालय स्कूलों तथा कॉलेजों में होते हैं और विद्यार्थी उन पुस्तकालयों का समुचित प्रयोग करते हैं। इनके अतिरिक्त कुछ सरकारी पुस्तकालय हैं, जिन्हें सरकार जनता के लिए खोलती हैकुछ सार्वजनिक पुस्तकालग होते हैं, जहाँ हर आयु के लोग पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं कुछ ऐसे भी पुस्तकालय होते हैं जो निजी संस्थानों द्वारा खोले जाते हैं। आजकल सरकार ने चलते फिरते पुस्तकालय भी खोल दिए हैं जो शहरों और गाँवों में, दूर-दूर के स्थानों पर जनता के पास पहुँच जाते हैं। हमारे विद्यालय में भी एक बहुत बड़ा पुस्तकालय है। यह पुस्तकालय हमारे स्कूल के सभाभवन में स्थित है।

इस पुस्तकालय में तीस हजार पुस्तकें हैं। हमारे पुस्तकालय का एक अध्यक्ष है, जिसने पुस्तकालय को सुचारु रूप दिया है। प्रत्येक छात्र को एक-एक कार्ड मिला हुआ है। दसवीं-ग्यारहवीं कक्षा को विद्यालय की ओर से विशेष सुविधाएं प्राप्त हैं। यदि किसी निर्धन विद्यार्थी के पास पुस्तकें नहीं हैं तो वह स्कूल के ‘बुक बैंक’ से पुस्तकें प्राप्त कर सकता है ।पुस्तकें पढ़ने के पश्चात् उसे लौटानी पड़ती हैं।‘बुक बैंक’ से हर विषय की पाठ्य पुस्तकें भी वह ले सकता है। हंमारे पुस्तकालय में हिंदी और अंग्रेजी के सभी दैनिक समाचार-पत्र आते हैं। इनके अतिरिक्त अनेक साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्रिकाएँ भी आती हैं। इन पत्र पत्रिकाओं के अध्ययन से विद्यार्थियों में साहित्य के प्रति रुचि का विकास होता है।

इसके साथ ही विविध विषयों का ज्ञान भी बढ़ता है। पुस्तकालय में बेकार पुस्तकोंदैनिक पत्रों और पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने से विद्यार्थियों में मन को एकाग्र करने का अभ्यास होता है। पुस्तकालयों में भिन्न-भिन्न प्रकार की पुस्तकें होती हैं। स्वास्थ्य संबंधी पत्र-पत्रिकाओं के पढ़ने से विद्यार्थियों को स्वास्थ्य संबंधी बातों का पता चलता है। विद्यार्थियों में स्वाध्याय की जो आदत पड़ती है उससे उनके मस्तिष्क का विकास होता है और दृष्टिकोण विस्तृत होता है।

पुस्तकालयों में कहानी, नाटक, एकांकी तथा साहित्य के विविध अंगों के विषय में पढ़कर एक ओर तो हम अपनी रुचि का विकास करते हैं और दूसरी ओर कक्षा के अध्ययन से अतिरिक्त पुस्तकें पढ़ने से हमारे मस्तिष्क की ऊब समाप्त हो जाती है और हमारी रुचि परिष्कृत होकर फिर से कक्षा के अध्ययन की ओर लगती है। कई बार मनुष्य उदास होता है। ऐसे समय में किसी पुस्तकालय में चला जाए तो उसका मनोरंजन भी हो जाएगा और ज्ञानवर्धन भी। अत: पुस्तकालय मनोरंजन का एक अच्छा साधन भी है। सिनेमा, नाटक इत्यादि देखने में धन खर्च करना पड़ता है, परंतु पुस्तकालय ऐसा मनोरंजन है जिसपर कुछ भी व्यय नहीं करना पड़ता। अतपुस्तकालय के प्रयोग से एक ओर धन की बचत होती है और दूसरी ओर समय का उत्तम उपयोग। पुस्तकालय हमारे जीवन का मार्गदर्शन भी करते हैं। ये हमारे ज्ञानकोश को बढ़ाते हैं । इनके द्वारा हमारा संबंध महान् विद्वानों से होता है। हम अतीत की झाँकी पुस्तकों में प्राप्त करते हैं। प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के दर्शन हमें पुस्तकों में प्राप्त होते हैं । साथ ही नवीन ज्ञानविज्ञान की खोजों से परिचित कराने का साधन भी पुस्तकालय ही हैं। बिना व्यय या अल्प व्यय से पुस्तकालय बहुमूल्य ज्ञान प्रदान करने के साधन हैं।

importance of library in hindi

 

पुस्तकालय वह भवन है जहाँ अनेक पुस्तकों का विशाल भण्डार होता है। वहाँ बड़ेबड़े विचारकों, महापुरुषों एवं विद्वानों द्वारा लिखित अनेक पुस्तकें होती हैं। वहाँ जाकर हम अपनी रुचि के अनुसार पुस्तक लेकर अध्ययन करते हैं। पुस्तकालय का अर्थ होता 0ि – 1 है-पुस्तकों का घर। इसमें ति न विविध विषयों पर पुस्तकों का – विशाल संग्रह होता है। पुस्तकालय सरस्वती का पावन मंदिर है। निर्धन व्यक्ति भी पुस्तकालय में विविध विषयों की पुस्तकों का अध्ययन करके ज्ञान प्राप्त कर सकता है। पुस्तकालय ऐसा स्थान है जहाँ उच्च कोटि के ग्रंथ आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। पुस्तकालय चार प्रकार के होते हैं-(1) व्यक्तिगत पुस्तकालय (2) विद्यालयोंके पुस्तकालय(3) सार्वजनिक पुस्तकालय(4) सरकारी पुस्तकालयइन चारों में से केवल सार्वजनिक पुस्तकालयों का ही उपयोग सभी व्यक्तियों के लिए होता है। इनमें घर पर पुस्तकें ले जाने के लिए इनका सदस्य बनना पड़ता है। कलकत्ता, दिल्ली, मुंबई आदि नगरों में सचल पुस्तकालय भी हैं जो घूमघूमकर पुस्तकें बाँटते हैं।

पुस्तकालय मानव जीवन की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। ये ज्ञान, कला और संस्कृति के प्रसार केन्द्र होते हैं। ज्ञानवृद्धि के लिए पुस्तकालयों से बढ़कर अन्य कोई साधन नहीं है। पुस्तकालयों में बालकों के लिए बाल-साहित्य भी होता है। घर पर खाली बैठे गप्पें मारने की अपेक्षा पुस्तकालय में जाकर पढ़ना अधिक उपयोगी होता है। पुस्तकालय में पहुँचकर महान विद्वानोंविचारकों और महापुरुषों से साक्षात्कार होता है। यदि हमें महात्मा गाँधी, सुकरातरामकृष्ण, ईसा मसीह, महावीर आदि के श्रेष्ठ विचारों की संगति प्राप्त करनी है, तो पुस्तकालय से उत्तम अन्य स्थान कोई नहीं है। इस समय भारत में कलकत्ता, दिल्ली, मुंबईपटना, वाराणसी आदि स्थानों पर भव्य पुस्तकालय हैं। इंग्लैण्ड में 50 लाख पुस्तकें और अमेरिका के पुस्तकालय में लगभग एक करोड़ पुस्तकें हैं। देश में मुसलमानों की प्राचीन परंपरा रही है।

नालंदा और तक्षशिला में भारत के अति प्रसिद्ध पुस्तकालय थे। पुस्तकालय समाज के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। उनके विकास से देशवासियों में नवचेतना का उदय होता है। प्रत्येक गाँव में जनसंख्या के आधार पर पुस्तकालयों का निर्माण होना चाहिए। क्योंकि पुस्तकालय ही हैं जो सुयोग्य नागरिकों के चरित्रनिर्माण एवं समाज के उत्थान में सहायक होते हैं। अतपुस्तकालयों के विकास के लिए सतत् प्रयत्न किए जाने चाहिए

 

library essay in Hindi

 

पुस्तकालय शब्द ‘पुस्तक’ और आलय’ से मिलकर बना है। इसका अर्थ है पुस्तकों का घरहूंकि पुस्तकों से हमें ज्ञान प्राप्त होता है इसलिए पुस्तकालय को ‘ज्ञान का सागरकहा जा सकता है। जिस प्रकार सागर में छोटीबड़ी सभी नदियों का जल समाहित होता है उसी प्रकार पुस्तकालय में विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सभी प्रकार की पुस्तकें संग्रहित होती हैं। मेरे विद्यालय में भी एक मध्यम कोटि का पुस्तकालय है। यहाँ प्राचीन एवं नवीन पुस्तकों का अच्छा संग्रह है। यहाँ साहित्य और भाषाविज्ञान, संस्कृति, इतिहास, भूगोल, समाजशास्त्र, सामान्य ज्ञान आदि विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें एकत्रित हैं। प्रेमचंद, सुभद्राकुमारी चौहान, रामधारी सिंह दिनकरजयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, शेक्सपीअरवर्ल्ड सवर्थ तुलसीदास जैसे ख्यातिप्राप्त साहित्यकारों की पुस्तकें यहाँ सुलभ हैं। चित्रकलापाककलाबागवानी आदि विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें भी यहाँ अच्छी संख्या में हैं। विद्यालय के सभी विद्यार्थी पुस्तकालय के सदस्य होते हैं।

वे यहाँ से मनपसंद पुस्तकें माँगता है तो उपलब्ध होने पर वे तुरंत दे देते हैं। पुस्तकें देते समय छात्र के कार्ड तथा पुस्तकालय की बही पर पुस्तक का नाम एवं तारीख लिखी जाती है। यह भी दर्ज होता है कि पुस्तक कितने दिन के लिए दी जा रही है। यदि कोई छात्र निर्धारित समय पर पुस्तकें नहीं लौटाता है या कटी-फटी हालत में लौटाता है तो उस छात्र पर जुर्माना लगाया जाता है। कुछ छात्र पुस्तकों को सही दशा में नहीं रखते या उस पर कलम-पेंसिल से जगह-जगह निशान लगा देते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। इसलिए ऐसे छात्रों को जुर्माना भरने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। लेकिन उचित तो यही है कि ज्ञान देनेवाली पुस्तकें हमेशा अच्छी दशा में रखी जाएँपुस्तकालय की पुस्तकों को ठीक हालत में रखना सभी छात्रों की जिम्मेदारी है।

 

मेरे विद्यालय में पुस्तकालय एक बड़े से कक्ष में है। यहाँ इस्पात की कई अलमारियाँ हैं। अलमारियों में दराज बने हैं जिनमें पुस्तकें व्यवस्थित क्रम में रखी हुई हैं। पुस्तकालय के इंचार्ज इनका पूरा लेखा-जोखा रखते हैं। पुस्तकों को चूहों तथा दीमक से बचाने के लिए यहाँ समुचित प्रबंध किया जाता है। हर वर्ष यहाँ नई पुस्तकें आती रहती हैं। जिससे पुस्तकालय में पुस्तकों का अभाव नहीं हो पाता। पुस्तकालय में पुस्तकों के अलावा पत्र-पत्रिकाएँ एवं दैनिक समाचार-पत्र भी आते हैं। शिक्षक एवं विद्यार्थी यहाँ बैठकर इनका अध्ययन करते हैं। पुस्तकालय में पाठकों के बैठने के लिए मेज़ एवं कुर्सियां लगी हुई हैं। पढ़ते समय हर कोई शांति बनाए रखता है ताकि दूसरों को पढ़ने में किसी प्रकार का व्यवधान न हो। यह नियम विद्यालय के पुस्तकालय के साथ ही नहीं, अपितु सभी प्रकार के पुस्तकालयों पर समान रूप से लागू होता है।

विद्यालय का पुस्तकालय छात्र-छात्राओं के लिए बहुत उपयोगी है। यहाँ से निर्धन एवं मेधावी छात्र-छात्राओं को पाठ्यपुस्तकें मुफ्त वितरित की जाती हैं। अन्य विद्यार्थियों को भी पढ़ने के लिए कुछ अवधि तक पुस्तकें मुफ्त दी जाती हैं। विद्यार्थी अपने मनोरंजन के लिए यहाँ से कहानी, कॉमिक्स तथा पत्रिका घर ले जा सकते हैं। विभिन्न प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध होने से शिक्षकों को अध्ययन और अध्यापन में बहुत मदद मिलती है। मेरे विद्यालय का पुस्तकालय कक्ष साफ़-सुथरा है। रद्दी कागजों को रखने के लिए यहाँ कूड़ेदान बने हैं। पुस्तकों को सजा कर इस ढंग से रखा गया है कि इन्हें दूर से ही देखा जा सकता है। यह विद्या का सचमुच मंदिर ही है। यह हमारे विद्यालय की शान है।

Also Read:

 

 

Written by

Romi Sharma

I love to write on humhindi.inYou can Download Ganesha, Sai Baba, Lord Shiva & Other Indian God Images

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.