Rahim ke Dohe in Hindi – रहीम दास के दोहो का हिंदी में अर्थ जाने !

1 MIN READ 1 Comment

Rahim ke Dohe स्कूल में भी पढाये जाते है। 

31. रहिमन जिह्वा बाबरी, कह गई सरग -पताल। आपु तु कहि भीतर गई, जूती खात कपाल।।

रहीम दास जी कहते हैं कि इंसान को सदैव बड़ा ही सोच समझ कर बोलना चाहिये। ये जीभ को बावली है, कटु शब्द कहकर मुंह के अंदर छिप जाती है। और उसका परिणाम बेचारे सर को भुगतना पड़ता है क्योंकि लोग सिर पर ही जूतियां मारते हैं।

32. रहिमन ओछे नरन ते, भलो बैर ना प्रीति। काटे-चाटे स्वान के, दुहूँ भाँति बिपरीति।।

रहीम दास जी इस दोहे में कहते हैं कि दुष्ट लोगों से ना तो मित्रता अच्छी है और ना ही दुश्मनी। जैसे कुत्ता चाहे गुस्से में काटे या फिर प्यार से तलवे चाटे, दोनों इस स्थिति कष्टदायी होती हैं। दुष्ट लोगों से तो दूरी ही अच्छी है।

33. टूटे सुजन मनाइए , जो टूटे सौ बार। रहिमन फिरि-फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार।।

रहीम दास जी कहते हैं कि अपने प्रियजनों को रूठने पर मना लेना चाहिये। चाहे वो सौ बार रूठें लेकिन आपको अपने प्रियजनों को जरूर मना लेना चाहिए। जैसे किसी माला के टूट जाने पर हम फिर से मोती पिरोकर माला कोई जोड़ लेते हैं वैसे ही प्रियजनों को भी रूठने पर मना लेना चाहिये

34. जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारो करै, बढ़े अँधेरो होय ।।

रहीम दास जी कहते हैं कि दीपक और सुपुत्र एक समान होता है। जब तक दीपक जलता है चारों ओर प्रकाश रहता है, अगर दीपक बुझ जाये तो अँधेरा हो जाता है ठीक उसी प्रकार सुपुत्र जिस घर में होता है वहां यश और कीर्ति फैलाता है और उसके जाते ही सब सूना हो जाता है।

35. रहिमन वे नर मर चुके, जे कछु माँगन जाहिं । उनते पहले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं।।

रहीम दास जी कहते हैं कि वे लोग मर चुके हैं जो दूसरों से मांगते हैं। जो लोग अपनी खुद मदद नहीं कर सकते और दूसरों से मांगते हैं वो मृत समान हैं और उनसे भी पहले वो लोग मर चुके हैं जो मांगने पर भी याचक की नहीं करते।

36. रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय. सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय

रहीम दास जी कहते हैं कि व्यक्ति को अपने मन का दुःख अपने मन में ही रखना चाहिए क्योंकि दूसरे लोग आपके दुःख को सुनकर इठला भले ही लें लेकिन कोई आपके दुःख का दर्द बाँट नहीं सकता।

37. थोथे बादर क्वार के , ज्यो रहीम छहरात | धनी पुरुष निर्धन भये , करे पाछिली बात ||

हीम दास जी कहते हैं कि क्वार के महीने में जो बादल होते हैं वो केवल गड़गड़ाहट की आवाज करते हैं लेकिन उनमें पानी नहीं होता ठीक वैसे ही धनी इंसान निर्धन हो जाने के बाद भी अपना अमीरी का घमंड नहीं छोड़ता और पिछली बातों को याद कर करके घमंड करता है लेकिन मनुष्य को हर परिस्थिति में एक ही जैसा व्यव्हार करना चाहिए।

38. कही रहिम सम्पति सगे , बनत बहुत बहु रीत विपति कसौटी जे कसे , तेई सांचे मीत

रहीमदास जी कहते हैं कि जब तक संपत्ति साथ होती है तो बहुत से रिश्ते और मित्र बन जाते हैं लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ देता है वही सच्चा मित्र होता है।

39. बिगड़ी बात बने नही , लाख करो किन कोउ रहिमन फांटे दूध को , मथे ना माखन होय

रहीम दास जी कहते हैं कि एक बार अगर बात बिगड़ जाये तो फिर लाख प्रयासों के बाद भी बात नहीं बनती जैसे दूध एक बार फट जाये तो फिर उसका ना ही दूध बनता है और ना ही मक्खन। इसलिए हर काम बड़ा ही सोच और समझ कर ही करें।

40. रहिमन देख बडिन को , लघु ना दीजिये डारि जहा काम आवे सुई ,का करी है तरवारि

रहीम दास जी कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देखकर छोटी चीजों को फेंक नहीं देना चाहिए। जिस प्रकार जो काम सुई कर सकती है वो काम कोई तलवार नहीं कर सकती अर्थात हर चीज़ का अपना एक अलग महत्व है चाहे छोटी हो या बड़ी।

 

Also Read:

  1. Desh Bhakti Kahani in Hindi Language
  2. Short Stories in Hindi
  3. Mulla Nasruddin Stories in Hindi
  4. Hindi Short Stories With Moral Value
  5. Thought of the day in English
  6. Thoughts in Hindi on Life with Images

Written by

Romi Sharma

I love to write on humhindi.inYou can Download Ganesha, Sai Baba, Lord Shiva & Other Indian God Images

One thought on “Rahim ke Dohe in Hindi – रहीम दास के दोहो का हिंदी में अर्थ जाने !

  1. दुःख में सुमिरन सब करें, सुख में करें न कोय।
    जो सुख में सुमिरन करें, तो दुःख काहे होय।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.