हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु संघर्ष ही जीवन है पर निबंध पर पुरा आर्टिकल लेकर आया हु। इस आर्टिकल में हम आपके लिए लाये है संघर्ष ही जीवन हैकी पूरी जानकारी जो आपको अपने बच्चे का होमवर्क करवाने में बहुत मदद मिलेगी।
Essay on Life is struggle
जीवन जीने का दूसरा नाम ही संघर्ष करना है। दोनों ही एक-दूसरे के पूरक । इसका मतलब यह हुआ कि हर व्यक्ति को जीवन में संघर्ष करना ही पड़ता है। चाहे अमीर हो या गरीब, छोटा हो या बड़ा, ऑफिसर हो या क्लर्क, सभी को घर तथा बाहर दोनों जगह संघर्षमय जीवन जीना होता है। यदि गरीब पैसा कमाने के लिए संघर्ष करता है तो अमीर अपने पैसों को चोरों, लुटेरों आदि से संभालने के लिए संघर्ष करता है।
यदि मजदूर मालिक के अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करता है तो मालिक भी तो मजदूर से काम निकलवाने के लिए संघर्ष करता ही है। लेकिन जिस व्यक्ति ने संघर्षों से तथा मुसीबतों से लड़ना सीख लिया, भयंकर और विपरीत स्थिति में जीना सीख लिया है, वही अपनी जिंदगी में सफलता प्राप्त कर सकता है, लेकिन वह व्यक्ति जो संघर्षों से घबराकर थक कर बीच में बैठ जाता है, वह कायर है।
संसार रूपी सागर की ऊँची उफनती लहरों को जिसने चुनौती देना सीख लिया है, सफलता की अनुपम मणियाँ उसी के हाथों में आती है। जो डरकर किनारे पर रुक गया, वह जीवन का दाँव हार गया। कबीरदास ने भी ठीक ही कहा है, “जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ।” गहरे पानी बैठकर खोजना ही तो संघर्ष अथवा चुनौतियों को स्वीकारना है, कर्म की आँच में तपकर ही तो मनुष्य देवता समान बन सकता है, आलसी व्यक्ति तो धरती का बोझ होता है। ‘गीता’ में भी तो इसी सच्चाई को दर्शाया गया है, ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।” अर्थात् कर्म करना ही मनुष्य का धर्म है, फल देना भगवान का काम है।
जीवन रूपी पथ पर चाहे काँटे आए या फूल, जीवन में सफलता मिले या विफलता, संघर्ष करने का संकल्प शिथिल नहीं पड़ना चाहिए। एक कवि ने सही कहा है- “जब नाव जल में छोड़ दी, तूफान में ही मोड़ दी, दे दी चुनौती सिंधु को, तो पार क्या, मझधार क्या।”
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