बाल गंगाधर तिलक पर निबंध ?? Lokmanya Bal Gangadhar Tilak Essay in Hindi

1 MIN READ

हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु lokmanya Tilak Essay in Hindi पर पुरा आर्टिकल। आज हम आपके सामने lokmanya Tilak के बारे में कुछ जानकारी लाये है जो आपको हिंदी essay के दवारा दी जाएगी। आईये शुरू करते है lokmanya Tilak Essay in Hindi

lokmanya Tilak essay in hindi

 

lokmanya Tilak essay in hindi

 

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 July 1856 को महाराष्ट में हुआ। उनका पूरा नाम बलवंतराव गंगाधर तिलक था। बचपन में उन्हें ‘बाल’ कहकर पुकारते थे, वही नाम प्रसिद्ध हो गया। आठ वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने काफी संस्कृत सीख ली थी। 1872 में उन्होंने पूना के सिटी कॉलेज से मैट्रिक पास कियाफिर डेक्कन कॉलेजपूना प्रविष्ट हो । इसी समय उन्होंने देशसेवा और जनसेवा का निश्चय किया। गए।

सन् 1876 में बी.ए(ऑनर्सपास करके वे वकालत पढ़ने लगेवकालत पास करने के बाद देश के बहुसंख्यक लोगों के लिए शिक्षा-सुविधा प्रस्तुत करने के उद्देश्य से उन्होंने ‘न्य इंगलिश स्कूलकी स्थापना की । वे स्वयं पढ़ाने लगे । फिर उन्होंने ‘डेक्कन एजूकेशन सोसाइटी की स्थापना की। इस संस्था ने कई स्कूल खोले।

अपने मित्र आगरकर से मिलकर उन्होंने दो समाचारपत्र निकाले। आगरकर ने ‘मराठा का और तिलक ने ‘केसरी’ का संपादन सँभाला।

तिलक इन पत्रों में बड़े ओजस्वी लेख लिखने लगे। उन्होंने जनता में जागृति की लहर चलाकर राजनीतिक सुधारों की माँग शुरू की। एक वर्ष में ही अंग्रेज सरकार उनके उग्र लेखों से घबरा गई और उसने तिलक और आगरकर को गिरफ्तार कर छ:-छ: महीने कैद की सजा दी। जेल से छूटने पर जनता उन्हें अपना हृदयसम्राट् मानने लगी । वे फिर निर्भयता से ‘केसरी के संपादन में लग गए।

जन-संगठन के लिए तिलक ने ‘गणेश उत्सव’ तथा शिवाजी उत्सव ‘ आरंभ किए। इनमें राजनीतिक भाषणवादविवाद तथा विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जाता था। ये उत्सव इतने लोकप्रिय हुए कि महाराष्ट्र में आज भी धूमधाम से मनाए जाते हैं। तिलक अब लोकप्रिय नेता बन चुके थे। सन् 1895 में वे बंबई की प्रांतीय विधानसभा के सदस्य चुने गए। वहाँ वे भाषणों द्वारा ब्रिटिश सरकार की पोल खोलने लगे । उन्होंने सरकारी नीतियों की धज्जियाँ उड़ा दीं।

1896 में महाराष्ट्र में दुर्भिक्ष फैला। उस समय तिलक ने पीड़ितों की सहायता का बीड़ा उठाया और सरकार की उदासीनता की कटु आलोचना की। सन् 1897 में प्लेग फैलने पर। सरकार ने जनता को कोई सहायता न की, बल्कि गोरे सिपाही जनता को लूटते और सताते थे। तिलक ने गोरे सिपाहियों की कठोर निंदा की। इसी समय एंड नामक अंग्रेज की हत्या हो गई। तिलक पर जनता को भड़काने का आरोप गया मुकदमा डेढ़ वर्ष की लगाया और चलाकर उन्हें   कैद की सजा दी गई। इससे अंग्रेजों के प्रति सारे भारत में नाराजगी फैल गई।

सन 18 9 0 से ही तिलक का कांग्रेस से संबंध हो गया थाकिंतु वे उसकी ‘नरम’ नीति के आलोचक थे। सन् 1950 में वे पूना कांग्रेस के सचिव बनाए गए। उन्होंने कांग्रेस में उन दल की स्थापना करके उसका नेतृत्व किया

1905 में लार्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन करने को -भरी की ने देश के कोने-कोने में इसके विरुद्ध सभाओं का आयोजन किया और सरकार की कठोर आलोचना की ।

1907 में सूरत में कांग्रेस अधिवेशन के अवसर पर ‘नरम दलतथा ‘गरम दल’ का मतभेद बढ़ गया।’ गरम दल के नेता लाल-बाल-पाल थे। सन् 1908 में तिलक के लेखों को
राजद्रोहपूर्ण बताकर उनपर मुकदमा चलाया गया और छ: वर्ष के लिए उन्हें मांडले जेल में भेज दिया गया।

मांडले जेल में तिलक ने अनेक ग्रंथ लिखेजिनमें से गीता रहस्य’ सबसे अधिक प्रसिद्ध है। तिलक ने मांडले जेल में ही 1912 में अपनी पत्नी के देहांत की खबर सुनी । सन् 1914 में वे मुक्त हुए। इस समय भारत के राजनीतिक क्षितिज पर गांधीजी का प्रभाव बढ़ने लगा था। तिलक को अंग्रेजों की नीयत पर जरा भी विश्वास न था। वे कांग्रेस की नीति का खुलकर विरोध करने लगे। उन्होंने देश को ललकारा‘‘मौका आज तुम्हारे सामने है। गरम लोहे पर चोट करोवरना भावी पीढ़ियाँ तुम्हें कोसेंगी।”

उन्होंने गर्जना की, ”स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम उसे लेकर रहेंगे। 1916 में तिलक ने एनी बेसेंट से मिलकर ‘होमरूल लीग’ की स्थापना की। कांग्रेस तथा गांधीजी ने प्रथम महायुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया, परंतु युद्ध के बाद जब अंग्रेजों ने जलियाँवाला बाग में मशीनगन से निहत्थे भारतीयों को भून डाला तो सबकी आंखें खुलीं। सन् 1929 में कांग्रेस ने जो स्वतंत्रता का प्रस्ताव पास किया था, उसे लोकमान्य तिलक ने बहुत पहले ही पेश किया था।

1918 में दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए उन्हें चुना गया, परंतु वे इंग्लैंड चले गए और वहाँ अंग्रेजों के मन में बैठी भ्रांतियों को दूर करने लगे । वापस आकर वे अमृतसर कांग्रेस में सम्मिलित हुए और 1920 में उन्होंने ‘डेमोक्रेटिक स्वराज्य पार्टी को स्थापना की। इसी वर्ष। कुछ समय बीमार रहने के बाद देश का यह महान नेता चल बसा।

 

Written by

Romi Sharma

I love to write on humhindi.inYou can Download Ganesha, Sai Baba, Lord Shiva & Other Indian God Images

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.