हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi पर पुरा आर्टिकल लेकर आया हु। Jawaharlal Nehru हमारे भारत के सबसे पहले प्रधान मंत्री थे। आज कल essay poem सिर्फ स्कूलों तक ही सिमित रह गए है लेकिन पहले इनका कई और जगह भी प्रयोग होता था। लेकिन आजकल Essay सिर्फ बच्चो को दिए जाते है ताकि वो उस टॉपिक के बारे में अच्छे से जान सके। अगर स्कूल में आपके बच्चो को जवाहरलाल नेहरू पर निबंध या essay लिखने के लिए बोला गया है तो आप नीचे दिए हुवे आर्टिकल को पढ़ सकते है। आईये पढ़ते है Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi
जवाहरलाल नेहरू पर निबंध
जवाहरलाल नेहरू वह महान विभूति हैं, जिन्हें संपूर्ण विश्व जानता है। गाँधीजी की शहादत के 16 वर्ष बाद तक जीवित रहकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही मंचों पर गाँधीजी की भाषा में बात की। पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज कौल थे, परंतु बाद में कौल छूट गया और यह परिवार केवल नेहरू नाम से जाना जाने लगा।
उनके पिता पं. मोतीलाल नेहरू थे। जवाहरलाल, मोतीलाल के तीसरे पुत्र थे। मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के सुविख्यात वकील थे। इलाहाबाद में आनंद भवन मोतीलाल नेहरू ने ही खरीदा था, जब जवाहरलाल नेहरू दस वर्ष के थे।
पं. जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा घर पर ही हुई, बाद में उन्हें वकालत करने इंग्लैण्ड भेजा गया। सन् 1912 में वे वकालत करने भारत लौट आए। फिर उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। बाद में वे राजनीतिक गतिविधियों की ओर आकर्षित हुए और 1916 में उन्होंने कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लिया, जहाँ पहली बार उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई। पं. नेहरू उनसे अत्यंत प्रभावित हुए।
पं. जवाहरलाल नेहरू का विवाह कमला कौल से हुआ था। 1917 में उन्होंने इंदिरा गाँधी को जन्म दिया। तभी 13 अप्रैल, अमृतसर 1919 को गया, में जलियाँवाला बाग कांड हुआ, जिसमें जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाने का आदेश देकर सैकड़ों लोगों को मरवा दिया था। इस हत्याकांड की जांच के लिए एक समिति बनाई गई, जिसमें जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे। हालांकि, डायर को इस कांड के लिए जिम्मेदार पाया गया, किन्तु हाउस ऑफ लार्डस् ने उसे दोष-मुक्त कर दिया।
सन् 1921 के असहयोग आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से उनकी गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो तो वे देश आज़ाद होने तक नौ बार जेल गए और नौ वर्ष से अधिक समय उन्होंने जेल में बिताया। जेल में ही उन्होंने अपनी आत्मकथा-“डिस्कवरी ऑफ इंडिया” (भारत-एक खोज) लिखी, जो बहुत चर्चित हुई। जेल में ही उन्होंने “ग्लिम्प्सेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” की रचना की।
सन् 1927 में उन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और पुलिस की लाठियों के प्रहार सहन किए। 1929 में, लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू को प्रथम बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। इस अधिवेशन के दौरान ही उन्होंने पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पेश किया। फिर जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने के लिए ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ शुरू किया, तो उन्हें गाँधीजी और मोतीलाल नेहरू के साथ जेल जाना पड़ा।
इसी आंदोलन के चलते 6 फरवरी, 1931 को मोतीलाल नेहरू की मृत्यु हो गई। परंतु पं. नेहरू ने देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अपने कदम पीछे नहीं हटाए। इन्हीं कष्टों से जूझते हुए 28 फरवरी, 1936 को नेहरू जी की पत्नी का भी देहांत हो गया। फिर 1936 में पं. नेहरू को दूसरी बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। सारी विफलताओं के बाद ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू हुआ और 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया।
पं. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और भारत माता की सेवा करते हुए 27 मई, 1964 को उनका स्वर्गवास हो गया। उनका नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में सदैव अंकित रहेगा।
Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi
महात्मा गांधी यदि स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपिता हैं तो पण्डित जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है। राजसी परिवार में जन्म लेकर तथा सभी तरह की सुख-सुविधा भरे वातावरण में पल कर भी उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता एवं आन-बान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया।
पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 ई. को इलाहाबाद के आनन्द भवन में हुआ था। उनके पिता पं. मोती लाल नेहरू अपने समय के प्रमुख वकील थे। उनकी माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी नेहरू था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। उसके बाद वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ से बैरिस्टर बनकर सन् 1912 में वापस आए और अपने पिताजी के साथ प्रयाग में ही वकालत करने लगे। सन् 1915 ई. में रोलट एक्ट के विरुद्ध होने वाली बम्बई कांग्रेस में नेहरूजी ने भाग लिया।
यहीं से नेहरूजी का राजनीतिक जीवन प्रारम्भ हुआ था। नेहरूजी का विवाह सन् 1916 ई. में श्रीमती कमला के साथ हुआ। सन् 1917 में 19 नवम्बर के दिन उनके घर इन्दिरा प्रियदर्शिनी नामक पुत्री ने जन्म लिया। कुछ दिन पश्चात् नेहरूजी कांग्रेस के सदस्य बन गए और फिर महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश की सेवा के कार्य में लग गए। सन् 1919 के किसान आन्दोलन और 1921 के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण नेहरूजी को जेल जाना पड़ा। सन् 1931 ई. में उनके पिता श्री मोती लाल नेहरू और सन् 1936 ई. में उनकी धर्मपत्नी कमला नेहरू का निधन हो गया।
15 अगस्त, 1947 को भारतवर्ष स्वतंत्र हो गया। तब वे सर्वसम्मति से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और जीवन के अन्त तक इसी पद पर बने रहे। नेहरूजी ने भारत को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से उन्नत करने के लिए महान् कार्य किए। उन्होंने जाति-भेद को दूर करने, स्त्री-जाति की उन्नति करने व शिक्षा प्रसार जैसे अनेक कार्य किए। युद्ध के कगार पर खड़े विश्व को उन्होंने शान्ति का मार्ग दिखाया। नेहरूजी के ‘पंचशील के सिद्धान्तों ने विश्व शान्ति की स्थापना में सहायता की।
पं. जवाहर लाल नेहरू एक महान् राष्ट्रीय नेता तो थे ही, वे उच्च कोटि के चिन्तक, विचारक और लेखक भी थे। उनकी रची ‘मेरी कहानी’, ‘भारत की खोज’, ‘विश्व इतिहास की झलक व पिता के पुत्री के नाम पत्र’ आदि रचनाएं विश्व प्रसिद्ध हैं। पं. नेहरू बच्चों को बहुत प्यार करते थे, इसीलिए बच्चे उन्हें आदर तथा प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते थे। अतः उनके जन्म को आज भी ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
विश्व शान्ति का वह मसीहा 27 मई, 1964 ई. को हमारे बीच से उठ गया। देश-विदेशों से विशेष प्रतिनिधि उनके अन्तिम दर्शनों के लिए आए। 28 मई, 1964 ई. को उनका पार्थिव शरीर अग्नि को समर्पित कर दिया गया। उनकी वसीयत के अनुसार उनका भस्म खेतों और गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया गया। उनका नाम चिरकाल तक इतिहास में अमर रहेगा।
Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi
पंडित जवाहर लाल भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में महात्मा गाँधी के साथ कठिन मेहनत की। वह सदैव लाल गुलाब का फूल अपनी शेरवानी पर लगाते थे। वह आम जनता में बहुत लोकप्रिय थे। वह एक महान नेता एवं आधुनिक भारत के निर्माता थे। इसीलिये उन्हें हमारे राष्ट्र का निर्माता’ कहा जाता है। उनके पास भारत को महान एवं शक्तिशाली बनाने की योजनायें थीं।
वह कम है चरित्र के धनी एवं दृढ़ संकल्प के व्यक्ति हैं थे। लोगों के लिये उनके स्नेह एवं बच्चों के लिये उनके प्यार ने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया। वह एक महान विचारक एवं -7 ( , लेखक थे। उन्होंने प्रसिद्ध पुस्तक ‘द डिस्कवरी ऑफ इण्डिया लिखी।
जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889, में इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता श्री मोती लाल नेहरू एक मशहूर बैरिस्टर थे। उन्हें अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से घर पर ही एक टयूटर से मिली। हाई स्कूल की पढ़ाई के लिये उन्हें इंग्लैंड भेजा गया उन्होंने कानून की शिक्षा ली। कानून पढ़ने के पश्चात् वह भारत वापस आये। उनके हदय में अपने देश एवं उसकी स्वतंत्रता के लिये एक गहरा ज़ज्बा था। वह महात्मा गाँधी जी से बहुत प्रभावित हुये। उनकी सबसे बड़ी इच्छा भारत को स्वतंत्र कराना था।
महात्मा गाँधी के मार्गदर्शन में श्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता के संघर्ष में सक्रिय हिस्सा लिया। उन्होंने भी सत्य एवं अहिंसा का मार्ग अपनाया। उन्हें बहुत बार जेल भेजा गया। 1929 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। वहां स्वतंत्रता की शपथ ली गयी। संविधान सभा में उन्होंने कहा – “हम इतिहास पुरुष या महिलायें हों न हों, भारत भवितव्यता का राष्ट्र है।”
1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ वह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उनकी दूरदर्शिता एवं मार्गदर्शन से राष्ट्र की उन्नति, सम्पन्नता एवं सम्मान में वृद्धि हुई। उन्होंने प्रणेता की नींव रखी। वह शान्तिपूर्वक समझौता में विश्वास रखते थे। 1961 में भारत एवं चीन के मध्य पंचशील समझौता हुआ। वह निरस्त्रीकरण के परम समर्थक थे। उनके नेतृत्व में भारत को विश्व में सम्मान मिला। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय भाईचारे एवं शान्ति के लिये कड़ी मेहनत की। उन्होंने बुद्धईसा एवं नानक के बताये मार्ग का अनुसरण किया।
लम्बे समय तक मानवता एवं राष्ट्र की सेवा करने के पश्चात् 27 मई, 1964 में उनकी मृत्यु हुयी। वह अपने पीछे योजना एवं विकास की परम्परा छोड़ गये। उन्होंने विकास के चक्र एवं सामाजिक न्याय को प्रारम्भ किया। उन्होंने शिक्षा, प्रौद्योगिकी एवं चिकित्सा संस्थानों का जाल बिछा दिया। उन्होंने बड़ेबड़े औद्योगिक कृषिसिंचाई एवं ऊर्जा की योजनायें बना। सभी क्षेत्रों में उनका योगदान महत्वपूर्ण है। वह उन कुछ लोगों में से एक थे जो राष्ट्र एवं सम्पूर्ण विश्व पर अपनी छाप छोड़ जाते है।
14 नवम्बर को उनका जन्मदिन ‘बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है इससे हमें उनके महान चरित्र, आर्दशों एवं कार्यों की पुर्नस्मरण हो जाता है। विन्सटन चर्चिल के अनुसार – “उन्होंने भय सहित सभी चीजों पर विजय प्राप्त करती थी।”
जवाहरलाल नेहरू की दृष्टि अत्यन्त गहरी थी। वह एक महान वक्ता एवं अच्छे लेखक थे। वह राष्ट्र की एकता एवं व्यक्ति की स्वन्त्रता में विश्वास रखते थे।
Also Read:
जवाहरलाल नेहरू पर निबंध
जवाहरलाल नेहरू हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे एक महान नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 ई. में इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता का नाम स्वरूप रानी था। बालक जवाहरलाल की आरंभिक शिक्षा घर पर हुई। उच्च शिक्षा के लिए उन्हें इंग्लैण्ड भेजा गया। वहाँ से वे वकील बनकर लौटे। 1915 . में नेहरू जी का विवाह कमला नेहरू से हुआ।
नेहरू जी भारत की दुर्दशा देखकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ेउन्हें गाँधी जी का उचित मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। वे कई बार जेल गए। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के उत्थान में लगा दिया। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने भारत को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर किया। 27 मई, 1964 ई. को उनका निधन हो गया। देश आज भी उनकी सेवाओं को याद करता है। उनके जन्मदिन 14 नवंबर को ‘बाल दिवसके रूप में मनाया जाता है।
जवाहरलाल नेहरू पर निबंध
जवाहरलाल नेहरू वह महान विभूति हैं, जिन्हें संपूर्ण विश्व जानता है। गाँधीजी की शहादत के 16 वर्ष बाद तक जीवित रहकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही मंचों पर गाँधीजी की भाषा में बात की। पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर1889 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
उनके पूर्वज 2 . कौल थे, परंतु बाद में कौल छूट । गया और यह परिवार केवल नेहरू नाम से जाना जाने लगा। उनके पिता . मोतीलाल नेहरू थे। जवाहरलालमोतीलाल के तीसरे पुत्र थे। मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के सुविख्यात वकील थे।
इलाहाबाद में आनंद भवन मोतीलाल नेहरू ने ही खरीदा था, जब जवाहरलाल नेहरू दस वर्ष के थे। प. जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा घर पर ही हुई, बाद में उन्हें वकालत करने इंग्लैण्ड भेजा गया। सन् 1912 में वे वकालत करने भारत लौट आए। फिर उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। बाद में वे राजनीतिक गतिविधियों की ओर आकर्षित हुए और 1916 में उन्होंने कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लिया, जहाँ पहली बार उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई। . नेहरू उनसे अत्यंत प्रभावित हुए।
जवाहरलाल नेहरू का विवाह कमला कौल से हुआ था। 1917 में उन्होंने इंदिरा गाँधी को जन्म दिया। तभी 13 अप्रैल1919 को अमृतसर में जलियाँवाला बाग कांड हुआ, जिसमें जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाने का आदेश देकर सैकड़ों लोगों को मरवा दिया था।
इस हत्याकांड की जांच के लिए एक समिति बनाई गई, जिसमें जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे। हालांकि, डायर को इस कांड के लिए ज़िम्मेदार पाया गयाकिन्तु हाउस ऑफ लार्डस् ने उसे दोष मुक्त कर दिया। सन् 1921 के असहयोग आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से उनकी गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो गया, तो वे देश आजाद होने तक नौ बार जेल गए और नौ वर्ष से अधिक समय उन्होंने जेल में बिताया।
जेल में ही उन्होंने अपनी आत्मकथा–“डिस्कवरी ऑफ इंडिया” (भारत-एक खोज) लिखी, जो बहुत चर्चित हुईजेल में ही उन्होंने “ग्लिम्प्सेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” की रचना की। सन् 1927 में उन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और पुलिस की लाठियों के प्रहार सहन किए। 1929 में, लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू को प्रथम बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गयाइस अधिवेशन के दौरान ही उन्होंने पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पेश कियाफिर जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने के लिए ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कियातो उन्हें गाँधीजी और मोतीलाल नेहरू के साथ जेल जाना पड़ा। इसी आंदोलन के चलते 6 फरवरी, 1931 को मोतीलाल नेहरू की मृत्यु हो गई। परंतु पं. नेहरू ने देश की स्वतंत्रता
प्राप्ति के लिए अपने कदम पीछे नहीं हटाए। इन्हीं कष्टों से जूझते हुए 28 फरवरी1936 को नेहरू जी की पत्नी का भी देहांत हो गया। फिर 1936 में पं. नेहरू को दूसरी बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। सारी विफलताओं के बाद ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू हुआ और 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया।
पं. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और भारत माता की सेवा करते हुए 27 मई 1964 को उनका स्वर्गवास हो गया। उनका नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में सदैव अंकित रहेगा।
Also Read:
भोगों के बीच राजा जनक की तरह महायोगी यदि कोई वर्तमान समय में हुआ, तो वे थे पंडित जवाहरलाल नेहरू। अँगरेजी के सुप्रसिद्ध नाटककार शेक्सपियर ने लिखा है, “कुछ लोग जन्म से ही महान होते हैं, कुछ महत्ता प्राप्त करते हैं और कुछ व्यक्तियों पर महत्ता लाद दी जाती है।” पं. नेहरू जन्म से ही महान थे और अपनी निरंतर तपस्या के बल पर उस महत्ता को उन्होंने सुरक्षित रखा।
हमारे जननायक नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता पं. मोतीलाल नेहरू बड़े नामी बैरिस्टर थे। जब रुपये का बीस सेर चावल मिलता था, पं० मोतीलाल की मासिक आय लगभग तीस हजार थी। ऐसे प्रतिभाशाली समृद्ध पिता के इकलौते पुत्र होने का सौभाग्य पं. नेहरू को प्राप्त हुआ था।
पं. जवाहरलालजी की शिक्षा का श्रीगणेश घर पर हुआ। 15 वर्ष की उम्र में वे इंगलैंड के सुप्रसिद्ध स्कूल हैरो’ में भेजे गये। दो वर्ष के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में तीन वर्ष तक विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की। वकालत की परीक्षा लंदन-स्थित महाविद्यालय से पास कर 1912 में वे स्वदेश लौट आये।
पंडित नेहरू अत्युच्च शिक्षा प्राप्त कर विदेश से लौटे थे। उन्हें अच्छी-से-अच्छी नौकरी मिल सकती थी, किंतु वे सरकारी नौकरियों को लात मारकर वकालत करने लगे। वकालत से अर्थोपार्जन में समय की अधिक बरबादी होती थी, अतः उन्होंने देशसेवा के लिए वकालत भी त्याग दी। उन्होंने अपना सारा जीवन राष्ट्रसेवा के लिए अर्पित किया। ऐसे समय में उन्हें एक सुयोग्य पथ-प्रदर्शक की आवश्यकता थी। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का नेतृत्व प्राप्त किया। गाँधीजी ऐसा व्यक्ति चाहते थे, जो मनसा-वाचा-कर्मणा देशसेवा में अपने को उत्सर्ग कर दे। उन्हें नेहरू के रूप में मनोनुकूल व्यक्ति प्राप्त हुआ।
गाँधीजी ने ‘रॉलेट ऐक्ट’ के विरोध में सत्याग्रह करने का संकल्प किया। जवाहरलालजी भी उसमें सम्मिलित होना चाहते थे, परंतु उनके पिता नहीं चाहते थे। पंडित मोतीलाल नेहरू ने गाँधीजी से सिफारिश करायी कि जवाहर जेल न जायँ। गाँधीजी के आदेश से जवाहरलालजी ने जेल जाना स्थगित कर दिया।
कुछ दिनों के बाद देश में बर्बर जालियाँवाला-काण्ड हुआ। निर्दोष भारतवासी संगीन की नोक पर डायर द्वारा तड़पा-तड़पाकर मारे गये। अँगरेजों के इस राक्षसी दुर्व्यवहार ने जवाहरलालजी के हृदय पर बड़ा ही गहरा आघात किया। विदेशी सरकार ने इस खूनी कांड के कारण भारतीयों के हृदय की धधकती ज्वाला को शान्त करने के लिए प्रिंस ऑफ वेल्स को भारत बुलाकर उसके प्रति भारतीयों से भक्तिप्रदर्शन कराने की चेष्टा की। किंतु, प्रिंस का आना आग में और भी घी डालना था। गाँधीजी ने इसका विरोध किया और ऐलान किया कि प्रिंस का स्वागत काले झंडे से किया जाय। इलाहाबाद में पं. जवाहरलाल नेहरू ने यह काम किया। बस क्या था, अँगरेज सरकार ने पिता-पुत्र को जेल की चहारदीवारी के अंदर बंद कर दिया। जेल में जवाहरलालजी ने श्रवणकुमार की भाँति पितृभक्ति दिखलायी। वे स्वयं कमरे में झाड़ लगाते थे, पिता के कपड़े साफ करते थे तथा इसी प्रकार के अनेक सेवाकार्य खुशी-खुशी करते थे। तब से वे अनेक बार जेल गये। तरह-तरह की विपत्तियाँ झेली और तभी दम लिया जब अँगरेज-रावण का विनाश किया। 1947 में राष्ट्र स्वतंत्र हुआ। शताब्दियों से परतंत्र भारतीयों ने मुक्ति की साँस ली। जनता ने अपने जनप्रिय नेता को अपना प्रधानमंत्री चुना। खुशहाली का सूरज चमका। 1952, 1957, 1962 में जब-जब निर्वाचन होता रहा, नेहरूजी एकमत से देश के प्रधानमंत्री होते रहे। उन्होंने इस देश को धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए कुछ उठा न रखा।
नेहरूजी केवल भारत के ही नहीं, विश्व के नेता थे। सारे संसार में जब कोई तूफान आता था, लोगों की दृष्टि उनकी ओर टॅग जाती थी। उन्होंने समग्र संसार को पंचशील की अमोघ औषधि प्रदान की। जब वे 1961 के नवम्बर में अमेरिका गये थे, वहाँ के प्रेसिडेंट कैनेडी ने उनका स्वागत करते हुए कहा था, “आपका स्वागत करते हुए हमारे देश को बड़ी प्रसन्नता होती है। इस देश का निर्माण उनलोगों ने किया है जिनकी कीर्तिपताका समुद्र की तरंगों पर दिखाई देती है। आप और आपके महान् नेता गाँधीजी दोनों विश्वनेता हैं। संसार आपकी नीति का मान-आदर और सत्कार करने के लिए लालायित है।’
1964 को 27 मई को विश्व की महान भारतीय विभूति का पंचभूत-चोला उठ गया, किंतु उनकी आत्मा हमारे उत्थान में सदा सहायक है। वे गुणों के भंडार थे। उनके अपार गुणों में से एक-दो गुण भी हमारे पल्ले पड़ें, तो हम राष्ट्र के लिए बड़ा काम कर सकते हैं। महान मुक्तिदाता, आधुनिक भारत के निर्माता, शांति के अग्रदूत तथा अनासक्त कर्मयोगी का वैसा समन्वित व्यक्तित्व पता नहीं, हम पुनः कब पा सकेंगे!
जवाहरलाल नेहरू पर निबंध
महात्मा गांधी जी यदि स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपिता , तो पण्डित जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है। राजसी परिवार में जन्म लेकर तथा सभी तरह की सुखसुविधा भरे वातावरण में पल कर भी उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता एवं आनबान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया। पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर1889 ई को इलाहाबाद के आनन्द भवन में हुआ था।
उनके पिता पं. मोती लाल नेहरू अपने युग के प्रमुख वकील थे। उनकी माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी नेहरू था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। उसके बाद वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ से बैरिस्टर बनकर सन् 1912 में वापस आए और अपने पिता जी के साथ प्रयाग में ही वकालत करने लगे। सन 1915 ई. में रोलट एक्ट के विरुद्ध होने वाली बम्बई कांग्रेस में नेहरू जी ने भाग लिया।
यहीं से नेहरू जी का राजनीतिक जीवन प्रारम्भ हुआ था। नेहरू जी का शुभ परिणय सन् 1916 ई. में श्रीमती कमला के साथ हुआ। सन् 1917 में 19 नवम्बर के दिन उनके घर इन्दिरा प्रियदर्शिनी नामक पुत्री ने जन्म लिया। कुछ दिन पश्चात् नेहरू जी कांग्रेस के सदस्य बन गए और फिर महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में देश की सेवा के कार्य में लग गए। सन् 1919 के किसान आन्दोलन और 1921 के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण पं. नेहरू जी को जेल जाना पड़ा। सन् 1931 ई. में उनके पिता श्री मोती लाल नेहरू और सन् 1936 ई. में उनकी धर्म पत्नी कमला नेहरू का निधन हो गया।
15 अगस्त1947 को भारतवर्ष स्वतंत्र हो गया। तब वे सर्वसम्मति से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और जीवन के अन्त तक इसी पद पर बने रहे। नेहरू जी ने भारत को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से उन्नत करने के लिए महान कार्य किए। उन्होंने जाति भेद को दूर करने, स्त्री जाति की उन्नति करने व शिक्षा प्रसार जैसे अनेक कार्य किए। युद्ध के कगार पर खड़े विश्व को उन्होंने शान्ति का मार्ग दिखाया। नेहरू जी के ‘पंचशील’ के सिद्धान्तों ने विश्व शान्ति की स्थापना में सहायता की।
पं. नेहरू एक महान राष्ट्रीय नेता तो थे ही, वे उच्च कोटि के चिन्तक, विचारक और लेखक भी थे। उनकी रची मेरी कहानी, भारत की कहानी’, विश्व इतिहास की झलक’ व पिता के पुत्री के नाम पत्र आदि रचनाएँ विश्व प्रसिद्ध हैं। पंनेहरू बच्चों को बहुत प्यार करते थे। इसीलिए बच्चे उन्हें आदर तथा प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते थे। अतः उनके जन्म को आज भी बाल दिवसके रूप में मनाया जाता है।
वह विश्व शान्ति का मसीहा 27 मई1964 ई. को हमारे बीच से उठ गया। देशविदेशों से विशेष प्रतिनिधि उनके अन्तिम दर्शनों के लिए आए।
28 मई1964 ई. को उनका पार्थिव शरीर अग्नि को समर्पित कर दिया गया। उनकी वसीयत के अनुसार उनकी भस्म खेतों और गंगा नदी में प्रवाहित कर दी गई। उनका नाम चिरकाल तक इतिहास में अमर रहेगा।
Also Read:
- Hindi Muhavare With Meanings and Sentences
- मेरा अच्छा और सच्चे दोस्त पर निबंध
- Essay on Christmas in Hindi
जवाहरलाल नेहरू पर निबंध
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म १४ नवम्बर सन् १८८ को इलाहाबाद में हुआ था। इनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू बड़े प्रसिद्ध वकील थे । वे बड़े धनवान थे । वे काश्मोरी ब्राह्मण थे । जवाहरलाल की माता का नाम स्वरूप रानी था। जवाहरलाल बचपन में अपनी माता के साथ त्रिवेणी संगम पर जाया करते थे। इन्होंने आरम्भ की शिक्षा अपने घर पर ही पाई।
पन्द्रह वर्ष की आयु में इन्हें पढ़ने के लिये इंग्लैंड भेजा गया । वहां ये दो वर्ष हैो स्कूल में पढ़े । फिर इन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से विज्ञान में डिग्री ली। तब इन्होंने इन्नर टैम्पल में बैरिस्टरी पास की । सन् 1612 में भारत लौटकर इन्होंने इलाहाबाद में प्रैक्टिस शुरू की। कांग्रेस में जाने पर इन पर महात्मा गांधी का बड़ा प्रभाव पड़ा। नेहरू जी बैरिस्ट्री छोड़कर राज नीति में कूद पड़े ।
नेहरू जी स्वतन्त्रता की लड़ाई में कई बार जेल गए । इनकी पत्नी कमला नेहरू भी कैद हुई । फिर वे बीमार हो गई और उनकी मृत्यु हो गई । नेहरू जो की एकमात्र पुत्री इन्दिरा थी । नेहरू जी सन् 1626 में कांग्रेस के प्रधान बने । इनकी प्रधानता में लाहौर कांग्रेस में पूर्ण स्वतन्त्रता का प्रस्ताव पास हुआ । बहुत संघर्ष के बाद सन् १९४७ में भारत स्वतन्त्र हुआ । जवाहर लाल प्रधानमंत्री बने । बाद में के तीत चुनावों में भी ये ही प्रधानमन्त्री बने । बच्चों के ये प्रिय ‘चाचा नेहरूथे। सन् 1 9 62 में चीन ने भारत पर हमला किया। 27 मई, 1 9 64 को इनका देहान्त हो गया।
Also Read:
- शिक्षा पर निबंध
- सुबह की सैर पर निबंध
- स्वच्छता पर निबंध
- महात्मा गांधी पर निबंध
- फुटबॉल पर निबंध
- पर्यावरण पर निबंध
जवाहरलाल नेहरू पर निबंध
जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था। इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था। मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे। वे काफी संपन्न व्यक्ति थे। बाद में उन्होंने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था।
जवाहर लाल की माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था। माता-पिता के इकलौते पुत्र होने के कारण बालक जवाहर लाल को घर में काफ़ी लाड़-प्यार मिलाइसकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। घर पर इन्हें पढ़ाने के लिए एक अंग्रेज शिक्षक को नियुक्त किया गया था। 15 वर्ष की आयु में जवाहर लाल को शिक्षा प्राप्ति के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया।
वहाँ इन्होंने हैरो स्कूल , फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन किया सन् 1912 ई. में बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे भारत लौट आए1915 में जवाहर लाल कमला नेहरू के साथ विवाह-सूत्र में बंध गए स्वदेश लौटने पर नेहरू जी ने वकालत आरंभ की परंतु उसमें उनका चित्त नहीं रमा। भारत की परतंत्रता उनके मन में काँटे की तरह चुभती थी।
उन्होंने इंग्लैण्ड का स्वतंत्र वातावरण देखा था, उसकी तुलना में भारत दीन-हीन देश था। यहाँ की दीन दशा के लिए अंग्रेजों की नीति जिम्मेदार थी। उधर पंजाब में हुए जलियाँवाला हत्याकाँड ने उनके मन को झकझोर कर रख दिया। नेहरू जी ने पहले होमरूल आंदोलन में भाग लियाफिर गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे अहिंसात्मक आंदोलन में सक्रिय सहयोग देने लगे।
राजसी ठाठ-बाट छोड़कर खादी का कपड़ा पहना और सत्याग्रही बन गए असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की। इसके बाद उन्होंने संपूर्ण जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया 1920 से लेकर 1944 तक अनेक बार जेलयात्राएँ कीं और यातनाएँ सहीं।
सन् 1929 में लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। नेहरू जी ने इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की माँग की। अपनी कार्य-क्षमता और सूझ-बूझ से उन्होंने कांग्रेस को नई दिशा दी। उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष कई बार बनाया गया।
नेहरू जी ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की और तीन वर्ष तक कारावास में रहे। अंतत: 1946 में अंग्रेज सरकार ने भारत को स्वतंत्र करने का निर्णय लिया। 15 अगस्त, 1947 के दिन भारत अंग्रेजों की दो सौ वर्षों की गुलामी को पछाड़ कर स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। नेहरू जी स्वतंत्र राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री बने। सन् 1952 में पहला आम चुनाव हुआ। इसमें कांग्रेस को जीत मिली और नेहरू जी पुनप्रधानमंत्री बने। इसके बाद वे आजीवन भारत के प्रधानमंत्री के पद पर रहे।
जवाहर लाल जी विश्व शांति के पक्षधर थे। उन्होंने चीन के साथ पंचशील के सिद्धांतों के आधार पर मित्रता का संबंध स्थापित किया। परंतु 1962 में चीन ने विश्वासघात कर भारत पर आक्रमण कर दिया।
भारतीय सेना इस युद्ध के लिए तैयार नहीं थी। अत: भारत को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा। इससे नेहरू जी को बहुत दु:ख हुआ। 27 मई, 1964 को उनका देहांत हो गया। नेहरू जी ने प्रधानमंत्री के रूप में देश को नई दिशा प्रदान की। उन्होंने भारत में आधुनिक उद्योगों की आधारशिला रखी। आज के भारत की औद्योगिक उन्नति उनके सुकर्मों का फल ही है। साथ ही उन्होंने किसानों को जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने के लिए नदी-घाटी परियोजनाओं का आरंभ करवाया।
उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा देश के समग्र विकास का प्रयास किया। वे भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने शहरों के विकास के साथ-साथ गाँवों के विकास पर भी पर्याप्त बल दिया।
नेहरू जी के गुणों को भारत के लोग आज भी याद करते हैं। उन्हें भारत और भारत के लोगों से असीम प्यार था। उन्हें बच्चे तो सबसे अधिक प्यारे थे। इसलिए बच्चे उनके जन्मदिन 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। यमुना तट पर शान्ति वन में उनकी समाधि बनी हुई है। नेतागण और आम नागरिक यहाँ उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने आते हैं।
Also Read:
जवाहरलाल नेहरू पर निबंध
महात्मा गांधीजी यदि स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपिता हैं, तो पण्डित जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है। राजसी परिवार में जन्म लेकर तथा सभी तरह की सुखसुविधा भरे वातावरण में पल कर भी उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता एवं आनबान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया। पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर1889 ई. को इलाहाबाद के आनन्द भवन में हुआ था।
उनके पिता . मोती लाल नेहरू अपने समय के प्रमुख वकील थे। उनकी माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी नेहरू था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। उसके बाद वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ से बैरिस्टर बनकर सन् 1912 में वापस आए और अपने पिताजी के साथ प्रयाग में ही वकालत करने लगे।
सन् 1915 ई. में रोलट एक्ट के विरुद्ध होने वाली बम्बई कांग्रेस में नेहरूजी ने भाग लिया। यहीं से नेहरूजी का राजनीतिक जीवन प्रारम्भ हुआ था। नेहरूजी का विवाह सन् 1916 ई. में श्रीमती कमला के साथ हुआ। सन् 1917 में 19 नवम्बर के दिन उनके घर इन्दिरा प्रियदर्शिनी नामक पुत्री ने जन्म लिया। कुछ दिन पश्चात् नेहरूजी कांग्रेस के सदस्य बन गए और फिर महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश की सेवा के कार्य में लग गए।
सन् 1919 के किसान आन्दोलन और 1921 के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण नेहरूजी को जेल जाना पड़ा। सन् 1931 ई. में उनके पिता श्री मोती लाल नेहरू और सन् 1986 ई. में उनकी धर्मपत्नी कमला नेहरू का निधन हो गया।
15 अगस्त, 1947 को भारतवर्ष स्वतंत्र हो गया। तब वे सर्वसम्मति से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और जीवन के अन्त तक इसी पद पर बने रहे। नेहरूजी ने भारत को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से उन्नत करने के लिए महान् कार्य किए। उन्होंने जातिभेद को दूर करनेस्त्री-जाति की उन्नति करने व शिक्षा प्रसार जैसे अनेक कार्य किए। युद्ध के कगार पर खड़े विश्व को उन्होंने शान्ति का मार्ग दिखाया। नेहरूजी के ‘पंचशील’ के सिद्धान्तों ने विश्व शान्ति की स्थापना में सहायता की।
नेहरू एक महान् राष्ट्रीय नेता तो थे ही, वे उच्च कोटि के चिन्तक, विचारक और लेखक भी थे। उनकी रची मेरी कहानी, ‘भारत की कहानी, ‘विश्व इतिहास की झलक‘ व पिता के पुत्री के नाम पत्र‘ आदि रचनाएं विश्व प्रसिद्ध हैं। पं. नेहरू बच्चों को बहुत प्यार करते थे, इसीलिए बच्चे उन्हें आदर तथा प्यार से ‘चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। अतः उनके जन्म को आज भी ‘बाल दिवसके रूप में मनाया जाता है।
वह विश्व शान्ति का मसीहा 27 मई1964 ई. को हमारे बीच से उठ गया। देश-विदेशों से विशेष प्रतिनिधि उनके अन्तिम दर्शनों के लिए आए 28 मई1964 ई. को उनका पार्थिव शरीर अग्नि को समर्पित कर दिया गया। उनकी वसीयत के अनुसार उनकी भस्म खेतों और गंगा नदी में प्रवाहित कर दी गई। उनका नाम चिरकाल तक इतिहास में अमर रहेगा।
Also Read: