मेरा स्कूल पर निबंध – Essay on My School in Hindi @

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हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on My School in Hindi पर पुरा आर्टिकल। My School एक ऐसी चीज़ है जिससे हर कोई कैसे ना कैसे जुड़ा है हम सभी जानते है की स्कूल हम सभी के लिए बहुत जरुरी है आज हम आपको स्कूल के बारे में बहुत कुछ बताएँगे आज के essay में आपको मेरा स्कूल के बारे में बहुत बातें बताऊंगा तो अगर आप अपने बच्चे के लिए Essay on मेरा स्कूल in Hindi में ढूंढ रहे है तो आप इसको अपने बच्चे के होमवर्क के लिए उपयोग कर सकते है।

 

मेरा स्कूल पर निबंध – Essay on My School in Hindi

 

मेरा स्कूल पर निबंध - Essay on My School in Hindi @ 1

मैं एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ता हूं। मेरे विद्यालय का नाम सरस्वती विद्या मंदिर है। इसकी गिनती शहर के प्रसिद्ध विद्यालयों में होती है। पढ़ाईखेलकूद तथा अन्य गतिविधियां हमारे स्कूल का प्रमुख हिस्सा हैं। मेरे विद्यालय में लगभग 750 विद्यार्थी हैं। 30 से ज्यादा अध्यापक और अध्यापिकाएं हैं। इनके अतिरिक्त 4 लिपिक और 2 चपरासी भी यहां कार्यरत हैं। अध्यापक गण अनुभवी, विद्वान एवं परिश्रमी हैं। हमारे प्रधानाचार्य बहुत ही गुणी एवं अनुशासप्रिय व्यक्ति हैं।

 

विद्यार्थियों के साथ उनका व्यवहार बहुत ही मधुर है। समय-समय पर वे विद्यार्थियों को मार्गदर्शन भी देते रहते हैं। मेरे विद्यालय की इमारत पक्की है। इसमें 25 हवादार कमरे हैं। विद्यालय के एक कमरे में प्रधानाचार्य का कार्यालय भी है जो कि साफ-सुथरा और भलीभांति सजा हुआ है। कक्षाओं में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह आदि स्वतंत्रता सेनानियों के फोटो लगे हुए हैं।

विद्यालय में एक पुस्तकालय भी है। जहां से सभी छात्रों को पुस्तकें पढ़ने के लिए उपलब्ध होती हैं। विद्यालय में प्रायोगिक कक्षाओं के लिए लैब भी बनी हैं। मेरे विद्यालय का परीक्षा परिणाम लगभग शत-प्रतिशत रहता है और कई छात्र मेरिट में भी स्थान पाते हैं। निर्धन छात्रों को प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति भी उपलब्ध कराई जाती है। मेधावी छात्रों का प्रतिवर्ष सम्मान भी किया जाता है। बोर्ड की कक्षाओं में गणित और विज्ञान संकाय में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल देने की भी परंपरा है। मुझे अपने इस विद्यालय पर बहुत गर्व है।

 

मेरा स्कूल पर निबंध – Essay on My School in Hindi

मेरे स्कूल में आठ सौ विद्यार्थी पढ़ते हैं । उसमें दस श्रेणियां हैं । उसका भवन बहुत सुन्दर है । बीच बीच में घास वाले छोटेछोटे क्षेत्र हैं । मुख्याध्यापक का कमरा अलग है । उसके बाहर एक सेवक बैठा रहता है । स्कूल के कार्यालय में चार क्लर्क हैं । हरएक श्रेणी के दो-दो भाग (सैक्शन) हैं । प्रत्येक भाग में लगभग चालीस विद्यार्थी हैं । हर एक कमरे में अध्यापक के लिये कुर्सी और रा मेज हैं । विद्यार्थी बेंचों पर बैठते हैं ।

सामने की ओर एक काला बोर्ड होता है । जिस पर अध्यापक चाक से लिखकर समझाते हैं । गर्मियों में छत के पंखे चलते हैं । मेरे स्कूल में पच्चीस अध्यापक हैं। वे हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी, गणितविज्ञान, सामाजिक अध्ययन आदि विषय पढ़ाते हैं। वे बड़ी लगन से पढ़ाते हैं । मेरे स्कूल के मुख्याध्यापक बड़े योग्य व्यक्ति हैं । उनका स्वभाव बड़ा मधुर है ।

मेरे स्कूल में विद्यार्थी साफसुथरे कपड़े पहनकर स्कूल में आते हैं । हमारे स्कूल में एक पुस्तकालय भी है । मेरे स्कूल में पानी पोने और शौच आदि जाने के लिए अलग स्थान बने हैं। कागजछिलके आदि फेंकने के लिए कोनों में डोल रखे हुए हैं । मेरे स्कूल की पढ़ाई अच्छी है । परीक्षाओं के परिणाम उत्तम हैं । यहां के विद्यार्थी भाषण और कविता प्रतियोगिता में भाग लेते हैं ।

हमारे स्कल में सप्ताह में एक दिन बालसभा होती है । हमारे स्कूल के पास ही दो क्रीड़ाक्षेत्र हैं । विद्यार्थी खेलों में उत्साह से भाग लेते हैं । उन्होंने कई मैच जीते हैं । इस स्कूल में पढ़ते हुए मुझे बड़ी प्रसन्नता होती है ।

 

मेरा स्कूल पर निबंध – Essay on My School in Hindi

 

मैं नवम् कक्षा का विद्यार्थी हैं। मैं राजेन्द्र नगर स्थित बाल भारती पब्लिक स्कूल में पढ़ता हूं। यह विद्यालय नगर के मध्य में एक लम्बे-चौड़े स्थान में स्थित है। मेरे विद्यालय का दोमंजिला भवन बहुत ही भव्य है। यह नगर के श्रेष्ठ विद्यालयों में से एक है। इसका परीक्षाफल प्रतिवर्ष बहुत अच्छा रहता है।

इस विद्यालय के भवन में लगभग 40 कमरे हैं जो बहुत ही सुन्दर हैं। ये कमरे सभी विद्यार्थियों को बहुत पसन्द हैं। इन कमरों में प्रकाश, वायु तथा बिजली की उचित व्यवस्था है।

विद्यालय के प्रांगण में एक सुन्दरसी फुलवाड़ी है जिसकी हरीभरी घास, रंगबिरंगे फूल और लहलहाती लताएँ विद्यालय में आने वालों का मन मोह लेती हैं। विद्यालय के मध्य एक बहुत बड़ा मैदान है जहाँ हमारी प्रार्थना होती है और खेल के समय अध्यापक बच्चों को खेल खिलाते हैं। मेरे विद्यालय में लगभग दो हजार छात्र और छात्राएं विद्या का अध्ययन करते हैं।

यह विद्यालय प्रथम कक्षा से 12वीं कक्षा तक है। मेरे विद्यालय में लगभग साठ अध्यापक और अध्यापिकाएं कार्यरत हैं। वे सभी प्रशिक्षित तथा अपने विषयों के पूर्ण ज्ञाता हैं। मेरे विद्यालय में एक प्रधानाचार्य तथा एक उपप्रधानाचार्य हैं जो बहुत ही अनुशासनप्रिय हैं। प्रधानाचार्य व उपप्रधानाचार्य जी के कमरों के साथ विद्यालय का कार्यालय भी है।

एक बड़े कमरे में पुस्तकालय तथा तीन बड़ेबड़े कमरों में विज्ञान की प्रयोगशालाएँ स्थित हैं। मेरे विद्यालय के सभी अध्यापक व अध्यापिकाएँ बहुत दयालु तथा विद्यार्थियों के हितैषी हैं। वे विद्यार्थियों की कठिनाइयों को सुलझाने का प्रयास करते हैंविद्यार्थी भी अपने गुरुजनों का बहुत सम्मान करते हैं।

विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम विद्यालय में चलाए जाते हैं. जैसे स्काउटिंग रैडक्रासएन.सी.सी.वाद-विवाद प्रतियोगिता, नाटकलोक नृत्य आदि। इनके अतिरिक्त कुछ खेल भी खिलाए जाते हैं जैसे वालीबालक्रिकेट फुटबालहॉकी आदि।

प्रत्येक वर्ष मेरा विद्यालय खेलकूद व भाषण प्रतियोगिता में कोई-न-कोई पुरस्कार प्राप्त कर लेता है। स्वच्छता तथा अनुशासन तो मेरे विद्यालय की प्रमुख विशेषताएं हैं। यहाँ विद्यार्थी अनुशासन, आज्ञाकारिता और सद्व्यवहार की शिक्षा ग्रहण करते हैं। इन सब विशेषताओं के करण मुझे अपने विद्यालय पर गर्व है। यह सारे नगर में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

 

मेरा स्कूल पर निबंध – Essay on My School in Hindi

 

स्कूल को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है। यहाँ पर अध्यापक बच्चों को शिक्षा देते हैं, उन्हें एक काबिल और योग्य इंसान बनाते हैं, गलत और सही का बोध कराते हैं, दुनिया में जीने का सलीका बताते हैं। विद्यालय में वे विद्यार्थियों में सद्गुणों का विकास करते हैं। मेरा स्कूल भी बहुत प्यारा है। वहाँ सभी अध्यापक मुझे बहुत प्यार करते हैं। कक्षा में अध्यापक इतना अच्छा पढ़ाते हैं कि सब कुछ शीघ्र ही मेरी समझ में आ जाता है।

यदि कोई विद्यार्थी पढ़ने में कमज़ोर होता है, तो अध्यापक उसे छुट्टी के बाद अलग से समय निकालकर पढ़ाते हैं।

मेरे स्कूल में कभी कोई विद्यार्थी अनुत्तीर्ण नहीं होता। मेरे स्कूल का परीक्षा-परिणाम हर वर्ष शत्-प्रतिशत् रहता है। मेरे स्कूल का कोई विद्यार्थी अलग से ट्यूशन नहीं लेता। मेरे प्रिय स्कूल में अध्यापक हमें खेल भी खिलाते हैं। वे हमें कबड्डी, खो-खो, बैडमिंटन, क्रिकेट और फुटबॉल खिलाते हैं।

खेल के अध्यापक हमें बड़े स्नेह और लगन से हमें खेल सिखाते और खिलाते हैं। वे हम पर कभी नाराज़ नहीं होते। वे हमेशा मुस्कुराते रहते हैं। उनकी वाणी में जैसे मिसरी घुली हुई हो। मेरे स्कूल में एक बहुत बड़ा खेल का मैदान (प्ले ग्राउण्ड) है। सभी विद्यार्थी उसी में खेलते हैं। हमारी खेल की टीम दूसरे स्कूलों के साथ भी खेलती है। ये प्रतिस्पर्धात्मक खेल होते हैं। हमारे स्कूल की टीम हमेशा जीतती है। मैं क्रिकेट खेलता हूं।

मैं अपनी टीम का कप्तान हैं। मेरे स्कूल में एक कैंटीन है। उसमें चाय, समोसा, बिस्किट आदि मिलता है। कभीकभी मैं अपने मित्रों के साथ चाय पीता हूँ और समोसे भी खाता हूं। मेरे स्कूल में एक लाइब्रेरी है। लाइब्रेरी में विषय की पुस्तकों के अलावा समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ भी होती हैं।

मैं प्रतिदिन लाइब्रेरी में समाचार-पत्र पढ़ता हूं। इससे मेरा सामान्य ज्ञान बहुत अच्छा हो गया है। सामान्य ज्ञान के अतिरिक्त मुझे देश और दुनिया की भी जानकारी रहती है कि कहाँ पर क्या घटना घट रही है। मेरी इस योग्यता को देखते हुए मेरे कक्षा अध्यापक ने मुझे अपनी कक्षा का मॉनीटर बना दिया है। सचमुच मेरा प्रिय स्कूल सबसे अच्छा और अद्भुत है। मुझे मेरा प्रिय स्कूल सदैव स्मरण रहेगा।

 

मेरा स्कूल पर निबंध – Essay on My School in Hindi

मेरे विद्यालय का नाम राजकीय सहशिक्षा माध्यमिक विद्यालयकीर्ति नगर है। यह एक आदर्श विद्यालय है। यहाँ शिक्षा, खेलकूद तथा अन्य शिक्षेतर गतिविधियों की उत्तम व्यवस्था है। यहाँ का वातावरण शांत एवं मनोरम है। मेरे विद्यालय में छठी से लेकर दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। प्रत्येक कक्षा में दो या तीन सेक्सन (अनुभाग) हैं। विद्यालय का भवन दुमंजिला है। इसमें लगभग पचास कमरे हैं। कक्षा के सभी कमरेफर्नीचरपंखे आदि से सुसज्जित एवं हवादार हैं।

प्रधानाचार्य का कक्ष विशेष रूप से सजा हुआ है। इसके अलावा स्टॉफ रूम , पुस्तकालय कक्ष, हॉल, कंप्यूटर कक्ष, प्रयोगशाला कक्ष आदि भी सभी प्रकार की उत्तम व्यवस्था से युक्त हैं। विद्यालय में पेयजल और शौचालय का भी समुचित प्रबंध है। मेरे विद्यालय में लगभग ढाई हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। अध्यापक-अध्यापिकाओं की संख्या पचास है।

इनके अतिरिक्त दस अन्य स्टॉफ़ भी हैं। इनमें तीन क्लर्क, एक माली एवं पाँच चपरासी हैं। एक दरबान है जो रात्रिकाल में विद्यालय की चौकीदारी करता हैं। शिक्षा के मामले में मेरा विद्यालय शहर में अग्रणी स्थान रखता है।

प्राय: सभी विद्यार्थी अच्छे अंकों से पास होते हैं। शिक्षकगण विद्यार्थियों की प्रगति का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं। अधिकांश शिक्षक विद्वान, अनुभवी एवं योग्य हैं। हमारी प्रधानाचार्या सुसंस्कृत एवं अनुशासनप्रिय हैं। उनके नेतृत्व में विद्यालय दिन-दूनी रात-चौगुनी उन्नति कर रहा है। वे विद्यालय के चहुंमुखी विकास के लिए कटिबद्ध दिखाई देती हैं। विद्यार्थी प्रधानाचार्या के प्रति बहुत आदरभाव रखते हैं।

आजकल तकनीकी शिक्षा का महत्व बढ़ गया है। मेरे विद्यालय में तकनीकी शिक्षा के रूप में कंप्यूटर सिखाने पर पूरा जोर दिया जाता है। प्रयोगशाला में विज्ञान के अनुप्रयोगों को बताया जाता है। हमारे विद्यालय में खेलकूद पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है। खेल प्रशिक्षक हमें क्रिकेटफुटबॉलहॉकी, बैडमिंटनखो-खो, कबड्डी, आदि खेलों को खेलने की उचित ट्रेनिंग देते हैं। पिछले वर्ष मेरा विद्यालय अंतर्विद्यालय हॉकी प्रतिस्पर्धा में प्रथम स्थान पर रहा था।

 

मेरे विद्यालय में एक अच्छा पुस्तकालय है। पुस्तकालय से विद्यार्थी पाठ्यपुस्तकें पढ़ने के लिए ले जा सकते हैं। यहाँ पाठ्य-पुस्तकों के अतिरिक्त कहानियोंकविताओं तथा ज्ञान-विज्ञान से संबंधित पुस्तकों का अच्छा संग्रह है। मेरे विद्यालय के प्रांगण में अनेक पेड़पौधे लगे हुए हैं। कतारों में लगे पेड़ों एवं फूल के पौधों से सुंदर प्राकृतिक दृश्य उत्पन्न हो जाता है। माली पेड़पौधों की नियमित देखभाल करता है।

विद्यालय में हमें बताया गया है कि पेड़पौधे हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। इसलिए हम लोग इनकी पूरी देखभाल करते हैं। हमें विद्यालय में पढ़ाई और खेलकूद के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर प्राप्त होता है। छात्र-छात्राएँ बाल दिवसगणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस शिक्षक दिवसगाँधी जयंती, विद्यालय का वार्षिकोत्सव जैसे विभिन्न अवसरों पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

इससे हमारे अंदर ईमानदारी, खैर्य, साहसआपसी सहयोग जैसे गुणों का विकास होता है। मेरे विद्यालय में सब कुछ व्यवस्थित, अनुशासित, सहयोगपूर्ण एवं आमोदपूर्ण है। मुझे अपने विद्यालय पर गर्व का अनुभव होता है।

 

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Written by

Romi Sharma

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