गांधी जयंती पर निबंध Essay on Gandhi Jayanti in Hindi

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हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Gandhi Jayanti in Hindi पर पुरा आर्टिकल। गांधी जयंती महात्मा गाँधी के जन्म दिवस पर मनाया जाता है उससे जुडी हुई सारी जानकारी लाये है आईये शुरू करते है Essay on Gandhi Jayanti in Hindi

Essay on Gandhi Jayanti in Hindi

गांधी जयंती पर निबंध

भूमिका :

इस संसार में हजारों लोग हर दिन पैदा होते हैं और हजारों हर दिन मर जाते हैं लेकिन कोई उनका नाम तक नहीं जानता। परन्तु कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके अद्भुत कार्य ही उनकी पहचान होते हैं, ऐसे महान व्यक्ति मरकर भी अमर हो जाते हैं। ऐसे ही महान व्यक्तियों में ‘मोहनदास कर्मचन्द’ गाँधी का नाम सर्वोपरि है।

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को काठियावाड के पोरबन्दर नामक नगर में हुआ था। उनका जन्म दिन हर वर्ष ‘गाँधी जयन्ती’ के रूप में मनाया जाता है। यह भी अन्य राष्ट्रीय पर्वो की भाँति एक मुख्य पर्व है।

गाँधी जयन्ती का महत्व :

यह एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रीय पर्व है। गाँधी जी कोई सामान्य नागरिक नहीं थे। वे तो एक ऐसे युग-पुरुष थे, जो कभी-कभी हजारों वर्षों में एक बार पैदा होते हैं। इस महान आत्मा ने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतन्त्र कराने के लिए सत्य तथा अहिंसा जैसे शस्त्रो का प्रयोग किया था।

उनका जीवन जैसे काँटों के बिस्तर पर सोने के लिए ही बना था। उनका अपना कोई व्यक्तिगत सुख नहीं था, वे तो बस देशवासियों के सुख की चिन्ता में रहते थे। यही कारण है कि इस महान आत्मा को श्रद्धांजलि देने हेतु उनका जन्मदिवस हर वर्ष ‘गाँधी जयन्ती’ के रूप में विशेष हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

गाँधी जयन्ती मनाने की विधि :

यह पर्व हर गाँव, शहर, नगर में बराबर धूमधाम से मनाया जाता है। सुबह से ही प्रभात-फेरियाँ निकलनी प्रारम्भ हो जाती हैं। दिन में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों, कवि-सम्मेलनो आदि का आयोजन किया जाता है। पूरा वातावरण ‘गाँधी जी अमर रहे’ जैसे नारों से गूंज उठता है। इस दिन दिल्ली में गाँधी जी की समाधि ‘राजघाट’ पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं तथा लोग उनकी समाधि पर फूल-मालाएँ व श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह दिन सभी विद्यालयों में भी

विशेष जोश से मनाया जाता है। इससे छात्रों को भी गाँधी जी के जीवन के आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है। वैसे तो यह एक राष्ट्रीय अवकाश होता है, लेकिन इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बच्चे गाँधी जी की तरह बनकर उनके गुणों को दर्शाने की कोशिश करते हैं।

निष्कर्ष :

गाँधी जी का व्यक्तित्व एकदम साधारण था। वे शरीर पर केवल एक धोती मात्र लपेट कर सादगी की मूरत लगते थे। उन्होंने विदेशी वस्तुओं का परित्याग करके देशी वस्तुएँ अपनाने पर जोर दिया। नारी कल्याण, बाल कल्याण, दलित उद्धार के लिए उन्होंने अनेक कार्य किए और सफलता  भी प्राप्त की।

गाँधी जयन्ती का शुभ पर्व हमारे लिए पथ प्रदर्शक का कार्य करता है इसलिए इस दिन हम सभी को यह संकल्प करना चाहिए कि हम गाँधी जी की ही भाँति अपने देश की रक्षा के लिए अपना तन, मन, धन सबकुछ न्यौछावर कर देंगे।

Essay on Gandhi Jayanti in Hindi

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अर्थात् मोहन दास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ प्रांत में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। महात्मा गांधी के इस जन्म-दिवस को समूचा राष्ट्र एक राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाता है। इस दिन सरकारी कार्यालयों, संस्थानों व स्कूलों में अवकाश रहता है।

2 अक्टूबर के दिन राजधानी दिल्ली में स्थित राजघाट, जहां पर गांधीजी की समाधि है, पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य गण्यमान व्यक्ति जाते हैं और वे वहां पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इसी तरह अन्य सरकारी व गैर-सरकारी संस्थानों, स्कूलों व शैक्षिक संस्थानों में गांधीजी की राष्ट्र के प्रति की गयी सेवाओं का स्मरण किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।

भारत के राष्ट्रपिता, नव राष्ट्र के निर्माता एवं भाग्य विधाता महात्मा गांधी एक ऐसे अनूठे व्यक्ति थे जिनके बारे में नाटककार बर्नार्ड शॉ ने उचित ही कहा था कि “आने वाली पीढियां बड़ी मुश्किल से विश्वास कर पाएंगी कि कभी संसार में ऐसा व्यक्ति भी हुआ होगा।” वे सत्य, अहिंसा और मानवता के पजारी थे। वे उन महान परुषों में से थे जो इतिहास का निर्माण किया करते हैं।

महात्मा गांधी के पिता राजकोट रियासत के दीवान थे। उनकी माता पुतलीबाई धार्मिक विचारों वाली सीधी-सरल महिला थीं। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर तथा राजकोट में हुई। वे 18 वर्ष की अवस्था में यहां से मेट्रिक की परीक्षा पास करके बैरिस्टरी पढने के लिए इंग्लैंड गाए । उनका विवाह तेरह वर्ष की अवस्था में ही कस्तूरबा से हो गया था। जब व वैरिस्टर वनकर स्वदेश लौटे तो उनकी माता का साया उनके सिर से उठ चुका था।

संयोगवश वकालत करते समय एक गुजराती व्यापारी का मुकदमा निपटाने के लिए गांधीजी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने गारों द्वारा भारतीयों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार को देखा। वहां पर गोरों ने उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया। उन्होंने निडरता के साथ गोरों के इन अत्याचारों का विरोध किया जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। अन्त में उन्हें इसमें सफलता ही मिली।

1915 ई. में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने पर उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अनेक कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने अंग्रेजों के रोलट एक्ट का विरोध किया। सम्पूर्ण राष्ट्र ने उनका साथ दिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उन्होंने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया। वे अनेक बार जेल भी गए। उन्होंने सत्याग्रह भी किए। बिहार का नील सत्याग्रह, डाण्डी यात्रा या नमक सत्याग्रह व खेड़ा का किसान सत्याग्रह गांधीजी के जीवन के प्रमुख सत्याग्रह हैं।

गांधीजी ने भारतीयों पर स्वदेशी अपनाने के लिए जोर डाला। उन्होंने सन् 1942 में “भारत छोडो’ आंदोलन चलाया। गांधीजी के अथक प्रयत्नों से 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। गांधीजी भारत को एक आदर्श राम-राज्य के रूप में देखना चाहते थे।

गांधीजी छुआछूत में विश्वास नहीं रखते थे। उनका सारा जीवन अछूतोद्धार ग्राम सुधार, नारी शिक्षा और हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए संघर्ष करने में बीता।

30 जनवरी सन् 1948 को दिल्ली की एक प्रार्थना सभा में जाते समय नाथूराम गोडसे ने गांधीजी पर गोलियां चला दीं। उन्होंने वहीं पर ‘हे राम’ कहते हुए अपने प्राण त्याग दिए।

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Essay on Gandhi Jayanti in Hindi

 

सत्य और अहिंसा की अलख जगाने वाले राष्ट्रपिता मोहनचंद करमचंद गाँधी का जन्म पोरबंदर (गुजरात) में 2 अक्तूबर, 1869 को हुआ था। आज गाँधी जयंती केवल भारत में ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व में मनाई जाती है। अब गाँधी जयंती अंतर्राष्ट्रीय गाँधी जयंती हो गई है।

गाँधीजी 125 वर्ष तक जीना चाहते थे। इतनी लंबी आयु की इच्छा के पीछे उनका लक्ष्य वह सब हासिल करना था जो वह स्वराज से पूर्व नहीं कर सके थे। उनके लिए स्वराज उनके सक्रिय जीवन के अधिकांश वर्षों की अवधि में एक ‘साध्य’ था जबकि वह सदैव एक बेहतर समाज की स्थापना के लिए ‘साधन’ के रूप में प्राप्त करना चाहते थे।

देश को जब ‘स्वराज’ प्राप्त हुआ उस समय गाँधीजी लगभग 77 वर्ष के थे। और जब प्रथम राष्ट्रीय स्वाधीनता दिवस मनाने के लिए ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा रहा था, तब गाँधीजी राजधानी से बहुत दूर सांप्रदायिक सद्भावना की स्थापना के लिए कठिन संघर्ष कर रहे थे। केवल छ: माह बाद ही गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। परंतु वह तो 125 वर्ष तक जीना चाहते थे।

उन्होंने कहा था कि वह स्वराज के द्वारा देश को प्रत्येक नागरिक के रहने के लिए एक बेहतर स्थान बनाएगे। परंतु गाँधीजी यह कैसे कर सकते थे, यह प्रश्न उन सभी लोगों को उद्विग्न कर रहा होगा जो आज उन्हें समझना चाहते हैं।

गाँधीजी को समझने के लिए कुछ मूलभूत बातों को समझना होगा और वे हैं:-

(1) ‘साध्य’ और ‘साधन’ विनिमेय हैं।
(2) साधन हमेशा शुद्ध होने चाहिए।
(3) समाज की मूल इकाई व्यक्ति है।
(4) देश के आर्थिक विकास के लिए मूल इकाई गाँव होना चाहिए,
(5) किसी भी विकासमूलक गतिविधि की दिशा में उठाए गए कदम का मापदंड सत्य और अहिंसा है।

गाँधीजी चाहते थे कि हम जो कुछ भी प्राप्त करें, उसे सत्य के निकट होना चाहिए और उसे सदैव अहिंसा के द्वारा प्राप्त किया जाना चाहिए। उनका सत्याग्रह केवल एक ऐसा दृष्टान्त है जिसे उन्होंने सत्य को एक साधन के रूप में प्रयुक्त किया।

मानवता के इतिहास में इससे पहले कभी भी अहिंसा, सच्चाई, भाईचारा, स्नेह और न्याय जैसे मूल्यों को किसी ने इतना महत्व नहीं दिया, परंतु महात्मा गाँधी ने इन्हीं मानवीय सद्गुणों द्वारा भारत को स्वतंत्रता दिलाई और दुनिया में एक नवीन आदर्श की स्थापना की।

इसीलिए आज गाँधीजी के उपरोक्त सद्गुणों को पूरी दुनिया स्वीकार रही है और उनके जन्म-दिवस को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मना रही है तथा भारत के महान सपूत को शत् शत् नमन कर रही है।

Essay on Gandhi Jayanti in Hindi

 

गाँधी जी महापुरुष थे। वह मानवता के संरक्षक थे। वे दीन-दुखियों के सहायक और अहिंसा के पुजारी थे। वे भारत की स्वतंत्रता का बिगुल फूंकनेवाले महान स्वतंत्रता सेनानी थे। वे दूसरों की पीड़ा समझने वाले महान संत थे। इस महापुरुष का जन्म 2 अक्तूबर, 1969 को गुजरात में हुआ था। इन्हीं का जन्मदिन हम लोग गाँधी जयन्ती के रूप में मनाते हैं।

महापुरुषों का जन्म यदा-कदा ही होता है। उनका जन्मदिन विशेष महत्त्व रखता है। यह दिन लोगों को उनके व्यक्तित्व की विशेषताओं की याद दिला जाता है। इस दिन लोग उनको याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। दिल्ली स्थित राजघाट पर महात्मा गाँधी का समाधिस्थल है। गाँधी जयन्ती के दिन लोग यहाँ बड़ी संख्या में आते हैं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा अन्य नेतागण यहाँ उपस्थित होकर राष्ट्र की ओर से उन्हें नमन करते हैं।

गाँधी जी के प्रिय भजनों का गायन होता है-“वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे।” यह भजन गाँधी जी को अत्यंत प्रिय था। वे राम में रहीम और रहीम में राम के दर्शन करते थे। भजन-संध्या में उनके इन्हीं विचारों को याद किया जाता है।

गाँधी जयन्ती के उपलक्ष्य में देश भर में अवकाश रहता है। इस दिन लोग गाँधी जी के आदर्शों का स्मरण करते हैं। कुछ लोग चरखा चलाते हैं। कहीं खादी के वस्त्रों की तो कहीं हथकरघे के वस्त्रों की प्रदर्शनी लगती है। विद्यार्थी सामुदायिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन वृक्षारोपण के कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

कहीं गाँधी के चिंतन और दर्शन पर व्याख्यान मालाएँ होती हैं तो कहीं गृहउद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी लगती है। अनेक स्थानों पर सर्वधर्म सम्मेलन होते हैं। रेडियो और टेलीविज़न पर गाँधी जयंती से संबंधित विशेष कार्यक्रम होते हैं। कुछ लोग ब्लडबैंक जाकर रक्तदान करते हैं।

गाँधी एक व्यक्ति का ही नहीं, पूरे जीवन दर्शन का नाम है। वे एक संस्था हैं तथा गाँधीवादी विचार रखनेवाले सभी लोग इसके सदस्य हैं। गाँधी जी का जन्म उन्नीसवीं सदी की एक महान घटना थी। वे बचपन से ही ईमानदार थे। सच को स्वीकार करने में तथा दृढ़संकल्पित होकर उसका पालन करने में उनकी गहरी आस्था थी। वे दैनिक जीवन में भी आदर्श के पक्षधर थे। वे श्रेष्ठ कर्म को ही सफलता की सीढ़ी मानते थे। सत्य और अहिंसा को वे जीवन का मूलमंत्र मानते थे।

वे पूरी मानवता की भलाई चाहते थे। वे एक ऐसे रामराज्य को साकार रूप देना चाहते थे जिसमें किसी प्रकार का सामाजिक भेदभाव न हो। वे धर्म को व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक समझते थे, परंतु धार्मिक आडंबर और कट्टरता से दूर रहते थे। गाँधी जयंती के दिन जनसमूह को उनवे इन्हीं आदर्शों और मान्यताओं को जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।

महात्मा गाँधी की गिनती विश्व के महान नेताओं में होती है। उनके जन्मदिन 2 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता दी गई है। यह दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

सचमुच आज विश्व को गाँधी जी के जीवन-मूल्यों की आवश्यकता है। आज धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है। कुछ लोग जेहाद के नाम पर घृणित कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं। कहीं दंगे हो रहे हैं तो कहीं महिलाओं और बच्चों के साथ अत्याचार की घटनाएं हो रही हैं। धर्म और संप्रदाय के नाम पर समाज में विष घोला जा रहा है।

दुनिया में शस्त्रों ही होड़ चल रही है। आतंकवाद जीनव का अनिवार्य सत्य बन गया है। ऐसे में गाँधी और कबीर जैसे लोग बहुत याद आते हैं। इनके विचारों को फैलाकर ही दुनिया में शांति लाई जा सकती है।

 

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Written by

Romi Sharma

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