हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Zoo in Hindi पर पुरा आर्टिकल। सभी के पास अपने बचपन में चिड़ियाघर जाने की यादे होंगी तो आज हम आप सभी को फिर चिड़ियाघर की सैर करवाने जा रहे है। अगर आप चिड़ियाघर के ऊपर essay ढूंढ रहे है तो यह आर्टिकल आपकी बहुत मदद करेगा । आईये पढ़ते है Essay on Zoo in Hindi पर बहुत कुछ लिख सकते है।
चिड़ियाघर की सैर पर निबंध Essay on Zoo in Hindi @ 2018
गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं। मैंने तथा मेरे कुछ मित्रों ने चिड़ियाघर की सैर का कार्यक्रम बनाया। हम लोग पटना के संजय गाँधी जैविक उद्यान में सुबह साढ़े दस बजे पहुँच गएवहाँ काफी चहलपहल थी। सर्वप्रथम हम लोगों ने गजराज के दर्शन किएवे ठंड का संचालन कर पीपल के हरे पत्तों का स्वाद ले रहे थे। हाथी पर सवार बच्चे फूले नहीं समा रहे थे। आगे बढ़े तो बंदरों और लंगूरों की उछलकूद का नजारा देखा। अब शीशे के घरों में कैद नागों की बारी थी। नागराज कुंडली मारे ध्यानमग्न मुद्रा में थे तो अजगर कुंभकर्णी निद्रा में सोया हुआ था। वहाँ कुछ जहरीले बिच्छू भी थे।
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उन्हें देखकर हम सिहर उठे। उद्यान में भालू, चीता, शेर, हिरन, गुंडा जेबरा और विचित्र रंगों वाले पक्षी भी थे। हमने उन सबको देखा। मादा जेबरे ने एक शिशु को जन्म दिया था। उस शिशु की उछलकूद आगंतुकों को बेहद लुभा रही थी। अंत में हमने उद्यान में विश्राम किया और साथ लाया हुआ नाश्ता कियातत्पश्चात् हम लोग घर की ओर रवाना हो गए ये ही थे
चिड़ियाघर की सैर पर निबंध Essay on Zoo in Hindi @ 2018
जब मेरे स्कूल की दशहरे की 10 दिन की छुट्टियाँ पड़ींतो मैं अपने माता-पिता के साथ कोलकाता (कलकत्ता) का चिड़ियाघर देखने गया। पिताजी ने बताया कि चिड़ियाघर में हर प्रकार के-जलथल और वायु में रहने वाले जीवजन्तु तथा पशु-पक्षी देखने को मिलते हैं। कोलकाता में हम अपने मामा के यहाँ ठहरे थे। मैंने कोलकाता में चिड़ियाघर देखने से पहले और भी प्रमुख स्थानों का भ्रमण किया। कोलकाता का चिड़ियाघर देश का सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। यह बहुत प्रसिद्ध चिड़ियाघर है। चिड़ियाघर वह स्थान है जहाँ विभिन्न प्रकार के पक्षी और पशु होते हैं। ये पशु-पक्षी विश्व के विभिन्न स्थानों से लाए जाते हैं।
विश्व का सबसे बड़ा और सबसे अच्छा चिड़ियाघर लंदन में है। भारत में दिल्ली, जयपुर, लखनऊजोधपुर और कोलकाता में चिड़ियाघर सुविख्यात हैं। दूर-दूर से लोग इन्हें देखने आते हैं। हम सुबह 9 बजे चिड़ियाघर देखने पहुँचे। वहाँ प्रत्येक वयस्क का 10 रुपए और बच्चे का 5 रुपए प्रवेश शुल्क था। पहले हमने टिकट खरीदे और फिर मुख्य द्वार से प्रवेश कियाचिड़ियाघर बहुत लंबे-चौड़े विशाल क्षेत्र में फैला हुआ था। हमने वहाँ बहुत सारे विशिष्ट और अजनबी पशु-पक्षी देखेतत्पश्चात् हम जंगली जानवरों को देखने दूसरी ओर मुड़ गए।
हमने वहाँ चीता, शेरतेंदुआ, पैंथर और भालू देखेजो लोहे के बने बड़ेबड़े पिंजरों में बंद थे। वहाँ काले, भूरे और सफेद रंग के भालू थे। एक अन्य अहाते (बाड़ा) में हमने घोड़े, गधे, खच्चर, ऊंटहिरण, भेड़, हाथी और अन्य जंगली जानवर देखेबहुत लंबी गरदन वाले शतुरमुर्ग देखे, तीन कंगारू और गुरिल्ला देखे। वहाँ एक अन्य कमरे में हमने अनेक प्रकार के साँपबिच्छू, रंगीन मछलियाँ और सैंकड़ों बंदर देखेकुछ बंदरों के मुंह लाल , तो कुछ के मुंह काले थे। तालाब में एक पेड़ देखाजिस पर तोता, कुक्कू, कबूतर, मोर, सारस, गौरैया, बतख आदि अनेक पक्षी चहचहा रहे थे और कुछ तालाब में तैर रहे थे। कुछ विदेशी पक्षी थे, जो वहाँ मैंने पहली बार देखे थे।
मेरा चिड़ियाघर देखना बहुत ज्ञानवर्धक रहा। मुझे अनेक पशु-पक्षियों का ज्ञान हो गया और जंगली जानवरों ने मेरे विज्ञान के ज्ञान में बढ़ोतरी की, साथ ही बहुत आनंद भी आया। मैंने वहाँ खूब उछलकूद और मौजमस्ती की। वो चिड़ियाघर की सैर मुझे सदैव स्मरण रहेगी।
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चिड़ियाघर की सैर पर निबंध Essay on Zoo in Hindi @ 2018
चिड़ियाघर वह स्थान होता है जहां तरहतरह के पशु और पक्षी रखे जाते हैं । यह देखने योग्य जगह होती है। बालक बालिकाएँ बड़े चाव से चिड़ियाघर की सैर को जाते हैं। पिछले महीने मुझे दिल्ली के चिड़ियाघर की सैर का अवसर मिला। हमारी कक्षा के सभी विद्यार्थी हमारे साथ थे । हमारे बेल अध्यापक हमारे दल के संरक्षक थे । हम बस द्वारा चिड़ियाघर के निकट पहुंचे। मुख्य द्वार पर पहुँचकर हमने अपनीअपनी टिकट खरीदी। उसके बाद हम गेट में से चिड़ियाघर के अन्दर प्रविष्ट हुए। मैं यह कहे बिना नहीं रह सकता कि चिड़ियाघर देखने योग्य है । यह छोटावन है । इसके कई विभाग हैं ।
पहले हम पक्षियों के विभाग में गए। वहाँ मोर अपने पंख फैलाकर नाच रहा था। मोरनी उसके पास खड़ी नाच देख रही थी। आगे चले तो जालीदार कमरे में सफेद, काले आदि रंगों के कबूतर दिखाई दिये । वे ‘गुटरगूं बोल रहे थे। इसके आगे रंगबिरंगी चिड़िया दिखाई दीं। आगे हमने तोता, मैना, चील कबूतर, खुटबढ़ईबाज और उल्लू देखे। दिन के के समय सोये हुए उल्लुओं को देखकर हमें बहुत हंसी आयी। एक बनावटी झील थी। इसमें बतखें तैर रही थीं। किनारे पर कुछ बगुले एक टाँग पर खड़े थे। एक हंसों का जोड़ा तट पर किलोल कर रहा था। कुछ छोटेबड़े मेढ़क टर्र रहे थे । वे कभी पानी से बाहर आते और कभी फिर पानी में छलाँग मार जाते थे।
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आगे चलने पर हमें पिंजरों में सिंहबाघचीते, भालू आदि भयंकर जीव दीखे। इसके आगे बन्दर और लंगूर चिल्ला रहे थे । लोग उनके आगे चने डाल रहे थे। सबसे चकित हम तब हुए जब हमने शुतुरमुर्गकंगारू और बेबरा देखे। शुतुरमुर्ग बास्ट्रेलिया का पक्षी है, जिसकी ऊंचाई ऊंट जितनी है । मादा कंगारू के पेट में फैली थी, जिसमें उसने बच्चा रखा हुआ था। जेबरा के शरीर पर ऐसी धारियाँ थीं । कि मानो चित्रकार ने कूची से चित्रित की हों। अब हम यक चुके थे। एक जगह हरी घास पर बैठकर हमने वह खाने का सामान खाया जो हम घर से लाये थे। चिड़ियाघर की यह सैर हम कभी न भूलेंगे ।
चिड़ियाघर की सैर पर निबंध Essay on Zoo in Hindi @ 2018
पिछले रविवार को मौसम बहुत अच्छा था। आकाश में बादल छाये हुये थे। मैं अपने मित्रों के साथ चिड़ियाघर की सैर करने गया। चिड़ियाघर के मुख्य द्वार पर बहुत भीड़ थी। लोग प्रवेश के लिए टिकट खरीद रहे थे। कुछ अन्य छायादार वृक्षों के नीचे गप-शप कर रहे थे और कुछ मौसम का आन्नद ले रहे थे। जैसे ही हमने चिड़ियाघर में प्रवेश किया हमें एक झील देखने को मिली जिसमें बतखें तैर रही थीं। सफेद बतखों को पानी में अठखेलियां करते देखने में बहुत अच्छा लगता है। जब हम आगे बढ़े हमने कुछ उड़ने वाली मुर्गियाँ देखीं। इसके अतिरिक्त वहाँ बहुत प्रकार के एवं विभिन्न रंगों की चिड़िया, कबूतरएवं तोते देखे। चिड़ियाँ चहचहा रही थीं। जिससे एक सुखदायी संगीत उत्पन्न हो रहा था। हमने इसका भरपूर आन्नद उठाया।
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आगे शेरतेंदुआ एवं चीतों का रहने का स्थान था। शेर एवं शेरनी के गुरने की आवाजें दूर तक आ रही थीं। हम जाली के पास गये। एक शेर को तेजी से अपनी ओर आता देख हम डर गये। उनको देखने के पश्चात हमने पेड़ों के झुरमुट में हिरन एवं बारहसिंहों को घूमते देखा। इनकी सुन्दरता ने मन को मोह लिया। एक अन्य कोने में बन्दरों के पिंजरे थे। बन्दरों एवं लंगूरों ने पेड़ों पर उछलकुछ मचाई हुई थी। उनके करतब बहुत मनोरंजक थे। कुछ लोग उन्हें खाने का सामान देते थे और वह पेड़ो से कूदकूद कर खाते थे। कुछ बच्चे उन्हें मुंह बना-बना कर चिढ़ा रहे थे। हमारा अगला पड़ाव अक्वेरियम (मछली घरजल जीव शाला) था जिसमें हमें सबसे अधिक रुचि थी। उसमें बहुत से जलचर रखे गये थे। वहाँ बहुत से रंगों एवं विभिन्न प्रकार की मछलियां थीं। उन्हें पानी में चुहल करते देख कर बहुत अच्छा लगता है वहाँ बहुत से अन्य जलचर भी थे। इसके साथ ही एक पोलर भालू भी रखा गया था किन्तु उसको देखकर ऐसा लगा कि वह यहाँ उदास और अकेला है। काले भालू के पिंजरे के बाहर बहुत से लोग जमा हुये हुये थे। भालू बहुत से करतब दिखा रहा था। जिससे देखने वाले रोमांचित हो रहे थे। कुछ लोगों ने उसे खाने का सामान दिया जो उसने एक बार में निगल लिया।
दिल्ली का चिड़ियाघर इतना बड़ा है कि उसके प्रत्येक हिस्से एवं जानवरों को देख पाना एवं उसके बारे में बताना बहुत कठिन है। जब हमने पूरा चिड़ियाघर देख लिया तो हम वहीं पर एक बगीचे में सुन्दर सा स्थान देख कर बैठ गये। सुन्दर फूल और उनकी मोहक सुगन्ध से स्वर्गिक आन्नद की अनुभूति हुई। तत्पश्चात हमने थोड़ा-बहुत कुछ खाया-पिया। जिससे हमें नयी स्फूर्ति आयी। शाम हो चुकी थी एवं सूरज ढ़ल रहा था। बहुत से अन्य दर्शकों के साथ हम भी चिड़ियाघर से बाहर आयेचिड़िया घर एक तरफ पुराने किले की दीवार से घिरा हुआ है जो इसके सौन्दर्य एवं वैभव में वृद्धि करता है। हम वापिस आने के लिये बस पर सवार हुये एवं एक अन्तिम दृष्टि चिड़ियाघर पर डाल उससे विदा ली। मुझे चिड़ियाघर का यह रोमांचक अनुभव सदैव याद रहेगा।
चिड़ियाघर की सैर पर निबंध Essay on Zoo in Hindi @ 2018
दिल्ली का चिड़ियाघर भारत भर में मशहूर है। यह भी एक पर्यटक-स्थल है। इसे प्रतिदिन हज़ारों देशीविदेशी पर्यटक देखने आते हैं। यह पुराने किले के नज़दीक मथुरा रोड पर हैयह शुक्रवार को छोड़कर प्रतिदिन खुला रहता है। इसमें व्यस्कों का प्रवेश शुल्क 10 रुपए और बच्चों का प्रवेश शुल्क 5 रुपए है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का टिकट नहीं लगता है। चिड़ियाघर में यदि कोई व्यक्ति कैमरा या वीडियो कैमरा ले जाना चाहे, तो इसका भी शुल्क देना पड़ता है। व्यक्तिगत प्रयोग के लिए 50 रुपए और कमर्शियल (व्यापारिक) प्रयोग के लिए 500 रुपए शुल्क लगता है।
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हम चिड़ियाघर बसतिपहिया (ऑटोरिक्शा), टैक्सी या मैट्रो रेल से जा सकते हैं। यह निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के नज़दीक है। इसलिए रेल से आने वालों के लिए भी चिड़ियाघर देखना सुविधाजनक है। इसके नज़दीक केन्द्रीय सचिवालय का मैट्रो स्टेशन भी है। इसके अतिरिक्त इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट (हवाई अड्डा) भी इसके नज़दीक है। अत: यातायात की सुविधा की दृष्टि से दिल्ली का चिड़ियाघर देखना अत्यंत सुविधाजनक है। दिल्ली के चिड़ियाघर में हज़ारों प्रकार के पशु-पक्षी और सर्प आदि हैं।
देश में पाए जाने वाले सभी प्रकार के हिरन हैं। रेवा के श्वेत बाघ हैं, तेंदुआ है, सियार हैं, गेंडा हाथी हैं, हिप्पो (दरियाई घोड़ा) है, काले हिरन हैं, बब्बर शेर हैं, शतुरमुर्ग हैं, कई प्रकार के तोते, बंदर एवं लंगूर हैं। सामान्य हाथियों के अलावा लम्बे-लम्बे दाँत वाले विशालकाय हाथी भी हैं, ज़ेब्रा, जिराफ और विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर हैं।
दिल्ली के चिड़ियाघर में प्रवेश करते ही छोटे-छोटे तालाबों में बतखें बगुले एवं अन्य प्रकार के जल के पक्षी देखने को मिल जाएँगे। जाड़ों में तो यहाँ विदेशी पक्षियों का बसेरा हो जाता है। यहाँ सैंकड़ों तरह के पेड़पौधे हैं। प्रत्येक वृक्ष पर उसका नाम भी लिखा हुआ है। यहाँ एक कल्पवृक्ष का पेड़ भी है। कहते हैं कि इसे छूकर हम जो भी इच्छा करते हैं, वह पूरी हो जाती है।
सभी जीवजन्तुओं के लिए अलग-अलग अहाते (बाड़ा) अथवा पिंजरे हैं। अधिकांश लोग पैदल ही चिड़ियाघर देखते हैं, परंतु पर्यटकों के लिए यहाँ बैटरी से चलने वाली छोटी गाड़ियाँ भी उपलब्ध रहती हैं, जो थोड़ा-सा शुल्क देकर हमें मिल जाती हैं। हम पूरा चिड़ियाघर पैदलपैदल दो घंटे में देख सकते हैं। यहाँ एक कैंटीन भी है जहाँ पर्यटकों के लिए खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था है।
चिड़ियाघर में दर्शकों के लिए पानी जैसी सभी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध हैं। चिड़ियाघर में दर्शकों के लिए पानी के अलावा अन्य खाद्य पदार्थ ले जाने की अनुमति नहीं है। यहाँ जानवरों को कुछ खिलाने और उन्हें छेड़ने की भी अनुमति नहीं है। पर्यटकों को चाहिए कि वे दोपहर से पहले चिड़ियाघर देखने आएँ क्योंकि दोपहर के बाद, अक्सर गर्मी के महीनों में, जानवर आराम करने के लिए इधर-उधर छिप जाते हैं। उस समय उन्हें देख पाना कठिन होता है। सप्ताहांत में (शनिवार-रविवार) चिड़ियाघर में बहुत भीड़ रहती है। इसलिए स्थानीय लोग सप्ताहांत में चिड़ियाघर देखने नहीं आत। चिड़ियाघर बच्चों के लिए अति प्रिय पर्यटनस्थल है। दुर्लभ पशु-पक्षियों के कारण यह सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। सभी सोचते हैं कि वे कम से कम एक बार दिल्ली का चिड़ियाघर अवश्य देखें
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