ताजमहल पर निबंध Essay on Taj Mahal in Hindi

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हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Taj Mahal in Hindi पर पुरा आर्टिकल। Taj Mahal हमारे देश की एक पहचान है इसको लेकर बहुत तरह की कहानियां सुनियाई जाती है। आज हम आपके लिए लाये है आज हम आपको Taj Mahal के बारे में कुछ ऐसी बातें बातयंगे जिससे आपको Taj Mahal के बारे में बहुत कुछ पता चेलगा।

इस आर्टिकल में हम ताजमहल के अलग अलग तरह के essay लिख रहे हो आपको ताजमहल को समझने में बहुत मदद करंगे।

essay on Taj Mahal

Essay on Taj Mahal in Hindi

 

ताजमहल अपनी अद्भुत और अद्वितीय वास्तुकला (भवननिर्माण कला) के लिए जगत्-प्रसिद्ध है। ताजमहल के निर्माण को लगभग तीन शताब्दियाँ बीत गई हैं, किंतु आज भी इसकी भव्यता नई-सी प्रतीत होती है। प्रकृति के भीषण घात-प्रतिघात तथा मानव के निर्मम क्रियाकलाप इसके ऊपर अपना कुछ भी प्रभाव नहीं छोड़ सके। यह आज भी शांतमौन साधक की भाँति अविचल खड़ा है। ताजमहल के अपूर्व सौंदर्य को देखने के लिए देश-विदेश से आए सैलानियों की भीड़ लगी रहती है। ताजमहल मुगल सम्राटों की नगरी आगरा में यमुना नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। ताजमहल के सम्मुख कलकल करती यमुना की धारा प्रवाहित है।

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अन्य तीन दिशाओं में यह सुंदर मनोहारी पुष्प-उद्यानों से घिरा हुआ है। ताज का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी प्रिय बेगम मुमताज की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उसके अटूट प्रेम की स्मृति-स्वरूप कराया था। मुमताज बेगम के नाम पर इस इमारत का नाम ‘ताजमहल’ पड़ा।

ताजमहल के निर्माण में लगभग इक्कीस वर्ष का समय और सात करोड़ रुपए का खर्च आयाजिस समय ताजमहल बनकर तैयार हुआ, उसके अद्वितीय सौंदर्य को देखकर शाहजहाँ आश्चर्यचकित रह गया। दर्शक जब इस भव्य इमारत के निकट पहुँचता है तब वह आत्मविस्मृत हो जाता है।

ताजमहल में प्रविष्ट होने से पूर्व सर्वप्रथम दर्शकों को एक विशाल लाल पत्थर द्वारा निर्मित प्रवेश-द्वार मिलता है। इमारत की सीमा-रेखा पर निर्मित दीवार यथेष्ट ची और दृढ़ है। इन दीवारों पर कुरान की आयतें अंकित हैं। ताजमहल के अति निकट एक सुंदर अजायबघर है, जिसमें मुगल बादशाहों के अस्त्र-शस्त्र प्रदर्शित हैं। प्रमुख प्रवेश-द्वार पर एक चौड़ा मार्ग बना हुआ है। इस मार्ग के दोनों ओर सघन हरे भरे वृक्ष हैं।

इस मार्ग के दोनों ओर सुंदर फव्वारे बने हुए हैं, जिनमें से सदैव पानी झरता रहता है।६ फव्वारों के निकट दूर्वा-दल बराबर मनुष्य के मन को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। कुछ दूर आगे बढ़ने पर एक सुंदर तालाब दिखाई पड़ता है। इस तालाब में मछलियाँ क्रीड़ा करती रहती हैं और नेत्रों को सुख देनेवाले कमल खिले रहते हैं।

सरोवर के जल में लहराती पत्तियों और विकसित कमलों की शोभा वास्तव में दर्शनीय होती है। इस स्थान पर संगमरमर की श्वेत शिलाओं पर बैठकर यहाँ की अपूर्व छटा देखी जा सकती है।

ताजमहल की प्रमुख इमारत स्फटिक-निर्मित विशाल चबूतरे पर बनी है और यथेष्ट ऊँचाई पर है। चबूतरे के चारों कोनों पर विशाल गगनचुंबी मीनारें बनी हैं। इन मीनारों के मध्य में ताजमहल का गुंबद है। इस गुंबद की ऊँचाई लगभग २०५ फीट है। इसका निर्माण संगमरमर से हुआ है और इसके चारों ओर मुसलमानों के धार्मिक ग्रंथ कुरानकी आयतें अंकित हैं। गुंबद की पच्चीकारी वास्तव में अद्भुत है। यहाँ की दीवारों में बने हुए बेलबूटे सजीव और सच्चे प्रतीत होते हैं। इसी गुंबद के नीचे तहखाने में शाहजहाँ और मुमताज की समाधियों को देखकर अनायास ही दर्शक का हृदय कोमल भावनाओं से द्रवित हो जाता है और मुगलसम्राट शाहजहाँ के अमर प्रेम की याद ताजा हो जाती है।

शरद पूर्णिमा को ताजमहल की शोभा निखर उठती है। पूर्णचंद्र के धवल प्रकाश में ताजमहल की संगमरमर निर्मित श्वेत दीवारें ऐसी प्रतीत होती हैं, मानो शीशे की बनी हों। ताजमहल के सम्मुख बहती हुई यमुना की श्याम जलधारा पर थिरकती हुई ज्योत्स्ना अपूर्व दृश्य उपस्थित करती है।

 

वास्तव में ताजमहल विश्व की उत्कृष्ट रचना है। इसकी गणना संसार के सात अजूबों में की जाती है। भारतीय ही नहींविदेशी भी इसकी अनुपम शोभा देखकर मुग्ध हो जाते हैं। इस संसार में जब तक यह अद्भुत इमारत विद्यमान है तब तक प्राचीन भारतीय वास्तुकला और कारीगरी का गौरव भी सुरक्षित रहेगा।

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Essay on Taj Mahal in Hindi

 

विश्व में जिन सात आश्चर्यों की बात कही जाती है उनमें ताजमहल का नाम भी सम्मिलित है। प्रेम का प्रतीक आगरा का ताजमहल जिसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी प्रेयसी साम्राज्ञी मुमताज महल की याद में बनवाया था। यह एक दर्शनीय स्थल होने के साथ-साथ ऐतिहासिक दृष्टि से वास्तुकला का नमूना भी है। इमारत की परिकल्पना एवं बनावट मुगलकालीन शिल्प का एक अद्भुत नमूना है।

ताजमहल आगरा में यमुना नदी के दाहिने तट पर स्थित है। सफेद संगमरमर से निर्मित ताजमहल का सौंदर्य चांदनी रात में सबसे ज्यादा होता है। ताजमहल पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणों के साथ चमकता दिखाई देता है। इसके बाहर बहुत ऊंचा और सुन्दर दरवाजा है। बुलन्द दरवाजे के नाम से प्रसिद्ध यह दरवाजा सुन्दर लाल पत्थरों से बना है। ताजमहल की शिल्पकला और पच्चीकारी अपने आप में अद्वितीय है। इसकी गिनती संसार की सुन्दर व शानदार इमारतों में की जाती है।

ताजमहल का नक्शा लाहौर के उस्ताद अहमद ने तैयार किया था। इसकी गुम्बद का निर्माण तुर्की के इस्माइल खां ने किया था। इसमें जो अभिलेख हैं उन्हें शीराज़ के अमानत खां ने उकेरा था। इमारत की बनावट मुकरम्मत खां और मीर अब्दुल करीम की देखरेख में सम्पन्न हुई।

यमुना के तट पर चारों ओर हरे-भरे उद्यानों के बीच निर्मित इस स्मारक का निर्माण 1631 ई. में शुरू हुआ था जो बाइस वर्ष बाद 1652 . को पूरा हुआ। पहले ताजमहल बड़ेबड़े वृक्षों के बीच एक बगीचे में स्थित था। बाद में अंग्रेजों के शासन काल के दौरान इसके चारों ओर फारसी डिजाइन के फव्वारों से युक्त एक सुन्दर बगीचे का निर्माण कराया गया। इन बाइस वर्ष के दौरान बीस हजार कारीगरों ने काम किया। बताया जाता है कि इसके निर्माण पर उस समय करीब तीन करोड़ रुपये की लागत आयी थी।

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ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी बेगम अरजुमन्द बानो बेगम की यादगार में करवाया था। शाहजहां को अपनी बेगम से बहुत प्यार था। कहा जाता है कि एक बार मुमताज महल बीमार पड़ गयी। काफी समय बीमार रहने के कारण उसके बचने की उम्मीद नहीं थी। इस पर बेगम ने शाहजहां से कहा-क्या आप मेरी मृत्यु के पश्चात् भी इसी तरह याद रखेंगे। यह कहने पर शाहजहां ने उसे वचन दिया था कि वह उसकी याद में एक स्मारक अवश्य बनवायेगा। जिसे मैं ही नहीं अपितु विश्वभर के लोग याद रखेंगे। उसका निर्माण वह इस प्रकार करायेगा कि वह विश्व में अपने आप में एक बेजोड़ नमूना होगा। यह स्मारक ही आज ताजमहल कहलाता है। विश्व के सात बड़े आश्चर्यों में इसकी गणना की जाती है।

मुमताज महल के कारण ही इसका नाम ताजमहल प्रसिद्ध हुआ। यह अपूर्व सुन्दर स्मृति भवन आगरा में यमुना नदी के तट पर स्थित है। इसमें प्रवेश करने के लिए एक विशाल पत्थर से बने दरवाजे से होकर जाना पड़ता है जिस पर श्वेत पत्थर पर कुरान शरीफ की आयतें लिखी हैं। आगे मनोमुग्धकारी तथा भव्य उद्यान के बीचों बीच ताज के मुख्य द्वार के सम्मुख सरु वृक्षों से सुसज्जित एक सड़क है। मध्य में एक सुन्दर झील है जिसमें रंग-बिरंगी मछलियां तैरती हैं अन्दर प्रवेश करने के लिए एक विशाल संगमरमर के पत्थर से बने चबूतरे पर चढ़ना पड़ता है। इसकी बनावट भी अत्यंत रमणीक है। चबूतरे के चारों कोनों पर आकाश से बातें करते चार मीनार इस प्रकार अभिमान सिर ऊंचा उठाये खड़े हैं मानो ताजमहल के चार प्रहरी हों ताकि कोई व्यक्ति ताज की सुन्दरता को बिगाड़ न दे।

शाहजहां ने अपने जीवनकाल में अपने खुद के लिए कोई मकबरा नहीं बनवाया था। इसलिए मृत्यु पश्चात शाहजहां की कब्र भी ताजमहल में ही बनाई गयी। इस प्रकार मुमताज महल और शाहजहां मरकर भी इस भवन में एक साथ हैं।
ताजमहल जितना भव्य दिखता है उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत होती है यहां शरद पूर्णिमा की रात। दूर आसमान में जब चांदनी बिखेरता चांद जब ताजमहल के ऊपर से गुजरता है तो मानों संगमरमरी पत्थर की बांछे खिल जाती हैं। चांदनी रात में यहां पच्चीकारी के लिए प्रयोग किये गये पत्थर की चमक भी अचानक बदल जाती है। लाल और हरे रंग के ये पत्थरों की आभा चांदनी रात में हीरे सी हो उठती है।

 

Essay on Taj Mahal in Hindi

 

ताजमहल भारत के गौरव का प्रतीक बन चुका है। इसे संसार के सात आधुनिक आश्चर्यों में स्थान प्राप्त है। हर भारतवासी के मन में एक बार ताजमहल देखने की इच्छा जरूर होती है। भारत आनेवाला हर विदेशी ताजमहल देखे बना अपनी यात्रा अधूरी समझता है। ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहाँ ने किया था। शाहजहाँ अपनी बेगम मुमताज से बहुत प्रेम करता था।

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मुमताज की मृत्यु होने पर उसके मकबरे के स्थान पर शाहजहाँ ने एक भव्य इमारत का निर्माण कराया। इस इमारत का नाम ताजमहल रखा गया। ताजमहल मकराने से लाए गए सफ़ेद संगमरमर से निर्मित है। यह उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के तट पर स्थित है। इसे बनाने में लगभग बीस हज़ार मजदूरों ने बीस वर्ष तक दिनरात काम कियाताजमहल आज भी उन मजदूरों एवं कारीगरों के परिश्रम का साक्षी बना शान से खडा है। इसकी चमक धूमिल हो पाए, न इसके लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा विशेष उपाय किए गए हैं। ताजमहल की रक्षा में आम लोगों का सहयोग भी अपेक्षित है।

 

Essay on Taj Mahal in Hindi

 

आज ताजमहल संसार के सात आश्चर्यों में से एक है। यह आगरा शहर में यमुना के किनारे स्थित है। भारत में अनेक शहरों में ऐतिहासिक इमारतें हैं जिनमें आगरा प्रमुख है। इस कारण आगरा भी एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। आगरा में बने ताजमहल को देखने हज़ारों देशीविदेशी पर्यटक प्रतिदिन आते हैं। इसके अलावा पर्यटक आगरा में लालकिला एतमाद्दौला सिकंदरा और फतेहपुर सीकरी भी देखते हैं।

ताजमहल सफेद संगमरमर का बना है। इसे मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी प्रिय बेगम मुमताज़ महल की याद में बनवाया था। इसके चारों कोनों में चार मीनारें बनी हुई हैं। ताजमहल के मुख्य द्वार पर पाक कुरान की आयतें उत्कीर्ण हैं। ताजमहल के अंदर चार कब्र हैं-दो ऊपर की मंजिल में और दो नीचे। परतु कहा जाता। है कि वास्तविक कब्र नीचे है। ताजमहल में पूरब और पश्चिम में दो मस्जिदें हैं। चंद्रमा के दूधिया प्रकाश में ताजमहल बहुत सुन्दर दिखता है।

 

इसलिए कार्तिक मास (अक्तूबर) में आने वाली शरद पूर्णिमा के दिन ताजमहल में मेला लगता है। उस दिन देशी-विदेशी हज़ारों पर्यटक ताजमहल की इस अनुपम छटा को देखने आते हैं और चंद्रमा के दूधिया प्रकाश में दीवारों पर उत्कीर्ण कुरान की आयतों को देखते हैं, जो झिलमिलाती और चमकती हुई नज़र आती हैं। अपनी इस अद्भुत छटा और सुंदरता के लिए ताजमहल विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसी कारण सन् 1983 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थान वर्ल्ड हैरिटेज साइट) के लिए चुन कर इसका गौरव बढ़ाया था। ताजमहल भारत में मुगल शासन का सर्वाधिक प्रसिद्ध स्मारक है।

इसका निर्माण कार्य 1632 ई० में आरंभ हुआ था और 1653 ई० में 22 वर्ष में पूरा हुआ था। उस समय इसके निर्माण में 50 लाख रुपए खर्च हुए थे। कुछ विद्वानों का मत है कि यह सन् 1648 में बनकर तैयार हुआ था और इसकी रूपरेखा डिज़ाइनिंग) उस्ताद अहमद लाहौरी ने बनाई थी। अपने सौन्दर्य के कारण यह संपूर्ण संसार में विख्यात है। इसका नक्शा उस्ताद ईशा नामक भारतीय वास्तुकार ने बनाया था। हो सकता है कि उसने नक्शा बनाने में किसी इतालवी अथवा फ्रांसीसी वास्तुकार की सहायता ली हो या यह उसकी मौलिक कृति हो।

ताजमहल को बने 350 वर्ष से अधिक हो गए हैं। यह आज भी यमुना नदी के किनारे दाहिनी ओर अपनी संपूर्ण सुंदरता के साथ विद्यमान है। और संसार के सभी भागों से हज़ारों-लाखों यात्री इसे देखने आते हैं। इसे ‘संगमरमर की स्वप्निल रचना’ कहा जाता है। कहा जाता है कि बादशाह शाहजहाँ ने ताजमहल बनाने वालों के हाथ काट दिए थे ताकि वे कोई दूसरा ताजमहल न बना सकें।

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सचमुच विश्व में ताजमहल जैसा कोई दूसरा स्मारक नहीं है। यह विश्व की सबसे अनूठी और अद्भुत एक मानवीय रचना है।

 

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(ताजमहल की सैर) किसी ऐतिहासिक स्थल की सैर करना एक मनोहारी अनुभव है। पिछली सर्दियों में हमने ताजमहल देखने की योजना बनायी। एक प्रसिद्ध विचारक के अनुसार ‘ताजमहल समय के गुलाबी गालों पर प्रेम की एक बूंद है” रवीन्द्र नाथ टैगोर ने इसे यूं कहा कि “यह संगमरमर में साकार हुआ एक स्वप्न है।” कुछ अन्य के अनुसार यह पत्थर पे लिखी कविता हैI आगरा पहुँचते ही मैं ताजमहल देखने चल पड़ा। कला एवं वास्तुशिल्प का यह नमूना प्रसिद्ध मुगल शासक शाहजहाँ द्वारा अपनी बेगम ‘मुमताज महल’ की याद में बनाया गया। यह ऐतिहासिक स्मारक शाहजहाँ एवं मुमताज के प्यार की निशानी है।

जैसे ही इस इमारत के प्रागंण में प्रवेश करते हैं मुख्य मार्ग के दोनों ओर लगे सरू के लम्बे-लम्बे वृक्ष स्वागत में खड़े दिखते हैं। यह मार्ग मुख्य मकबरे (समाधियों) तक जाता है। इस ऐतिहासिक स्मारक के चारों ओर सुन्दर बगीचे हैं एवं फूलों से लदे वृक्ष हैं। मुख्य इमारत एक चबूतरे पर स्थित है। चबूतरे के चारों कोनों में चार मीनारें हैं जो इस गौरव के केन्द्र की प्रहरी की तरह खड़ी हैं।

मकबरे में अन्दर शाहजहां की बेगम की कब्र है। ताज के पीछे यमुना नदी पूरी शान से बह रही है। चांदनी रात में यमुना नदी के पानी में ताज महल का प्रतिबिम्ब देखते ही बनता है। हजारों लोग इस कलाकृति को देखने देश-विदेश से आते हैं। पूर्ण इमारत सफेद संगमरमर की बनी हुई है जो चाँद की रोशनी में स्वप्न की तरह प्रतीत होती है।

मैंने ताजमहल के प्रत्येक हिस्से को ध्यान से देखा। इसकी सुन्दर नक्काशी देखकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई। विदेशों से आने वाले सभी पर्यटक इसे देखने अवश्य जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मकबरे को बनाने के लिये करोड़ो रुपये खर्च किय गये एवं हजारों मजदूरों ने दिन रात इसे बनाने कि लिए काम किया। ताजमहल को पूर्ण होने में तीस वर्ष लगे। इसके पूर्ण हो जाने के पश्चात इसे बनाने वाले कारीगरों एवं मजदूरों के हाथ काट दिये गये ताकि वे पुन: किसी ताजमहल का निर्माण न कर सकें।

 

इन सैकड़ों वर्षों में ताजमहल समय एवं मौसम के सभी इम्तहानों में खरा उतरा है। इसका सौन्दर्य एवं गरिमा अभी भी बरकरार है। बहुत से कवियोंविचारकों एवं लेखकों ने ताज महल की प्रशंसा में गुण गान किये हैं । ऐसी आशा की जाती है आने वाले वर्षों में भी यह विश्व के महान आश्चयों में अपना स्थान बनाये रखेगा।

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ताजमहल भारत की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट, उज्ज्वल प्रतीक है । विश्व के सात आश्चर्यों में से एक ताजमहल भी है। आज भी ताजमहल दो दिलों के प्रेम की कहानी सुना रहा है। भारत विद्या एवं कला के लिए संसार का गुरु रहा है। उसने स्थापत्य कला के क्षेत्र में असाधारण उन्नति की है। और ताजमहल उस कला का जीता-जागता प्रतीक है । ताजमहल उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध नगर आगरा में यमुना नदी के दायें किनारे पर संगमरमर के चबूतरे के ऊपर खड़ा है। आगरा फोर्ट से उतरकर लगभग दो मील चलने पर ताजमहल दिखाई देता है । इसके बाहर एक विशाल द्वार है जो लाल पत्थरों का बना हुआ है ।

इसके दोनों ओर इवेत पत्थरों पर कुरान की आयतें लिखी हुई हैं । यहाँ पर एक संग्रहालय में मुगल सम्राटों के चित्र एवं अस्त्रशस्त्र रखे हैं। मुख्य भवन के आगे दोनों तरफ वृक्षों की कतारें हैं। जहाँतहाँ पानी के फव्वारे बने हुए हैं। फर्श पर हरी दूब इतने कलात्मक ढंग से काटी गई है कि देखतेदेखते मन नहीं थकता। एक छोटे से तलाब में लाल और नीले कमल बड़े सुहावने दिखाई पड़ते हैं। इसमें रंग-बिरंगी मछलियाँ तथा उनके क्रीड़ा क रने से आन्दोलित लहरियाँ मन को मोह लेती हैं। सरोवर के चारों ओर संगमरमर के बेचों पर दर्शक बैठकर अपलक नेत्रों से ताजमहल की इवतिमा को निहारते हैं ।

ताजमहल का मुख्य भवन बड़ा ही भव्य है। वहाँ पर संगमरमर का चबूतरा इतना स्वच्छ है कि उसमें प्रतिबिम्ब स्पष्ट दिखाई देता है । उसमें कहीं भी मलिनता दृष्टिगोचर नहीं होती। ताजमहल शाहजहाँ की प्रियतमा मुमताजमहल के अमर प्रेम का उज्ज्वल स्मारक है । श्वेत संगमरमर से निर्मित चार उच्च मीनारें ताज महल के चारों तरफ सजग प्रहरी की भाँति खड़ी हैं ।

ऊपर का दृश्य देखने के लिए इन मीनारों में से अन्दर ही अन्दर सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता है । ताजमहल की पच्चीकारी देखने योग्य है। प्रतीत होता है यहाँ दो प्रेमी आज भी ध्यानमग्न हैं। इनकी समाधियों के चारों तरफ जालीदार परिक्रमा है । समाधियों पर बहुमूल्य पत्थरों की नक्काशी देखकर आश्चर्य होता है । सचमुच ताजमहल मानव की कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना

 

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विश्व में जिन सात आश्चर्य की बात कही जाती है उनमें ताजमहल का नाम भी सम्मिलित है। प्रेम का प्रतीक आगरा का ताजमहल मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी प्रेयसी साम्राज्ञी मुमताज महल की याद में बनवाया था। यह एक दर्शनीय स्थल होने के साथ-साथ ऐतिहासिक दृष्टि से वास्तुकला का नमूना भी है। ताजमहल यमुना नदी के दाँयें किनारे पर तथा आगरा शहर के दक्षिण में स्थित है। ताजमहल विश्व की सर्वाधिक सुन्दर इमारत है। यह पूरी इमारत सफेद संगमरमर से बनी है।

यमुना के दाहिनी ओर हरे-भरे उद्यानों के बीच निर्मित इस प्रेम के प्रतीक स्मारक का निर्माण कार्य सन् 1631 में कार्य शुरू किया गया जो सन् 1653 में पूर्णरूप से बनकर तैयार हुआ। इसके बनाने में काम आने वाली सामग्री विभिन्न स्रोतों से प्राप्त की गई। मुख्यत: सफेद पत्थर नागौर स्थित मकराना से लाया गया तथा लाल पत्थर धौलपुर तथा फतेहपुर सीकरी से भेंगाये गये। पीले तथा काले पत्थर नबर्बाद तथा चरकोह से मैंगाये गये। कुछ कीमती पत्थर तथा सोने-चाँदी का सामान कुछ प्रमुख सम्राटों तथा विदेशों से प्राप्त किया गया। कुछ सामान दूर-दराज के इलाकों से •भी भेंगाया गया।

 

ताजमहल के निर्माण पर आई लागत को लेकर इतिहासकारों में भिन्न-भिन्न मत है। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि ताजमहल निर्माण में 3 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। किन्तु सामान्यत: ऐसा माना जाता है कि ताज के निर्माण 50 लाख से लेकर 5 करोड़ तक खर्च हुए थे। बादशाहनामा से स्पष्ट है कि ताज के रखरखाव हेतु परगना तहसील (आगरा) से एक लाख हर वर्ष उगाहे जाते थे।

मुमताज महल के कारण ही इसका नाम ताजमहल प्रसिद्ध हुआ। इसमें प्रवेश करने के लिए एक विशाल पत्थर से बने दरवाजे से होकर जाना पड़ता जिस पर श्वेत पत्थर से कुरान शरीफ की आयतें लिखी हैं। आगे मनोमुग्धकारी तथा भव्य उद्यान के बीचों बीच ताज के मुख्य द्वार के सम्मुख सरु वृक्षों से सुसज्जित एक सड़क है।

मध्य में एक सुन्दर झील है जिसमें रंगबिरंगी मछलियां तैरती हैं अन्दर प्रवेश करने के लिए एक विशाल संगमरमर के पत्थर से बने चबूतरे पर चढ़ना पड़ता है। इसकी बनावट भी अत्यत रमणीक है। चबूतरे के चारों कोनों पर आकाश से बातें करते चार मीनार इस प्रकार अभिमान में सिर ऊंचा उठाये खड़े हैं मानो ताजमहल के चार प्रहरी हों ताकि कोई व्यक्ति ताज की सुन्दरता को बिगाड़ न दे।

अभी हाल ही में देश की प्रतिष्ठित न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट ने ताज को रात में खोलने का आदेश दिया। महीने में ताजमहल पाँच दिन रात में खुलेगा-पूर्णिमा से दो दिन पहलेपूर्णिमा, तथा दो दिन बाद। प्रत्येक रात्रि को 400 लोगों को ही ताजमहल में प्रवेश दिया जायेगा। 50-50 लोगों का समूह 30 मिनट के लिए एक ही बार में ताजमहल के परिसर में जा सकेगा। रात्रि में ताज दर्शन की टिकट 1,000 रुपये रखी गयी है। उर्सशुक्रवार तथा रमजान के महीने में ताज रात्रि में नहीं खुलेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री मा. मुलायम सिंह यादव ने ताजमहल की 350 वीं वर्षगांठ के अवसर पर ताज महोत्सव का 27 सितम्बर, 2004 को उद्घाटन किया।

कई दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में भिन्न-भिन्न संगीत तथा कला कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। गजल गायकारों जैसे गुलाम अली तथा हरिहरन को बुलाया गया । सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पर्यटकों को ताजमहल में दाखिल होने से पहले एक्सरे यन्त्रों तथा मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना पड़ेगा। सरकार की ओर से भी इस पर कार्य प्रारम्भ हो गया है।

बर्नियर (फ्रेन्च यात्री ) के अनुसार ‘‘मैं मानता हूँ कि ताजमहल जैसे सुन्दर लिपटे हुए स्मारक को ही सातवाँ आश्चर्य माना जाना चाहिये न कि मिस्र के भौंडे पिरामिडों को।

स्विट्जरलैण्ड की एक निजी संस्था ‘न्यू सेवेन वंडर्स फाउंडेशन’ द्वारा विश्व भर के नये सात आश्चर्यों को चुनने के लिए एक मुहिम चलायी गयी जिसके अन्तर्गत दुनिया भर की विश्वदायी स्मारकों को शामिल किया गया। जिनमें से सात नये अजूबों के लिए दुनिया भर में इंटरनेट के द्वारा, मैसेज के द्वारा तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से वोटिंग की गई। इस अभियान में करीब 10 करोड़ वोट डाले गये।

इसका परिणाम दिनांक 7-7-2007 को पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में एक भव्य समारोह में किया गया। नये अजूबों में ‘प्यार के प्रतीक’ ताजमहल को दुनिया भर क के सात नये आश्चर्यों में प्रथम स्थान मिला है। हालाँकि नई सूची को यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाइ जेशन (यूनेस्को) की मान्यता नहीं मिली है।

 

Written by

Romi Sharma

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