हेलो दोस्तों आज हम आपको बेटी बचाओ विषय पर भाषण कैसे देते है इन सब बातो के बारे में बताएँगे। सभी भाषण बहुत ही आसान भाषण में बता रहे है जिससे आपको कोई परेशानी नहीं होगी। अगर फिर भी आपको कोई दिकत हो रही हो तो हमें कमेंट करके जरूर बातये। भाषण का हमारे जीवन में बहुत उपयोग है अगर स्कूल में किसी कार्यक्रम का आयोजन होता है तो वह भाषण देने की प्रतियोगिता होती है तो आईये पढ़ते है बेटी बचाओ पर भाषण और Speech on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi पर भाषण। . अगर आप Beti Bachao Par bhashan भी ढूंढ रहे है तो आपके लिए ये आर्टिकल बहुत उपयोगी हो सकता है
Beti Bachao Par bhashan / बेटी बचाओ पर भाषण No .2
सबसे पहले, यहाँ उपस्थित सभी आदरणीय महानुभावों, अध्यापकों, अध्यापिकाओं और मेरे प्यारे सहपाठियों को मेरा नम्र सुप्रभात। इस विशेष अवसर पर, मैं बेटी बचाओ विषय पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ।
भारतीय समाज में, प्राचीन काल से ही बेटी को एक शाप माना जाता रहा है। यदि हम अपने आप सोचें तो एक सवाल उठता हैं कि कैसे एक बेटी शाप हो सकती है? जवाब बहुत ही साफ और तथ्यों से भरा हुआ है, कि एक लड़की के बिना, एक लड़का इस संसार में कभी जन्म नहीं ले सकता।
तो फिर लोग क्यों महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बहुत सी हिंसा करते हैं? तब फिर वे क्यों एक बालिका को जन्म से पहले माँ के गर्भ में ही मार देना चाहते हैं? लोग क्यों लड़कियों का कार्यस्थलों, स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों या घरों में बलात्कार और यौन शोषण करते हैं? लड़कियों पर क्यों तेजाब से हमला किया जाता है? और क्यों वह लड़की आदमी की बहुत सी क्रूरताओं का शिकार है?
यह बहुत स्पष्ट है कि, एक लड़की हमेशा समाज के लिए आशीर्वाद रही है और इस संसार में जीवन की निरंतरता का कारण है। हम बहुत से त्योहारों पर विभिन्न देवियों की पूजा करते हैं जबकि, अपने घरों में रह रही महिलाओं के लिए थोड़ी सी भी दया महसूस नहीं करते। वास्तव में, लड़कियाँ समाज का आधार स्तम्भ होती हैं। एक छोटी बच्ची, एक बहुत अच्छी बेटी, बहन, पत्नी, माँ, और भविष्य में और भी अच्छे रिश्तों का आधार बन सकती है।
यदि हम उसे जन्म लेने से पहले ही मार देंगे या जन्म लेने के बाद उसकी देखभाल नहीं करेंगे तब हम कैसे भविष्य में एक बेटी, बहन, पत्नी या माँ को प्राप्त कर सकेंगे। क्या हम में से किसी ने कभी सोचा है कि क्या होगा यदि महिला गर्भवती होने, बच्चे पैदा करने या मातृत्व की सभी जिम्मेदारियों को निभाने से इंकार कर दे। क्या आदमी इस तरह की सभी जिम्मेदारियों को अकेला पूरा करने में सक्षम है।
यदि नहीं; तो लड़कियाँ क्यों मारी जाती हैं?, क्यों उन्हें एक शाप की तरह समझा जाता है, क्यों वो अपने माता-पिता या समाज पर बोझ हैं? लड़कियों के बारे में बहुत से आश्चर्यजनक सत्य और तथ्य जानने के बाद भी लोगों की आँखें क्यों नहीं खुल रही हैं।
आजकल, महिलाएं घर के बाहर मैदानों में आदमी से कंधे से कंधे मिलाकर घर की सभी जिम्मेदारियों के साथ काम कर रही हैं। यह हमारे लिए बहुत शर्मनाक है कि आज भी लड़कियाँ बहुत सी हिंसा का शिकार हैं, जबकि तब उन्होंने अपने आपको इस आधुनिक युग में जीने के लिए ढाल लिया है।
हमें समाज में पुरुष प्रधान प्रकृति को हटाते हुये कन्या बचाओ अभियान में सक्रियता से भाग लेना चाहिये। भारत में, पुरुष स्वंय को शासन करने वाला और महिलाओं से बेहतर मानते हैं, जो लड़कियों के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा को जन्म देता है। कन्या को बचाने के लिए माता-पिता की सोच बदलना ही पहली जरुरत है। उन्हें अपनी बेटियों के पोषण, शिक्षा, जीवन शैली, आदि की उपेक्षा रोकने की जरूरत है।
उन्हें अपने बच्चों को एक समान मानना चाहिये चाहे वो बेटी हो या बेटा। यह माता-पिता की लड़की के लिए सकारात्मक सोच ही है जो भारत में पूरे समाज को बदल सकती है। उन्हें उन अपराधी डॉक्टरों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिये जो कुछ पैसे प्राप्त करने के लालच में बेटी को मां के गर्भ में जन्म लेने से पहले ही मार देते हैं। सभी नियमों और कानूनों को उन लोगों के (चाहे वे माता-पिता, डॉक्टरों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों, आदि हों) खिलाफ सख्त और सक्रिय होना चाहिये जो लड़कियों के खिलाफ अपराध में शामिल हैं।
केवल तभी, हम भारत में अच्छे भविष्य के बारे में सोच और उम्मीद कर सकते हैं। महिलाओं को भी मजबूत होना पड़ेगा और अपनी आवाज उठानी पड़ेगी। उन्हें महान भारतीय महिला नेताओं जैसे; सरोजनी नायड़ू, इंदिरा गाँधी, कल्पना चावला, सुनिता विलियम्स आदि से सीख लेनी होगी। इस संसार में महिलाओं के बिना सब-कुछ अधूरा है जैसे; आदमी, घर और स्वंय एक संसार। इसलिए मेरा/मेरी आप सभी से नम्र निवेदन है कि कृपया आप सभी स्वंय को कन्या बचाओ अभियान में शामिल करें।
भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने कन्या बचाओ पर अपने भाषण में कहा था कि, “भारत का पीएम आपसे बेटियों के लिए भीख मांग रहा है”। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं” (अर्थात् छोटी बालिकाओं के जीवन को बचाकर उन्हें पढ़ाना) अभियान शुरु किया। यह अभियान उनके द्वारा समाज में कन्या भ्रूण हत्या के साथ ही महिला सशक्तिकरण के बारे में शिक्षा के माध्यम से जागरुकता फैलाने के लिए शुरु किया गया। ये कुछ वो तथ्य हैं, जो हमारे प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने अपने भाषण में कहे थे:
“देश का प्रधानमंत्री बेटियों का जीवन बचाने के लिए आपसे भीख मांग रहा है”।
“कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के पास में, प्रिंस नाम का लड़का एक कुएं में गिर गया, और पूरे राष्ट्र ने उसके बचाव कार्य को टीवी पर देखा। एक प्रिंस के लिए पूरे देश ने एकजुट होकर प्रार्थना की, लेकिन बहुत सी लड़कियों के मारे जाने पर हम कोई प्रतिक्रिया नहीं करते।”
“हम 21वीं सदी के नागरिक कहलाने योग्य नहीं है। यह इसलिए क्योंकि हम 18वीं शताब्दी के हैं – उस समय, और लड़की के जन्म के तुरन्त बाद ही उसे मार दिया जाता था। हम आज उससे भी बदतर हैं, हम तो लड़की को जन्म तक नहीं लेने देते और उसे जन्म से पहले ही मार देते हैं।”
“लड़कियां लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं। यदि हमें सबूत चाहिये तो परीक्षा परिणामों को देखो।”
“लोगों को पढ़ी-लिखी बहू चाहिये लेकिन एक बार ये तो सोचो कि बिना बेटियों को पढ़ाये, यह कैसे संभव है?”
धन्यवाद।
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Beti Bachao Par bhashan / बेटी बचाओ पर भाषण No .2
आदरणीय अध्यापक, मेरे प्यारे मित्रों और यहाँ उपस्थित अन्य सभी लोगों को सुप्रभात। मैं इस अवसर पर बेटी बचाओ विषय पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। मैं अपने सभी कक्षा अध्यापकों का/की बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे यहाँ, आप सभी के सामने इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार रखने की अनुमति दी। बेटी बचाओ अभियान भारत सरकार द्वारा लोगों का ध्यान बेटियों को बचाने की ओर आकर्षित करने के लिए शुरु किया गया, सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण जागरुकता कार्यक्रम है।
भारत में महिलाओं और बेटियों की स्थिति हम सभी के सामने बिल्कुल स्पष्ट है।
अब यह और अधिक नहीं छुपा है कि कैसे लड़कियाँ हमारे देश से दिन प्रति दिन कम हो रहीं है। पुरुषों की तुलना में उनके अनुपातिक प्रतिशत में गिरावट आयी है जो कि बहुत गंभीर मुद्दा है। लड़कियों का गिरता हुआ अनुपात समाज के लिए खतरा है और इसने पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता को संदेह में ला दिया है।
बेटी बचाओ के अभियान को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने एक अन्य अभियान बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को शुरु किया है।
भारत प्रत्येक क्षेत्र में वृद्धि करता हुआ देश है। यह आर्थिक, शोध, तकनीकी और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में तेजी से बढ़ता देश है। यहाँ तक कि देश में इस तरह के विकास की प्रगति के बाद भी, लड़कियों के खिलाफ हिंसा आज भी व्यवहार में है। इसकी जड़े इतनी गहराई में हैं, जो समाज से पूरी तरह बाहर किये जाने में बाधा उत्पन्न कर रही है। लड़कियों के खिलाफ हिंसा बहुत ही खतरनाक सामाजिक बुराई है।
कन्या भ्रूण हत्या का मुख्य कारण देश में तकनीकी सुधार जैसे; अल्ट्रासाउंड, लिंग परीक्षण, स्कैन परीक्षण और उल्ववेधन, आनुवंशिक असामान्यताओं का पता लगाना, आदि है। इस तरह की तकनीकी ने सभी अमीर, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को भ्रूण के परीक्षण का रास्ता प्रदान किया है और लड़की होने की स्थिति में गर्भपात करा दिया जाता है।
सबसे पहले उल्वेधन (एम्निओसेंटेसिस) का प्रयोग (1974 में शुरु किया गया था) भ्रूण के विकास में असमानताओं का परीक्षण करने के लिए किया जाता था हालांकि, बाद में बच्चे के लिंग (1979 में अमृतसर, पंजाब में शुरु किया गया) का पता लगाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाने लगा।
जबकि, यह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा निषिद्ध किया गया था, लेकिन यह निषिद्ध होने से पहले ही बहुत सी लड़कियों को जन्म से पहले नष्ट कर चुका था।
जैसे ही इस परीक्षण के फायदे लीक हुये, लोगों ने इसे अपनी केवल लड़का पाने की चाह को पूरा करने और अजन्मी लड़कियों को गर्भपात के माध्यम से नष्ट करने के द्वारा प्रयोग करना शुरु कर दिया।
कन्या भ्रूण हत्या, भ्रूण हत्या, उचित पोषण की कमी आदि भारत में लड़कियों की संख्या में कमी होने का मुख्य मुद्दा है। यदि गलती से लड़की ने जन्म ले भी लिया तो उसे अपने माता-पिता, परिवार के अन्य सदस्यों और समाज द्वारा अन्य प्रकार के भेदभावों और उपेक्षा का सामना करना पड़ता था जैसे; बुनियादी पोषण, शिक्षा, जीवन स्तर, दहेज हत्या, दुल्हन को जलाना, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, बाल उत्पीड़न, आदि।
हमारे समाज में महिलाओं के खिलाफ हो रही सभी प्रकार की हिंसा को व्यक्त करना दुखद है। भारत वो देश है जहां महिलाओं की पूजा की जाती है और उन्हें माता कहा जाता है, तो भी आज तक विभिन्न तरीकों से पुरुषों द्वारा शासित हैं।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 7,50,000 कन्याओं के भ्रूण का वार्षिक गर्भपात कराया जाता है विशेषरुप से पंजाब और हरियाणा में। यदि कन्या गर्भपात की प्रथा कुछ साल और प्रचलन में रही, तो हम निश्चितरुप से माताओं के बिना दिन देखेंगे और इस तरह कोई जीवन नहीं होगा।
आमतौर पर हम भारतीय होने पर गर्व करते हैं लेकिन किस लिए, कन्या भ्रूण हत्या और लड़कियों के खिलाफ हिंसा करने के लिए। मेरा मानना है, हम तब गर्व से खुद को भारतीय कहने का अधिकार रखते हैं जबकि महिलाओं का सम्मान करें और बेटियों को बचायें। हमें अपने भारतीय होने की जिम्मेदारी को समझना चाहिये और बुरे अपराधों पर बेहतर रोक लगानी चाहिये।
धन्यवाद।
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Speech on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi No. 1
सभी को सुबह की नमस्ते। मेरा नाम…..Koi Bhi Naam Likh Sakte………..है। मैं कक्षा…..9….पढ़ता/पढ़ती हूँ। मैं यहाँ इस अवसर पर, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना लड़कियों के जीवन को बचाने और उन्हें पढ़ाने के लिए पूरे भारत में चलाया जाने वाला अभियान है।
ये भारत की सरकार द्वारा भारत में जागरुकता फैलाने के साथ-साथ लड़कियों की कल्याण सेवाओं की क्षमता में सुधार लाने के लिए चलायी जाने वाली योजना है। भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी, ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के अन्तर्गत सुकन्या समृद्धि योजना (21 जनवरी 2015) को शुरु किया था। सुकन्या समृद्धि योजना इस अभियान का समर्थन करने के साथ ही बेटी पर आवश्यक खर्चों जैसे: स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा और शादी आदि को सफलता पूर्वक पूरा करने के लिए शुरु की गई थी।
बेटियों के जीवन के लिए ये योजना एक अच्छी शुरुआत है क्योंकि ये भारत की सरकार के कुछ प्रभावशाली प्रयासों को शामिल करती है। ये अभी तक की सर्वश्रेष्ठ योजना है क्योंकि ये वार्षिक आधार पर इस छोटे से निवेश के माध्यम से माता-पिता की परेशानियों को कम करने के साथ ही वर्तमान और भविष्य में जन्म लेने वाली लड़कियों के जीवन को बचाती है। ये परियोजना 100 करोड़ की प्रारम्भिक राशि के साथ शुरु हुई है।
गृह मंत्रालय ने इस योजना के अन्तर्गत बड़े शहरों में भी महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए 150 करोड़ रुपये खर्च करने की सूचना दी है। इस योजना का निर्माण और प्रारंभ बेटियों से संबंधित कुछ भयकंर सामाजिक मुद्दों के स्तर और प्रभाव को कम करने के लिए किया गया है।
1991 की जनगणना के अनुसार, भारत में लड़कियों की संख्या (0-6 आयु वर्ग की) 1000 लड़कों पर 945 थी। 2001 की जनगणना के दौरान ये घटकर 1000 लड़कों पर 927 लड़कियाँ और 2011 में 1000 लड़कों पर 918 लड़कियाँ हो गई थी। इस सन्दर्भ में, भारत को 2012 में, यूनीसेफ द्वारा 195 देशों में से 41वाँ स्थान दिया गया था। लड़कियों की संख्या में इतनी बड़ी गिरावट देश में महिला सशक्तिकरण की कमी का सूचक है।
लड़कियों की संख्या में भारी कमी के मुख्य कारण जन्म से पूर्व भेदभाव, चयनात्मक लिंग आधारित परीक्षण, लैंगिक असमानता, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार आदि सामाजिक मुद्दे हैं।
इस योजना को शुरु करने पर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से कन्या भ्रूण हत्या का उन्मूलन करने और बेटियों की भलाई के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का अनुसरण करने को कहा। ये कार्यक्रम पी.एम. मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को शुरु किया गया था। ये सर्वप्रथम पानीपत, हरियाणा में शुरु किया गया था।
देश में लड़कियों की निरंतर कम होती लैंगिक प्रवृति ने इस कार्यक्रम को शुरु करना बहुत आवश्यक बना दिया था। इस योजना के उद्देश्य हैं:
बेटियों के जीवन की रक्षा, सुरक्षा और उच्च शिक्षा को सुनिश्चित करना।
उच्च शिक्षा और सभी कार्यक्षेत्रों में समान भागीदारी के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को सुनिश्चित करना।
लिंग आधारित चयनात्मक परीक्षण का उन्मूलन करके बेटियों की रक्षा करना।
पूरे भारत में कन्याओं के स्तर को ऊँचा उठाना, विशेषतः 100 प्रमुख चुने गए जिलों में (जिनकी सी.एस.आर. कम है)।
लड़कियों के कल्याण के लिए एक साथ काम करने के लिए स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय, महिला एंव बाल विकास मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एक साथ लाना।
सभी को धन्यवाद।
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Speech on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi No -2
आदरणीय अध्यापक, अध्यापिका और मेरे प्यारे मित्रों को सुबह की नमस्ते। हम सभी यहाँ पर इस कार्यक्रम को मनाने के लिए एकत्र हुए हैं, इसलिए मैं आज बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। ये कार्यक्रम मोदी सरकार द्वारा पूरे देश में बेटियों की रक्षा और सुरक्षा के सन्दर्भ में शुरु किया गया है।
ये योजना आज के समय की तत्कालीन जरुरत थी क्योंकि देश में महिलाओं की रक्षा और सशक्तिकरण के बिना, विकास किसी भी कीमत पर संभव नहीं है।
महिलाएं देश की लगभग आधी जनसंख्या को अधिकृत करती है इसलिए वो देश की आधी शक्ति है। यही कारण है कि, उन्हें आगे बढ़ने और भारत के विकास में योगदान के लिए समान अधिकार, सुविधाओं और अवसरों की आवश्यकता है।
ये योजना माता-पिता पर बिना किसी बोझ के, भविष्य में लड़कियों की रक्षा, सुरक्षा और बेहतर शिक्षा के सन्दर्भ में है। इस अभियान का समर्थन करने के लिए, भारत की सरकार ने एक अन्य कार्यक्रम चलाया है जिसका नाम सुकन्या समृद्धि योजना है। ये योजना बेटी की किशोरावस्था में माता-पिता के बोझ को कम करने में शामिल है।
क्योंकि, इस योजना के अनुसार, माता-पिता को कुछ धन मासिक आधार पर बैंक में जमा करना पड़ता है जिसके लिए उन्हें भविष्य में लड़की की किशोरावस्था में शिक्षा या शादी के समय पर लाभ मिलेगा।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के रूप में सरकार का इस तरह का महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण निश्चित रूप से भारत में महिलाओं की स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन लयेगा। ये सरकार द्वारा पूरे योजनाबद्ध उद्देश्यों, रणनीतियों और कार्ययोजनाओं को वास्तव में प्रभावशाली बनाने के लिए शुरु किया गया है।
यह दलित लड़कियों के जीवन को बचाने और उन्हें उच्च शिक्षा के अवसर देने के लिए है जिससे कि उनका सशक्तिकरण और सभी कार्यक्षेत्रों में भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सके। इस योजना के अनुसार, लगभग 100 जिलों (जिनका सी.एस.आर. कम है) को, सबसे पहले कार्यवाही करने के लिए चुना गया है। ये योजना समाज में लैंगिक भेदभाव के बारे में जागरुकता का निर्माण करके बेटियों के कल्याण में सुधार के लिए है।
भारतीय मुद्रा की बहुत बड़ी राशि का प्रस्ताव नगरों और देश के बड़े शहरों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पारित कर दिया गया है।
ये योजना केवल सहयोग कर सकती है, हांलाकि, बेटियों की समस्याओं को पूरी तरह से हल नहीं कर सकती, इसके लिए सभी भारतीयों के सहयोग की आवश्यकता है। लड़कियों के खिलाफ अपराधों को कम करने वाले नियमों और कानूनों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिये और हिंसा के लिए भी कड़ा दंड दिया जाना चाहिये।
धन्यवाद।
Speech on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi No -3
आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षक, शिक्षिका और मेरे प्यारे सहपाठियों, सुबह की नमस्ते। मेरा नाम….Koi Bhi Naam Likh Sakte …………है। मैं कक्षा….5…..पढ़ता/पढ़ती हूँ। हम सभी यहाँ इस विशेष कार्यक्रम को मनाने के लिए इकट्ठा हुए है, आज मैं बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं विषय पर एक भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। मैं अपने कक्षा अध्यापक/अध्यापिका का/की बहुत आभारी हूँ, जिन्होंने इस महान अवसर पर आप सभी के सामने मुझे इस अच्छे विषय पर भाषण देने का अवसर प्रदान किया।
मेरे प्यारे मित्रों, जैसा कि हम सभी, भारतीय समाज में लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के बारे में बहुत अधिक जानते हैं, ये योजना उन्हें समर्थन देने और समाज में बिना किसी भेदभाव के एक सामान्य जीवन जीने के, उनके जन्म के अधिकार के साथ सशक्त बनाने के लिए है। ये योजना बाल लिंग अनुपात में निरंतर हो रही गिरावट की प्रवृति के उन्मूलन के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकता थी।
0-6 वर्ष की आयु समूह की लड़कियों की संख्या लगातार कम हो रही है, 1991 की जनगणना के अनुसार 1000 लड़को के अनुपात में 945 लड़कियाँ थी, 2001 में 1000 लड़को के अनुपात में 927 लड़कियाँ थी और 2011 में 1000 लड़को के अनुपात में 918 लड़कियाँ थी। ये भारत की सरकार के लिए हल करने के लिए तेजी से बढ़ता खतरा है।
ये योजना लड़कियों की संख्या कम होने के खतरे के सन्दर्भ में आया परिणाम है। ये खतरा देश में कुल महिला सशक्तिकरण की कमी का सूचक था। बाल लिंग अनुपात में कमी के कारण जन्म से पहले भेदभाव, चयनात्मक लिंग परीक्षण और उन्मूलन, जन्म के बाद भेदभाव, अपराध आदि है।
22 जनवरी 2015 को, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना, भारतीय सरकार द्वारा, देश में लड़कियों की कम होती संख्या के मुद्दे को, संबोधित करते हुए शुरु की गई थी।
ये विशेष रूप से कम सीएसआर वाले 100 चयनित जिलों के साथ ही पूरे देश में मुख्य लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शुरू किया गया एक राष्ट्रीय अभियान है। ये स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा समर्थित एक संयुक्त पहल है।
इस अभियान का मुख्य लक्ष्य पूरे भारत में बेटियों के जीवन की रक्षा करना और उन्हें पढ़ाना है। इसके अन्य उद्देश्य पक्षपातपूर्ण सेक्स चयनात्मक गर्भपात को नष्ट करने और बालिकाओं के जीवन और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। ये उन्हें उचित शिक्षा और सुरक्षित जीवन जीने के योग्य बनाने के लिए है।
लगभग 100 जिलों में, जो कन्या लिंग अनुपात में कम है (2011 की जनसंख्या के अनुसार), इस अभियान को बेहतर बनाने और सकारात्मक प्रभावों को लाने के लिए चुने गए हैं। इस योजना को प्रभावशाली बनाने के लिए बहुत सी रणनीतियों का अनुसरण की आवश्यकता है।
लड़कियों को बराबर महत्व देने और उनकी शिक्षा के लिए सामाजिक गतिशीलता और तीव्र संचार की आवश्यकता है। कम सीएसआर वाले जिलों की हालत में बेहतर सुधार करने के लिए, सबसे पहले लक्षित किया जाना चाहिए।
इस सामाजिक बदलाव के लिए सभी नागरिकों विशेषरुप से युवाओं और महिलाओं के समूह को, इसके अन्त के लिए जागरुक, प्रशंसा और समर्थन करने की आवश्यकता है।
ये देश व्यापी अभियान लोगों के बीच में लड़कियों को बचाने और पढ़ाने की जागरुकता को बढ़ाने के लिए शुरु किया गया है। इसका उद्देश्य लड़कियों का जन्म, पोषण और शिक्षा को बिना किसी भेदभाव के किया जा रहा है या नही, सुनिश्चित करना है। ये उन्हें समान अधिकार देकर इस देश की लगभग आधी आबादी को सशक्त बनाने के लिए है।
इस अभियान के लिए सी.एस.आर. के मुद्दे पर त्वरित प्रभाव के लिए राष्ट्रीय, राज्य, जिला और समुदाय स्तर पर लोगों और विभिन्न हितधारकों के हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
धन्यवाद।
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