पेड़ों का महत्व निबन्ध Essay on Trees in Hindi @ 2018

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हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Trees in Hindi पर पुरा आर्टिकल। पेड़ों का हमारे जीवन बहुत ज्यादा उपयोग है अगर हम चाहते है की ये धरती इंसान के रहने लायक बनी रहे तो हमें इससे अधिक से अधिक पेड़ों से सजाना होगा। आज हम आपके लिए लाये है आज हम आपको Trees के बारे में कुछ ऐसी बातें बातयंगे जिससे आपको Trees के बारे में बहुत कुछ पता चेलगा।

इस आर्टिकल में हम ताजमहल के अलग अलग तरह के essay लिख रहे हो आपको ताजमहल को समझने में बहुत मदद करंगे।

 

पेड़ों का महत्व निबन्ध Essay on Trees in Hindi

पेड़ों का महत्व निबन्ध Essay on Trees in Hindi @ 2018 1

वृक्षारोपण का शाब्दिक अर्थ है – वृक्ष लगाकर उन्हें उगाना । इसका प्रयोजन है प्रकृति के सन्तुलन को बनाए रखना। मानव के जीवन को सुखीसमृद्ध व सन्तुलित बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण का अपना विशेष महत्व है। मानव सभ्यता का उदय तथा इसका आरम्भिक आश्रय भी प्रकृति अर्थात् वन-वृक्ष ही रहे हैं। मानव को प्रारम्भ से प्रकृति द्वारा जो कुछ प्राप्त होता रहा है उसे निरन्तर प्राप्त करते रहने के लिए वृक्षारोपण अति आवश्यक है।

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मानवसभ्यता के उदय के आरम्भिक समय में वह वनों में वृक्षों पर या उनसे ढकी कन्दराओं में ही रहा करता था। वह (मानव) वृक्षों से प्राप्त फलफूल आदि खाकर या उसकी डालियों को हथियार के रूप में प्रयोग करके पशुओं को मारकर अपना पेट भरा करता था। वृक्षों की छाल को वस्त्रों के रूप में प्रयोग करता था। यहाँ तक कि ग्रन्थ आदि लिखने के लिए जिस सामग्री का प्रयोग किया जाता था वे भोजपत्र अर्थात् विशेष वृक्षों के पत्ते ही थे।

मानवसभ्यता के विकास के साथ जब मानव ने गुफाओं से बाहर निकल कर झोंपड़ियों का निर्माण आरम्भ किया तो उसमें भी वृक्षों की शाखाएँ व पत्ते ही काम आने लगे। आज भी जब कुर्सी, मेजसोफा सैटरैक आदि का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। ये भी मुख्यतः लकड़ी से ही बनाए जाते हैं। अनेक प्रकार के फलफूल और औषधियाँ भी वृक्षों से ही प्राप्त होती हैं। व जिससे हमें जल | व पेय जल प्राप्त होते हैं वह भी प्रायः वृक्षों के अधिक होने पर ही निर्भर करती है। इसके विपरीत यदि हम वृक्ष-शून्य की स्थिति की कल्पना करें तो उस स्थिति में मानव तो क्या समूची जीव-सृष्टि की दशा ही बिगड़ जाएगी। इस स्थिति से बचने के लिए वृक्षारोपण करना अत्यन्त आवश्यक है।

आजकल नगरों तथा महानगरों में छोटे बड़े उद्योग-धन्धों की बाढ़-सी आती | जा रही है। इनसे धुआं, तरह-तरह की विशैली गैसें आदि निकलकर वायुमण्डल में फैलकर हमारे पर्यावरण में भर जाते हैं। पेड़पौधे इन विप्रैली गैसों को वायुमण्डल में फैलने से रोककर पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकते हैं। यदि हम चाहते हैं। कि हमारी यह धरती प्रदूषण-रहित रहे तथा इस पर निवास करने वाला मानव सुखी व स्वस्थ बना रहे तो हमें पेड़पौधों की रक्षा तथा उनके नवरोपण की ओर ध्यान देना चाहिए।

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पर्यावरण को जीवन्त बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है। बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिक विकास की होड़ में जिस प्रकार जंगलों का विनाश किया गया है और किया जा रहा है, उससे समस्त धरा असुरक्षित हो गई है। अतः धरती पर जीवन को सुरक्षित बनाने के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है। हमारे यहां प्राचीन काल से ही वनों की सुरक्षा और वृक्षारोपण को धार्मिक भावनाओं से जोड़ दिया गया । वट-सावित्री पूजनएकादशी को आंवले के नीचे भोजन करना, पीपल की पूजा आदि प्राचीन विधियां वनों को सुरक्षित रखने और वृक्षारोपण को प्रश्रय देने के लिए की गई थी।

वृक्षारोपण से वन-सम्पदा में वृद्धि होती हैं । इससे अनेक लाभ है जलावनघर के किवाड़, खिड़की, धरन और अन्य उपयोगी सामान इसी से प्राप्त होते हैं । अनेक वृक्षों के छाल और पत्ते उद्योग धन्धों को चलाने के काम आते हैं। बबूल की छालहां-बहेरा और आंवला चमड़ा बनाने के काम में भी आता है। रबर, रेशम आदि वृक्ष से ही प्राप्त होते हैं। भारतवर्ष के अधिकांश हिस्सों में आज भी जलावन के लिए लकड़ी का ही व्यवहार किया जाता है।

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वृक्षारोपण न केवल हमारे गाईंस्थ्य जीवन का आधार है, बल्कि यह वायु मंडल को नियंत्रित करने में भी सहायक है। वृक्ष ऑक्सीजन का सर्वप्रमुख माध्यम है। यह हमें ऑक्सीजन प्रदान कर वायुमंडल में कार्बनडाई -ऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रित करता है । साथ ही यह हमें छाया प्रदान करने के साथ-साथ पशु-पक्षियों को खाद्य और आश्रय प्रदान करता है। जंगलों के विनाश से बाढ़ का प्रकोप बढ़ा है । इसे वृक्षारोपण द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। वृक्ष (जंगलमिट्टी का क्षरण रोककर बाढ़ की विनाशलीला से हमारी रक्षा करता है। कहा जाता है कि रोम और बेवालीन के पतन के कारणों में जंगलों का विनाश भी था। जंगल के अभाव में बड़ेबड़े उपजाऊ प्रदेश रेगिस्तान में बदल गये।

वृक्षारोपण से मिट्टी में जलधारण की क्षमता बढ़ती है जिससे अनेक लाभ हैं । साथ ही यह मिट्टी में जैविक पदार्थों की वृद्धि कर मिट्टी की कार्य क्षमता को बढ़ाता है। धरती को जीवन्त और उपजाऊ बनाकर हमें फलफूलअनाज आदि प्रदान करता है।

आज हमारे समक्ष उत्पन्न पर्यावरण संबंधी विभिन्न समस्याओं को भी अनुभव किया जा रहा है जिसका एक मात्र हल वृक्षारोपण है। इन समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार ने भी वृक्षारोपण योजना को प्रश्रय देने के लिए विभिन्न योजनाओं को आकार दिया है। वन-महोत्सव एक आन्दोलन की शक्ल में देखा जा रहा है। पंजाब में सिंचाई करके जंगल लगाये जा रहे हैं। अन्य प्रदेशों में भी वृक्षारोपण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

निष्कर्षत : वृक्षारोपण का जीवन पर अत्यधिक प्रभाव है। हमारा कर्तव्य है कि हम स्थायी जंगलों की रक्षा करेंसाथ ही वृक्षारोपण द्वारा नये जंगल लगाने का प्रयास करें। इससे न केवल आंधीतूफान, बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोपों से हमारी रक्षा होगी अपितु इंधन की समस्या भी दूर होगी। बंजर और व्यर्थ पड़ी भूमि को वृक्षारोपण द्वारा हम उपयोगी बना सकते हैं। वृक्षारोपण एक यज्ञा है और इस यज्ञ को पूरा करने में हमें तनमनधन से जुट जाना चाहिए।

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वृक्षों में जीवधारियों के प्राण बसते हैं। यदि वृक्षों से होनेवाले लाभों के बारे में सोचा जाए तो यह कथन पूरी तरह सही लगता है। वृक्ष जीवसमुदाय को फलफूल पत्ती, लकड़ी और अनेक प्रकार के उपयोगी द्रव्य प्रदान करते हैं। वे सुखद घनी छाया से पथिकों को आह्लादित कर देते हैं। पक्षी, वानरगिलहरी आदि जीव वृक्षों पर शरण लेते हैं। वृक्ष धरती की हरियाली एवं शोभा बढ़ाते हैं। ये प्राणवायु छोड़कर सारे संसार का भला करते हैं। ये वर्षाकारक हैं। भूमि का क्षरण और बाढ़ रोकने में वृक्षों सा मददगार कोई नहीं। वृक्षों से रबड़गोंद, लाख, दातुन, जड़ी-बूटी आदि उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं। वृक्ष समुदाय जंगली जीवों की शरणस्थली होते हैं। जंगली जीव भी पेड़-पौधों की रक्षा में अपना योगदान देते हैं। वृक्षों का मूल्य नहीं आंका जा सकता। अतएव वृक्षों का संरक्षण एवं संवर्धन बहुत आवश्यक हो जाता है। धरती पर जितने अधिक वृक्ष होंगे इसकी सुंदरता और गुणवत्ता में उतनी ही वृद्धि होगी।

 

पेड़ों का महत्व निबन्ध Essay on Trees in Hindi

 

वृक्ष प्रकृति की अनुपम देन हैंकिसी क्षेत्र विशेष में अनेक वृक्षों का समूह वन कहलाता है किसी भी देश में वन-संपदा का बेहद महत्त्व होता है। वन देश की सुंदरता बढ़ाते हैं। इनसे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। वनों से जलवायु पर भी असर पड़ता है। ये देश की सुरक्षा और समृद्धि में भी सहायक होते हैं।

वनों की इस महत्ता के कारण ही पुराने जमाने से हमारे देश में वृक्षारोपण पर बल दिया जाता रहा है। उनकी पूजा की जाती रही है। पुराणों के अनुसार, एक वृक्ष लगाने का उतना ही पुण्य मिलता है जितना दस गुणवान पुत्रों के सुयश से।

बड़े ही खेद का विषय है कि हम वनों के इस महत्त्व को भूलते जा रहे हैं। इसीलिए हम वनों को काटते जा रहे हैं।वहाँ मैदान बनाते जा रहे हैं । बस्तियाँ बसाई जा रही हैं। इसका सबसे बुरा प्रभाव यह हो रहा है कि प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगा है।

वनों से हमें अनेक लाभ होते हैं। इनसे हमें उद्योगों के लिए बहुत-सी उपयोगी सामग्री मिलती है। जलाने के लिए ईंधन मिलता है। वनों से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। वनों में अनेक पशु-पक्षियों को शरण मिलती है। सिंहहाथी, चीतेहिरण आदि जानवर वन में ही स्वच्छंद विचरण करते हैं।

वनों से ईंधन के साथ-साथ इमारती लकड़ी भी मिलती है। इसके अतिरिक्त वनों से लाखरबरगोंद भी मिलते हैं । रेशम कागज वार्निश, प्लाईवुड दिया सलाई जैसे अनेक उद्योगों के लिए कच्ची सामग्री वनों से ही मिलती है। इन चीजों के संग्रह, व्यापार, परिवहन आदि से लाखों लोग अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं।

वन भूमि का कटाव रोकने में सहायक होते हैं। ये नदियों की गति को नियंत्रित रखते हैं। वनों की बदौलत भूमि के उपजाऊ कण सुरक्षित बने रहते हैं। वन भूमिगत जल के स्रोत हैं। वनों से पर्याप्त वर्षा होने में सहायता मिलती है। इनसे धरती की उर्वरता बढ़ती है।

इसलिए हमें वनों को कटने से रोकना चाहिए। उनकी रक्षा करनी चाहिए । वनों की रक्षा के लिए ही सुंदर लाल बहुगुणा ने एक बार ‘चिपको आंदोलन चलाया था। इसके साथ-साथ हमें चाहिए कि हम अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करें। संकल्प लें कि जब भी मौका मिलेगा, हम वृक्षारोपण करेंगे।

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धर्मशास्त्रों में वृक्षारोपण को पुण्यदायी कार्य बताया गया है। इसका कारण यह है कि वृक्ष धरती पर जीवन के लिए बहुत आवश्यक ह। भारतवर्ष में आदि काल से लोग तुलसीपीपलकेला, बरगद आदि पेड़-पौधों को पूजते आए हैं। आज विज्ञान सिद्ध कर चुका है कि ये पेड़पौधे हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

 

वृक्ष पृथ्वी को हरा-भरा बनाकर रखते हैं। पृथ्वी की हरीतिमा ही इसके आकर्षण का प्रमुख कारण है। जिन स्थानों में पेड़ पौधे पर्याप्त संख्या में होते हैं, वहाँ निवास करना आनंददायी प्रतीत होता है। पेड़ छाया देते हैं। वे पशु-पक्षियों को आश्रय प्रदान करते हैं। पेड़ों पर बंदरलंगूर, गिलहरी, सर्पपक्षी आदि कितने ही जंतु बड़े आराम से रहते हैं। ये यात्रियों को सुखद छाया उपलब्ध कराते हैं। इनकी ठंडी छाया में मनुष्य एवं पशु विश्राम कर आनंदित होते हैं।
वृक्ष हमें क्या नहीं देते। फलफूलगोंद, रबड़, पत्ते, लकड़ीजड़ी-बूटी, झाडू, पंखाचटाई आदि विभिन्न प्रकार की जीवनोपयोगी वस्तुएँ पेड़ों की सौगात होती हैं। ऋषि-मुनि वनों में रहकर अपने जीवन-यापन की सभी आवश्यक वस्तुएँ प्राप्त कर लेते थे। जैसेजैसे सभ्यता बढ़ी लोग पेड़ों को काटकर उनकी लकड़ी से घर के फर्नीचर बनाने लगेउद्योगों का विकास हुआ तो कागजदियासलाई, रेल के डिब्बे आदि बनाने के लिए लोगों ने जंगल के जंगल साफ़ कर दिए। इससे जीवनोपयोगी वस्तुओं का अकाल पड़ने लगा। साथ ही साथ पृथ्वी की हरीतिमा भी घटने लगी।

वृक्षों की संख्या घटने के दुष्प्रभावों का वैज्ञानिकों ने बहुत अध्ययन किया है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि वृक्षों के घटने से वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ी है। वृक्ष वायु के प्राकृतिक शोधक होते हैं। ये वायु से हानिकारक कार्बन डायऑक्साइड का शोषण कर लाभदायक ऑक्सीजन छोड़ते हैं।

ऑक्सीजन ही जीवन है और जीवधारी उसे लेकर ही जीवित रहते हैं। अत: धरती पर वृक्षों की पर्याप्त संख्या का होना बहुत आवश्यक होता है।

 

वृक्ष वर्षा कराते हैं। ये जहाँ समूहों में होते हैं वहाँ बादलों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं। वृक्ष मिट्टी को मजबूती से पकड़े रखते हैं और इसका क्षरण रोकते हैं। ये बाढ़ और अकाल दोनों ही परिस्थितियों को रोकने में सहायक होते हैं। ये मरुभूमि के विस्तार को कम करते हैं। ये वायुमंडल के ताप को अधिक बढ़ने से रोकने में बहुत मदद करते हैं। जहाँ अधिक पेड़पौधे होते हैं वहाँ गर्मियों में शीतल हवा चलती है। इसीलिए समझदार लोग अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाने की बात करते हैं।

संतुलित पर्यावरण के लिए किसी बड़े क्षेत्र के एकतिहाई हिस्से पर वनों का होना आवश्यक माना जाता है। लेकिन वर्तमान समय में वन इस अनुपात में नहीं रह गए हैं। इसके हानिकारक परिणाम सर्वत्र दृष्टिगोचर हो रहे हैं।

अत: वर्तमान समय की आवश्यकता है कि हर कोई वृक्षारोपण करे। एक पेड़ काटा जाए तो तीन पेड़ लगाए जाएँमास का एक दिन वृक्षारोपण के लिए समर्पित हो। इस कार्य में विद्यार्थियों को सहभागी बनाया जाए। अनुर्वर भूमि पर, सड़कों के किनारे, पहाड़ी स्थलों पररिहायशी इलाकों में और जहाँ थोड़ा भी रिक्त स्थान हो, पेड़ लगा दिए जाएँ।

पेड़ बचेंगे तो जीव-समुदाय बचेगा। पेड़ रहेंगे तो लकड़ी की आवश्यकता की पूर्ति होगी और उद्योगों को कच्चा माल मिलता रहेगा। हमारी आगामी पीढ़ी को पेड़ों के अभाव में कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। पेड़ और वन होंगे तो वन्य-जीवन को आश्रय मिलता रहेगा।

दुर्लभ वन्य प्राणियों को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा इसलिए सब लोगों को पेड़ लगाने का संकल्प लेना चाहिएलोगों को वन महोत्सव और वृक्षारोपण के अभियान में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए। सरकार उन तत्वों से सख्ती से निबटे जो वृक्षों और वनों की अंधाधुंध कटाई में संलिप्त हैं।

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Written by

Romi Sharma

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