बाल दिवस पर निबंध Essay on Children’s Day in Hindi

1 MIN READ

हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Children’s Day in Hindi पर पुरा आर्टिकल। आज हम आपके सामने बाल दिवस के बारे में कुछ जानकारी लाये है जिससे आपको बाल दिवस के बारे में बहुत सी बातो के बारे में पता चलेगी जैसे बाल दिवस को कब और किस लिए मानते है।

बाल दिवस पर निबंध

Essay on Childrens-Day

प्रस्तावना :

बच्चे राष्ट्र के भविष्य होते हैं आज के बच्चे कल के भावी नागरिक हैं। अच्छा, गुणी बच्चा ही कल का जिम्मेदार नागरिक बनता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष ‘बाल-दिवस’ का आयोजन किया जाता है।

बाल-दिवस का प्रयोजन :

बाल-दिवस प्रतिवर्ष 14 नवम्बर को मनाया जाता है इसी दिन हमारे स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरु का जन्म हुआ था। नेहरु जी को गुलाब का फूल तथा बच्चों से बहुत लगाव था। बच्चे उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरु’ कहकर पुकारते थे। इस अवसर पर बच्चे इकट्ठे होकर तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। जीवित रहते हुए चाचा नेहरु भी बच्चों के बीच आकर उनका अभिवादन स्वीकार करते थे।

बाल दिवस का कार्यक्रम :

14 नवम्बर को हर विद्यालय में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। शिक्षा का उद्देश्य बच्चे का चहुँमुंखी विकास करना है इसीलिए इस दिन अनेक खेलकूद तथा अनेक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। विजयी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत भी किया जाता है।

दिल्ली में बाल-दिवस का आयोजन :

दिल्ली में यह दिवस दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से सामूहिक रूप से नेशनल स्टेडियम में पूरे जोश से मनाया जाता है। बच्चों को चाचा नेहरु के जीवन के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी जाती है। इस अवसर पर प्रधानमन्त्री तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित होते हैं। दिल्ली की ही भाँति अन्य नगरों, कस्बों और गाँवों में भी यह पर्व पूरे जोश से हर विद्यालय में मनाया जाता है। स्कूलों में मेलों का भी आयोजन होता है जिसका संचालन बच्चे ही करते हैं। इस अवसर पर बच्चों को नेहरू जी का प्रिय स्मृति चिह्न ‘गुलाब का फूल’ तथा मिठाईयाँ भी वितरित की जाती हैं।

उपसंहार :

इस दिन महत्व भी स्वतन्त्रता दिवस तथा गणतन्त्र दिवस की ही भाँति है। इस दिन बाल दिवस का आयोजन करके जहाँ एक ओर बच्चों के चरित्र निर्माण को बढ़ावा दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर समाज को भी बच्चों के प्रति अपने उत्तरदायित्व का बोध होता है। हम सभी को, विशेषकर बच्चों को इस दिन नेहरुजी की समाधि ‘शान्ति वन’ जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित करने चाहिए।

 

Also Read:

Essay on Children’s Day in Hindi

बाल-दिवस प्रतिवर्ष 14 नवम्बर को मनाया जाता है। उस दिन बालक-बालिकाएँ नयी दिल्ली के ‘नेशनल स्टेडियम’ में एकत्र होते हैं। वे सफेद वस्त्र पहने पहले अपने-अपने स्कूल में इकट्ठे होते हैं। उनके हाथों में झण्डे होते हैं। वे नारे लगाते और पथ-प्रचलन (मार्च) करते हुए ‘नेशनल स्टेडियम’ की तरफ जाते हैं। वहाँ खेल-कूद का प्रदर्शन होता है। उन्हें कागज का एक-एक गुलाब का फूल दिया जाता है तथा खाने की चीजें (केला, सन्तरा, सेब, बिस्कुट आदि) दी जाती हैं।

15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ। तब पं० जवाहरलाल नेहरू प्रधानमन्त्री बने। उनका जन्मदिवस भी 14 नवम्बर को पड़ता है। इसलिए भारत में बाल-दिवस को उनके जन्मदिवस के साथ मनाया जाने लगा। नेहरूजी इस दिन अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर बच्चों से मिलते थे। ये क्षण आमोद-प्रमोद तथा विनोद के होते थे। नेहरूजी के बाद जो प्रधानमन्त्री आये, उन्होंने बाल-दिवस में शामिल होकर यह परम्परा जारी रखी। बाल-दिवस की तैयारी एक-दो सप्ताह पूर्व, स्कूलों में आरम्भ हो जाती है। ड्रिल, सामूहिक प्रचलन (परेड), नृत्य, संगीत, नाटक आदि की रिहर्सल की जाती है। बाल-दिवस के दिन रंगारंग कार्यक्रम किये जाते हैं।

जैसा कार्यक्रम नयी दिल्ली के ‘नेशनल स्टेडियम में होता है, वैसा ही राज्यों (प्रदेशों) की राजधानियों तथा छोटे-बड़े नगरों में भी होता है। देश के बड़े नेताओं को भी बाल-दिवस में अवश्य भाग लेना चाहिए तभी बालक-बालिकाओं का उत्साह बढ़ सकता है। नेता लोग विद्यार्थियों को चरित्र-निर्माण, देशभक्ति तथा कर्तव्य- परायणता का उपदेश दे सकते हैं।

बच्चे राष्ट्र की निधि हैं । बाल-दिवस से हमें यही सीखना चाहिए कि हम बालक-बालिकाओं का उचित सम्मान करें। उन्हें डाँटना-फटकारना, बात-बात पर झिड़कना, उन्हें नीचा या तुच्छ समझना तथा उनमें हीन भावनाएँ भरना उचित नहीं। बाल-दिवस बच्चों के उल्लास का पर्व है।

Essay on Children’s Day in Hindi

‘बाल दिवस’ का अर्थ है ‘बच्चों का दिन । बच्चे ही किसी देश की वास्तविक सम्पत्ति हुआ करते हैं। ये ही बच्चे आने वाले कल के कर्णधार हैं। बच्चे जो आज की कोमल कलियाँ हैं वे ही कल के खिलने वाले फूल हुआ करते हैं। कहने का तात्पर्य है कि आज भी बच्चों का है और कल भी। अतः प्रत्येक देश को कर्त्तव्य है कि वह अपने देश के बच्चों के सर्वांगीण विकास की ओर समुचित ध्यान दे। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर हमारे देश में प्रतिवर्ष 14 नवम्बर को बाल दिवस’ मनाया जाता है।

14 नवम्बर स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पण्डित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म दिन भी है। पं. नेहरू को गुलाब के फूल और गुलाब के फूल के समान खिले रहने वाले प्यारे-प्यारे बच्चे बहुत अधिक प्रिय थे। इसीलिए उन्होंने अपने जन्म दिन को बच्चों का दिन ‘बाल दिवस के रूप में मनाया। स्वयं बच्चे भी नेहरू जी को बहुत अधिक प्यार किया करते थे और वे उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कह कर पुकारते थे। नेहरू जी प्रायः बच्चों के बीच घुल-मिल जाते थे।

पं. नेहरू जी को बच्चों से इतना अधिक प्यार था कि वे बहुत अधिक व्यस्त रहने पर भी बच्चों के लिए समय अवश्य निकाल लेते थे। यही नहीं कभी-कभी तो वे । रास्ते में किसी क्षण किसी भी बच्चे को देखकर अपनी गाड़ी रुकवा कर उस बच्चे को गोदी में उठाकर पुचकारते थे तथा उससे बातें करने लग जाते थे।

बाल दिवस मनाने का प्रयोजन यह भी है कि बच्चे अपने देश का भविष्य हुआ करते हैं अतः उनके लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा, प्रगति और विकास आदि पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उनका किसी भी स्तर पर शोषण नहीं होना चाहिए। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भी ‘बाल दिवस का आयोजन होता है। इस अवसर पर विद्यालयों में समारोहों का आयोजन होता है।

इस अवसर पर बच्चों द्वारा कविता, गीत, नाटक, भाषण आदि के कार्यक्रम किए जाते हैं तथा कई विद्यालयों से क्रीड़ा-प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती हैं। उन प्रतियोगिताओं में विजयी छात्रों को पुरस्कृत भी किया जाता है।

दिल्ली में शिक्षा विभाग की ओर से यह दिवस सामूहिक रूप से नेशनल स्टेडियम में मनाया जाता है, जहाँ सभी विद्यालयों से चुने हुए विद्यार्थी एकत्रित होते हैं तथा अपने चुने हुए कार्यक्रम दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं।

बहुत-से बच्चे इस दिन अपने प्रिय चाचा नेहरू की समाधि पर ‘शान्ति वन में जाकर श्रद्धा-सुमन चढ़ाते हैं तथा चाचा नेहरू के बताए हुए मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा करते हैं। इस दिन बच्चों को नेहरू जी का स्मृति-चिह्न गुलाब का फूल तथा मिठाइयों दी जाती है। इस प्रकार प्रसन्नता और मनोरंजन के साथ बाल दिवस का आयोजन सम्पन्न हुआ करता है।

Also Read:

Essay on Children’s Day in Hindi

‘बाल दिवस’ का अर्थ है ‘बच्चों का दिन’ । बच्चे ही किसी देश की वास्तविक सम्पत्ति हुआ करते हैं। ये ही बच्चे आने वाले कल के कर्णधार हैं। बच्चे जो आज की कोमल कलियाँ हैं वे ही कल के खिलने वाले फूल हुआ करते हैं। कहने का तात्पर्य है कि आज भी बच्चों का है और कल भी। अतः प्रत्येक देश का कर्तव्य है कि वह अपने देश के बच्चों के सर्वांगीण विकास की ओर समुचित ध्यान दे। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर हमारे देश में प्रतिवर्ष 14 नवम्बर को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

14 नवम्बर स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पण्डित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्मदिन भी है। पं. नेहरू को गुलाब के फूल और गुलाब के फूल के समान खिले रहने वाले प्यारे-प्यारे बच्चे बहुत अधिक प्रिय थे। इसीलिए उन्होंने अपने जन्मदिन को बच्चों का दिन ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया। स्वयं बच्चे भी नेहरू जी को बहुत अधिक प्यार किया करते थे और वे उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कह कर पुकारते थे।

नेहरू जी प्रायः बच्चों के बीच घुल-मिल जाते थे। पं. नेहरू जी को बच्चों से इतना अधिक प्यार था कि वे बहुत अधिक व्यस्त रहने पर भी बच्चों के लिए समय अवश्य निकाल लेते थे। यही नहीं कभी-कभी तो वे रास्ते में किसी क्षण किसी भी बच्चे को देखकर अपनी गाड़ी रुकवा कर उस बच्चे को गोदी में उठाकर पुचकारते थे तथा उससे बातें करने लग जाते थे।

‘बाल-दिवस’ मनाने का प्रयोजन यह भी है कि बच्चे अपने देश का भविष्य हुआ करते हैं अतः उनके लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा, प्रगति और विकास आदि पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उनका किसी भी स्तर पर शोषण नहीं होना चाहिए। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भी ‘बाल दिवस’ का आयोजन होता है।

इस अवसर पर विद्यालयों में समारोहों का आयोजन होता है। इस अवसर पर बच्चों द्वारा कविता, गीत, नाटक, भाषण आदि के कार्यक्रम किए जाते हैं तथा कई विद्यालयों में क्रीडा-प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। उन प्रतियोगिताओं मे विजयी छात्रों को पुरस्कृत भी किया जाता है।

दिल्ली में शिक्षा विभाग की ओर से यह दिवस सामूहिक रूप से नेशनल स्टेडियम में मनाया जाता है, जहाँ सभी विद्यालयों से चुने हुए विद्यार्थी एकत्रित होते हैं तथा अपने चुने हुए कार्यक्रम दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं।

बहुत-से बच्चे इस दिन अपने प्रिय चाचा नेहरू की समाधि पर ‘शान्ति वन’ में जाकर श्रद्धा-सुमन चढ़ाते हैं तथा चाचा नेहरू के बताए हुए मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा करते हैं। इस दिन बच्चों को नेहरू जी का स्मृति-चिन्ह ‘गुलाब का फूल’ तथा मिठाइयां दी जाती है। इस प्रकार प्रसन्नता और मनोरंजन के साथ ‘बाल दिवस का आयोजन सम्पन्न होता है।

बाल दिवस पर निबंध

14 नवम्बर बाल-दिवस है । यह बच्चों का दिन है। यह हमारे नेहरू चाचा जवाहरलाल का जन्म दिन भी है।दिल्ली में इस दिन सब स्कूल के बच्चे गांधी मैदान में जाते हैं। उन्होंने अपने-अपने स्कूल की वर्दी पहनी होती है । एक स्कूल की वर्दी का रंग लाल होता है। दूसरे का नीला।

किसी का पीला, तो किसी का सफेद । सब बालक अपने-अपने स्कूल की पंक्ति में ऐसे चलते हैं, जैसे सैनिक जा रहे हों। पंक्ति के पहले बालक ने अपने विद्यालय का झंडा उठाया हुआ होता है । इस रंग-ढंग में बालक बहुत सुन्दर लगते हैं। _ जब बैंड बजने लगता है तो सब बालक अपने- अपने स्थान पर खड़े हो जाते हैं।

कोई हिल-जुल नहीं रहा होता। सब चुपचाप खड़े रहते हैं ! एक लड़की बड़े झंडे के पास पहुंच जाती है। बैंड बंद हो जाता है। लड़की झंडे की रस्सी को खींच देती है। तिरंगा झंडा आकाश में फहराने लगता है। फिर बैंड बजने लगता है। सब बालक सावधान खड़े रहते हैं। बैंड बन्द हो जाने पर सब बालक अपनी-अपनी पंक्ति में चल पड़ते हैं। झंडे के सामने पहुंचकर वे प्रणाम करते हैं।

मैदान में झंडा फहराने लगता है। बैंड बज रहा है। सब बालक अपने-अपने स्थान पर बैठ जाते हैं । कोई किसी को धक्का नहीं लगाता। कोई शोर नहीं करता। बच्चों की एक टोली गाना गाने लगती है-

न छोटे-छोटे जानो,
हम सरदार बनेंगे ।
भारत की करके सेवा,
होनहार बनेंगे ।
न छोटे-छोटे जानो…

गानों के बाद खेलें होती हैं। खेलों के बाद बालक दूध पीते हैं। बालक प्रसन्न होते हैं क्योंकि उनका यह अपना दिन होता है-बाल-दिवस ।

बाल दिवस पर निबंध

बाल दिवस महान नेता पं. जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है। पं. नेहरू महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। 15 अगस्त, 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तो नेहरू जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उन्होंने देश को उन्नतिशील बनाया। उन्हें बच्चों से प्रगाढ़ लगाव था। वे बच्चों में देश का भविष्य देखते थे। बच्चे भी उनसे अपार स्नेह रखते थे। अत: उनके जन्मदिवस 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

बाल दिवस बच्चों का पर्व है। यह पर्व देश के बच्चों को समर्पित है। बच्चे देश के भविष्य हैं, अत: इनके विकास के बारे में चिंतन करना तथा कुछ ठोस प्रयास करना देश की ज़िम्मेदारी है। देश का समुचित विकास बच्चों के विकास के बिना संभव नहीं है।

बच्चों को शिक्षित बनाने, बाल श्रम पर अंकुश लगाने, उनके पोषण का उचित ध्यान रखने तथा उनके चारित्रिक विकास के लिए प्रयासरत रहने से बच्चों का भविष्य सँवारा जा सकता है। बाल दिवस बच्चों के कल्याण की दिशा में उचित प्रयास करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है।

बच्चे बाल दिवस की तैयारियों में हफ़्तों से जुटे होते हैं। वे नाटक खेलने तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियाँ करते हैं। स्कूलों में इसके लिए बच्चों से अभ्यास कराया जाता है। वे स्कूल को सजाते हैं क्योंकि स्कूल उनके लिए विद्या का मंदिर होता है। वे मंच तैयार करते हैं तथा झंडियाँ लगाते हैं। वे बाल मेले के आयोजन की तैयारी करते हैं। उनके अंदर उत्साह देखते ही बनता है।

बाल दिवस बच्चों के लिए ढेर सारी खुशियाँ लेकर आता है। बच्चे सुबह-सुबह ही स्कूल पहुँच जाते हैं। वहाँ से वे पंक्तिबद्ध होकर गली मोहल्लों और सड़कों पर नारे लगाते निकलते हैं। वे समाज को बच्चों के अधिकारों के प्रति सचेत करते हैं। वे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाते हैं। उनके समवेत स्वर से बाल श्रम के विरुद्ध संघर्ष की झलक सनाई देती है।

नारे लग गए, अब पेट पूजा ज़रूरी है। इसके लिए स्कूल में अच्छा-खासा प्रबंध है। बच्चों के लिए टॉफ़ियाँ, मिठाइयाँ, बिस्कुट एवं फल हैं। उधर बाल मेला भी है, जिसमें बच्चों द्वारा बनाए गए तरह-तरह के पकवान बिक रहे हैं। पुस्तकों के लिए अलग से स्टॉल हैं। यहाँ ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायी पुस्तकें बिक रही हैं। बच्चे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में संलग्न हैं। वे शिक्षकों के निर्देशों का स्वयंसेवक की तरह पालन _ कर रहे हैं। आज अनुशासन की बाध्यता नहीं है, फिर भी पूरा अनुशासन है। बच्चों को याद है कि हर क्षेत्र में अनुशासन के पालन से देश महान बनता है।

बच्चों को पर्यावरण की बहुत फ़िक्र है। वे अपने ज्ञान को केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रखना चाहते, इसलिए वे पेड़ लगा रहे हैं। कोई फावड़ा चला रहा है तो कोई पौधों को सींच रहा है। लगाए गए पौधों की बाड़बंदी हो रही है ताकि पशु उन्हें नष्ट न कर सकें। कुछ बच्चे स्कूल तथा उसके आस-पास के क्षेत्र की सफ़ाई में उत्साहित होकर जुटे हुए हैं।

संध्याकाल में बाल दिवस के अवसर पर विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। इसके लिए मंच सजा होता है। इस अवसर पर किसी विशिष्ट अतिथि को आमंत्रित किया जाता है। वे नियत समय पर आते हैं। माल्यार्पण के द्वारा छात्र उनका स्वागत करते हैं।

प्रधानाचार्य उन्हें उचित आसन पर बिठाते हैं। सरस्वती वंदना से कार्यक्रम आरंभ होता है। फिर सामूहिक नृत्य, एकल नृत्य, प्रहसन, नाटिका, गायन, कविता पाठ आदि तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं।

इससे प्रतिभागी बच्चों में धैर्य, साहस, नेतृत्व जैसे गुण विकसित होते हैं। दर्शक तालियाँ बजाकर बच्चों का उत्साह बढ़ाते हैं। अभिभावक अपने बच्चों को कार्यक्रम में भाग लेता देख फूले नहीं समाते। कार्यक्रम की समाप्ति पर अतिथि महोदय और प्रधानाचार्य का उद्बोधन होता है। बच्चों को उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए परस्कत किया जाता है।

इस तरह बाल दिवस विभिन्न प्रकार की हलचलों से परिपूर्ण होता है। इस दिन बच्चे अपने प्यारे चाचा नेहरू को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। पं. नेहरू की समाधि ‘शांतिवन’ पर जाकर नेतागण और बच्चे उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। वे नेहरू जी के आदर्शों का स्मरण करते हैं। सरकार नेहरू जी के सपनों का भारत बनाने के लिए संकल्प व्यक्त करती है। यह राष्ट्रीय पर्व हमें देश के नौनिहालों के लिए सार्थक कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है।

बाल दिवस पर निबंध

यह सर्वविदित है कि बाल दिवस प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिवस स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के जन्म दिवस के दिन मनाया जाता है। पं. जवाहरलाल नेहरू को बच्चे चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे, क्योंकि वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे। पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राहमण परिवार में हुआ था। जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे। वह इलाहाबाद के जाने-माने वकील थे। इसलिए उन्होंने अपने पुत्र जवाहरलाल नेहरू को उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड भेजा। वहाँ उन्होंने वकालत की और सन् 1912 ई० में वे भारत लौट आए।

 

भारत आकर वे गाँधीजी से मिले और उनसे अत्यंत प्रभावित हए। बाद में वे तिलक और श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के नेतृत्व वाली दो होमरूल लोगों के सदस्य भी बन गए। फिर उनका कमला कौल के साथ विवाह हुआ, जो बाद में कमला नेहरू कहलाईं। उनसे 1917 में इंदिरा गाँधी का जन्म हुआ।

सन् 1919 में कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन में गाँधी जी प्रमुख नेता और जवाहरलाल नेहरू उनके प्रमुख सहभोगी के रूप में उभरे। फिर गाँधीजी ने सन् 1921 में असहयोग आंदोलन आरंभ किया और पं.जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार भारत की स्वतंत्रता के लिए पं. नेहरू नौ बार जेल गए और नौ वर्ष से अधिक जेल में बिताए।

जेल में ही उन्होंने अपनी आत्मकथा “डिस्कवरी ऑफ इंडिया” (भारत-एक खोज) और “ग्लिम्प्सेज वर्ल्ड ऑफ हिस्ट्री” की रचना की। सन् 1929 में, कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू इसके अध्यक्ष चुने गए। अधिवेशन के दौरान 31 दिसंबर 1929 की मध्यरात्रि के समय पं. जवाहरलाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज की मांग का प्रस्ताव पेश किया।

इस प्रकार पं. नेहरू भारत की आज़ादी के लिए कर्मठता से जूझते रहे। उनके साथ उनकी धर्मपत्नी कमला नेहरू भी थीं जिनका 28 फरवरी 1936 को स्विट्ज़रलैण्ड में देहान्त हो गया। उस समय वे केवल 37 वर्ष की थीं। तत्पश्चात् इलाहाबाद में उनकी माँ का भी स्वर्गवास हो गया। इंदिरा गाँधी उस समय ऑक्सफोर्ड में पढ़ रही थीं। अब वे अकेले थे, और फिर वे अनवरत देश सेवा में लग गए।

सन् 1936 में, पं. जवाहरलाल नेहरू को दूसरी बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। फिर गाँधीजी ने सत्याग्रह शुरू कर दिया और बाद में “भारत छोड़ो आंदोलन” शुरू हुआ। इसके बाद देश आजाद हो गया, लेकिन इसका विभाजन दो स्वतंत्र राष्ट्रों में कर दिया गया भारत और पाकिस्तान। पं. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने, विदेश मंत्रालय भी उन्हीं के पास था।

प्रधानमंत्री के रूप में उनका प्रथम कार्य विस्थापित लोगों का पुनर्वास करना था। तब पाकिस्तान में हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे थे। फिर गाँधीजी लोगों को शांत करने के लिए बंगाल गए। पं. जवाहरलाल नेहरू की एक विशेषता यह थी कि वह किसी भी कार्य को दृढ़ता से करते थे। इसी दृढ़ता के बल पर उन्होंने स्वतंत्रता हासिल करने के पश्चात् देशी राज्यों को संगठित किया और औद्योगिक क्षेत्रों को प्रगतिशील बनाया।

इस प्रकार अपनी भारत माता की सेवा और देश के बच्चों को अथाह प्यार करते-करते 27 मई, 1964 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसमें । वे बच नहीं पाए। उनकी मृत्यु के बाद हम सभी भारतवासी उनका  जन्म-दिन हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं।

Also Read:

Written by

Romi Sharma

I love to write on humhindi.inYou can Download Ganesha, Sai Baba, Lord Shiva & Other Indian God Images

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.