हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु देशाटन से लाभ पर निबंध Essay on Benefits of Travelling in Hindi पर पुरा आर्टिकल। ‘शाटन का ही दूसरा नाम पर्यटन है। इसे यात्रा भी कहते हैं। पर्यटन से अनेक लाभ हैं।।आइये पढ़ते है देशाटन से लाभ पर निबंध
प्रस्तावना :
देशाटन दो शब्दों को जोड़कर बना है- देश + अटन। इसका अर्थ है-देश विदेश में घूमना। मनुष्य जन्म से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है और सबकुछ जानना चाहता है। वह दुनिया के हर कोने को देखना चाहता है। यह सब वह अपनी जानकारी बढ़ाने, मनोरंजन करने तथा अपनी जिज्ञासा शान्त करने के लिए करता है। देश-विदेश में भ्रमण करने की क्रिया को ‘देशाटन’ कहा जाता है।
देशाटन का प्राचीन एवं आधुनिक रूप :
प्राचीनकाल में देशाटन का कार्य बहुत कठिन था। उस समय यातायात के साधन बहुत सीमित थे। बैलगाड़ी, खच्चर, ऊँट, घोड़े आदि ही यात्रा के प्रमुख साधन थे। इन सब साधनों द्वारा यात्रा करने में उसे शारीरिक कष्ट के साथ-साथ चोर, लुटेरों आदि का डर भी सताता रहता था। ऋतु परिवर्तन व ऋतु प्रकोप का खतरा भी मंडराता रहता था। लेकिन घुमक्कड़ प्रवृत्ति के लोग तब भी धार्मिक तथा ऐतिहासिक जगहों पर घूमने जाया करते थे। ह्वेनसांग, मैगस्थनीज, इब्नबतूता आदि व्यक्ति इस प्रकार की कठिन यात्राएँ करके ही देश-विदेश घूमे।
जैसे-जैसे मनुष्य विकास की ओर बढ़ता गया, यातायात के नवीन साधनों का आविष्कार होता गया। आधुनिक काल में ताँगे, साईकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार, बस, रेलगाड़ी, वायुयान इत्यादि यातायात के प्रमुख साधन हैं। आज हर व्यक्ति विदेश जाने में सक्षम है क्योंकि समय बहुत कम लगता है और यात्रा करना भी बहुत सुलभ हो गया है।
देशाटन से लाभ :
देशाटन के अनगिनत लाभ हैं। इससे मनुष्य की जानकारी बढ़ती है, साथ ही साथ मनोरंजन भी होता है। विभिन्न स्थानों पर जाकर वहाँ की वेशभूषा, रहन-सहन, रीति-रिवाज, खान-पान, तीज-त्योहार, सभ्यता आदि को देखने का अवसर प्राप्त होता है। देश-विदेश में घूमने वाले व्यक्ति का मन प्राचीन तथा ऐतिहासिक भवन, प्राकृतिक सौन्दर्य, प्राचीन महल आदि देखकर खिल उठता है।
पुस्तकों के द्वारा हम केवल उन जगहों का चित्र मात्र देख सकते हैं और उनके बारे में पढ़ सकते हैं, लेकिन देशाटन से हम उस चीज को साक्षात् अपनी आँखों से देखते हैं। इसीलिए देशाटन द्वारा सर्तकता, चेतना तथा जागरूकता जैसे गुणों का भी विकास होता है। देशाटन द्वारा मनोरम घाटियों, जंगलों, ऐतिहासिक स्थलों, अजायबघरों का परिचय प्राप्त होता है। देशाटन करने वाला व्यक्ति सहयोगी, मैत्री भाव प्रिय तथा मृदुभाषी भी हो जाता है क्योंकि वह अनेक लोगों से मिलना सीखता है। उसे अनेक भाषाओं का भी ज्ञान प्राप्त होता है।
उपसंहारः
विभिन्न व्यक्तियों, संस्थाओं एवं राष्ट्रों में परस्पर प्रेम देशाटन द्वारा ही विकसित होता है, तभी हमारे देश के प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति, गृहमन्त्री इत्यादि दूसरे देशों में जाते हैं, उन्हें समझते रहते हैं। इससे सम्बन्धों में सुधार होता है। प्रगति की दौड़ में आगे बढ़ने के लिए देशाटन बहुत आवश्यक है।
देशाटन से लाभ पर निबंध
देशाटन का ही दूसरा नाम पर्यटन है। इसे यात्रा भी कहते हैं। पर्यटन से अनेक लाभ हैं। इससे मनुष्य का अनुभव बढ़ता है और वह कूपमंडूक नहीं रहता। मनुष्य विभिन्न वस्तुओं- स्थानों और जीव-जंतुओं को अपनी आँखों से (प्रत्यक्ष) देखकर अपने ज्ञान-विज्ञान में महती वृद्धि करता है। पर्यटन ही अमेरिका, जापान, इंग्लैंड, जर्मनी आदि देशों की औद्योगिक तथा व्यावसायिक उन्नति का कारण है। उन देशों के लोग निर्भय होकर देश-विदेश की यात्रा करते हैं और वहाँ के लोगों की आवश्यकताओं, आदतों, रिवाजों का अध्ययन करके अपने देश को उन्नत बनाने का प्रयत्न करते रहे हैं।
देशाटन करते समय मनुष्य को अनेक प्रकार के कष्टों तथा संकटों का सामना करना पड़ता है। इससे उसे संकटों के साथ जूझने की आदत पड़ जाती है। यात्रा के दौरान उसका भिन्न-भिन्न आकार-प्रकार, वेशभूषा, रहन-सहन तथा सामाजिक जीवनवाले व्यक्तियों से परिचय होता है, विभिन्न स्थानों को देखकर तत्संबंधी तथ्यों का उसे ज्ञान प्राप्त होता है। इससे उसका विचार-क्षितिज विस्तृत होता है।
देशाटन करने से मनुष्य उदार विचारोंवाला बनता है, वह लकीर का फकीर नहीं रहता। यदि अपने समाज में समयानुकूल वांछित सुधार करना हो, अपने देश के उद्योग-वाणिज्य को ऊँचा उठाना हो तो देशाटन करना चाहिए। देशाटन से मनोरंजन भी बहुत होता है। मनुष्य नए- नए दृश्यों को देखता है।
नए फूलों को सूंघता है, नए फलों को चखता है, नई घाटियों, नदियों, झीलों, ग्रामों, नगरों को देखता है और आनंद पाता है। नए जलवायु से वह अपने स्वास्थ्य में सुधार करता है और अपने व्यक्तित्व का पर्याप्त विकास करता है।
स्थल में हम घोड़े, हाथी, ऊँट, खच्चर, गधे, रेलगाड़ी, साइकल, मोटरसाइकल, स्कूटर, बस आदि द्वारा यात्रा करते हैं। इसी प्रकार जल में यात्रा के लिए हमें नौकाओं, जलयानों (समुद्री जहाजों) का सहारा लेना पड़ता है। आज के युग में जलयानों की व्यवस्था अति सुधर गई है तथा प्रतिदिन लाखों यात्री इनपर सवार होकर यात्रा करते हैं।
हमारे इस संसार में एक-चौथाई भाग स्थल का है तथा तीन-चौथाई भाग जल का है। दूसरे शब्दों में, यदि संसार के बराबर- बराबर चार भाग किए जाएँ तो तीन भाग समुद्र ने घेरे हुए हैं और यह समुद्र जहाँ एक देश को दूसरे देश से अलग करता है, वहाँ वह समुद्री जहाजों से उन्हें आपस में जोड़ता भी है।
समुद्र यात्रा में मनोरंजन भी खूब होता है। यही कारण है कि संसार की सभी भाषाओं में कवियों ने इस प्रकार की यात्राओं का बहुत सुंदर वर्णन किया है। समुद्र यात्री को मनोरंजन की बहुत-सी सामग्री प्राप्त होती है। जहाँ तक दृष्टि जाती है, वहाँ तक अनंत अपार जलराशि के सिवा और कुछ दिखाई नहीं देता। ऐसा दृश्य सहसा मनुष्य की कल्पना-शक्ति तथा प्रतिभा को जाग्रत कर देता है। यह मनुष्य के लिए सर्वथा नवीन अनुभव होता है। इससे उसको असीम उल्लास प्राप्त होता है। समुद्र यात्रा में सूर्योदय और सूर्यास्त तथा चंद्रोदय और चंद्रास्त के दृश्य अत्यंत मनोमुग्धकारी होते हैं।
बीसवीं शताब्दी में देशाटन के साधनों में बहुत भारी क्रांति हुई है। वायुयानों के बनने तथा विकसित होने से महीनों की यात्रा दिनों में नहीं, बल्कि घंटों में संपन्न हो जाती है। महात्मा बुद्ध, शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, नानक, दयानंद, विवेकानंद, रामतीर्थ, राहुल । सांकृत्यायन आदि देशाटन करनेवाले लोग हमारे देश में हो चुके हैं। उन्होंने देशाटन द्वारा जो विस्तृत ज्ञान प्राप्त किया, उससे हमारा समाज ही नहीं, विश्व मानव भी उपकृत हुआ। इसी से हम अनुमान कर सकते हैं कि देशाटन से कितना लाभ होता है।
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