हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Vigyapan in Hindi पर पुरा आर्टिकल। आज के दौर में लोगो की सोच को Vigyapan के जरिये बदला जा सकता है इसका नमूना आप चुनाव में देख सकते है। आज हम आपको Vigyapan के बहुत प्रकार के बारे में बताएँगे जिससे आपको विज्ञापन को समझने में आसानी रहेगी।
इस आर्टिकल में हम Vigyapan के अलग अलग तरह के essay लिख रहे हो आपको Vigyapan को समझने में बहुत मदद करंगे।
विज्ञापन पर निबंध – Essay on Vigyapan in Hindi @ 2018
विज्ञापन एक कला है। विज्ञापन का मूल तत्व यह माना जाता है। कि जिस वस्तु का विज्ञापन किया जा रहा है , उसे लोग पहचान जाएँ और उसको अपना लें। निर्माता कंपनियों के लिए यह लाभकारी है। शुरु – शुरु में घंटियाँ बजाते हुएटोपियाँ पहनकर या रंग – बिरंगे कपड़े पहनकर कई लोगों द्वारा गलियों – गलियों में विज्ञापन किए जाते थे। इन लोगों द्वारा निर्माता कंपनी अपनी वस्तुओं के बारे में जानकारियाँ घर – घर पहुंचा देते थी। विज्ञापन की उन्नति के साथ कई वस्तुओं में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ। समाचार – पत्र, रेडियो और टेलिविजन का आविष्कार हुआ। इसी के साथ विज्ञापन ने अपना साम्राज्य फैलाना शुरु कर दिया। नगरों मेंसड़कों के किनारेचौराहों और गलियों के सिरों पर विज्ञापन लटकने लगे।
Also Read:
- Essay on Mother in Hindi @ 2018
- Essay on My School in Hindi @ 2018
- Essay on My Family in Hindi @ 2018
- Essay on Newspaper in Hindi
समय के साथ बदलते हुए समाचार – पत्ररेडियो – स्टेशनसिनेमा के पट व दूरदर्शन अब इनका माध्यम बन गए हैं। आज विज्ञापन के लिए विज्ञापन गृह एवं विज्ञापन संस्थाएँ स्थापित हो गई हैं। इस प्रकार इसका क्षेत्र विस्तृत होता चला गया। आज विज्ञापन को यदि हम व्यापार की आत्मा कहेंतो अत्युक्ति न होगी। विज्ञापन व्यापार व बिक्री बढ़ाने का एकमात्र साधन है। देखा गया है। कि अनेक व्यापारिक संस्थाएँ केवल विज्ञापन के बल पर ही अपना माल बेचती हैं। कुल मिलाकर विज्ञापन कला ने आज व्यापार के क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया है और इसलिए ही इस युग को विज्ञापन युग कहा जाने लगा है। विज्ञापन के इस युग में लोगों ने इसका गलत उपयोग करना भी शुरु कर दिया है।
विज्ञापन के द्वारा उत्पाद का इतना प्रचार किया जाता है कि लोगों द्वारा बिना सोचे – समझे उत्पादों का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। हम विज्ञापन के मायाजाल में इस प्रकार उलझकर रह गए हैं कि हमें विज्ञापन में दिखाए गए झूठ सच नजर आते हैं। हमारे घर सौंदर्य – प्रसाधनों तथा अन्य वस्तुओं से अटे पड़े रहते हैं। इन वस्तुओं की हमें आवश्यकता है भी या नहीं हम सोचते नहीं है |
बाजार विलासिता की सामग्री से अटा पड़ा है और विज्ञापन हमें इस ओर खींच कर ले जा रहे हैं। लुभावने विज्ञापनों द्वारा हमारी सोच को बीमार कर दिया जाता है और हम उनकी ओर स्वयं को बंधे हुए पाते हैं। मुंह धोने के लिए हजारों किस्म के साबुन और फैशवास मिल जाएँगे। मुख की कांति को बनाए रखने के लिए हजारों प्रकार की क्रीम।
विज्ञापनों द्वारा हमें यह विश्वास दिला दिया जाता है कि यह क्रीम हमें जवान और सुंदर बना देगा। रंग यदि काला है , तो वह गोरा हो जाएगा। इन विज्ञापनों में सत्यता लाने के लिए बड़े – बड़े खिलाडियों और फिल्मी कलाकारों को लिया जाता है। हम इन कलाकारों की बातों को सच मानकर अपना पैसा पानी की तरह बहातें हैं परन्तु नतीजा ठन – ठन गोपाल ।
Also Read:
- प्रकृति पर निबंध – Essay on Nature in Hindi 2018 Update !
- भारत में महिला शिक्षा पर निबंध – Essay on Nari Shiksha in Hindi
- भारत (इंडिया) पर निबंध Essay on india in Hindi
- पेड़ों के महत्व पर निबन्ध – Essay on Importance of Trees in Hindi
हमें विज्ञापन देखकर जानकारी अवश्य लेनी चाहिए परन्तु विज्ञापनों को देखकर वस्तुएँ नहीं लेनी चाहिए। विज्ञापनों में जो दिखाया जाता है , वे शत – प्रतिशत सही नहीं होता। विज्ञापन हमारी सहायता करते हैं कि बाजार में किस प्रकार की सामग्री आ गई हैं।
हमें विज्ञापनों द्वारा वस्तुओं की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। विज्ञापन ग्राहक और निर्माता के बीच कड़ी का काम करते हैं। ग्राहकों को अपने उत्पादों की बिक्री करने के लिए विज्ञापनों द्वारा आकर्षित किया जाता है। लेकिन इनके प्रयोग करने पर ही हमें उत्पादों की गुणवत्ता का सही पता चलता है। आज आप कितने ही ऐसे साबुन क्रीम और पाउडरों के विज्ञापनों को देखते होंगे , जिनमें यह दावा किया जाता है कि यह सांवले रंग को गोरा बना देता है। परन्तु ऐसा नहीं होता है। लोग अपने पैसे व्यर्थ में बरबाद कर देते हैं। उनके हाथ मायूसी ही लगती है। हमें चाहिए कि पूरे सोच – समझकर उत्पादों का प्रयोग करें। विज्ञापन हमारी सहायता अवश्य कर सकते हैं परन्तु कौन – सा उत्पाद हमारे काम का है या नहीं ये हमें तय करना चाहिए। ये वस्तु हमारे प्रयोग के लिए ही बनाई गई हैं। परन्तु वे हमारे उपयोग न आकर हमारा समय और पैसा दोनों बरबाद करेंये हमें अपने साथ नहीं होने देना चाहिए।
विज्ञापन पर निबंध – Essay on Vigyapan in Hindi
विज्ञापनों से मुक्ति असंभव है। सड़क के किनारे पर लगे बड़ेबड़े हडिंग हमें घूरते रहते हैं, चमकदार निन दुकानों के ऊपर जलतेबुझते रहते हैं, तुकबन्दी एवं स्लोगन हमारे कानों में चीखते रहते हैं इसके अतिरिक्त पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ने की सामग्री से अधिक कपड़े धोने की मशीन एवं कस्टर्ड पाउटर के विज्ञापन की तस्वीरें होती हैं। विज्ञापन न केवल हमारी आखों एवं कानों पर प्रहार करता है बल्कि हमारी जेबों पर भी वार करता है। इसके आलोचक बताते हैं कि हमारे देश में राष्ट्रीय आय का 1.6 प्रतिशत विज्ञापन पर खर्च हो रहा है। परिणाम स्वरूप वस्तुओं की कीमतें बढ़ गयी हैं। जब कोई महिला कोई ‘कास्मेटिक’ का समान खरीदती है। तो बीस है। वह प्रतिशत किसी विज्ञापन दाता को अदा करती
Also Read:
- पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi
- दहेज प्रथा पर निबंध व भाषण – Essay on Dowry System in Hindi
- कुत्ता पर निबंध Essay on Dog in Hindi (तेरी मेहरबानियाँ वाला कुत्ता )
- क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi 2018 (मेरा प्रिय खेल क्रिकेट)
अगर वह किसी विशेष प्रकार का उत्पाद खरीदती है तो उसे अधिक कीमत अदा करनी होगी, उदाहरण स्वरूप अगर वह एक ‘एस्प्रीन’ खरीदती है तो जो वह कीमत भरती है उसका तीस प्रतिशत वह विज्ञापन का मूल्य अदा करती है।
यह ठीक है कि हमें विज्ञापनों का मूल्य अदा करना होता है, किन्तु इसके कुछ लाभ भी हैं। हालांकि कुछ चीज़ों की कीमत विज्ञापन के कारण बढ़ जाती है किन्तु कुछ चीज़ों की कीमत कम भी हो जाती है। समाचार पत्र, पत्रिकायें, व्यवसायिक रेडियो स्टेशन एवं टेलीविजन में विज्ञापन सुनाये व दिखाये जाते हैं, जो उत्पादनकर्ता को उत्पादन का मूल्य कम करने में सहायता करते हैं। इस तरह से हमें निम्न दरों पर सूचना एवं मनोरंजन प्राप्त होता है जो अन्यथा हमे मंहगे दामों पर उपलब्ध हो। इस तरह एक हाथ से हम कुछ खोते हैं तो दूसरे से प्राप्त कर लेते हैं।
इसके अतिरिक्त विज्ञापन द्वारा कुछ हद तक यह आश्वासन मिलता है कि यह उत्पाद गुणवत्ता को बनाये रखेगा। इससे निर्माताओं में प्रतिस्र्पधा उत्पन्न होती है। एवं ग्राहकों को उत्पादनों की बड़ी श्रेणी से पसन्द करने का मौका मिलता है। कुछ मामलों में प्रतिस्पर्धा फलीभूत हो सकती है, उम्मीद है प्रतिवर्ती होने पर प्रतिस्पर्धा विज्ञापन से प्रभावित होकर कीमतों में कमी का कारण बनेगी।
Hindi Essay on Vigyapan ke Labh
विज्ञापनशब्द से तात्पर्य है-किसी तथ्य अथवा बात की विशेष जानकारी अथवा सूचना देना। लैटिन भाषा के शब्द ‘Advertere’ का शाब्दिक अर्थ है-मस्तिष्क का केन्द्रीभूत होना; जिससे विज्ञापन’ के अंग्रेजी पर्याय ‘Advertisement’ का उद्देश्य परिलक्षित होता है। आधुनिक समय में विज्ञापन हमारे जीवन का एक अनिवार्य अंग बन चुका है। व्यवसाय के उत्तरोत्तर विकास, वस्तु की मांग को बाजार में बनाए रखनेनई वस्तु का परिचय जनमानस तक प्रचलित करने, विक्रय में वृद्धि करने तथा अपने प्रतिष्ठान की प्रतिष्ठा यथाव रखने इत्यादि कुछ प्रमुख उद्देश्यों को लेकर विज्ञापन किए जाते हैं।
Also Read:
- कंप्यूटर पर निबंध Essay on Computer in Hindi 2018 Updates Essay
- शहीद भगत सिंह पर निबंध Essay on Bhagat Singh in Hindi
- मेरा अच्छा और सच्चे दोस्त पर निबंध Essay on My Best Friend in Hindi
- क्रिसमस पर निबंध (बड़ा दिन) Essay on Christmas in Hindi -2018
विज्ञापन का महत्व मात्र यहीं तक सीमित नहीं है, अपितु यह संचार शक्ति के सशक्त माध्यमों द्वारा क्रांति ला सकने की सम्भावनाएं एवं सामर्थ्य रखते है। सरकार की विकासोन्मुखी योजनाओं का प्रभावकारी क्रियान्वयनजैसे-साक्षरता, परिवार नियोजन, पोलियो एवं कुष्ठ रोग निवारण हेतुमहिला सशक्तीकरण, बेरोजगारी उन्मूलन हेतु, कृषि एवं विज्ञान सम्बन्धी, आदि; विज्ञापन के माध्यम से ही त्वरित एवं फलगामी होता है। व्यावसायिक हितों से लेकर सामाजिक-जनसेवा एवं देशहित तक विज्ञापन का क्षेत्र अति व्यापक एवं अति विस्तृत है।
दूसरी ओर विज्ञापन संचार माध्यमों की आय का मुख्य स्रोत होता है। आधुनिक मीडिया का सम्पूर्ण साम्राज्य ही वस्तुतः विज्ञापन पर ही निर्भर है। प्रिंट मीडिया के विषय में इस तथ्य को इस प्रकार समझा जा सकता है कि भारत में प्रेस एवं अखबारों के विकास हेतु गठित द्वितीय प्रेस आयोग के कथनानुसार, पाठक द्वारा अखबार की कीमत के रूप में दी जाने वाली कीमत दो रूपों में होती है।
उसका एक भाग तो पत्र में प्रकाशित सामाचारों आदि के लिए तथा दूसरा भाग पत्र में विज्ञापित की गई वस्तुओं के लिए होता है। इन विज्ञापित तथ्यों से उसे विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है। स्पष्ट है कि विज्ञापन उन सभी के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो इन्हें देता हैजिनके द्वारा प्रसारित होता है तथा जिनके लिए ये दिए जाते हैं।
उपभोक्तावाद के आधुनिक युग में वस्तुओं के निर्माताविक्रेता एवं क्रेता हेतु विज्ञापन एक आधार प्रस्तुत करता है, इससे उत्पाद की मांग से लेकर उत्पाद की खपत तक जहां निर्माता अथवा विक्रेता हेतु यह अनुकूल परिस्थितियां बनाने में सहायक होता , वहीं क्रेता अथवा खरीदार के लिए उसकी आवश्यकतानुरूप उत्पाद के चयन हेतु विविधता एवं एक दृष्टिकोण उपलब्ध कराता है।
उल्लिखित प्रक्रिया में उत्पादनिर्माता, विक्रताक्रेता एवं विज्ञापन के अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण घटक वह माध्यम है, जिसके द्वारा विज्ञापित कोई विषयवस्तु अनभिज्ञ व्यक्तियों को प्रभावित कर उन्हें क्रेता वर्ग में सम्मिलित कर देती है।
रेडियो, टेलिविजनसमाचारपत्रपत्रिकाएं आदि आधारभूत एवं उपयोगी माध्यम कहे जाते हैं। सूचना संप्रेषण के ये स्रोत वस्तुतः विज्ञापन आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर रहते हैं। विज्ञापन निश्चित रूप से एक कला है। लक्षित उद्देश्य की प्राप्ति इसका एकमात्र उद्देश्य होता है। विज्ञापन आज के उपभोक्तावादी चरण में इतना अधिक महत्व रखता है कि बड़ी से छोटी प्रत्येक स्तर की व्यावसायिक संस्थाएं अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा सदैव विज्ञापन के लिए व्यय करती है।
विज्ञापन लाभ पर आधारित एक अपरिहार्य अनिवार्यता बन चुका है। साधारण व्यक्ति हेतु भी विज्ञापन उसकी दिनचर्या का एक आवश्यक एवं परामर्शकारी अंग बन चुका है। तेलसाबुनटूथपेस्ट से लेकर जीवन साथी के चयन की उपलब्धता भी विज्ञापन द्वारा सहज रूप से की जा रही है।
विज्ञापन प्रभावशाली ढंग से संप्रेषित अथवा प्रचारित होने वाला एक संदेश होता है। अन्य शब्दों में, विज्ञापन का अर्थ विशेष प्रकार का ज्ञापनकरना होता है, विज्ञापित होने वाला संदेश यदि विशिष्टता लिए हुए हो, तो उसका प्रभाव भी उसी प्रकार का ही होता है। एक विशेष संदेश ‘क्रांति’ ला सकने में सक्षम होता है। राष्ट्रीय आंदोलन के समय महात्मा गांधी द्वारा एक संदेश विज्ञापित किया गया-अंग्रेजो भारत छोड़ो। इस संदेश ने सम्पूर्ण भारत में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ खड़ा कर दिया। इस क्रांति ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ दिया।
Also Read:
- शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में कक्षा 9 के बच्चो के लिए – Moral Stories in Hindi for Class 9
- Andhvishwas Story in Hindi – अंधविश्वास पर कहानियाँ
- 20 + Moral Stories in Hindi for Class 3 With Pictures 2018
- Moral Stories in Hindi For Class 8 With Pictures – हिंदी में नैतिक कहानियां
- Hindi Moral Stories For Class 1 With Pictures 2018
विज्ञापन एक प्रकार से संचार स्रोतों (सूचनामनोरंजन आधारित) का महत्वपूर्ण अंग बन गया है। इसका मुख्य स्रोत टेलिविजन है, जिस पर प्रसारित होने वाले प्रत्येक मनोरंजक कार्यक्रम के निर्माण की लागत एवं लाभ मूलतः उसे प्राप्त होने वाले विज्ञापनों के फलस्वरूप मिलने वाली राशि से ही पूरा होता है। इस दृष्टिकोण से विज्ञापन मूल रूप से मनोरंजन का आधार बन चुका है। रेडियो, टेलिविजन अथवा समाचारपत्र चूंकि मनोरंजन के अतिरिक्त सूचना एवं शिक्षा भी प्रदान करते हैं अतः निःसंदेह विज्ञापन के ही कारण जनसामान्य को सूचना, शिक्षा एवं मनोरंजन की प्राप्ति होती है। ऐसा नहीं है कि विज्ञापन केवल उपयुक्त माध्यमों द्वारा ही सम्भव है।
विज्ञापन इनके अतिरिक्त अनेक माध्यमों से भी किया जा सकता है और किया भी जाता है। यह विज्ञापन के उद्देश्य पर निर्भर करता है कि उसे प्रचारित करने हेतु माध्यम क्या चुना जाए? यह बात सीधेसीधे लागत पूंजी पर निर्भर करती है।
उदाहरण के लिएबड़ी लागत वाली कोई कम्पनी Largescale Industry) अपने उत्पादों का विश्वव्यापी विज्ञापन करती है तो एक कम लागत वाली कम्पनी (Smallscale Industry) एक सीमित क्षेत्र तक ही अपने उत्पाद का विज्ञापन कर पाएगी और उसके लिए उसे उसी स्तर पर माध्यमों का चयन करना होगा।
विज्ञापन का क्षेत्र अत्यंत विविधतापूर्ण होता है, सब कुछ ‘माया का खेल लगता है, किन्तु सभी कुछ ‘उपयोगितावाद’ पर आधारित है। विज्ञापन का प्रत्येक स्तर पर अपना एक पृथक् महत्व होता है। सड़कों के किनारे लगे हुए बड़ेबड़े होर्डिंग्स, दीवारों पर लगे पोस्टर अथवा बसों एवं मोटरगाड़ियों के पीछे लिखे विज्ञापन, आदि इन समस्त युक्तियों के पीछे एकमात्र उद्देश्य यह होता है कि अधिक-से-अधिक लोगों का ध्यानाकृष्ट किया जाए।
जिस प्रकार कोई व्यक्ति किसी अंजान जगह पर पहुंच कर अपने गंतव्य तक पहुंचने हेतु स्वयं भटकने के स्थान पर किसी जानकार व्यक्ति से उस जगह के मार्गों इत्यादि के सम्बन्ध में पूछेगा। ठीक इसी प्रकार उत्पादों की भरमार से अटे पड़े वर्तमान बाजारों में भटकते उपभोक्ता के लिए विज्ञापन एक जानकार एवं परामर्शदाता की भूमिका धारण कर चुका है। विज्ञापनों द्वारा नएनए उत्पादों का एवं आविष्कारों अथवा विज्ञान प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित की जाने वाली नवीनतम वस्तुओं अथवा उपकरणों का जनसाधारण तक अत्यंत शीघ्रता से परिचय हो जाता है। एक सीमा तक विज्ञापन को समाज में एकरूपता लाने की दिशा में भी प्रभावी रूप में देखा जा सकता है, यद्यपि यह सब तीव्रगामी उपभोक्तावाद के परिणामस्वरूप ही हो रहा है तथापि इसके लिए वातावरण बनाने का कार्य विज्ञापन द्वारा ही किया गया है ।
वर्तमान समय में विज्ञापन एक उद्योग का रूप ग्रहण कर चुका है। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कम्पनियां एवं एजेंसियां करोड़ों का लेनदेन कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर इससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन भी हो रहा है। भारत में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अनुसार दूरदर्शन को विज्ञापनों के प्रसारण से 1500 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति होती है।
विज्ञापनों का प्रभाव व्यापक एवं महत्वपूर्ण होता है अतः इसका गलत प्रयोग न हो पाएइस दृष्टिकोण से इसे सरकारी नियंत्रण में रखा गया है। इसके लिए सरकार ने विज्ञापन हेतु एक आचार संहिता (Code of Conduct for Advertisement) का प्रावधान किया है।
इस आचार संहिता के अंतर्गत नियंत्रणकारी संस्था एडवरटाइजिंग स्टैण्ड काउंसिल ऑफ इण्डिया द्वारा विज्ञापनों के लिए आदर्श मापदण्डों का निर्धारण किया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य यह है कि जनसाधारण को प्रभावित कर देने वाले विज्ञापनों से व्यावसायिक हित के चलते दिग्भ्रर्मित न किया जा सके, क्योंकि एक सशक्त विज्ञापन में प्रभावित कर सकने की अद्भुत शक्ति एवं क्षमता होती है।
अतः सरकार द्वारा इस प्रणाली पर नियंत्रण एवं निरीक्षण अत्यावश्यक है। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि विज्ञापनों का वर्तमान व्यावसायिक एवं उपभोक्तावादी युग में महत्व अत्यधिक बढ़ गया है।
- Essay on Education in Hindi 2018 Latest
- Essay on Morning Walk in Hindi
- Essay on Swachata in Hindi Cleanliness Par Essay
- Essay on Yoga in Hindi
- Essay on Corruption in Hindi
- Essay on Child Labour in Hindi 2018
- Essay on Discipline in Hindi in 2018
- Essay on Mera Bharat Mahan in Hindi
- Essay on Diwali in Hindi 2018
- Essay on Independence Day in Hindi [5]
- Essay on Holi in Hindi
- Essay on Pollution in Hindi Complete Guide
- Cow essay in Hindi [ 2018 Updated ]