हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Aeroplane in Hindi पर पुरा आर्टिकल। हम आपके वायुयान के बारे मे बहुत सी रोचक जानकारी बतायंगे जो आपको नहीं पता होगी। सन् 1903 ई. में सबसे पहले पैट्रोल इंजन वाला छोटा वायुयान उड़ाया गया था, जिसमें केवल दो व्यक्ति ही बैठ पाते थे आईये वायुयान के बारे में पूरी जानकारी शुरू करते है
Aeroplane Essay in Hindi
प्रस्तावना :
आकाश में उड़ते स्वच्छ पक्षियों को देखकर किसका मन व्यग्र नहीं होगा? इंसान तो प्रारंभ से ही जिज्ञासु रहा है और जब तक उसकी जिज्ञासा शान्त नहीं हो जाती, वह प्रयास करता ही रहता था। आकाश में उड़ते पंछियों को देखकर मानव का व्यग्र मन भी मचल उठता था। उसके सपनों को हकीकत का जामा पहनाया बीसवीं सदी के प्रारम्भ में वाययान के आविष्कार ने। यह तो आकाश में उड़ने की शुरुआत थी, तब से लेकर आज तक हवाई जहाजों की रचना शैली में बहुत परिवर्तन आ चुका है।
वायुयान का आविष्कार :
वैज्ञानिक प्रगति ने हमे अनेक यातायात के साधन दिए हैं इनमें प्रमुख हैं-रेल, कार, स्कूटर, वायुयान, हैलीकॉप्टर तथा समुद्री जहाज इत्यादि। इन सभी साधनों में से वायुयान बहुत तीव्र गति से चलने वाला साधन है। इसकी सहायता से हम बहुत कम समय में बहुत लम्बी दूरी तय कर सकते हैं। वायुयान का आविष्कार अमेरिका के राइट ब्रादर्स’-आलिवर राइट’ तथा ‘बिलवर राइट’ ने किया था।
वायुयान का आकार तथा गति :
सन् 1903 ई. में सबसे पहले पैट्रोल इंजन वाला छोटा वायुयान उड़ाया गया था, जिसमें केवल दो व्यक्ति ही बैठ पाते थे। इसके बाद 30 से 35 यात्री वाले विमान उड़ाए गए। परन्तु अब तो ऐसे भी विमान बन चुके हैं जिसमें 300 से 1000 यात्री तक बैठ सकते हैं। जैसे-जैसे वायुयान का आकार बढ़ता गया, वैसे-वैसे उसकी गति में भी वृद्धि होती गई। पहले के विमान धीरे उड़ते थे, लेकिन अब तो वायुयान की गति 450 कि.मी. प्रति घंटा से लेकर 1800 कि.मी. प्रति घंटा तक हो गई है।
वायुयान के प्रकार :
वायुयान प्रायः तीन प्रकार के होते हैं। यात्री वायुयान, सैनिक अर्थात् युद्ध में काम आने वाले वायुयान एवं सामान लाने तथा ले जाने वाले वायुयान। आजकल ऐसे वायुयानों का भी आविष्कार हो चुका है, जो जल तथा वायु दोनों में समान रूप के कार्यान्वित किए जा सकते हैं।
वायुयान का स्वरूप :
वायुयान के आगे की तरफ हवा को चीरने के लिए एक पंखा लगा होता है। वायुयान का आकार चील जैसा होता है इसके पीछे इंजन, चालक के बैठने की जगह तथा यात्रियों के बैठने की जगह होती है। वायुयान के दो टायर वाले पहिए भी होते हैं, उड़ने से पहले जिन पहियों की सहायता से वायुयान कुछ देर चलता है। यात्रियों को चढ़ाने तथा उतारने के लिए सीढ़ियों का प्रयोग भी किया जाता है। वायुयान की बॉडी बहुत मजबूत तथा हल्की होती है। जिससे यह तेजी से आकाश में उड़ सके।
निष्कर्ष :
आज के भागदौड़ वाले युग में जहाँ लोगों के पास समय की बहुत कमी है, वायुयान जादू की छड़ी जैसा काम कर रहे हैं। आज वायुयान द्वारा यात्रा करके हम सुबह की चाय अलग देश में तथा रात का खाना अलग देश में खा सकते हैं। इन वायुयानों की सहायता से हम नदी, समुद्र व पहाड़ों के ऊपर यात्रा कर सकते हैं। आज तो युद्ध भी वायुयानों की ही सहायता से लड़े जाते हैं।
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वायुयान पर निबंध
प्राचीन हिन्दू ग्रंथों और पुराणों को पढ़ने पर ज्ञात होता है कि आज से हज़ारों-लाखों वर्ष पूर्व भी हवाई जहाज़ थे जिन्हें विमान कहते थे। इनमें पुष्कर विमान सुप्रसिद्ध है जिसमें बैठकर पहले देवता आते-जाते थे, फिर रावण ने इसका खूब प्रयोग किया। रावण की मृत्यु के पश्चात् राम, लक्ष्मण और सीता पुष्कर विमान द्वारा अयोध्या वापस आए थे। विज्ञान के इस आधुनिक युग में हवाई जहाज का आविष्कार पक्षियों को देखकर (विशेषकर चील) किया गया। हवाई जहाज बनाने का प्रथम रिकॉर्ड युआन हुआंगतू के नाम है। जिसने छठवीं सदी में हवाई जहाज़ उड़ाने का प्रयास किया था और नौवीं सदी में अब्बास इब्न फिर्नास ने प्रयास किया था।
सन् 1502 में लियोनार्डो द विंसी ने पक्षी के पंखों जैसा हवाई जहाज़ बनाया, तो 1603 में लागरी हसन पिलेटर डी रोजर एवं फ्रांकोइस डी अर्लान्डीस ने ऐसा हवाई जहाज बनाया जो हवा से भी हल्का था। वह गुब्बारा था। परंतु यात्री लेकर उड़ने वाला हवाई जहाज़ 1853 ई० में बना, जिसे सर जॉर्ज कैले ने बनाया था। 28 अगस्त, 1883 को अमरीकी जॉन जे. मोंटगोमरी ने ऐसा हवाई जहाज़ बनाया जिसे ऊपर हवा में ही नियंत्रित किया जा सकता था।
परंतु 17 दिसंबर, 1903 को राइट ब्रदर्स ने हवा से भी हल्का ऐसा हवाई जहाज़ बनाया जो हवाई उड़ान में एक पूर्ण सफल प्रयास था जो पूरी तरह नियंत्रित था। इस प्रकार इस क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति होती चली गई और एक से बेहतर एक हवाई जहाज़ तथा जेट विमान बनते चले गए।
रॉकेट के बाद सबसे तेज़ चलने वाला हवाई जहाज़ ही है। कमर्शियल जेट एयरक्राफ्ट 1000 कि.मी. प्रति घण्टे की गति से उड़ता है और एक इंजन वाला साधारण हवाई जहाज़ 425 कि.मी. प्रति घंटे की गति से चलता है। इसी प्रकार सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट (जो मिलिट्री के काम आता है) ध्वनि की गति से भी तेज़ उड़ता है। सबसे बड़ा हवाई जहाज़ है-एम-225 और सबसे तेज़ चलने वाला है-मिकोयान मिग-31। आज वैज्ञानिकों ने ऐसे भी हवाई जहाज़ बना दिए हैं जो बगैर पायलट के उड़ते हैं, जो सेना में लड़ाई के अलावा जासूसी के काम भी आते हैं। हवाई जहाजों में ब्रेक का इस्तेमाल ज़मीन पर चलते समय उसे रोकने या गति को धीमा करने तथा उसे ज़मीन पर चलते समय घुमाने के लिए किया जाता है।
एक हवाई जहाज़ में एक से अधिक पायलटों की आवश्यकता होती है जो उसे नियंत्रित करते हैं। अन्य एयरक्राफ्ट (विमान) की अपेक्षा जेट विमान की क्षमता एवं गति सबसे अधिक होती है। उड़ते समय यह अधिक शोर भी करता है। आज के युग में एक हवाई जहाज़ 500 से अधिक यात्रियों को ले जाने और 17000 कि.मी. तक उड़ने की क्षमता रखता है। कुछ विमानों को केवल सामान लाने और ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उन्हें कार्गो एयरक्राफ्ट कहते हैं।
भारत में एअर इंडिया और इंडियन एअरलाइन्स की स्थापना सन् 1953 में हुई। जहाँ एअर इंडिया के पास 26 वायुयान हैं, वहीं इंडियन एअरलाइन्स 79 घरेलू उड़ानें तथा 16 अंतर्राष्ट्रीय (14 देशों की) उड़ानें भरती है। इसके अतिरिक्त पवनहंस हेलीकॉप्टर है जो यात्रियों को दुर्गम स्थानों पर ले जाने के लिए प्रसिद्ध है।
आजकल अन्य निजी कंपनियाँ भी वायु परिवहन की स्पर्धा में भारत में आ गई हैं। जैसे-गो एअरलाइन्स, सहारा एअरलाइन्स आदि। आज कई वैज्ञानिकों ने तो ऐसे पंखों का भी आविष्कार कर दिया है जिन्हें लगाकर आदमी पक्षियों की तरह उड़ भी सकता है।
निष्कर्षत:
आज वायु परिवहन अपने चरमोत्कर्ष पर है।
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