विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध Essay on Science : Blessing or Curse in Hindi

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हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध or Essay on Science : Blessing or Curse in Hindi पर पुरा आर्टिकल। अंधविश्वास के अंधकार से निकलकर मानव ने बुद्धि और तर्क की शरण ली। इस तरह विज्ञान का विस्तार होने लगा। विज्ञान धर्म ग्रन्थों या उपदेशकों में कही बातों को तब तक सत्य नहीं मानता जब तक कि वह तर्क द्वारा या आँखों के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा तर्क सिद्ध न हो जाय Vigyan Vardan Ya Abhishap in Hindi

 

vigyan vardan ya abhishap

विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध

प्रस्तावना :

इस विश्व में जितने भी पदार्थ हैं, उनके दो पक्ष अवश्य होते हैं। एक पक्ष सुखकारी होता है तो दूसरा पक्ष दुखदायी होता है। सूर्य, चाँद, अग्नि, जल, वायु आदि का रूप इन दोनों पक्षों में दृष्टिगत होता है।

यही स्थिति विज्ञान की भी है। एक ओर वैज्ञानिक आविष्कारों ने जीवन आरामदायक बना दिया है, वहीं दूसरी ओर विज्ञान ने कछले कार्य किए हैं, जिनसे मानव जीवन को खतरा पैदा हो गया है।

विज्ञान का मानव जीवन में वरदान :

विज्ञान के आधुनिक आविष्कार हमारे लिए अलादीन के चिराग के समान है, जिनसे हमारी सारी आवश्यकता तुरन्त पूरी हो जाती हैं। इन्ही आविष्कारों के कारण स्थान की दूरी भी समाप्त हो रही है। अब महीनों की दूरी दिनों में तथा दिनों की दूरी घंटों में परिवर्तित हो चुकी है। टेलीफोन तार, बेतार के तार आदि वैज्ञानिक आविष्कारों से विश्व के एक कोने में घटित होने वाली घटनाओं के समाचार मिनटों में विश्व के दूसरे कोने में पहुँच जाते हैं।

चिकित्सा के क्षेत्र में तो विज्ञान के आविष्कारों में एकदम काया पलट कर दी है। एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड जैसी मशीनों की वजह से आज दुर्लभ बीमारियों पर डॉक्टरों ने विजय प्राप्त कर ली है। आज तो सारे अंग परिवर्तन भी किए जा रहे हैं। कृत्रिम गर्भाधन इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। विज्ञान का सबसे बड़ा आविष्कार ‘बिजली’ ने तो जैसे क्रान्ति ही ला दी है। पंखे, कूलर, ए.सी., कम्प्यूटर, टेलीविजन, बड़ी-बड़ी मशीने और न जाने कितनी अनगिनत वस्तुएँ बिजली से ही चालित हैं। कृषि के क्षेत्र में, मनोरंजन के क्षेत्र में और न जाने कितने क्षेत्रों में विज्ञान के चमत्कारों के हम ऋणी हैं।

विज्ञान एक अभिशाप :

विज्ञान में जहाँ मानव-जीवन को सुखी बनाने की असीम शक्ति विद्यमान है, वहाँ कभी-कभी विज्ञान की विनाश लीला भी देखी जा सकती है। जहाँ एक ओर विज्ञान के आविष्कार जीवन को खुशियों से भर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आकाश में घरघराते वायुयान बमों की वर्षा करके इन खुशहाल घरों को श्मशान में परिवर्तित कर देते हैं। द्वितीय महायुद्ध में जापान के नागासाकी और हिरोशिमा नगरों में अमेरिकन बमबारी ने परमाणु बम फेंककर तमाम नगरों को नष्ट कर दिया था।

शरीर के रोगा को दूर करने के लिए प्रयोग की जाने वाली बिजली चिकित्सा से स्वास्थ्य प्राप्त होता है, परन्तु जब कोई बिजली से चिपककर मर जाए, तो उसके लिए यही वैज्ञानिक चमत्कार सबसे बड़ा अभिशाप बन जाता है।

वैज्ञानिकों ने मानव के हित के लिए अनेक प्रकार की मशीनों का आविष्कार कर दिया है। इन मशीनों पर एक-एक व्यक्ति काम कर सकता है। इससे समय तथा उत्पादन शीघ्र तथा उच्च स्तर का मापदंड तो स्थापित हुआ है, परन्तु साथ ही श्रम को भी हानि पहुँची है। इस मशीनी युग के कारण ही लाखो लोग बेरोजगार हो गए हैं। मिलों के लग जाने के कारण गाँव उजड़ते जा रहे हैं। आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने हमे आलसी भी बना दिया है।

आज तो हम बटन युग में जी रहे हैं। बस बटन दबाओ और मशीन अपना कार्य करना आरम्भ कर देती है। ये सब मशीने हमारे शरीर को बीमारियों का घर बना रही हैं।

 

विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध

आधुनिक युग विज्ञान का युग है। विज्ञान का मुख्य पहलू, लक्ष्य, उद्देश्य और गन्तव्य मानव जीवन के लिए तरह-तरह के साधन जुटाकर उसे सुख-सुविधाओं और सम्पन्नता के वरदानों से भर देना है। परन्तु यह मानव के स्वभाव और व्यवहार पर निर्भर करता है कि वह इसे सारी मानवता के लिए वरदान बना दे या अभिशाप। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान के अनेक आविष्कारों ने मानव जीवन को पहले से अधिक सुखी बना दिया है।

आज विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को सुखी तथा समृद्ध बनाने के लिए सुई से लेकर हवाई जहाज, रेलगाड़ी, जलयान व यंत्र, कार एवं अनेक तरह के सामान मुहैया कर सुख-सुविधा से भर दिया है। यह भी मानव जीवन के लिए वरदान ही हैं। तार, टेलीफोन और बेतार के तार द्वारा संवाद भेजने में बड़ी सुविधा हो गई है। यातायात के साधनों के विकास से संसार की दूरी बहुत छोटी हो गई है। इसके द्वारा मानव चन्द्रमा पर भी पहुंच गया है।

चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने अनेक चमत्कार किए हैं। जिन रोगों का पहले इलाज सम्भव नहीं था. इंजैक्शन तथा शल्य-चिकित्सा द्वारा उनका निदान सम्भव हो गया है। प्लास्टिक सर्जरी द्वारा अनेक कृत्रिम अंग बखूबी लगाए जाने लगे हैं। एक्स-रे तथा ‘अल्ट्रा-साउंड द्वारा सूक्ष्म-से-सूक्ष्म अंगों के चित्र खीचें जा रहे हैं। यहाँ तक कि आँखों का आप्रेशन व इसका दूसरे के शरीर में प्रत्यारोपण भी सम्भव हो गया है।

‘मुद्रण-यन्त्र’ भी विज्ञान की ही देन है जिससे पुस्तकों व समाचार-पत्रों की अनेक प्रतियाँ थोड़े ही समय में मुद्रित की जाने लगी हैं। रेडियो, टेलीविजन तथा वी.सी.आर. आदि मनोरंजन के प्रमुख साधन हैं जो विज्ञान की देन हैं। विज्ञान का आधुनिक युग का सबसे महत्त्वपूर्ण आविष्कार है ‘विद्युत’ जिससे हमें प्रकाश, शक्ति व तापमान प्राप्त होता है। यह मनुष्य के लिए एक प्रकार का वरदान ही, है।

दूसरी ओर आधुनिक विज्ञान ने मानव-जीवन और समाज को अभिशप्त भी कम नहीं किया है। विज्ञान ने हमें एक दानवी शक्ति भी दी है – परमाणु शक्ति जिसका यदि हम दुरुपयोग करें तो पूरा संसार कुछ ही समय में नष्ट हो सकता है। जीवन के प्रांगण को प्रकाशित करने वाली बिजली क्षणभर में आदमी के प्राणों का शोषण कर उसे निर्जीव बना कर छोड़ देती है। अनेक ऐसे यत्रों का निर्माण किया जा चुका है जिनका दुरुपयोग कर एक बददिमाग आदमी घर के भीतर बैठकर केवल बटन दबाकर ही प्रलय की वर्षा कर सकता है। यह सब विज्ञान के अभिशाप ही हैं।

अतः आज विज्ञान ने हमें जो कुछ भी दिया वह हमारे लिए वरदान तथा अभिशाप दोनों ही हैं। यह केवल हमारे उपयोग पर निर्भर है।

Essay on Science : Blessing or Curse in Hindi

विज्ञान ने हमें जीवन के हर क्षेत्र में आश्चर्यजनक सुविधाएँ प्रदान की हैं, जिनके कारण स्वर्ग को धरती पर उतारने की कवि की कल्पना साकार हो चुकी है। विज्ञान के द्वारा आज अंधों को आँखें, बहरों को कान और लंगड़ों को पाँव प्राप्त हो रहे हैं। प्लास्टिक सर्जरी द्वारा कुरूपों को रूप मिल जाता है। चिकित्सा क्षेत्र में एक्स-रे यंत्र एक वरदान ही है जिसके द्वारा शरीर के गुप्त रोगों का पूर्ण ज्ञान हो जाता है और असाध्य रोगों के निवारण के लिए ऐसी औषधियाँ बन चुकी हैं जो रामबाण के समान लाभदायक हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में मुद्रण कला (छपाई) एवं कंप्यूटर की सुविधा से आज सभी प्रकार की पुस्तकें सुगमता से उपलब्ध हैं। चलचित्र एवं दूरदर्शन द्वारा शिक्षा का प्रसार किया जा रहा है। लिफ्ट के माध्यम से आदमी बटन दबाते ही ऊँची से ऊँची मंजिल पर पहुँच जाता है। मनोरंजन के क्षेत्र में भी विज्ञान ने रेडियो ट्रांजिस्टर, दूरदर्शन, वी.सी.आर. आदि साधन दिए हैं। इसके अलावा विज्ञान ने टेलीग्राम और टेलीप्रिंटर जैसे अनेक ऐसे साधन विकसित किए हैं जिनके द्वारा हम सैकंडों में विश्व भर के समाचारों से अवगत हो जाते हैं।

यातायात के साधनों में विज्ञान द्वारा बड़ी प्रगति हुई है। मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार, बस, रेल, हवाई जहाज़, जैसे यानों से थोड़े समय में अधिक यात्रा की जा रही है। इनके अलावा सिलाई मशीन, कपड़े धोने की मशीन, रेफ्रीजेरेटर, कूलर, ए.सी., हीटर, गीज़र और गैस चूल्हों आदि ने दैनिक कार्यों में बहुत सुविधा प्रदान की है।

युद्ध के क्षेत्र में भी विज्ञान के अनेकों आविष्कार हैं। अणु बम, हाइड्रोजन बम तथा प्रक्षेपणास्त्रों द्वारा पल भर में सैकड़ों मील दर बैठे शत्रु का विनाश किया जा सकता है। इसके अलावा विषैली गैसें, तोपें, बमबारी करने वाले विमान, युद्धपोत और टैंक आदि युद्ध के क्षेत्र में प्रलय कर देने वाले साधन हैं। वस्तुतः आज हम सिर से पाँव तक विज्ञान के ऋणी हैं।

आज विज्ञान बेशक मनुष्य के लिए अलाउद्दीन का चिराग हो, परंतु अनेक प्रकार के विध्वंसक परमाणु बम, तोपें, बंदूकें और अन्य अस्त्र-शस्त्रों के आविष्कार ने विज्ञान को मानव के लिए अभिशाप भी बना दिया है। विज्ञान तभी एक वरदान है, जब वह मनुष्य के लिए हितकारी है, परंतु जब वह उसका विध्वंस करेगा तो विज्ञान उसके लिए अभिशाप बन जाएगा। इसलिए विज्ञान का उपयोग सदैव इस दुनिया और मानव के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।

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Essay on Science : Blessing or Curse in Hindi

वर्तमान युग को वैज्ञानिक युग कहा जा सकता है। इस वैज्ञानिक युग में चारों दिशाओं में, जल-थल-नभ में विज्ञान के चमत्कार दृष्टिगोचर हो रहे है। नित नये वैज्ञानिक आविष्कार किए जा रहे हैं। आज मानव-जीवन विज्ञान पर निर्भर हो गया है। घर हो या कार्यालय, विज्ञान ने मानव-जीवन को सरल एवं सुविधा सम्पन्न बना दिया है। दूसरी ओर वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण मानव के लिए अनेक प्रकार के प्राणघातक खतरे भी उत्पन्न हो रहे हैं। पहले की तुलना में आज मानव-जीवन विज्ञान के कारण अधिक असुरक्षित हो गया है।

वास्तव में विज्ञान की उत्पत्ति मानव को सुख-समृद्धि प्रदान करने के उद्देश्य से ही हुई थी। पहले मनुष्य को जीवनयापन के लिए अत्यधिक शारीरिक श्रम करना पड़ता था और उसे जीवन में पग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। आज मानव ऊँची-ऊँची इमारतों में सुविधा सम्पन्न जीवन व्यतीत कर रहा है और यह विज्ञान की ही देन है। आज रसोई में कुछ मिनटों में ही मानव स्वादिष्ट भोजन तैयार कर लेता है। घर बैठकर ही मानव संचार माध्यमों के कारण सारे संसार के सम्पर्क में रहता है। यातायात के आधुनिक साधनों के द्वारा मानव चंद घंटों में ही संसार के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँच जाता है। मानव-जीवन को ये चमत्कारी सुविधाएँ विज्ञान ने ही प्रदान की हैं।

पहले प्रत्येक क्षेत्र में मनुष्य को दिन-रात कठिन परिश्रम करने के उपरान्त भी अधिक सफलता प्राप्त नहीं होती थी। आज विज्ञान के कारण मनुष्य कम परिश्रम में अधिक सफलता प्राप्त कर रहा है। आज कृषि की सिंचाई के लिए मनुष्य को बरसात की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। वैज्ञानिक यंत्रों के द्वारा आज किसान कम मेहनत में भरपूर फसल प्राप्त कर रहा है। विज्ञान ने मनुष्य के लिए रोजगार के अनेक द्वार भी खोले हैं। नित नये कल-कारखाने स्थापित हो रहे हैं, जिनमें मनुष्य को अधिक शारीरिक श्रम भी नहीं करना पड़ रहा है। इन कल-कारखानों में विभिन्न उपकरण तैयार किए जाते हैं, जो मानव-जीवन को सुविधा प्रदान करते हैं।

आज वैज्ञानिक उपकरणों के द्वारा एक व्यक्ति अपने कार्यालय में बैठकर अपने समस्त कार्य सरलता से कर सकता है। आज प्रत्येक ऋतु में वातानुकूलित कमरे में बैठा व्यवसायी टेलीफोन, कम्प्यूटर, इन्टरनेट के माध्यम से विभिन्न देशों में अपना कारोबार फैला सकता है। इस दृष्टिकोण से विज्ञान मानव के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है।

वैज्ञानिक आविष्कारों ने मानव-जीवन को सुविधा सम्पन्न अवश्य बनाया है। अंतरिक्ष की यात्रा करने से मनुष्य के अनेक भ्रम भी दूर हुए हैं। परन्तु मनुष्य को सुविधा प्रदान करने वाला विज्ञान और वैज्ञानिक उपकरण मानव-जीवन के लिए खतरा भी बनते जा रहे हैं। आज मनुष्य के घर, कार्यालय और उद्योग- धंधे, सभी बिजली पर निर्भर हैं। समस्त आधुनिक उपकरण विद्युत से संचालित हो रहे हैं। परन्तु यही विद्युत मनुष्य के लिए

प्राणघातक भी है। कल-कारखानों में स्थापित यंत्रों के सम्पर्क में आकर भी लोगों ने अपनी जान गंवाई है। यातायात के आधुनिक साधन भी चालक की लापरवाही अथवा अन्य कारणों से दुर्घटनाग्रस्त होकर अनेक लोगों की अकाल मृत्यु का कारण बने हैं। मनुष्य की सुरक्षा के लिए बनाए गए आधुनिक हथियार असामाजिक तत्त्वों के हाथों में पहुँचकर मानव-जाति का विनाश ही कर रहे हैं।

विज्ञान के चमत्कारी आविष्कार परमाणु बम ने तो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा, नागासाकी में विनाश-लीला दिखाकर विज्ञान के खतरों को सिद्ध कर ही दिया था। विज्ञान के आधुनिक यंत्रों और विभिन्न देशों में किए जा रहे रासायनिक परीक्षणों के द्वारा वातावरण में प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ी है, जिससे ‘पर्यावरण के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। रासायनिक परीक्षणों से अंतरिक्ष की ओजोन पर्त में छेद भी हो गया है और यह पृथ्वी के प्राणी-जीवन और वनस्पति के लिए खतरे का संकेत है। इस दृष्टिकोण से विज्ञान मानव के लिए अभिशाप के रूप में दृष्टिगोचर हो रहा है।

विज्ञान के कारण आज मानव-जीवन सुविधा -सम्पन्न अवश्य हो गया है, परन्तु मानव के लिए विज्ञान के खतरे भी कम नहीं हैं। वास्तव में विज्ञान मानव के लिए कभी वरदान स्वरूप दिखाई देता है, कभी अभिशाप बनकर आघात करता है।

Essay on Science : Blessing or Curse in Hindi

 

यद्यपि इस पृथ्वी पर मनुष्य को उत्पन्न हुए लाखों वर्ष बीत चुके हैं, किंतु वास्तविक वैज्ञानिक उन्नति पिछले दो सौ वर्षों में ही हुई है। कुछ लोग कहते हैं कि इस प्रकार की वैज्ञानिक उन्नति अतीत में अनेक बार हो चुकी है; किंतु साहित्य में विमानों और दिव्यास्त्रों के कवित्वमय उल्लेख के अतिरिक्त और कोई ऐसा प्रमाण उपलब्ध नहीं है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि प्राचीनकाल में इस प्रकार की वैज्ञानिक उन्नति हुई थी।

आधुनिक युग में विज्ञान के नवीन आविष्कारों ने विश्व में क्रांति-सी भर दी है। विज्ञान के बिना मनुष्य के स्वतंत्र अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विज्ञान की सहायता से मनुष्य प्रकृति पर विजय प्राप्त करता जा रहा है। आज से कुछ वर्ष पूर्व विज्ञान के आविष्कारों की चर्चा से ही लोग आश्चर्यचकित हो जाया करते थे, परंतु आज वही आविष्कार मनुष्य के जीवन में घुल-मिल गए हैं। एक समय था, जब मनुष्य सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को कुतुहलपूर्ण व आश्चर्यजनक समझता था तथा भयभीत होकर प्रार्थना करता था, किंतु आज विज्ञान ने प्रकृति को वश में करके मानव को अपना दास बना दिया है।

विज्ञान ने हमें अनेकानेक सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं, किंतु साथ ही विनाश के सभी विविध साधन जुटा दिए हैं। इस स्थिति में यह प्रश्न विचारणीय हो गया है कि विज्ञान मानव-कल्याण के लिए कितना उपयोगी है? वह समाज के लिए वरदान है या अभिशाप?

विज्ञान वरदान है-आधुनिक विज्ञान ने मानव सेवा के लिए अनेक प्रकार के साधन जुटा दिए हैं। पुरानी कहानियों में वर्णित अलादीन का चिराग आज मामूली और तुच्छ जान पड़ता है। अलादीन के चिराग का दैत्य जो काम करता था, उन्हें विज्ञान बड़ी सरलता से कर देता है। रातों-रात महल बनाकर खड़ा कर देना, आकाश-मार्ग में उड़कर दूसरे स्थान पर चल जाना, शत्रु के नगरों को मिनटों में बरबाद कर देना ऐसे ही कार्य हैं।

विज्ञान मानव-जीवन के लिए महान वरदान सिद्ध हुआ है। उसकी वरदायिनी शक्ति ने मानव को अपरिमित सुख समृद्धि प्रदान की है।

(क) परिवर्तन के क्षेत्र में

पहले लंबी यात्राएँ दुरूह सी लगती थीं, किंतु आज रेलों, मोटरों और वायुयानों ने लंबी यात्राओं को अत्यंत सुगम व सुलभ कर दिया है। पृथ्वी ही नहीं, आज के वैज्ञानिक साधनों के द्वारा मनुष्य ने चंद्रमा पर भी अपने कदमों के निशान बना दिए हैं।

(ख) संचार के क्षेत्र में-

टेलीफ़ोन, टेलीग्राम, टेलीप्रिंटर आदि द्वारा क्षण भर में संदेश पहुँचाए जा सकते हैं। रेडिया और टेलीविजन द्वारा कुछ ही पला में एक समाचार विश्व-भर में फैलाया जा सकता है।

(ग) चिकित्सा के क्षेत्र में-

चिकित्सा के क्षेत्र में तो विज्ञान वास्तव में वरदान सिद्ध हुआ है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति इतनी विकसित हो गई है कि अंधे को आँखें और अपंग को अंग मिलना अब असंभव नहीं लगता। कैंसर, टी.बी., हृदयरोग जैसे भयंकर और प्राणघातक रोगों पर विजय पाना विज्ञान के माध्यम से ही संभव हुआ है।

(घ) खाद्यान के क्षेत्र में-

आज हम अन्न के मामले में आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं, इसका श्रेय आधुनिक विज्ञान को ही है। विभिन्न प्रकार के उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं, खेती के आधुनिक साधनों तथा जल-संबंधी कृत्रिम व्यवस्था ने खेती को सरल व लाभदायक बना दिया है।

(ङ) उद्योगों के क्षेत्र में-

उद्योग के क्षेत्र में विज्ञान ने क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं। विभिन्न प्रकार की मशीनों ने उत्पादन में वृद्धि की है।

(च) दैनिक जीवन में-

हमारे दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य विज्ञान पर ही आधारित है। विद्युत हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। बिजली के पंखे, स्टोव, फ्रिज आदि के निर्माण ने मानव को सुविधापूर्ण जीवन का वरदान दिया है। इन आविष्कारों से समय, शक्ति और धन की पर्याप्त बचत हुई है।

विज्ञान ने हमारे जीवन को इतना अधिक परिवर्तित कर दिया है कि यदि दो सौ वर्ष पूर्व का कोई व्यक्ति हमें देखे तो यही समझे कि हम स्वर्ग में रह रहे हैं। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति न होगी कि भविष्य का विज्ञान मृत व्यक्ति को भी जीवनदान दे सकेगा। इसलिए विज्ञान को वरदान न कहा जाए तो क्या कहा जाए?

विज्ञान एक अभिशाप-

विज्ञान का एक दूसरा पहलू भी है। विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में बहुत अधिक शक्ति दे दी है, किंतु उसके प्रयोग पर कोई बंधन नहीं लगाया है। स्वार्थी मानव इस शक्ति का प्रयोग जितना रचनात्मक कार्यों के लिए कर रहा है, उससे अधिक विनाश के कार्यों में भी विज्ञान को माध्यम बना रहा है।

सुविधा प्रदान करनेवाले उपकरणों ने मनुष्य को कामचोर बना दिया है। यंत्रों के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेकारी को जन्म दिया है। परमाणु अस्त्रों के परीक्षणों ने मानव को प्रकंपित कर दिया है। नागासाकी, हिरोशिमा का विनाश विज्ञान की ही देन है। मनुष्य अपनी पुरानी परंपराएँ और आस्थाएँ भूलकर भौतिकवादी होता रहा है। वह स्वार्थी हो रहा है। उसमें विश्व बंधुत्व की भावना लुप्त हो रही है।

वैज्ञानिक अस्त्रों की स्पर्दा विश्व को खतरनाक मोड़ पर ले जा रही है। परमाणु तथा हाइड्रोजन बम नि:संदेह विश्व शांति के लिए खतरा बन गए हैं। इनके प्रयोग से संपूर्ण विश्व का विनाश संभव है। इनसे संसार की संस्कृति पल भर में नष्ट हो सकती है।

विज्ञान : वरदान या अभिशाप?-

विज्ञान के विषय में उक्त दोनों दृष्टियों पर विचार करने के बाद यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है कि एक ओर विज्ञान हमारे कल्याण का उपासक है तो दूसरी ओर विनाश का कारण भी। किंतु इस विनाश के लिए विज्ञान को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। विज्ञान तो एक शक्ति है, जिसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों तरह के कार्यों के लिए किया जा सकता है। यह एक तलवार है, जिससे शत्रु का गला भी काटा जा सकता है और मूर्खता से अपना भी। विनाश करना विज्ञान का दोष नहीं है, अपितु मनुष्य के असंस्कृत मन का दोष है।

यदि मनुष्य अपनी प्रवृत्तियों को रचनात्मक दिशा में ढाल दें तो विज्ञान एक बड़ा वरदान है, किंतु जब तक मनुष्य मानसिक विकास की उस सीढ़ी पर नहीं _ पहुँचता, तब तक विज्ञान से जितना विनाश होगा उसे अभिशाप ही समझा जाएगा। विज्ञान का वास्तविक लक्ष्य है मानव-हित और मानव-कल्याण। यदि । विज्ञान अपने इस उद्देश्य की पूर्ति में पिछड़ जाता है तो उसे त्याग देना ही हितकर होगा। राष्ट्रकवि रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ने अपनी इस धारणा को इन शब्दों में व्यक्त किया है

सावधान, मनुष्य! यदि विज्ञान है तलवार,
तो इसे दे फेंक, तजकर मोह, स्मृति के पार।
हो चुका है सिद्ध, है तू शिशु अभी अज्ञान,
फूल काँटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान।
खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार,
काट लेगा अंग, तीखी है बड़ी यह धार।

Vigyan Vardan Ya Abhishap in Hindi

अंधविश्वास के अंधकार से निकलकर मानव ने बुद्धि और तर्क की शरण ली। इस तरह विज्ञान का विस्तार होने लगा। विज्ञान धर्म ग्रन्थों या उपदेशकों में कही बातों को तब तक सत्य नहीं मानता जब तक कि वह तर्क द्वारा या आँखों के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा तर्क सिद्ध न हो जाय। इस प्रकार धर्म और विज्ञान दो विरोधी धाराएं हो गयीं। धर्म की आड़ में जो लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि कर रहे थे उनके हितों को विज्ञान से काफी धक्का पहुंचाया।

विज्ञान ने मनुष्य को असीमित शक्तियां प्रदान की हैं। विज्ञान के कारण ही समय व स्थान की दूरी बाधायें खत्म हो गयी हैं। और कई गम्भीर रोगों पर विजय प्राप्त करने में सफलता मिली है। आज विश्व विज्ञान रूपी स्तम्भ पर टिका हुआ है। यही कारण है कि वर्तमान युग विज्ञान युग कहलाता है। विज्ञान की इस आशा की सफलता व उन्नति का श्रेय विश्व के कुछ देर्शों को जाता है। इनमें जापान, अमेरिका, जर्मनी, रूस, इंग्लैंड आदि देश शामिल हैं।

इन देशों में एक से बढ़कर एक आविष्कार कर विज्ञान को चरम सीमा तक पहुंचा दिया है। विज्ञान से अभिप्राय प्राकृतिक शक्तियों के विशेष ज्ञान से है। विज्ञान से हम किसी भी चीज का ऊपरी अध्ययन न करके उसकी तह तक पहुंचने का प्रयत्न करते हैं।

विज्ञान भौतिक जगत की घटनाओं जैसे सूर्य, चन्द्र, ग्रह नक्षत्र आदि, चिकित्सा जीव, वनस्पति, पशु-पक्षी तथा मनुष्य जगत का सब प्रकार से गंभीर अध्ययन करता है। पृथ्वी के गर्भ में स्थित तरह-तरह की धातुओं, मिट्टी के विभिन्न प्रकार, वातावरण, समुद्र की गहराई व पर्यावरण का अध्ययन भी करता है। विज्ञान में चिन्तन, तर्क, प्रयोग तथा परीक्षण के बिना किसी बात को ठीक नहीं माना जाता। विज्ञान प्रत्यक्ष में विश्वास रखता है परोक्ष में नहीं। आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जिसमें विज्ञान की पहुंच न हो। हमारे जीवन को सुख-सुविधा सम्पन्न बनाने में भी विज्ञान का ही हाथ है।

आज विज्ञान द्वारा रेलवे, मोटर, ट्राम, मेट्रो रेल, जलयान, वायुयान, राकेट आदि बनाये जा चुके हैं। जिनके द्वारा स्थान की दूरी में भारी कमी आयी है। यातायात के इन साधनों से मानव को पहुंचने में जहां वर्षो या महीनों लग जाते थे अब उन स्थानों पर विज्ञान के कारण वह कुछ ही दिनों में या घंटों में पहुंच जाता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण चांद की यात्रा है।

विज्ञान के साधन द्वारा हम केवल दूर से दूर स्थान पर ही नहीं पहुंच सकते अपितु सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर रखी वस्तुओं को देखने में भी हम समर्थ हो गये हैं। आज टेलीविजन द्वारा न केवल हजारों किलोमीटर दूर स्थित किसी नगर में घटी घटना को देख सकते हैं बल्कि उसका आंखों देखा हाल भी सुन सकते हैं। विज्ञान ने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कम आश्चर्यजनक चमत्कार नहीं किया है।

तार, टेलीफोन, सेलुलर फोन, इंटरनेट, कम्प्यूटर आदि यंत्रों द्वारा समाचारों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर संचार किया जा रहा है। एक समय था जब किसी को संदेश भेजने में हफ्ते से माह भर तक का समय लग जाता था लेकिन आज स्थिति कुछ और है।

मुद्रण के क्षेत्र में भी विज्ञान द्वारा इतनी तेजी आ गयी है कि समाचार पत्र या पुस्तक की हजारों प्रतियां जरा ही समय में छप जाती हैं। चिकित्सा क्षेत्र में भी विज्ञान की मदद से उपचार की नई-नई तकनीकें आई हैं। इन तकनीकों के कारण कुछ मामलों में तो शल्य चिकित्सा की आवश्यकता ही नहीं रह गयी। इनके अलावा कई ऐसे कम्प्यूटर चालित उपकरण आ गये हैं जो खुद ब खुद रोगी के शरीर की जांच कर रोग का पता लगा लेते हैं।

इसके अलावा कुछ ऐसे उपकरण भी हैं जिनसे मानव अपने भीतरी अंगों को देख सकता है व उनमें जो कमी है वह भी यह उपकरण दिखा देते हैं। विद्युत क्षेत्र में भी विज्ञान का योगदान कम नहीं है। कोयले से चलने वाले बिजली घर अब गैस व बिजली से ही काम करने लगे हैं। ऐसे और अन्य कई क्षेत्र हैं जिनमें विज्ञान ने चमत्कार का काम किया है।

विज्ञान द्वारा की गई नित नई-नई खोजों से जहां हमें लाभ हुआ है वहीं कई हानियां भी हुई हैं। स्वचालित हथियारों, पनडुब्बी, विमान भेदी तोपें, विषैली गैस, परमाणु बम आदि भी विज्ञान की ही देन है। नवीनतम उपकरणों व यंत्रों का प्रयोग करते समय जरा सी भी भूल मानव जीवन को नष्ट कर सकती है। आकाश में उड़ता विमान थोड़ी सी खराबी आने पर उसमें सवार सैकड़ों यात्रियों को परलोक पहुंचा सकता है।

जिनका प्रयोग मानव हित में नहीं है। इसलिए यह कहना बड़ा मुश्किल है कि विज्ञान मानव का शत्रु है या मित्र । हालांकि इन सब चीजों का उपयोग और दुरुपयोग करना मानव के हाथ में ही है। वैज्ञानिक अनुसंधानों तथा यंत्रों का प्रयोग मानव हित में ही किया जाना चाहिए।

 

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Written by

Romi Sharma

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