All type of Letter to Friend in Hindi Including Formal & informal Letters

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हेलो दोस्तों आज हम पढेंगे बहुत सारे Letter to Friend in Hindi यानि जितने भी तरह के letter जो दोस्त या friend को लिखे जाते है उनकी पूरी जानकारी आपको इस आर्टिकल में देंगे। यह आर्टिकल उन सभी के लिए बहुत उपयोगी होगा ।  जो बच्चे अभी स्कूल में पढ़ते है क्योकि स्कूल में Letter to Friend in Hindi उनसे जरूर पूछी जाती है और उनको गूगल पर ढूंढ़ना बहुत मुश्किल हो जाता है इसलिए मै आप सभी के लिए बहुत सारे Letters in Hindi दे रहे है। आईये शुरू करते है letter to friend in hindi class 5 , class 3 , class 7 , class 9 में ताकि आप हर तरह के पत्र बिना किसी परेशानी के लिख और पढ़ सके।

Letter to Friend in hindi

All type of Letter to Friend in Hindi

 

अपने भाई के जन्मदिवस के उत्सव पर अपने मित्र को निमन्त्रण-पत्र लिखिए। birthday invitation letter to friend in hindi

917, गाँधी नगर
दिल्ली-92
18 अप्रैल, 20xx

 

प्रिय मित्र रतन,
सप्रेम नमस्कार।

तुम्हें यह जानकर अति प्रसन्नता होगी कि 28 अप्रैल को मेरे छोटे भाई अमन का जन्मदिवस है। हमने उसके जन्मदिवस के उपलक्ष में एक उत्सव का आयोजन किया है। सायंकालीन 6 बजे से जलपान की व्यवस्था है। इस अवसर पर छोटे बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे। मनोरंजन के दूसरे साधन जैसे जादू, अंताक्षरी इत्यादि सबका भरपूर मनोरंजन करेंगे। मैं चाहता हूँ कि इस शुभ अवसर पर तुम भी अपने पूरे परिवार के साथ अवश्य आओ और अमन को आशीर्वाद दो। मेरा तुमसे मिलने का बहुत मन है, इसी बहाने हम एक-दूसरे से मिल लेंगे। मैंने अपने सभी मित्रों को आमंत्रित किया है, सभी एक साथ मिलकर खूब आनंद लेंगे। एक बार फिर मेरी तथा मेरे परिवार की ओर से आमंत्रण स्वीकार करो।

शेष मिलने पर।
तुम्हारा प्रिय मित्र,
अनिकेत

अपने मित्र को पत्र लिखकर ग्रीष्मावकाश अपने साथ बिताने का निमन्त्रण देते हुए पत्र लिखिए।

94,जी., लक्ष्मी नगर
दिल्ली-92
27 अप्रैल, 20xx
प्रिय मित्र पर्व,
सप्रेम नमस्ते।

तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर दिल बहुत खुश हुआ कि तुम अपनी वार्षिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हों। मैं भी 85% प्रतिशत अंक लेकर उत्तीर्ण हुआ हूँ तथा कक्षा में तीसरे स्थान पर आया हूँ। हमारे विद्यालय में ग्रीष्मावकाश 15 मई से 30 जून तक है। अतः मेरी हार्दिक इच्छा है कि इस बार छुट्टियों में तुम दिल्ली आ जाओ।

तुम्हारे दिल्ली आ जाने पर हम मिलकर दिल्ली की सैर करेंगे। तुम तो जानते ही हो कि दिल्ली में अनेक दर्शनीय स्थल हैं। दिल्ली भारत की राजधानी होने के साथ-साथ एक ऐतिहासिक नगर भी है। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल-बिडला मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, वाही मंदिर, कुतुब मीनार, लाल-किला, जन्तर-मन्तर, चिड़ियाघर, राष्ट्रीय संग्रहालय, जामामस्जिद इत्यादि है। हम इन सभी स्थानों की सैर करने चलेंगे। इसके अतिरिक्त हम प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं की समाधियाँ भी देखने चलेंगे। इसके अतिरिक्त हम मेट्रो रेल में भी घूमने चलेंगे। किसी ने सच ही कहा है कि जिसने दिल्ली-दर्शन नहीं किया उसने कछ भी नहीं किया। आशा है तुम मेरा निमन्त्रण स्वीकार कर अवश्य ही दिल्ली आओगे। शेष बातें मिलने पर,

तुम्हारा अपना
उत्सव गुप्ता

 

अपने मित्र को अपने बड़े भाई के विवाह में सम्मिलित होने के लिए निमन्त्रण-पत्र लिखिए।

78, शाहदरा
दिल्ली
15 नवम्बर, 20xx
प्रिय मित्र वरुण,
मधुर याद।

 

तुम्हें यह सूचित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मेरे बड़े भाई रजत का विवाह 5 दिसम्बर, 20xx को होना निश्चित हुआ है। बारात 4 दिसम्बर को सुबह हवाई जहाज द्वारा मुंबई जाएगी। तुम्हें 2 या 3 दिसम्बर तक दिल्ली अवश्य पहुँच जाना होगा। आजकल तो कोई परीक्षा भी नहीं होगी, इसलिए कोई बहाना भी नहीं चलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि तुम जरूर आओगे और हम इस कार्यक्रम का खूब आनंद लेंगे।

मित्र तुम्हारे आने से तो विवाहोत्सव की खुशियाँ कई गुना बढ़ जाएगी। आंटी जी एवं अंकल जी को मेरा नमस्ते कहना और अपने छोटे भाई मोनू को मेरा प्यार।

तुम्हारा दर्शनाभिलाषी मित्र,
पारस

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मित्र के पिताजी की असामयिक मृत्यु पर शोक संवेदना प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।

एफ, 19 राकेश मार्ग,
गाजियाबाद
10 अगस्त, 20xx

प्रिय मित्र राकेश,
नमस्कार।

मुझे अभी-अभी तुम्हारे पत्र द्वारा तुम्हारे पिताजी के निधन के बारे में पता चला। पूज्य अंकलजी के असामयिक स्वर्गवास का दुखद समाचार सुनकर मन वेदना से भर गया। भगवान की लीला सचमुच अद्भुत है। उसके आगे किसी की नहीं चलती।

मैं इसे विधाता की क्रूरता कहूँ या मनुष्य की विवशता। विधाता के सम्मुख हम सब मजबूर हैं। तुम्हारे इस दुख की भरपाई कोई भी नहीं कर सकता। पूज्य चाचा जी को मुझसे तो बहुत स्नेह था। उनका मुस्कराता एवं खिला-खिला चेहरा अब भी मेरी आँखों के आगे घूम रहा है। वे तो सचमुच हीरा थे। इतने धार्मिक एवं संस्कारी व्यक्ति आज के युग में मुश्किल से ही मिलते हैं।

मुझे इस बात का अत्यन्त दुख है कि अन्तिम समय में मैं उनके दर्शन नहीं कर पाया। भगवान उनकी दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करे तथा आप सबको सपरिवार इस असहाय दुख को सहने की शक्ति दे। मेरे माता-पिता एवं परिवार के सभी सदस्य आपके इस असीम दुख में दुखी हैं।

आपका अभिन्न मित्र,
रजत सक्सेना।

 

अपने मित्र को उसके वार्षिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर एक बधाई पत्र लिखिए।

215, कस्तूरबा गाँधी मार्ग
नई दिल्ली
10 जुलाई, 20xx

प्रिय मित्र नरेश,
सप्रेम नमस्ते।

तुम्हारा पत्र कल ही प्राप्त हुआ। हम सभी को यह जानकर अति प्रसन्नता हुई है कि तुम अपनी कक्षा की वार्षिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हो। तुम्हारी इस शानदार सफलता पर मुझे तुम पर बहुत गर्व है। तुम इसी सफलता के अधिकारी भी थे। यह सब तुम्हारी योग्यता तथा कठोर परिश्रम का ही फल है। इस शानदार सफलता के लिए तुम्हे अपने गुरुजनों तथा माता-पिता का आभारी होना चाहिए क्योंकि यह सब उनके सही मार्ग-दर्शन का ही परिणाम है।

अपनी इस शानदार सफलता पर हम सभी की ओर से तुम्हे अनेक शुभकामनाएँ। मैं आशा करता हूँ कि भविष्य में भी तुम इसी प्रकार मेहनत करके आगे बढ़ते रहोगे और हम सभी का सिर गर्व से ऊँचा करोगे। तुमसे मिलने का बहुत दिल कर रहा है इसलिए हो सके तो दो-चार दिन के लिए मेरे घर आ जाओ।

अपने माता-पिता को मेरी ओर के सादर प्रणाम तथा छोटू को प्यार देना।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
रजनीकांत शर्मा

अपने मित्र को उसकी वर्षगाँठ पर बधाई-पत्र लिखिए। 

24/एफ, गुरु अंगद नगर
लक्ष्मी नगर
दिल्ली

10 मार्च, 20xx
प्रिय मित्र पर्व,

वर्षगाँठ के सम्बन्ध में तुम्हारा निमन्त्रण कल ही प्राप्त हुआ। मुझे तो पहले से ही 23 मार्च खूब अच्छी तरह से याद है। मैं तो पहले ही तुम्हारे लिए एक उपहार भेज चुका हूँ। इस अकिंचन की उस तुच्छ सी भेंट को यदि तुम सप्रेम स्वीकार करोगे तो हमारी मित्रता की सार्थकता साबित हो जाएगी। इस समय तो हम एक-दूसरे से बहुत दूर हैं मेरा तो बहुत मन था कि इस बार यह यादगार क्षण तुम्हारे साथ मनाऊँ लेकिन मेरी परीक्षएँ आने वाली है तथा मम्मी भी थोड़ी अस्वस्थ चल रही हैं। अच्छी तरह मालूम है कि तुम्हें पढ़ने का बहुत शौक है इसलिए मैंने तुम्हारे लिए पुस्तकें ही भेजी हैं। आशा है तुम्हे वे पुस्तकें अवश्य पसंद आएगी। अपनी आगामी गर्मियों की छुट्टियों के बारे में तुम अवश्य लिखना, मैं तो चाहता हूँ कि इस बार की छुट्टियाँ तुम मेरे साथ बिताओ।

अपने माता-पिता जी को मेरा सादर प्रणाम कहना। तुम्हारे जन्मदिन वाले दिन मैं तुम्हे फोन पर बधाई अवश्य दूंगा।

तुम्हारा अपना
नीले

अपने मित्र को पत्र लिखकर अध्ययनशील होने की सलाह दीजिए?

97/2 गाँधी रोड
दिल्ली
17 नवम्बर, 20xx
प्रिय मित्र शिखर,
शुभाशीष।

 

तुम कैसे हो? आशा है ठीक ही होगें। कल मुझे तुम्हारे छात्रावास से एक मित्र का पत्र प्राप्त हुआ। तुम समझ भी गये होगें कि मैं यह पत्र क्यों लिख रहा हूँ? यह जानकर मुझे बहुत दुःख हुआ कि आजकल तुम्हारा ध्यान पढ़ाई से हटकर अन्य शरारतों में लग रहा है। तुम्हारी संगति बिगड़ रही है। प्रियमित्र, तुम यह बात भली-भाँति जानते हो कि तुम्हे छात्रावास में भेजने का मूल उद्देश्य यह था कि तुम पढ़ लिखकर बड़े अफसर बनो और इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए तुम्हें पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना होगा।

अध्ययनशील, परिश्रमी तथा सत्संगति वाला व्यक्ति ही जीवन में कुछ बन सकता है। अध्ययन तुम्हारी ज्ञान वृद्धि ही नहीं करता, वरन् तुम्हें सही रास्ता दिखाकर कुसंगति से भी बचाता है। पढ़ाई का अपना ही आनन्द होता है। अध्ययन से मनुष्य सभ्य तथा सुसंस्कृत बनता है। अध्ययनशील व्यक्ति का हर स्थान पर सम्मान होता है तथा वह सबकी नज़रों के ऊपर उठता है। तुम्हारे माता-पिता की भी सारी आशाएँ और उम्मीदें तुम पर ही टिकी है। वे इतना धन इसीलिए तो खर्च कर रहे है ताकि तुम्हे जीवन में कभी भी नीचा न देखना पड़े। इसीलिए मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे द्वारा कही बातों को उपदेश न मानकर सलाह समझकर उस पर अमल करोगें तथा अपने माता-पिता, मित्रों तथा राष्ट्र का सिर गर्व से ऊँचा करोगे।

तुम्हारा शुभचिंतक
दीक्षान्त।

 

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Written by

Romi Sharma

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