हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on bhartiya kisan in Hindi पर पुरा आर्टिकल। भारतीय किसान उतनी ही जरुरी है जितना की डॉक्टर इंजीनियर इसलिए अगर आप भी भारतीय किसान के बारे में कुछ जानना चाहते है तो हमारा आर्टिकल जरूर पढ़े।
आज के essay में आपको bhartiya kisan के बारे में बातें पता चलेंगे तो अगर आप अपने बच्चे के लिए Essay on bhartiya kisan in Hindi में ढूंढ रहे है तो हम आपके लिए india पर लाये है जो आपको बहुत अच्छा लगेगा। आईये पढ़ते है
Bhartiya Kisan essay in hindi
प्रस्तावना :
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ की 70% से अधिक जनसंख्या गाँवों में बसती है। खेतीबाडी करके आजीविका कमाने वाला व्यक्ति किसान कहलाता है।
परिचय :
किसान का नाम लेते ही हमारे मस्तिष्क में एक ऐसे व्यक्ति की छवि आती है जो रहन-सहन, पहनावे, भोजन इत्यादि में एकदम सीधा-सादा जीवन जीता है। किसान कठिन परिश्रम से खेतों में अन्न उपजाकर संसार के सभी प्राणियों का पेट भरता है। चाहे चिलचिलाती धूप हो या कडाके की सर्दी, उसे तो सभी की मार झेलनी पड़ती है। उसका पूरा जीवन तपस्या से भरा होता है, अभिमान से परे वह दूसरों के हित के बारे में ही सोचता है। वह स्वयं भूखा रहकर दूसरों का पेट भरता है। सही अर्थों में किसान ही सच्चा साधक तथा कर्मयोगी है, जिसे फल की कोई इच्छा नहीं होती।
किसान का कर्तव्य-परिश्रम :
भारतीय किसान का जीवन मुश्किलों से भरा होता है। वह दिन-रात परिश्रम करता है। जब शहरी लोग सर्दियों में अपने बिस्तरों में छुपे होते हैं या फिर गर्मियों में वातानुकूलित का आनंद ले रहे होते हैं, उस समय भी किसान खेतों में हल चला रहा होता है। वह हर मौसम में सूर्योदय से पहले उठता है तथा सूर्यास्त तक काम करता है।
निर्धनतापूर्ण जीवन :
सबसे अधिक दुख की बात यह है कि इतना अधिक परिश्रम करने के बाद भी किसान का जीवन अभावपूर्ण होता है। वह कच्चे मकानों में रहता है, सादा भोजन करता है तथा एकदम सादे कपड़े पहनता है। वह अक्सर कर्ज में डूबा रहता है क्योंकि अचानक कोई बीमारी या शादी-ब्याह पर खर्च करने के लिए उसके पास कोई जमा-पूजी नहीं होती। मौसम की मार, बाढ़, सूखा ये सभी दुख किसान को जिन्दगी के अहम हिस्से हैं।
उपसंहार :
वास्तव में भारतीय किसान की दशा बहुत दयनीय है। ईश्वर के बाद वही तो हमारा अन्नदाता है और वही सुखी नहीं है। किसानों की शोचनीय स्थिति को देखते हुए आजकल सरकार की ओर से काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इनके सुधार के लिए अनेक कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं जैसे-सहकारी खेती, चकबन्दी, सस्ते दरों पर ऋण, पानी व बिजली की उचित व्यवस्था, सर्व शिक्षा अभियान, गाँवों में सरकारी अस्पताल व स्कूल आदि की व्यवस्था। सरकारी तथा निजी-प्रयासों से ही किसान का जीवन स्तर ऊँचा उठ सकता है और वे खुशहाल रह सकते हैं, यदि हम सब प्रयास नहीं करेंगे तो किसान भूखमरी, निर्धनता तथा अज्ञानतावश आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएंगे और यह हमारे लिए बहुत शर्म की बात है।
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