हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Rajendra Prasad Essay in Hindi पर पुरा आर्टिकल। आज हम आपके सामने Rajendra Prasad के बारे में कुछ जानकारी लाये है जो आपको हिंदी essay के दवारा दी जाएगी। आईये शुरू करते है Rajendra Prasad Essay in Hindi
Rajendra Prasad Essay in Hindi
बिहार प्रदेश के सारन जिले के जीरादेई नामक गाँव में इनका जन्म हुआ। राजेंद्र प्रसाद को शुरू में उर्दू-फारसी की शिक्षा दी गई। सन् 1902 में छपरा के हाई स्कूल से इन्होंने मैट्रिक पास किया। ये सर्वप्रथम आए। इसके बाद ये कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में पढ़ने लगे। 1906 में बी.ए. और उसके बाद एमए. परीक्षा पास करके १९१५ में वकालत की एमएल परीक्षा पास को। ये दोनों से बड़ी सहानुभूति रखते थे। ये स्वदेशी आंदोलन से प्रभावित हुए थे। सारी उम्र इन्होंने सादगी से बिताई। इन्हें अभिमान न था और न किसी से ईष्र्या-द्वेष था। विद्यार्थी अवस्था में ये सभा-सोसाइटियों में बहुत भाग लिया करते थे। सन् 1906 में इन्होंने छात्र-सम्मेलन का संगठन किया था।
Also Read:
- Essay on Mother in Hindi @ 2018
- Essay on My School in Hindi @ 2018
- Essay on My Family in Hindi @ 2018
- Essay on Newspaper in Hindi
सन् 1910 में गोपालकृष्ण गोखले के संपर्क में आकर ये भारतमाता की सेवा की भावना से पूरित हो गए।
1915 में वकालत (एमएल.) में सर्वप्रथम पास होने के बाद ये कलकत्ता में वकालत तथा लॉ कॉलेज में अध्यापन करते रहे। उसके बाद पटना में आकर वकालत करने लगे। यहाँ इन्होंने खूब धन तथा नाम कमाया।
बिहार में अंग्रेजों के नील के खेत थे। अंग्रेज अपने मजदूरों को उचित वेतन नहीं देते । और उनपर घोर अत्याचार किया करते थे।सन् 1917 में गांधीजी बिहार आए। उन्होंने नील के मजदूरों की दशा को जाँच कराए जाने की माँग को इन्हीं दिनों राजेंद्र बाबू गांधीजी के संपर्क में आए और उनसे बहुत प्रभावित हुए।
1999 में सविनय अवज्ञा आंदोलन देश के प्रत्येक कोने में फैल गया। गांधीजी ने विद्यार्थियों से स्कूलों-कॉलेजों का, वकीलों से कचहरी का तथा सरकारी कर्मचारियों से कार्यालयों का बहिष्कार करने की अपील की। इसी समय राजेंद्र प्रसादजी ने भारी आमदनी की। वकालत को लात मार दी।
इन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा के लिए ‘बिहार विद्यापीठ की स्थापना की। इससे पैंसठ स्कूल व कॉलेज संबद्ध हुए तथा बासठ हजार विद्यार्थी इसके तत्वावधान में शिक्षा प्राप्त करने लगे। 1922 में गया कांग्रेस में स्वागत का कार्य राजेंद्र बाबू ने संभाला। इनके प्रबंध की बहुत प्रशंसा की गई।
Also Read:
- राजनीति पर निबंध – Essay on Politics in Hindi @ 2018
- माता पिता पर निबंध Essay on Parents in Hindi @ 2018
- मोर पर निबंध Essay on Peacock in Hindi @ 2018
- गर्मी की छुट्टी पर निबंध Essay on Summer Vacation in Hindi
1930-31 में कांग्रेस ने आंदोलन छेड़ दिया। राजेंद्र बाबू इसमें भाग लेकर दो बार जेल गए। सन् 1933 में ये तीसरी बार जेल गए। सन् 1934 के बिहार भूचाल में राजेंद्र बाबू ने
अथक सेवा की। 1934 में इन्हें बंबई कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 1935 में क्वेटा में भूकंप आने पर राजेंद्र बाबू ने पंजाब और सिंध का दौरा कर के सहायता समितियों का संगठन किया।
1937 में कांग्रेस ने विधान सभाओं का चुनाव लड़ने के लिए पार्लियामेंट्री बोर्ड बनाया। जिसके तीन सदस्य थे-सरदार पटेलअबुलकलाम आजाद और राजेंद्र प्रसाद। 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह में ये पकड़े गए। दो वर्ष बाद मुक्त हुए। सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन’ में इन्होंने भाग लिया और गिरफ्तार करके नजरबंद कर दिए गए। दूसरा महायुद्ध समाप्त होने पर ये छोड़े गए।
ब्रिटिश सरकार ने बातचीत के लिए केबिनेट मिशन को भेजा। राजेंद्र बाबू ने वार्तालाप में हाथ बंटाया। राजेंद्र बाबू संविधान सभा (कांस्टीट्यूट असेंबली) के अध्यक्ष चुने गए।
संविधान पर हस्ताक्षर करके इन्होंने ही उसे मान्यता प्रदान की।
Also Read:
- विज्ञान और तकनीकी पर निबंध Essay on Technology in Hindi
- पेड़ों का महत्व निबन्ध Essay on Trees in Hindi @ 2018
- ताजमहल पर निबंध Essay on Taj Mahal in Hindi @ 2018
- टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi @ 2018
- शेर पर निबंध Essay on Tiger in Hindi @ 2018
26 जनवरी को भारत गणतंत्र घोषित हुआ तो ये भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने। तब से 1962 तक ये इस सर्वोच्च पद पर विराजमान रहे। उसी वर्षइस पद से रिटायर होने के बाद ये पटना के सदाकत आश्रम में रहकर जनसेवा का कार्य करने लगे । सन् 1963 की 28 फरवरी को इनका देहांत हुआ।