शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी कक्षा 9 ?Moral Stories in Hindi for Class 9

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हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में। आज लोग कहानियो को भूलते जा रहे है क्योकि whatsapp ,facebook की दौड में हम इन चीज़ो को खो रहे है। आज में आपके लिए लाया हु 6 शिक्षाप्रद कहानियाँ जो आपको या फिर आपके बच्चे के लिए अच्छी सीखा देगा । आप ये Moral Stories in Hindi for Class 5 से 9 तक के बच्चो के लिए उपयोग कर सकते है। आईये पढ़ते है Moral Stories in Hindi for Class 9 जो की सिर्फ आपके बच्चो के लिए लाये है।

Moral Stories in Hindi for Class 9

Moral Stories in Hindi for Class 9 no. 1 – समझदारी की बात

एक से था। उसने एक नौकर रखा। रख तो लिया, पर उसे उसकी ईमानदारी पर विश्वास नहीं हुआ। उसने उसकी परीक्षा लेनी चाही।

अगले दिन सेठ ने कमरे के फर्श पर एक रुपया डाल दिया। सफाई करते समय नौकर ने देखा। उसने रुपया उठाया और उसी समय सेठ के हवाले कर दिया।
दूसरे दिन वह देखता है कि फर्श पर पांच रुपए का नोट पड़ा है। उसके मन में थोड़ा शक पैदा हुआ। हो-न-हो सेठ उसकी नीयत को परख रहा है। बात आई पर उसने उसे तूल नहीं दिया। पिछली बार की तरह नोट उठाया और बिना कुछ कहे सेठ को सौंप दिया।

वह घर में काम करता था, पर सेठ की निगाह बराबर उसका पीछा करती थी। मुश्किल से एक हफ्ता बीता होगा कि एक दिन उसे दस रुपए का नोट फर्श पर पड़ा मिला।

उसे देखते ही उसके बदन में आग लग गई। उसने सफाई का काम वहीं छोड़ दिया और नोट को हाथ में लेकर सीधा सेठ के पास पहुंचा और बोला “लो संभालो अपना नोट और घर में रखो अपनी नौकरी तुम्हारे पास पैसा है, पर सेठ यह समझने के लिए कि अविश्वास से विश्वास नहीं पाया जा सकता पैसे के अलावा कुछ और चाहिएवह तुम्हारे पास नहीं है।

मैं ऐसे घर में काम नहीं कर सकता।” सेठ उसका मुंह ताकता रह गया। वह कुछ कहता कि उससे पहले ही वह नौजवान घर से बाहर जा चुका था।

इस कहानी से ये बात बहुत हद तक साबित होती है कि विश्वास पर दुनिया कायम है लेकिन शक विश्वास का सबसे बड़ा दुश्मन होता है।

 

Moral Stories in Hindi for Class 9 no. 2 मग और बिल्ली

एक बार एक बहुत चालाक मुर्गी थी। एक दिन वह बीमार पड़ गई और अपने घोंसले में पड़ी थी। तभी एक बिल्ली उसे देखने आईउसके घोंसले में घुसकर बिल्ली बोली,
“मेटी दोतक्या हुआ तुम्हें ? क्या तुम्हारी कोई मदद कर सकती हूंतुम्हें कुछ चाहिए हो तो बताओ, मैं ला इंगी। अभी तुम्हें कुछ चाहिए क्या ? ” मुर्सी ने बिल्ली की प्यार भरी बातें सुनं।

उसे खतरे का आभास हो गया। वह बोली, “हाँ, बिलकुल। मेरे लिए एक काम कर दो। यहाँ से चली जाओ।

मैं बीमार हूं और किसी अनचाहे मेहमान को बुलाकर कोई खतरा नहीं उठाना चाहती।”

 

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Moral Stories in Hindi for Class 9 no. 3  बूढ़ा बाघ और लालची राहगीर

एक बाघ बूढ़ा होने के कारण काफी कमजोर हो गया था। उसमें इतनी शक्ति भी नहीं बची थी कि वह अपने लिए कोई शिकार कर सके। उसे एक सोने का कंगाज मिला। कंगाज लेकर वह कीचड़ में खड़ा हो गया और चिल्लाने लगा, “देखो, देखो! मेरे पास आओ और सोने का यह सुंदर कंगन ले लो।”

एक राहगीर वहाँ से गुजरा तो लालच में आकट रुक गया। उसे बाघ के पास जाने में डर भी लग रहा था। “मैं तुम्हारा विश्वास कैसे करें ?” उसने दूर से ही बाघ से पूछा।
“अगर मैं कंगज लेते तुम्हारे पास आया तो तुम मुझे खा जाओगे।”

बाव के जवाब दिया, “मैं हमशा लोगों को मारता रहा, लेकिन अब मैं सुधर गया हूं। और भलाई का जीवन बिता रहा हूं। लोगों को दान करने में मुझे सुख मिलता है।” राहगीर
उसकी बातों में आ गया लेकिन बाघ के पास आकर वह कीचड़ में फंस गया।
बूढ़े बाघ को इसी का इंतजार था। वह उस पर झपट पड़ा और कीचड़ में खींच ले गया। वह यहगीर पछताते हुए रोनेचिल्लाने लगा”हाय मेटी किस्मत! लालच में आकर मैं यही भूल गया कि हत्यारा हमेशा हत्यारा ही रहता है।”

 

 

Moral Stories in Hindi for Class 9 no. 4 घोड़ा

एक बार की बात है। एक घोड़े के पास पूरा चारागाह था। एक दिज घोड़ा जब बाहर गया हुआ था, तभी एक बारहसिंघा चारागाह में घुस आया। बारहसिंघा ने हर ओर कूदफांदकर सारी घास बर्बाद कर दी। जब घोड़ा लौटा तो उसे यह बर्बादी देखकर बहुत क्रोध आया।

वह बारहसिंघे को सबक सिखाना चाहता था। वह एक मछुष्य के पास गया और बोला,

“क्या तुम जंगली बारहसिंघे को दंड देने में मेरी सहायता को ” वह अबुष्य बोला “जरूट। लेकिन एक बात बताओ। क्या तुम मुझे अपनी पीठ पर सवारी कराने तभी मैं तुम्हारी सहायता कसेया और बारहसिंघे को अपने हथियार से दंड ढूंगा।”
घोड़ा बोला”हां, हॉ.क्यों नहीं ? मैं तैयार हूं।”

तभी से घोड़ा बारहसिंघे से बदला लेने की उनमीद में मनुष्य का सेवक बनकट काम कर रहा है।

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Moral Stories in Hindi for Class 9 no. 5 घमंडी बारहसिंघा

एक बारहसिंघा था। वह अक्सर एक तालाब के पास जाया करता था और अपनी पानी में अपनी परछाई देखकर अपने आपसे कहता”मेरे सी कितने सुंदर हैं! काश मेरे पैर भी इतने ही सुंदर होते!”
एक दिन एक शेट ने उसका पीछा किया। बारहसिंघा घने जंगल की ओर भागा, लेकिन उसके सींग एक घनी झाड़ी में फंस गएउसे लगा कि उसकी मौत अब पास आ चुकी है। वह अपने सींग को कोसने लगा।
आखिरकारउसने अपने मजबूत पैरों की सहायता से अपने आपको झाड़ी से मुक्त करा लिया। इसके बाद वह अपने मजबूत पैरों से उछलताकूदता जंगल में भाग गया और शेर
से बचने में सफल हो गया।
बारहसिंघा ने अपने कुरूप पैरों को उसकी जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया जब कि उसके सुंदर सगों की वजह से तो उसकी जान ही जाने वाली थी। वह सोचने लगा कि
उसे संकट से बचने के लिए ज्यों के बजाय पैरों की अधिक आवश्यकता है। उसके बाद से उसने अपने पैरों को कभी कुरूप वहीं माना।

 

 

Moral Stories in Hindi for Class 9 no. 6 शेर और चतुर खरगोश

 

एक जंगल में एक बहुत शक्तिशाली शेर रहता था। वह पूरे जंगल में निडर होकट घूमता रहता था और जो भी जाबवर उसे दिख जाता, उसे मार डालता। सारे जानवर बहुत चिंतित थे। एक दिन सारे जानवर एक साथ शेर के पास पहुंचे और कहने लगे *आप हमारे राजा हैं। हम नहीं चाहते कि आपको शिकार करने के लिए इधर-उधर भटकना पड़े।

हम लोग स्वयं ही प्रतिदिन एक जानवर आपके पास भोजन के लिए भेज दिया करेंगे ।” शेर राजी हो गया और बोला, “लेकिन याद रखना, हर दिन दोपहर में खाने के समय से पहले एक जानवर मेरी गुफा में पहुंच जाना चाहिए, वरना मैं तुम सबको मार डालूगा।” इसके बाद, जंगल में शांति हो गई। एक दिन एक छोटे और दुबलेपतले खरगोश की बारी आई। वह बेहद चतुर था।

उसने तय कर लिया कि जैसे भी हो, अपनी जान बचानी ही है। वह शेट थ की गुफा की ओर चल पड़ा और कोई कल उपाय सोचने लगा। रास्ते में उसे एक गहरा कुंआ मिला। कुंए में साफ पानी में उसे अपनी परछाई दिखाई दी। उसके दिमाग में एक विचार कौंधा। तब तक, शेर अपनी गुफा से बाहर आ चुका था। खरगोश को देखकर वह जोर से दहाइले लगा।

खरगोश बोलने लगा, “महाराजदेरी के लिए क्षमा करें। देरी के लिए मैं या साथी जानवर दोषी नहीं हैं। आपके भोजन के लिए मेरे साथ चार और खरगोश भेजे गए थे, पर रास्ते में हम लोगों को एक बहुत शक्तिशाली शेर मिल गया। उसने हम लोगों को रोक लिया और पूछने लगा कि कहाँ जा रहे हो।

जब हमने उसे पूरी बात बताई तो वह बहुत गुस्सा होने लगा। वह कहने लगा कि वही जंगल का असली राजा है। वह तो आपको नकली राजा कहने लगा। उसने झपटकर चारों खरगोशों को पकड़कर खा लिया और मुझे आपके पास भेज दिया !”

 

शेर ने गुस्से में आकर जोर से दहाड़ माटी। “ये कौन नकली राजा आ गया है जो मेरी जगह लेना चाहता है ?” वह हैरानी से बोला। “मुझे अभी उसके पास ले चलो! खरगोश उस शेर को कुंए के पास ले गया। “अंदर झाँकिए” वह बोला, “आपको कुए के अंदर वह दूसरा शेट दिख जाएगा।” शेट ने कुंए में झांककर देखा। उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी। वह समझा कि वही दूसरा शेर हैं।

गुस्से में दहाड़ मारकर वह कुंए में कूद गया और डूबकर मर गया। चतुर खणोश की जाज बच गई। कई बार बुद्धि के सहारे अपने से शक्तिशाली शत्रु को भी मात दी जा सकती है।

Moral Stories in Hindi for Class 9 no. 7 डाकू और साधु

रात के अंधेरे में एक साधु चला जा रहा था। घोड़े की टाप सुनते ही उसे लगा कि सामने से कोई घुड़सवार आ रहा है। साधु ने उस घुड़सवार को रास्ता दे दियाकिन्तु यह क्या! घुड़सवार साधु के ठीक सामने आकर खड़ा हो गया। ‘साधु तुम मुझे नहीं जानते’ साधु ने कहा, ‘नहीं भाई, मैं तुझे नहीं जानता। ‘ घुड़सवार बोला’मैं इस क्षेत्र का प्रसिद्ध डाक हूँ।’ साध ने कहा’ठीक है।’ डाकू ने कहा तुम्हें डर नहीं लगासाधु ने कहा, ‘मैं सिर्फ भगवान से ।

डाकू क्रोधित हो गया। उसने कहा’साधु देख सामने टीले पर जो घर है, उस घर को मैं पाँच बार लूट चुका हूं।’ अबकी बार साधु मुस्कुराया। साधु ने कहाअवश्य लूटा होगा परंतु उस टीले पर फिर भी दिया जल रहा है और तुम अभी तक अधर में भटक रहे हो। डाकू चुपचाप सिर झुकाए चला गया।

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Moral Stories in Hindi for Class 9 no. 8 अन्न का महत्व

तिरूवल्लूर जब भोजन करने बैठते तो नियमित रूप से अपनी पत्नी वासुकी से कटोरे में साफ पानी और एक सुई रखवा लेते। वासुकी इस रहस्य को जीवन भर न समझ सकी। परन्तु जब वासुकी मृत्यु शैय्या पर थी, उसने पति से कहा स्वामी मैं आदेशानुसार भोजन के साथ सदा एक सुई और पानी का कटोरा रखती रही, पर उसका रहस्य न जान सकी। तिरूवल्लूर ने पत्नी की इच्छा को शांत करते हुए कहा-‘मैं अन्न के महत्तव को समझता हूँ।

मैं सुई और पानी भोजन के समय इसलिए रखवाता था कि अन्न का एक दाना भी बेकार न जाये। यदि एक दाना भी भूमि पर गिरता तो मैं सुई से उठाकर पानी से धोकर खा लेता।’ पति के उदार विचारों को जानकर वासुकी को परम सुख प्राप्त हुआ।

Moral Stories in Hindi for Class 9 no. 9 चिर-स्थिर जीवन

एक बार महात्मा ईसा से एक धनी व्यक्ति ने पूछा- भले गुरुचिर स्थिर जीवन पाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए? ईसा ने उत्तर दिया-‘ईश्वर को छोड़कर कोई भला’ नहीं। अत: तुम मुझे भला क्यों कहते हो। क्या तुम नियमों को नहीं जानते? किसी की हत्या मत करोछल कपट मत करोचोरी मत करोव्याभिचार मत करोझूठी गवाही मत दो और अपने माता-पिता का आदर करो’ धनी व्यक्ति ने महात्मा ईसा से कहा-‘गुरुवर इन सबका तो मैं अपने बचपन से ही पालन कर रहा हूँ।’

फिर ईसान ने कहा-‘तुममें एक बात की कमी है यदि तुम सिद्ध होना चाहते हो तो अपनी सारी सम्पत्ति बेचकर गरीबों में बाँट दो और स्वर्ग में तुम्हारे लिए पूंजी रखी रहेगी। इसके बाद आओ और मेरा अनुसरण करो’

 

 

Written by

Romi Sharma

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