हॉकी पर निबन्ध- Essay on Hockey in Hindi

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हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Hockey in Hindi पर पुरा आर्टिकल। आज हम आपके सामने Hockey के बारे में रोचक जानकारी लाये है जो आपको अपने hindi essay करने मे बहुत मदद मिलेगी . आईये शुरू करते है Essay on Hockey in Hindi

हॉकी पर निबन्ध- Essay on Hockey in Hindi

essay on hockey

प्रस्तावना :

खेलों का हर व्यक्ति के जीवन में अत्यन्त महत्व है। खेलोंसे शरीर स्वस्थ तथा नीरोग बनता है। खेलों के बिना जीवन में एकरसतातथा नीरसता आ जाती है। इसीलिए आज हर देश में अनेक राष्ट्रीय एकअन्तर्राष्ट्रीय खेल खेले जाते हैं, जैसे-हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी, टेनिसआदि। ‘हॉकी’ हमारा राष्ट्रीय खेल है और मुझे भी हॉकी का खेल बहुतप्रिय है।

हमारा राष्ट्रीय खेल :

हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। पूरी दुनिया मेंआस्ट्रेलिया, जर्मनी, भारत तथा पाकिस्तान को हॉकी जगत में विशेष स्थानप्राप्त है। हॉकी के खेल का जन्म आज से लगभग 4000 वर्ष पूर्व ईरानमें हुआ था; लेकिन इस खेल को पूरा सम्मान भारत में ही प्राप्त हुआ।भारतवर्ष में हॉकी का विकास : सन् 1885 में भारत में हॉकी काचलन प्रारम्भ हुआ था। सन् 1895 में ‘बेटनकप’ टूर्नामेंट आरम्भ हुआ था।जिसमें देश की सभी प्रसिद्ध टीमों ने भाग लिया था।

सन् 1928 में सबसेपहले भारत की राष्ट्रीय टीम ओलम्पिक में हिस्सा लेने गई थी और स्वर्णपदक जीतकर आई थी। उसके बाद भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा| और फिर ध्यानचन्द्र तथा रूपसिंह ने तो हॉकी की काया ही पलट दी थी।

सन् 1932, 1935, 1948, 1952 एवं 1956 के ओलंपिक खेलों में भार ने लगातार पदक जीते, फिर सन् 1968 एवं 1972 में केवल कांस्य पट से ही भारत को संतोष करना पड़ा। इसके बाद सन् 1980 में फिर से भारत ने स्वर्ण पदक जीतकर देश के गौरव में चार चाँद लगा दिए।

मेरा प्रिय खेल हॉकी : वैसे तो मुझे सभी खेलों में दिलचस्पी है लेकिन हॉकी खेलना मुझे सबसे अधिक प्रिय है। पहले यह देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता था।

पंजाब के गाँवों में बच्चे इसे ‘खिद्दी-खुण्डी’ कहते थे। पहले यह खेल बिना किसी नियम के खेला जाता था लेकिन आज इस खेल में काफी नियमों का प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। आजकल 1 टीम में कुल 11 खिलाड़ी होते हैं और गोल के सामने अर्द्ध-गोलाकार रेखा सी खींची जाती है और गेंद को उसमें से जाकर, चोट करके गोल किया जाता है। एक नियम यह भी है कि किसी कोने से चोट के बाद गोल में पहुँचाने से पहले किसी भी एक पक्ष द्वारा गेंद को स्पर्श करना जरूरी है।

लाभ :

हॉकी के खेल के अनेक लाभ हैं। इससे शरीर में चुस्ती फुर्ती आती है। शरीर बलवान बनता है तथा मनोरंजन भी होता है। साथ ही यह सस्ता खेल भी है, क्योंकि इसमें केवल हॉकी और गेंद की ही आवश्यकता होती है। इससे अनुशासन तथा मिलकर कार्य करने की भावना का विकास होता है।

परस्पर सहयोग तथा भाईचारे की भावना के विकास के लिए यह खेल अति उत्तम है।

उपसंहार :

खेल तो बहुत है और प्रत्येक व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत रुचि के अनुसार उन्हें खेलता है, लेकिन मेरा मनपसंद खेल हॉकी है क्योंकि इसे खेलने में मुझे बहुत आनंद आता है तथा साथ ही साथ राष्ट्रीयता की भावना  का भी विकास होता है कि मैं अपने ‘राष्ट्रीय खेल’ को प्रोत्साहित कर रहा है।

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हॉकी पर निबन्ध 100 words:

‘हॉकी’, भारत का राष्ट्रीय खेल है। हॉकी एक खेल होता है जिसमें दो टीम एक-दूसरे के विरुद्ध खेलती हैं एवं हॉकी स्टिक की मदद से विरोधी के खेमे में गेंद गोल में डालकर गोल करने का प्रयास करती हैं। हॉकी के वर्तमान में अनेक प्रकार हैं, यथा- फील्ड हॉकी, आइस हॉकी, रोलर हॉकी, स्लेज हॉकी और स्ट्रीट हॉकी।

भारत में हॉकी का खेल बहुत पुराना एवं प्रिय है। ओलंपिक खेलों में हॉकी में भारत का गौरवपूर्ण स्थान रहा है। 1928 से 1956 तक का समय भारतीय हॉकी के लिहाज से स्वर्णिम रहा है। इस दौरान भारत ने 6 स्वर्ण पदक लगातार हॉकी स्पर्धा में प्राप्त किये।

 

हॉकी पर निबन्ध 500 words:

खेलों का मानव के जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। वह स्वभाव से खेल-कूदमें रुचि रखता है। बच्चा थोड़ा होश सम्भालने के बाद से ही खेलों में अपना ध्यानकेन्द्रित कर लेता है। इसके कई कारण हैं – एक तो यह कि खेल मानव केस्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी हुआ करते हैं, दूसरे यह कि मानव खेलों के माध्यमसे कई प्रकार की शिक्षाएँ प्राप्त किया करता है, तीसरे इससे बच्चों में आपसीसहयोग, संगठन, अनुशासन और सहनशीलता की भावना उत्पन्न होती है।

भारतवर्ष में तो प्राचीनकाल से ही खेलों की परम्परा रही है। आजकल भारतमें अनेक खेल राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेले जाते हैं; जैसे-क्रिकेट, हॉकी,फुटबाल, वालीबाल, कबड्डी, टेनिस आदि। मुझे इन सबमें से हॉकी का खेल बहुत |पसन्द है। यह भारत का राष्ट्रीय खेल भी है।

इस खेल का जन्म आज से 4000वर्ष पूर्व ईरान की धरती पर हुआ था। परन्तु इसे पूर्ण सम्मान तो भारत में हीमिला। भारतीय संरक्षण में रहकर यह खेल खूब पनपा और विश्व में लोकप्रियभी हुआ।

भारतवर्ष में हॉकी का चलन 1885 ई. में प्रारम्भ हुआ था। 1895 ई. में बेटनकपटूर्नामेंट आरम्भ हुआ जिसमें देश की सभी प्रसिद्ध टीमों ने भाग लिया था। 1928ई. में ओलम्पिक खेलों में भारत की राष्ट्रीय टीम गई और स्वर्णपदक प्राप्त किया।

हॉकी के जादूगर ध्यानचंद और रूपसिंह के अथक परिश्रम से भारत ने हॉकीमें अपनी धाक जमा ली थी। सन् 1932, 1935, 1948, 1952 व 1956 के ओलम्पिकमें भारतीय टीम ने निरन्तर स्वर्ण पदक प्राप्त किए। इसके बाद सन् 1968 व 1972में केवल कांस्य पदक ही प्राप्त हो सके। सन् 1980 में फिर से स्वर्ण पदक पाकरभारतीय खिलाड़ियों ने अपने राष्ट्र का नाम संसार में ऊँचा किया।

– हॉकी के आधुनिक रूप से पूर्व यह खेल देश के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्ननामों से पुकारा जाता था। पंजाब के देहातों में बच्चे इसे ‘खिद्दी-खुण्डी’ नाम सेखेलते हैं। सबसे पहले इस खेल के खिलाड़ियों पर किसी तरह का कोई प्रतिबन्धनहीं था। किन्तु समय परिवर्तन के साथ यह खेल कुछ नियमों में जकड़ दियागया। पहला नियम तो यह हुआ कि प्रत्येक टीम में 11 खिलाड़ी होंगे।

दूसरा नियमयह हुआ कि गोल के सामने अर्द्ध गोलाकार लक्ष्मण रेखा’ सी खींची जाने लगी।और गेंद को उसमें से जाकर, चोट करके ही गोल किया जाने लगा। एक नियम. यह भी है कि किसी कोने से चोट के बाद गोल में पहुँचाने से पहले किसी भी ।एक पक्ष द्वारा गेंद को स्पर्श करना आवश्यक है।

इस प्रकार नियमों से बंधा यह हॉकी का खेल खिलाड़ियों की शारीरिक चुस्ती,मानसिक स्फूर्ति और उनके विकास की सीढ़ी बन गया। यह एक ऐसा खेल है।जो आत्मानुसार तथा पारस्परिक रूप में कार्य करने की प्रेरणा देता है।

हॉकी पर निबन्ध 500 words:

हॉकी एक स्टिक और बॉल का खेल है। यह दुनिया के 70 से अधिकदेशों में खेला जाता है। भारत और पाकिस्तान का तो यह प्रमुख खेलहै। इसके अलावा ये ब्रिटेन, साऊथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी आदिदेशों में भी खूब खेला जाता है। हॉकी में दो टीम होती हैं और प्रत्येकटीम में 11 खिलाड़ी होते हैं, यद्यपि हॉकी का खेल 5, 6 या 7 खिलाड़ीभी खेल सकते हैं।

एक टीम में एक गोलकीपर, दो बैक्स (पीछे वालेखिलाड़ी), तीन हाफ (बीच के खिलाड़ी) और पाँच फॉरवर्ड (आगेके खिलाड़ी) होते हैं।

हॉकी का इतिहास अर्जेंटीना से जुड़ा हुआ है। सोलहवीं शताब्दी मेंलोग वहाँ यह खेल अपना समय बिताने के लिए खेला करते थे। इसे‘चेउका’ कहा जाता था। तब इस खेल में 4, 6 अथवा 8 खिलाड़ी हीहोते थे।

60 गज (50-55 मीटर) चौड़ा होना चाहिए। एक लंबी सफेद रंग कीसीमारेखा (बॉउंड्री लाइन) होती है जिसे गोल लाइन भी कहते हैं। यहलाइन 8 से.मी. चौड़ी होती है। पिच के चारों ओर एक सेंटर लाइन भीहोती है। और प्रत्येक गोल लाइन की 25 गज (23 मीटर) की एक ब्रोकनलाइन भी होती है।

आमतौर पर खेल का कुल समय 70 मिनट का होता है। जो 35-35 मिनट के दो भागों में होता है। खेल के मध्य में 5 से 10 मिनट का मध्यांतर(इंटरवल) होता है। इंटरवल के बाद टीमें अपना पाला बदल लेती हैं।| इस खेल का लक्ष्य बहुत साधारण है-प्रतिद्वंद्वी टीम के गोल में गेंदको पहुँचाना। जो टीम ज्यादा गोल करती है, वही विजयी होती है। एकगोल तब होता है जब बॉल गोल लाइन को पूरी तरह से पार कर जातीहै।

बॉल को हॉकी से मारा जाता है और हॉकी से बॉल पर नियंत्रण करतेहुए गोल किया जाता है। विपक्ष के खिलाड़ी बीच में ही बॉल को रोकने आवश्यक होता है। बॉल को मारते समय खिलाड़ी को हॉकी दोनों हाथोंसे कसकर पकड़नी होती है। हॉकी पकड़ते समय बायाँ हाथ ऊपर औरदायाँ हाथ नीचे होता है।

फिर खिलाड़ी स्ट्रोक लगाते हैं; जैसे-पुश, फ्लिकअथवा स्कूप। स्ट्रोक लगाते समय खिलाड़ी को अपनी टाँगें फैला लेनीचाहिए जिससे वह अपने शरीर का संतुलन बनाए रखे और अपने शरीरको जिधर भी चाहे उधर आसानी से मोड़ सके।

बॉल को ग्राउंड पर रखनेके इरादे से जो स्ट्रॉक लगाते हैं, उसे पुश स्ट्रॉक कहते हैं। बॉल को ऊपरउठाने के लिए जो प्रहार किया जाता है, उसे फ्लिक स्ट्रॉक कहते हैं औरजब हिट करने के बाद बॉल विपक्षी टीम के ऊपर से होकर जाती है,उसे स्कूप कहते हैं।

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हॉकी पर निबन्ध 500 words:

हॉकी का खिलाड़ी शर्ट, बूट और शॉर्ट अथवा स्कर्ट पहनते हैं। भारत में हॉकी का स्वर्णिम इतिहास रहा है। सन् 1928, 1932 और1936 में ‘हॉकी के जादूगर’ ध्यानचंद ने ओलंपिक में लगातार तीन बारस्वर्ण पदक जीतकर दुनियाभर में भारत की धाक जमा दी थी। उन्होंने अमेरिका को एक ही मैच में 24-1 गोल से हराकर ऐसा रिकॉर्ड कायमकिया था जो आज तक नहीं टूटा है। भारत में हॉकी खेल को उसी शिखर पर पहुँचाने के लिए आज उसी खेल-भावना और लगन की आवश्यकता

खेल कई प्रकार के होते हैं। कक्ष के भीतर खेले जाने वाले खेलों को इनडोर गेम्स ।कहा जाता है, जबकि मैदान पर खेले जाने वाले खेल आउटडोर गेम्स कहलाते हैं।अलग-अलग प्रकार के खेल व्यायाम के महत्त्वपूर्ण अंग हैं। अतः अपनी रुचि एवंशारीरिक क्षमता के अनुकूल ही खेलों का चयन करना चाहिए। खेलकूद आज विभिन्नराष्ट्रों के मध्य सांस्कृतिक मेल-जोल बढ़ाने का एक उत्तम माध्यम बन गया है।मेरा प्रिय खेल क्रिकेट है।

आधुनिक युग में इस खेल को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व प्राप्तहै। भारत में यह खेल सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इस खेल से लोगोंको अद्भुत लगाव है। क्या बच्चे, क्या बूढे, क्या नवयुवक, सभी इसके दीवाने हैं।क्रिकेट का जन्म इंग्लैण्ड में हुआ था।

इंग्लैण्ड से ही यह खेल ऑस्ट्रेलिया पहुँचा,फिर अन्य देशों में भी इसका प्रसार हुआ। यह खेल नियमानुसार सर्वप्रथम 1850 ई.में गिलफ़ोर्ड नामक विद्यालय में खेला गया था। क्रिकेट का पहला टेस्ट मैच 1877 ई.में ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में खेला गया था।

भारत ने अपना पहला टेस्ट मैचइंग्लैण्ड के विरुद्ध सन् 1932 में खेला था। टेस्ट मैच पाँच दिनों का होता है जो दोपारियों में खेला जाता है। टेस्ट मैच के अलावा यह खेल चार दिवसीय, तीन दिवसीय,एक दिवसीय भी होता है। आजकल एक दिवसीय क्रिकेट मैच तथा ट्वेंटी-20 मैचअधिक लोकप्रिय हो गया है।

ट्वेंटी-20 मैच तीन-चार घंटे में ही समाप्त हो जाता है।क्रिकेट का खेल बड़े-से अंडाकार मैदान में खेला जाता है। मैदान के मध्य में स्थितपिच या विकेट-स्थल इस खेल का केन्द्रबिन्दु होता है। पिच के दोनों तरफ़ बराबरदूरी पर तीन डंडे गाड़ दिए जाते हैं, जिन्हें ‘विकेट’ कहते हैं।

इस खेल में दो टीमें होतीहैं। प्रत्येक टीम में 11-11 खिलाड़ी होते हैं। खेल आरंभ होने पर एक टीम के खिलाड़ी दौरान विकटों के पीछे खड़ा होता है।आरंभ में क्रिकेट को राजा-महाराजाओं या धनाढ्य लोगों का खेल कहा जाता था।वे अपने मन-बहलाव के लिए यह खेल खेला करते थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हॉकीको राष्ट्रीय खेल का दर्जा दिया गया, परंतु हॉकी के साथ-साथ क्रिकेट भी लोकप्रियहोता चला गया।

इस खेल में समय और धन अधिक लगता है फिर भी आज यह शहरोंसे लेकर गाँवों तक प्रसिद्धि पा चुका है। इसकी लोकप्रियता इस बात से सिद्ध होतीहै कि जहाँ-जहाँ भी यह खेल होता है, जनसमह मैदान की ओर उमड़ पड़ता है।

क्रिकेट का खेल यद्यपि लोकप्रिय है, तथापि इस खेल में कुछ खामियाँ भी हैं।क्रिकेट मैचों के दौरान प्रायः सारे काम ठप्प पड़ जाते हैं। लोग काम करना छोड़ रनोंऔर विकटों की चर्चा करने लगते हैं। कोई रेडियो से कान चिपकाए है तो कोई टेलीविज़न पर नजरें गड़ाए है।

इससे राष्ट्रीय उत्पादन पर असर पड़ता है।क्रिकेट का बुखार थमने का नाम नहीं ले रहा। यह खेल भारत की पहचान सेजुड़ गया है। क्रिकेट को लेकर लोग मानसिक तौर पर ‘जुनून’ की हद पार करने लगेहैं। क्रिकेट लोगों का धर्म बन गया है।

क्रिकेट में मिली हार से लोग मायूस हो जातेहैं। क्रिकेट में मिली जीत से लोग खुश होकर सड़कों पर नाचने लगते हैं।

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Written by

Romi Sharma

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