हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on Shiksha ka Mahatva in Hindi पर पुरा आर्टिकल लेकर आया हु। शिक्षा बहुत ही जरुरी है क्योकि शिक्षा ही एकमात्र हथियार है जिससे आप अपने परेशानियों को खत्म कर सकते हो।इस आर्टिकल में हम आपके लिए लाये है विद्या का महत्व की पूरी जानकारी जो आपको अपने बच्चे का होमवर्क करवाने में बहुत मदद मिलेगी।
विद्या का महत्व
विद्या का महत्व प्रस्तावना :
विद्या क्या है? कैसी है? ये सब सवाल निरर्थक हैं क्योंकि विद्या से ही मनुष्य अच्छे-बुरे में अन्तर कर पाता है, भला-बुरा जान पाता है। किसी भी वस्तु का वास्तविक ज्ञान प्राप्त करना ही तो विद्या है। विद्याहीन मनुष्य जड़, मूर्ख व दानव होता है तथा विद्या से मनुष्य चेतन, जागरूक तथा देवता बन जाता है। जो व्यक्ति जिस कला को जानता है, वह उसका प्रकांड पण्डित बन जाता है तभी तो लकड़ी की विद्या जानने वाला बढ़ई तथा सिलाई की विद्या जानने वाला दर्जी कहलाता है।
विद्या के अनगिनत गुण :
विद्या मनुष्य की असली पूंजी है तथा वास्तविक श्रृंगार है। विद्या से ही मनुष्य असली सम्पत्ति का मालिक बनता है। विद्यावान व्यक्ति विनयी हो जाता है, विनय से योग्यता आ जाती है तथा योग्यता से धन प्राप्त कर लेता है तथा इसके पश्चात् मनुष्य को सच्चे मख तथा शान्ति की प्राप्ति होती है।
विद्या ऐसा धन है जिसे जितना भी बाँटो उतना ही बढ़ता है, इसे कोई चुरा नहीं सकता, डाकू लूट नहीं सकता, भाई बाँट नहीं सकता, न पानी गला सकता है और न ही आग से जल सकती है।
विद्यावान मनुष्य की विशेषताएँ :
संसार के हर व्यक्ति को सम्मान, यश, ख्याति, धन, मान सब कुछ विद्या से ही प्राप्त होती है। संसार में जितने भी महान तथा यशस्वी व्यक्ति हए हैं, वे विद्या से ही महान बने हैं। विद्यावान व्यक्ति अपनी अद्भुत विशेषताओं के कारण सदा ही प्रशंसनीय जीवन व्यतीत करता है। ऐसा व्यक्ति समाज के लिए, देश के लिए, घर के लिए, परिवार के लिए, स्वयं के लिए कलंकहीन जीवन जीता है।
कभी भी ऐसा इंसान न तो भूखा रहता है न ही किसी को भूखा रखता है क्योंकि उसके पास विद्यारूपी धन होता है।
प्राचीनकालीन विद्या :
प्राचीनकाल में विद्या ग्रहण करने तथा विद्या पढ़ाने का अधिकार केवल ब्राह्मणों को ही प्राप्त था। प्राचीन काल में विद्या देने वाला गुरु अपने शिष्य से धन-दौलत नहीं बल्कि कोई और त्यागने योग्य वस्तु माँगता था। पहले शिष्य सच्ची निष्ठा की भावना से विद्या प्राप्त करने में लीन हो जाते थे और गुरु भी सेवा निष्कपट होकर करते थे।
वर्तमानकालीन विद्या :
आजकल सभी गुरु हैं, सभी शिष्य हैं। आज विद्या का स्वरूप पूर्णतया बदल चुका है। आज विद्या ब्राह्मणों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सब इसे प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं। सरकार भी पिछड़ी जाति के लोगों को पढ़ाने पर अधिक जोर दे रही है ताकि वे ऊँची जाति के लोगों से कंधे से कंधा मिलाकर चल सके।
लेकिन अब शिष्य व गुरु दोनों में उतनी जिम्मेदारी तथा कर्त्तव्य का भाव नहीं रहा, जो प्राचीनकाल में था। शिष्य गुरुओं की इज्जत नहीं करते तथा गुरु भी शिष्य को पूरी तरह समर्पित होकर नहीं पढ़ाते। आज विद्या में पैसा सबसे महत्त्वपूर्ण चीज बनकर रह गया है।
उपसंहार :
वास्तव में विद्या हमारे लिए कल्पवृक्ष के समान है। विद्या ही हमारी जीवन रूपी नैया को मार उतार सकती है। विद्या के महत्व को सभी को समझना चाहिए तथा विद्या के प्रचार के लिए तन, मन, धन से जुट जाना चाहिए और देश से अज्ञानता का अंधकार दूर करना चाहिए।
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Essay on Shiksha ka Mahatva
किसी भी समाज एवं राष्ट्र के विकास के लिए लोगों का शिक्षित होना आवश्यक है। शिक्षा के द्वारा ही मनुष्य ज्ञान प्राप्त करता है और उसे उचित-अनुचित की पहचान होती है। शिक्षा के द्वारा ही मनुष्य को मानव-जीवन और उसके धर्म एवं कर्तव्यों का ज्ञान प्राप्त होता है। निरक्षर व्यक्ति को पशु समान माना जाता है।
अतः सुखी जीवन के लिए प्रत्येक व्यक्ति का साक्षर एवं शिक्षित होना आवश्यक है, ताकि वह समाज एवं राष्ट्र के विकास में अपना सहयोग देकर राष्ट्र का सच्चा नागरिक होने का गौरव प्राप्त कर सके।
वास्तव में शिक्षा के अभाव में व्यक्ति पशु के समान अन्य सभी कार्य तो कर सकता है। वह निद्रा ले सकता है, भोजन कर सकता है, पशु के समान सन्तानोत्पत्ति भी कर सकता है, पशु की तरह मेहनत-मजदूरी करके जीवनयापन भी कर सकता है, परन्तु मनुष्य-धर्म का ज्ञान, कार्य प्रणाली की योग्यता और विकास के लिए विज्ञान की जानकारी व्यक्ति को शिक्षा से ही प्राप्त हो सकती है। एक निरक्षर व्यक्ति की तुलना में एक शिक्षित व्यक्ति किसी भी कार्य को अधिक व्यवस्थित ढंग से अधिक उपयोगी स्वरूप प्रदान कर सकता है।
मनुष्य को व्यावहारिक जीवन में कदम-कदम पर शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है। एक निरक्षर व्यक्ति सगे-सम्बंधियों को पत्र नहीं लिख सकता, किसी भी सरकारी कार्य के लिए वह स्वयं प्रार्थना-पत्र नहीं लिख सकता। निरक्षर व्यक्ति को पढ़ाई-लिखाई के समस्त कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। केवल नौकरी के लिए ही पढ़ा-लिखा होना जरूरी है, यह मानकर चलने वालों को जीवन में छोटी-छोटी बात के लिए परेशान होना पड़ता है।
स्वयं अपना व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों को भी शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है। शिक्षित किसान नयी-नयी वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करके अधिक अच्छी फसल प्राप्त कर सकता है। प्रत्येक छोटा-बड़ा व्यापार करने वाला व्यक्ति यदि शिक्षित होगा तो वह अपने व्यापार में अधिक सफलता के लिए नए-नए प्रयोग कर सकता है। ज्ञान के अभाव में निरक्षर व्यक्ति में यह योग्यता नहीं होती।
आज विश्व के सभी देशों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। हमारे देश की सरकार भी साक्षरता अभियान चला रही है। प्राथमिक विद्यालयों में पहले से ही निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है। विशेषतया पिछड़े हुए क्षेत्रों में और गरीबों की शिक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है। गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए सरकार ने विद्यालयों में मुफ्त पुस्तकें, वर्दी और अल्पाहार की भी व्यवस्था की हुई है।
सरकार के प्रयासों का सुखद परिणाम भी देखने को मिल रहा है। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व की तुलना में आज निरक्षरता में काफी कमी आई है। परन्तु भ्रष्टाचार के कारण सरकारी प्रयासों को वह गति प्राप्त नहीं हुई, जो होनी चाहिए थी। भारत की स्वतंत्रता के आधी से अधिक शताब्दी का समय व्यतीत होने के उपरान्त भी यहाँ निरक्षरता समाप्त नहीं हुई है।
यह दुखद स्थिति है कि आज भी हमारे देश के कुछ नागरिकों को अँगूठा लगाना पड़ता है। आज भी चिट्ठी-पत्री के लिए कुछ लोगों को किसी साक्षर व्यक्ति की खोज करनी पड़ती है। इसके लिए अधिक दोष सरकार को देना न्यायोचित नहीं होगा। सरकार के द्वारा शिक्षा का प्रचार-प्रसार निरन्तर किया जा रहा है। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अधिक मुस्तैदी से कार्य करने की आवश्यकता है।
राज्य सरकारों को भी निरक्षरता समाप्त करने के लिए अधिक प्रयत्नशील होने की आवश्यकता है। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि निरक्षरता किसी भी राज्य के विकास में बाधक होती है। राज्य की उन्नति के लिए बच्चे-बच्चे को साक्षर बनाना होगा।
शिक्षा का प्रचार-प्रसार सामाजिक कर्तव्य भी है। एक शिक्षित समाज ही धर्म-कर्म में निपुण हो सकता है। अतः समाज के प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह समाज से निरक्षरता समाप्त करने के लिए यथासम्भव प्रयास करे। निरक्षर व्यक्तियों को जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है
और इसका प्रतिकूल प्रभाव सम्पूर्ण समाज पर पड़ता है। अतः समाज के विकास के लिए उसका शिक्षित होना आवश्यक है। समाज से निरक्षरता मिटाने के लिए जन-जागरण अभियान की आवश्यकता है। सम्पूर्ण समाज का साक्षर होना ही गौरव की बात है।
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