हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Homi Jehangir bhabha Essay in Hindi पर पुरा आर्टिकल। आज हम आपके सामने Homi Jehangir bhabha के बारे में कुछ जानकारी लाये है जो आपको हिंदी essay के दवारा दी जाएगी। आईये शुरू करते है Homi Jehangir bhabha Essay in Hindi
Homi Jehangir bhabha Essay in hindi
डॉ. भाभा महान् परमाणु वैज्ञानिक थे। वे के गुणी थे। भारतमाता सुपुत्र महान् वैज्ञानिक, अनन्य संगीत प्रेमी, उत्कृष्ट चित्रकार-इस प्रकार गुणों का एकत्र संगम दुर्लभ है। होमी का सुशिक्षित एवं सुसंस्कृत जन्म 30 October 1909 को बंबई के एक शिष्ट पारसी परिवार में हुआ। उनके पितामह हुरमुख जहाँगीर भाभा (सीनियर) मैसूर राज्य के शिक्षा निदेशक थे। होमी के पिता जेएच भाभा बंबई के प्रसिद्ध बैरिस्टर थे।
श्री होमी की माता श्रीमती मेहरबाई शांत स्वभाव, सुतीक्ष्ण बुद्धि महिला थीं। कोमलता, कलात्मकतासुंदरता एवं नम्रता की मूर्ति थीं। उनके श्रेष्ठ गुणों का होमी पर शैशव से ही प्रभाव पड़ने लगा। शैशव से ही होमी कुशाग्र बुद्धि थे। वे संकेत से ही बात का मर्म समझ लेते थे। वे दूसरों की बात इतनी एकाग्रता से सुनते थे कि दुबारा पूछने का अवसर ही न आता था। उनका पतलासुंदर, कोमल शरीर तथा आकर्षक मुखड़ा प्रत्येक व्यक्ति को मुग्ध कर लेता था। होमी को कैथेड्रल स्कूल में प्रविष्ट कराया गया। होमी को संगीत से बहुत प्रेम था। संसार के चोटी के संगीतकारों के रिकॉर्ड सुनकर छोटी अवस्था में ही उन्हें स्वरताललय का अच्छा ज्ञान हो गया था। वे श्रेष्ठतम गायकों की हू-ब-हू नकल कर लिया करते थे। संगीत के अतिरिक्त होमी को पेड़-पौधों बेलों-वनस्पतियों कलियों-फूलों से गहरा अनुराग था। उन्हें निद्रा कम आती थी। डॉक्टरों ने परीक्षा के बाद बताया कि होमी को नींद न आने का कारण उनका ‘अति सक्रिय मस्तिष्क’ है।
स्कूल में ही होमी को चित्रकला का भी शौक हो गया। जीवन-भर यह उनकी बहुत बड़ी हॉबी’ रही। ये खेलों में बहुत कम हिस्सा लेते थे, परंतु घर की सारी लाइब्रेरी उन्होंने स्कूली जीवन में ही पढ़ डाली थी। पंद्रह वर्ष की अवस्था में सीनियर कैंब्रिज पास करने के बाद वे एलफिंस्टन कॉलेज में भरती हुए । सन् 1926 में इन्होंने एफ.वाइ.. परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। 1927 में ‘रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस’ में आईएस-सी. परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। शिक्षा काल में होमी ने इतने पुरस्कार प्राप्त किए कि दंग रह जाना पड़ता है। विज्ञान के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाशाली विद्यार्थियों में उनकी गणना होने लगी।
Also Read:
- रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध Essay on Rabindranath Tagore in Hindi
- वर्षा ऋतु पर निबंध Essay on Rainy Season in Hindi @ 2018
- गणतंत्र दिवस पर निबंध Essay on Republic Day in Hindi @ 2018
- राजनीति पर निबंध – Essay on Politics in Hindi @ 2018
- माता पिता पर निबंध Essay on Parents in Hindi @ 2018
इन्हीं दिनों होमी जहाँगीर भाभा की गणित के विशेष अध्ययन के लिए अधिक प्रवृत्ति हो गई। इंग्लैंड में जाकर ये कैंब्रिज विश्वविद्यालय के ‘केयस कॉलेज’ में प्रविष्ट हुए। सन् 1929 व 30 में इन्होंने अभियांत्रिक ट्राइपास परीक्षा के प्रथम व द्वितीय खंड योग्यतापूर्वक उत्तीर्ण किएपरीक्षा में कुल छ: विषय होते हैं। इनमें से चार विषयों में उत्तीर्ण होना आवश्यक होता हैं, परंतु भाभा ने छः विषयों में परीक्षा दी और सभी विषयों में बहुत ऊँचे अंक लेकर उत्तीर्ण हुए। इस तरह इस विलक्षण विद्यार्थी ने भारतीय प्रतिभा की धाक जमा दी। इससे इन्हें दो वर्ष के लिए विशेष छात्रवृत्ति प्रदान की गई।
१९३ -३१ में इन्होंने भौतिक सिद्धांतों का अध्ययन शुरू किया। इनका मस्तिष्क हर समय सजग रहता था। सन् 1932 में भाभा को उच्च गणित अध्ययन के लिए दो वर्ष की छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। तब इन्होंने एक मौलिक निबंध लिखा। इससे इनकी बहुत प्रशंसा हुई।
1933-34 में प्रोफेसर फर्मों के छात्र बनकर इन्होंने गणित का विशिष्ट अध्ययन किया। सन् 1934 में भाभा को ‘सर आइजक न्यूटन छात्रवृत्ति’ प्राप्त हुई। इसी वर्ष भाभा ने पी-एचडी. (केंटब) उपाधि प्राप्त की। 1936 में इन्हें ग्रेट ब्रिटेन प्रदर्शनी उच्चतर छात्रवृत्ति’ प्राप्त हुई। सन् 1937 में इन्हें एक निबंध पर ‘एडम्स पुरस्कार’ प्राप्त हुआ। इसके बाद कोपनहेगन (डेनमार्क) जाकर डॉ. नील्स बोहर की विज्ञानशाला में इन्होंने पाँच मास तक भौतिक विज्ञान संबंधी गंभीर अनुसंधान कार्य किया। 1935 में ये कैंब्रिज में अध्यापक हो गए। इनके विषय थे विद्युत् तथा चुंबकीय विज्ञान।
1937 में प्रख्यात वैज्ञानिक मैक्स वार्न ने भाभा को एडिनबरा (स्कॉटलैंड) आमंत्रित किया। वहाँ भाभा की एक भाषणमाला आयोजित की गई। विषय था-कॉस्मिक किरणें। इस भाषणमाला से डॉ. भाभा की यश-गंध दूरदूर तक फैल गई।
ब्रिटेन की रॉयल विज्ञान सोसाइटी ने इन्हें आर्थिक सहायता दी तथा प्राध्यापक ब्लकट की कॉस्मिक किरण अनुसंधानशाला में सैद्धांतिक भौतिक विज्ञान गवेषक के पद पर नियुक्त किया। अब तक डॉ. भाभा के लगभग बीस निबंध अथवा ग्रंथ प्रकाशित हो चुके थे। इनके विषय थे-भौतिकी, प्रकृति, नाभिकीय भौतिकी, कॉस्मिक किरण आदि। इनसे भाभा का नाम विश्व के सभी वैज्ञानिकों तक पहुँच गया था।
सन् 1937 में द्वितीय विश्वयुद्ध की ज्वालाएँ धधकने लगीं। तब भाभा ने कहा’मेरे देश ने मुझे पुकारा है।” और वे भारत चले आए। उन्होंने बंगलौर स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान’ में कार्य करना आरंभ किया। इनके नेतृत्व में बहुत से भारतीय युवक कॉस्मिक किरणों संबंधी खोज में लग गए।
सन् 1941 में भाभा को ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी का सदस्य बनाया गया। उक्त सोसाइटी ने अन्वेषण कार्य के लिए इन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान की। 1942 से 1945 तक डॉ. भाभां बंगलौर विज्ञान संस्थान में प्राध्यापक रहे। डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन इनकी मुक्तकंठ से प्रशंसा किया करते थे। १९४५ में ये टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के निदेशक बनाए गए।
Also Read:
- पेड़ों का महत्व निबन्ध Essay on Trees in Hindi @ 2018
- ताजमहल पर निबंध Essay on Taj Mahal in Hindi @ 2018
- टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi @ 2018
- शेर पर निबंध Essay on Tiger in Hindi @ 2018
- विज्ञापन पर निबंध – Essay on Vigyapan in Hindi @ 2018
अब तक इनके प्रकाशित निबंधों तथा ग्रंथों की संख्या इक्यासी तक पहुँच गई थी। इनमें बहुत से परमाणु संबंधी थे। उन्हें विश्व के सभी प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों से भाषण के आमंत्रण मिलते रहते थे और उनकी गणना विश्व के चोटी के वैज्ञानिकों में होने लगी थी। सन् 1948 में उन्हें हॉपकिंस पुरस्कार प्राप्त हुआ। सन् 1947 में जब भारत में परमाणु शक्ति आयोग की स्थापना हुई तो डॉ. भाभा इसके अध्यक्ष (चेयरमैन) बनाए गए। डॉ. भाभा भारत में परमाणु युग के प्रवर्तक थे। भारत में परमाणु विज्ञान संबंधी तमाम संस्थाएँ इन्हीं की देन हैं।
डॉ. भाभा भारतीय सभ्यता और संस्कृति के रंग में रंगे हुए थे। ये परमाणु शक्ति का शांति कार्यों-रचनात्मक कार्यों में प्रयोग करने के प्रबल समर्थक थे। ये आधुनिक भारत के निर्माण का स्वप्न देखा करते थे, जो भलीभाँति विकसित हो। 24 January 1966 को एक वायुयान दुर्घटना में इनका देहावसान हुआ।
- विद्यार्थी जीवन पर निबंध
Vidyarthi Jeevan Essay in Hindi
- डा. राजेंद्र प्रसाद पर निबन्ध
Rajendra Prasad Essay in Hindi
2018
- बाल गंगाधर तिलक पर निबंध
Lokmanya Bal Gangadhar Tilak Essay in Hindi
- विषैले फलों का पेड़ की ज्ञान वर्धन वाली कहानी Short Story For Kids
- आलस्य पर निबंध – Essay on Laziness in Hindi @ 2018
Lord Shiva Wallpaper
Shiva HD Images Free Download
- आदर्श सूक्तियां और अनमोल वचन Suktiyan in Hindi 2018
- स्वास्थ्य ही धन है पर भाषण Speech on Health is Wealth in Hindi
- शिक्षक दिवस पर भाषण Teachers Day Speech in Hindi @ 2018