आज का टॉपिक सभी के लिए जुड़ा हुवा है क्योकि हर किसी का कोई पसंद का Teacher होता है जिसकी हर बात को मानते है आज हम आपको Teachers Day के उप्पेर Speech देंगे जो आप अपने स्कूल या किसी फंशन में बोल सकते है। हम सभी के जीवन में शिक्षक दिवस का बहुत ज्यादा महत्व है।आईये पढ़ते है Teachers Day Speech Essay in Hindi
Teachers Day Speech Essay in Hindi
आदरणीय अध्यापकों और मेरे प्यारे मित्रों को सुप्रभात। आज हम सब शिक्षक दिवस मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं में आशा करता हु ही आप सभी मेरे भाषण को ध्यान से सुनेगे और मेरे से कोई गलती हो जाये तो मुझे माफ़ करंगे। शिक्षक दिवस (टीचर्स डे) भारत में हर वर्ष 5 सितंबर को डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस के अवसर पर मनाया जाता है। परंतु यह दिवस केवल भारत में ही नहीं मनाया जाता है, अपितु शिक्षक के प्रति आदर-भाव को प्रकट करने के लिए दुनिया के लगभग सभी देशों में अलग-अलग तिथि को मनाया जाता है। अमेरिका में मई के पहले मंगलवार को ‘नेशनल टीचर्स डे’ मनाया जाता है।
इसलिए वहाँ शिक्षक दिवस के लिए कोई निश्चित तारीख नहीं है। इसी प्रकार चीन में शिक्षक दिवस एक सितंबर को होता है, और ब्रुनेई में हर साल 23 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वेनेजुएला में 15 जनवरी को, कोरिया में 15 मई को और ताइवान में 28 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। हम जानते हैं कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षा, मर्मज्ञता एवं शिक्षाप्रेम के कारण मनाया जाता है।
इस दिन विद्यालय का कार्यभार बच्चों के सुपुर्द कर दिया जाता है और बच्चे शिक्षक बनकर एक शिक्षक का कार्य निर्वाह करते हैं। सादा जीवन बिताने वाले डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर1888 को मद्रास के तिरूतणी नामक गाँव में हुआ था।
उन्होंने छात्र जीवन में आर्थिक संकटों का सामना करते हुए कभी हिम्मत नहीं हारी थी। डॉ. राधाकृष्णन भाग्य से अधिक कर्म में विश्वास करते थे। वह दर्शनशास्त्र के अध्यापक थे। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया था। सन् 1952 में वे देश के उपराष्ट्रपति चुने गए और दस वर्ष तक उपराष्ट्रपति के पद पर रहेफिर 12 मई1962 में वे भारत के राष्ट्रपति चुने गए इसी दौरान चीन के आक्रमण के समय उन्होंने अद्भुत धैर्य और साहस का परिचय देते हुए संकटकालीन परिस्थिति की घोषणा की।
शिक्षक, दार्शनिक, नेता और एक विचारक के रूप में समान रूप से सफल होने वाले डॉ. राधाकृष्णन मूलत शिक्षक थे। अपने जीवन के 40 वर्ष उन्होंने अध्यापन कार्य में व्यतीत किए सादा जीवन जीने वाले डॉ. राधाकृष्णन को बच्चे विशेष प्रिय थे।
बच्चे चाहे शोर करें या चीजें तोड़फोड़ेंवे उन्हें कुछ नहीं कहते थे; परंतु उनकी पुस्तकें कोई छेड़े या फाड़ेयह उन्हें सख्त नापसंद था। स्वाधीन भारत के सामने जब उच्च शिक्षा की नवीन व्यवस्था की स्थापना का प्रश्न उठा तब तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना आज़ाद ने शिक्षा आयोग की नियुक्ति की योजना बनाई। उस समय शिक्षा आयोग का अध्यक्ष डॉ. राधाकृष्णन को ही बनाया गयाइस पद हेतु सबसे उपयुक्त वही व्यक्ति थे।
सन् 1950 में शिक्षा आयोग की रिपोर्ट प्रकाशित हुई और आज भी भारत की शिक्षा व्यवस्था का आधार वही रिपोर्ट बनी हुई है। इस प्रकार देश की सेवा करते हुए 16 अप्रैल1975 को डॉ. राधाकृष्णन का देहावसान हो गया। भारत क अलावा पश्चिमी देशों तक में भारतीय ज्ञान का प्रभुत्व स्थापित करने वाले डॉ. राधाकृष्णन का नाम उदभट शिक्षाशास्त्री के रूप में सदैव अमर रहेगा।
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भूमिका :
शिक्षक वह व्यक्ति होता है जो हमें किताबी ज्ञान के साथ-साथ अच्छे-बुरे का भी ज्ञान कराता है। भारतवर्ष में हमेशा ही गुरुओं को ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। शिक्षक-दिवस भी गुरुओं के सम्मान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
परिचय :
हमारे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस अर्थात् 5 सितम्बर को हर वर्ष भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। वे एक महान अध्यापक थे। शिक्षक दिवस शिक्षकों का खोया सम्मान वापस दिलाने एवं शिक्षकों को यह अहसास दिलाने के लिए मनाया जाता है कि यह कोई व्यवसाय नहीं है, अपितु शिक्षा देना तो एक धर्म है, जिसका जीता-जागता उदाहरण हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति थे।
शिक्षक दिवस को मनाने की विधि :
इस दिन विद्यालयों तथा कॉलेजों में सभाओं तथा गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। विद्यार्थियों को शिक्षकों को मान-सम्मान देने की प्रेरणा दी जाती है। अनेक विद्यालयों में तो इस दिन छात्र ही अध्यापन कार्य करते हैं। इसके पीछे यह विचार होता है कि हमारे युवाओं को भी इस क्षेत्र में आगे आना चाहिए क्योंकि शिक्षा देने से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
शिक्षक दिवस को मनाने का प्रयोजन :
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य राष्ट्र निर्माता शिक्षक को उचित आदर दिलाना है। इस दिन प्रांतीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर योग्य तथा आदर्श शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। इस बात से अन्य अध्यापकों को भी उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा मिलती है। शिक्षक दिवस को मनाने के प्रति आज पूरे समाज में एक जागृति सी आ चुकी है। विद्यार्थी भी इस दिवस को पूरे उत्साह से मनाने के लिए कई दिनों पहले तैयारियों में जुट जाते हैं। यदि हम इसी तरह इस दिवस को मनाते रहेंगे तो शिक्षकों को अपना खोया हुआ सम्मान अवश्य वापस मिल जाएगा।
लेकिन आज शिक्षकों की छवि खराब होती जा रही है। उन्होंने विद्या-अध्यापन को पैसा कमाने का व्यवसाय समझ लिया है, जो सही नहीं है। आज शिक्षक विद्यार्थियों के अच्छे भविष्य के स्थान पर पैसे को अधिक महत्व देते हैं, वही छात्र भी शिक्षकों को वह आदर-सम्मान नहीं देते जो प्राचीन काल में उन्हें मिलता था।
परन्तु क्या कभी हमने सोचा है कि विद्यार्थियों के बीच शिक्षकों की छवि खराब होने का क्या कारण है? क्यों आज के विद्यार्थी अपने अध्यापकों को अपना आदर्श नहीं मानते? उत्तर साफ है-उनका राजनीति में प्रवेश करके गन्दे खेल खेलना, पैसा कमाने के लिए विद्यार्थियों के भविष्य का भी ध्यान न रखना। आज हम कितने ही अखबारों में अध्यापकों के दुश्चरित्र के बारे में पढ़ते हैं, इन्हीं सब बातों से हमारा विश्वास डगमगा रहा है। परन्तु यदि हम सच्चे मन से, सादगी से तथा राजनीति से हटकर इस गुरु विद्यार्थी के रिश्ते को अपनाएँ तो मात्र कुछ खराब शिक्षकों के हमारा समाज उच्च गुरुओं से भरा पड़ा है जिसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन है।
Happy Teachers day sir. Thanks for share with us.